अमृतसर के निकट स्थित, ‘भगवान वाल्मीकि तीर्थ स्थल’ का इतिहास व किवदंतियां

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
08-05-2023 09:35 AM
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अमृतसर के निकट स्थित, ‘भगवान वाल्मीकि तीर्थ स्थल’ का इतिहास व किवदंतियां

अमृतसर एक ऐसा शहर है, जिसे हिंदू और सिक्ख दोनों धर्मों द्वारा धार्मिक रूप से अत्यधिक मान्यता दी जाती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि यहां दोनों धर्मों से संबंधित अनेकों धार्मिक स्थान मौजूद हैं। यहां मौजूद हिंदू धर्म से संबंधित धार्मिक स्थलों का वर्णन महाकाव्य रामायण में भी मिलता है। यहां स्थित भगवान ‘वाल्मीकि तीर्थ स्थल’ वाल्मीकि समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारक है। महर्षि वाल्मीकि जी को समर्पित भगवान ‘वाल्मीकि तीर्थ स्थान’ अमृतसर लोपोक रोड पर अमृतसर से 11 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। रामायण से सम्बंधित होने के कारण इसे लोकप्रिय रूप से ‘राम तीर्थ’ के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि ‘वाल्मीकि स्थल’ रामायण काल में ऋषि वाल्मीकि का आश्रम हुआ करता था। अपने प्राचीन सरोवर और इसके आसपास मौजूद कई मंदिरों के लिए यह स्थल अति लोकप्रिय है। यह वह स्थान है, जहां माता सीता ने अपने जुड़वां पुत्रों- ‘लव और कुश’ को जन्म दिया था। आज भी इस परिसर में ऋषि वाल्मीकि की कुटीर है, जहाँ महान ऋषि रहते थे और सीढ़ियों वाला पवित्र कुआँ है, जहाँ माता सीता स्नान करती थीं। यहां वह कुटीर भी मौजूद है जिसमें माता सीता ने लव और कुश को जन्म दिया था ।ऐसा माना जाता है कि यहां ऋषि वाल्मीकि ने माता सीता को तब आश्रय दिया था, जब लंका पर विजय पाने और वापस आने के बाद भगवान राम ने उनका परित्याग कर दिया था। ऐसा विश्वास है कि महर्षि वाल्मीकि ने महाकाव्य रामायण की रचना भी इसी स्थान पर की थी। ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में ही लव और कुश को शस्त्र चलाने की शिक्षा भी प्राप्त हुई। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि अश्वमेध यज्ञ के दौरान जब लव और कुश ने यज्ञ का घोड़ा पकड़ लिया था, तब इसी स्थल पर भगवान राम की सेना तथा लव और कुश के बीच युद्ध हुआ था। इस स्थल को भगवान राम के भक्तों के लिए एक संरक्षित ऐतिहासिक स्थल के रूप में बनाए रखा गया है। यहां इस परिसर में ऋषि वाल्मीकि की 8 फुट ऊंची मूर्ति है, जिसका वजन 800 किलोग्राम है और इस पर सोने की परत चढ़ी हुई है। यह मूर्ति मंदिर के मुख्य भाग में स्थित है, जिसे वाल्मीकि आश्रम माना जाता है। मंदिर के अंदरूनी हिस्सों को ऋषि के शाही निवास के रूप में भव्य रूप से सजाया गया है। मंदिर के बाहरी हिस्से में वास्तुकला की एक विशिष्ट हिंदू शिखर शैली देखने को मिलती है। मंदिर की दीवारों, स्तंभों और गलियारों पर हस्तलेखों को बहुत खूबसूरती से उकेरा गया है। मुख्य मंदिर एक बड़े तालाब के बीच में स्थित है, जो पूरे परिसर से पुलों के माध्यम से जुड़ा हुआ है। परिसर के अंदर प्रवेश के लिए विशाल प्रवेश द्वार, एक पवित्र तालाब, लगभग पांच हजार उपासकों की क्षमता वाला एक बड़ा भक्त हॉल, एक संग्रहालय के साथ-साथ संस्कृत में उपलब्ध सभी प्रकार के साहित्य का एक संस्कृत पुस्तकालय भी मौजूद है। मंदिर के समीप ही एक सरोवर है, जिसे बहुत पावन माना जाता है। मान्यता है कि इस सरोवर को हनुमानजी ने खोदकर बनाया था। इस सरोवर की परिधि 3 किलोमीटर है। सरोवर में स्नान करने के पश्चात भक्त इस सरोवर की परिक्रमा करते हैं। मंदिर के निकट प्राचीन श्री रामचंद्र मंदिर, जगन्नाथपुरी मंदिर, राधा-कृष्ण मंदिर, राम, लक्ष्मण, सीता मंदिर, महर्षि वाल्मीकिजी का धूना, सीताजी की कुटिया, श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर, सीता राम-मिलाप मंदिर जैसे प्रमुख धार्मिक स्थल भी हैं, जो रामायण से सम्बंधित हैं। लोग इस मंदिर में आकर ईंटों के छोटे-छोटे घर बनाकर अपने स्वयं के घर की प्राप्ति के लिए मन्नत मांगते हैं। वाल्मीकि जयंती इस धार्मिक स्थल का प्रमुख पर्व है। वाल्मीकि जयंती के अवसर पर यहां अनादि काल से चार दिवसीय मेला लगता है, जो नवंबर महीने में पूर्णिमा की रात से शुरू होता है और इसमें बड़े धार्मिक उत्सवों का आयोजन किया जाता है। ‘भगवान वाल्मीकि तीर्थ स्थल’ की आधारशिला 2016 में रखी गई थी और इस परियोजना को गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के वास्तुकला विभाग द्वारा डिजाइन किया गया था। इस ऐतिहासिक स्थल, जिसका रामायण के साथ-साथ महाभारत में भी उल्लेख मिलता है, को 200 करोड़ रुपए के विशाल बजट के साथ पुनर्निर्मित किया गया था। इस मंदिर का प्रबंधन और रखरखाव वाल्मीकि तीर्थ विकास बोर्ड द्वारा किया जाता है। रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डे से सार्वजनिक या निजी वाहन द्वारा यहां आसानी से पहुँचा जा सकता है।

संदर्भ:
https://bit.ly/2TH0GiB
https://bit.ly/4201jlX
https://bit.ly/3LvzjkC

चित्र संदर्भ
1. भगवान वाल्मीकि तीर्थ स्थल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. भगवान वाल्मीकि तीर्थ स्थल के वृहंगम दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. इस परिसर में ऋषि वाल्मीकि की 8 फुट ऊंची मूर्ति है, जिसका वजन 800 किलोग्राम है और इस पर सोने की परत चढ़ी हुई है। को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. भीतर से देखने पर भगवान वाल्मीकि तीर्थ स्थल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. भगवान वाल्मीकि मंदिर के सह पैनोरमा परिसर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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