हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य का क्षेत्रफल अब होगा आधा,पर बारहसिंगा हिरण व सारस का संरक्षण कार्य होगा दोगुना

शारीरिक
29-04-2023 10:05 AM
Post Viewership from Post Date to 31- May-2023 31st
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2595 510 3105
हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य का क्षेत्रफल अब होगा आधा,पर बारहसिंगा हिरण व सारस का संरक्षण कार्य होगा दोगुना

हमारे राज्य उत्तर प्रदेश में 1986 में ‘हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य’ की स्थापना की गई थी। यह अभयारण्य 2,074 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ था। इसका लक्ष्य मुख्य रूप से बारहसिंगा के नाम से प्रसिद्ध दलदली हिरणों (Swamp Deer) का संरक्षण करना था। इन हिरणों को अपना यह हिंदी नाम वयस्क नर के शानदार 12 शाखादार सींगो के कारण मिला है। हालांकि इस क्षेत्र में दलदली हिरणों की संख्या पर कोई सटीक गणना उपलब्ध नहीं है, किंतु इनको उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सीमाओं के आस पास विचरण करते हुए देखा जा सकता है। हाल ही में, राज्य सरकार ने वन विभाग को दलदली हिरण और हमारे राज्य पक्षी सारस के संरक्षण पर काम करने का निर्देश देकर अभयारण्य पर फिर से ध्यान केंद्रित किया है। विकास की इस पहल से वनस्पतियों और जीव-जंतुओं के विकास का नया रास्ता खुलेगा। ‘राज्य वन्य जीव बोर्ड’ की 14वीं वार्षिक बैठक में मुख्यमंत्री योगीजी ने राज्य में बाघों की तर्ज पर दलदली हिरण और सारस के संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि राज्य में बाघों की संख्या 2014 में 117 से बढ़कर 2018 में 173 हो गई थी, और ‘नमामि गंगे’ परियोजना की शुरुआत के बाद गंगा नदी में सुसु डॉल्फ़िन की संख्या में भी वृद्धि हुई है। मुख्यमंत्री जी ने कहा, “इसलिए, अब दलदली हिरण और सारस के संरक्षण के लिए भी इसी तरह के प्रयास किए जाने चाहिए।” हालांकि स्थापना के 37 वर्षों बाद सरकार ने 2022 में हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य का क्षेत्रफल घटाकर पहले से आधा करने की अंतिम अधिसूचना जारी कर दी है; लेकिन हिरणों के गलियारों को अक्षुण्ण रखा जाएगा। अभयारण्य बिजनौर, मुजफ्फरनगर, अमरोहा, मेरठ और हापुड़ जिलों में फैला हुआ है। 1986 में, सरकार ने हस्तिनापुर वन क्षेत्र को अभयारण्य घोषित करते हुए एक प्राथमिक अधिसूचना जारी की थी। हालांकि, 2,074 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को संरक्षित क्षेत्र के रूप में अधिसूचित करने वाला कोई अंतिम सरकारी आदेश सरकार की ओर से नहीं आया था, जिसके कारण पर्यावरणीय मामलों के निर्णय के उद्देश्य के साथ विशेषज्ञता रखने वाले एक न्यायिक निकाय ‘नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल’ (National Green Tribunal) ने मई 2019 में वन विभाग से हस्तिनापुर वन्यजीव क्षेत्र को संरक्षित अभयारण्य घोषित करने में 30 साल से अधिक की देरी के पीछे का कारण पूछा।
उचित सरकारी अधिसूचना की कमी के कारण, क्षेत्र में अवैध शिकार और वन्यजीवों के लिए अन्य खतरों की जांच के लिए आवश्यक सुरक्षा प्रबंधन न होने के कारण एक याचिका भी दायर की गई थी जिसमें सरकार से इस विषय पर सवाल पूछे गए थे। जिसके परिणाम स्वरूप अक्टूबर 2020 में, ‘राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड’ ने अभयारण्य के सुव्यवस्थीकरण की सिफारिश की, जो पिछले 37 वर्षों से विलंबित अंतिम अधिसूचना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। इसने अभयारण्य के क्षेत्रफल को घटाकर 1,094 वर्ग किमी करने का प्रस्ताव रखा। जून 2021 तक, भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा सीमांकन प्रस्ताव भी तैयार कर लिया गया, जिसमें पाँच जिलों में फैले हुए 353 गांवों को अभयारण्य के बाहर स्थापित करने का प्रस्ताव था। अंतिम सीमांकन के तहत अब अभयारण्य के अंदर 457 गांव ही रह जाएंगे।
