रानी लक्ष्मी बाई विशेष: मेरठ का चप्पा-चप्पा, 1857 के विद्रोह की गवाही देता है

उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक
17-06-2023 09:37 AM
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रानी लक्ष्मी बाई विशेष:  मेरठ का चप्पा-चप्पा, 1857 के विद्रोह की गवाही देता है

कहा जाता है कि "अगर आपने शुरुआत कर ली तो यह मान के चलिए कि, आपने अपनी मंजिल तक का आधा रास्ता तय कर लिया है!" आज से लगभग 166 साल पहले हमारा मेरठ शहर भी एक ऐसी ही क्रांतिकारी शुरुआत का गवाह बना था, जब यहां से 1857 के विद्रोह के रूप में आजादी की पहली चिंगारी भड़की थी। आज मेरठ कैंट का चप्पा-चप्पा अंग्रेज़ों के राज की शुरुआत और भारत की आजादी के आगमन का प्रमाण देता है। 1857 में, मेरठ छावनी में ब्रिटिश और भारतीय, दोनों रेजिमेंट (Regiment) तैनात थे। मेरठ में कई इमारतें, सड़कें और अखाड़े आज भी मौजूद हैं, जो 1857 की हिंसा और विनाश की निशानी बन गए, जिनमें से कुछ को आज स्मारक और अनुस्मारक में बदल दिया गया है। जिनमें से सभी की सूची निम्नवत दी गई है।
1. गोल्फ कोर्स पर पुराना कब्रिस्तान (Old Cemetery On Golf Course): यह मेरठ छावनी का सबसे पुराना स्मारक है। 1810 तक इसका उपयोग कब्रिस्तान के रूप में किया जाता था। 19वीं शताब्दी में इसे पुर्तगाली कब्रिस्तान कहा जाता था। 2. सेंट जॉन चर्च (St. John's Church): इस चर्च का निर्माण 1818 में शुरू हुआ और यह भारत की उत्तरी प्रांत का पहला चर्च था। 3. काली पलटन मंदिर: यह मंदिर दो देशी इन्फेंट्री रेजिमेंट (Infantry Regiment) के जंक्शन पर खड़ा था। यहां पर भाषण या उपदेश दिए जाते थे। 4. मेरठ छावनी: अंग्रेज 1803 में मेरठ पहुंचे और 1806 में मेरठ छावनी की स्थापना की। समय के साथ अपनी रणनीतिक स्थिति के कारण, यह स्थान एक महत्वपूर्ण सैन्य स्टेशन (Military Station) बन गया। यहाँ पर यूरोपीय और मूलनिवासी रेजिमेंटों के लिए अलग-अलग वर्ग थे। 5. महान उत्थान (The Great Upsurge): मेरठ के विद्रोह की शुरुआत 1857 में एक फकीर के आगमन के साथ हुई, जिसने लोगों और सिपाहियों (सैनिकों) को धर्मोपदेश दिया। तनाव तब बढ़ गया जब सिपाहियों ने परेड (The Parade) में गाय के चमड़े से बने कुछ कारतूसों का इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया।
6. बैरक मास्टर का गोदाम (Barrack Master's Warehouse): 24 अप्रैल से 9 मई, 1857 के बीच मेरठ कैंट में आग लग गई थी। शुरुआत में अधिकारियों ने सोचा कि ऐसा गर्मी के कारण हुआ होगा, लेकिन वास्तव में यह बढ़ती अशांति का संकेत था। 7. ब्रिटिश इन्फैन्ट्री परेड ग्राउंड (British Infantry Parade Ground): यहां पर 9 मई के दिन सिपाहियों को नीचा दिखाने के लिए ब्रिटिश ने एक परेड आयोजित की गई थी। यहां पर सैनिकों को सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया, जिसने सिपाहियों और आम आबादी के बीच गुस्से को हवा दी।
8 सदर बाजार और पुलिस गली: 10 मई को एक अफवाह फैली कि ब्रिटिश रेजिमेंट के मूलनिवासी, रेजीमेंटों के हथियार लेने आ रहे हैं। इसके चलते पुलिस और अन्य लोगों द्वारा उकसाए जाने पर सदर बाजार में यूरोपीय लोगों पर हमला शुरू हुआ। 9. नेटिव इन्फेंट्री लाइंस (Native Infantry Lines): सिपाहियों ने अपने अधिकारियों को गोली मारनी शुरू कर दी, और कुछ सैनिक अपने कैद किए गए साथियों को रिहा करने के लिए जेल में घुस गए। वे रिठानी गांव में एकत्र हुए और ब्रिटिश शासन के खिलाफ हथियार उठाने का फैसला किया।
10. क्रेगी का पुलः (Craigie Bridge:) मेरठ छावनी के दो भागों को आबू नाला नहर द्वारा विभाजित किया गया था। 1857 में इस नहर पर पांच पुल थे।
11. ब्रिटिश प्रतिशोध: अंग्रेजों ने गांवों पर हमला करके और ब्रिटिश अदालतों में लोगों को फांसी देकर इस विद्रोह की कठोर प्रतिक्रिया दी। भारतीय लोगों की मौतों की सही संख्या आज भी अज्ञात है, क्योंकि इसके कोई भी रिकॉर्ड नहीं रखे गए थे।
12. श्रीमती चेम्बर्स (Mrs. Chambers) का घर: 10 मई को, एक भीड़ ने श्रीमती चेम्बर्स के घर पर हमला किया, और एक कुएं के पास छिपने की कोशिश करते समय वह मारी गई।