यह अभयारण्य कई पक्षियों सहित, बहुत से प्राणियों का घर है; जिनमें दलदली हिरण, ऊदबिलाव, गंगा नदी की डॉल्फिन, घड़ियाल, कछुए, तेंदुआ, चीतल और सांभर हिरण शामिल हैं। इस कदम से अभयारण्य में वन और वन्यजीवों के प्रभावी संरक्षण में मदद मिलेगी। अभयारण्य की पूर्व सीमाएं बहुत अवास्तविक थीं क्योंकि चांदपुर (बिजनौर) और डीएम के आवास जैसे पूरे शहर भी अभयारण्य का हिस्सा थे। हालांकि अब यह निर्णय स्वागत योग्य है। जबकि दूसरी ओर, मध्य प्रदेश के राजकीय पशु ‘हार्डग्राउंड स्वैंप डीअर’ (Hard Ground Swamp Deer) अर्थात दलदली हिरण का लंबे समय से विलुप्त होने की कगार पर होने के बाद अब ‘कान्हा राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व’ (Kanha National Park and Tiger Reserve) में पुनरुद्धार हो रहा है। भारतीय उपमहाद्वीप में दलदली हिरण की तीन उप-प्रजातियां पाई जाती हैं। इन प्रजातियों के पूरे पांच दशकों के लगातार संरक्षण कार्य के बाद अब इन बारहसिंगो की संख्या 800 हो गई है। 1967 में, बड़े पैमाने पर शिकार, निवास स्थान के नुकसान और बीमारियों के कारण दलदली हिरणों की संख्या घटकर 66 हो गई थी। जिसके बाद विभिन्न संरक्षण कार्यक्रमों के तहत कान्हा उद्यान में इनके लिए एक सफल प्रजनन कार्यक्रम और संरक्षण प्रबंधन की मदद से हिरण को विलुप्त होने से बचाया गया है। बारहसिंगो की यह प्रजाति पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और बांग्लादेश में पहले ही विलुप्त हो चुकी है। यह प्रजाति अब केवल दक्षिण-पश्चिमी नेपाल और मध्य और पूर्वोत्तर भारत में पाई जाती है। इन हिरणों के विलुप्त होने की आशंका के कारण, संरक्षणवादी अब उन्हें अन्य आवासों में स्थानांतरित करने की कोशिश कर रहे हैं। वर्ष 2000 में, इन हिरणों को मध्य प्रदेश के ‘बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान’ में स्थानांतरित कर दिया गया था, लेकिन वहां यह कार्यक्रम सफल नहीं हो सका। बारहसिंगा अपने सींगों के जटिल संरचना के कारण घने जंगल में नहीं जा पाते हैं जिसके कारण भी इनके लिए खतरा बढ़ जाता है। इन्हें 2016 में ‘सतपुड़ा टाइगर रिजर्व’ (Satpura Tiger Reserve) में स्थानांतरित किया गया, जहां इनकी संख्या बढ़ रही है। 2015 में दलदली हिरण को भोपाल स्थित ‘वन विहार राष्ट्रीय उद्यान’ में भी लाया गया था; यहां भी इनकी संख्या बढ़ रही है।

संदर्भ
https://bit.ly/3NjSWxJ
https://bit.ly/3N7jaU1
https://bit.ly/40wdnKu

चित्र संदर्भ
1. जंगल में हिरण व सारस को संदर्भित करता एक चित्रण (Pixabay)
2. हस्तिनापुर में प्रवासी पक्षियों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. ‘नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
4. हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य में विभिन्न जीवों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. दलदली हिरण को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. दलदली हिरण के झुण्ड को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.