1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में धन सिंह गुर्जर, जिन्हें धुन्ना सिंह के नाम से भी जाना जाता है, ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। धन सिंह, गुर्जर समुदाय से थे और उनका जन्म मेरठ के पांचाली गाँव में हुआ था। उस समय वह मेरठ शहर में कोतवाल की भूमिका में थे। लेकिन विद्रोह के समय वह भी प्रदर्शनकारियों में शामिल हो गए। उनके नेतृत्व में, 800 से अधिक कैदियों को रिहा कर दिया गया। क्रांतिकारियों ने शहर में अंग्रेजों से जुड़ी हर चीज को निशाना बनाकर नष्ट कर दिया। उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) के अनुचित शासन के विरोध में लूटपाट, चोरी और यहां तक कि हत्याएं भी कीं। बाद में धन सिंह को अंग्रेजों के खिलाफ साजिश रचने के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी और 4 जुलाई, 1857 को उन्हें फांसी दे दी गई थी। धन सिंह गुर्जर की बहादुरी का सम्मान करने के लिए, 2018 में, उत्तर प्रदेश में पुलिस महानिदेशक ओ पी सिंह (O.P Singh) द्वारा, मेरठ के सदर पुलिस स्टेशन (Sadar Police Station) में धन सिंह की एक प्रतिमा का अनावरण किया गया था। उनके सम्मान में मेरठ विश्वविद्यालय के सामुदायिक केंद्र का नाम बदलकर धन सिंह कोतवाल सामुदायिक केंद्र कर दिया गया है।
मेरठ की भांति कानपुर में भी कुछ ऐसे ऐतिहासिक स्थल हैं जहां 1857 में विद्रोही सैनिकों और ब्रिटिश भारतीय सेना के बीच तीव्र लड़ाई हुई थी। ऐसा ही एक स्थल सतीचौरा घाट भी है, जो गंगा के तट पर स्थित है, जिसे विद्रोह के दौरान एक क्रूर घटना के बाद नरसंहार घाट का नाम दिया गया था।
1857 के विद्रोह के दौरान, मराठा साम्राज्य के पेशवा (शासक) नाना साहब ने कानपुर में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया। जून 1857 में, नाना साहब की सेना ने कानपुर में मेजर-जनरल ह्यू व्हीलर (Ajor-General Hugh Wheeler) की सेना पर हमला किया। ब्रिटिश सेनाओं की संख्या कम थी, और हफ्तों की लड़ाई के बाद, उन्हें नागरिकों के साथ ऑल सोल्स चर्च (All Souls Church) में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। 1858 में, स्कॉटलैंड के एक डॉक्टर (Scottish Doctor,), डॉ. जॉन मुरे (Dr. John Murray,) ने ब्रिटिश भारत के कानपुर में बीबीघर की एक दर्दनाक तस्वीर ली। कानपुर में जहां फूल बाग है वहां पर अंग्रेज अफसर ने बीवी घर बनवाया था। बीबीघर वही जगह थी, जहां कुछ महीने पहले एक दर्दनाक घटना में सैनिकों द्वारा यूरोपीय महिलाओं और बच्चों की हत्या कर उन्हें एक कुएं में फेंक दिया गया था। मरे उन कुछ फ़ोटोग्राफ़रों में से एक थे जिन्होंने उस समय इस दृश्य को अपने कैमरे में कैप्चर (Capture) किया था।
मेरठ और कानपुर के अलावा दिल्ली में भी “विद्रोह स्मारक” नामक एक महत्वपूर्ण स्मारक है, जिसे 1863 में सिपाही विद्रोह में लड़ने वाले सैनिकों का सम्मान करने के लिए बनाया गया था। यह स्मारक ओल्ड टेलीग्राफ बिल्डिंग (Old Telegraph Building) के सामने खड़ा है। 1972 में, भारत की स्वतंत्रता की 25 वीं वर्षगांठ पर, सरकार ने स्मारक का नाम बदलकर अजीतगढ़ कर दिया।

संदर्भ

https://shorturl.at/dpAIO
https://shorturl.at/aHIR0
https://shorturl.at/oswGQ
https://shorturl.at/glzEV
https://tinyurl.com/bddjz4wk

चित्र संदर्भ

1. मेरठ में 1857 के विद्रोह को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. मेरठ छावनी को दर्शाता चित्रण (youtube)
3. 1857 के विद्रोह के पहले के दृश्य को दर्शाता चित्रण (Picryl)
4. युद्ध की तैयारियों को दर्शाता चित्रण (Picryl)
5. नेटिव इन्फेंट्री लाइंस को दर्शाता एक चित्रण (facebook)
6. मेरठ से शुरू हुए विद्रोह को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. धन सिंह गुर्जर को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
8. कानपुर के पास नावों में नरसंहार को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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