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दुनिया भर में 1.8 बिलियन से अधिक मुस्लिम लोग ईद-उल-फितर का त्यौहार मनाते हैं जो इस्लामी महीने शव्वाल के पहले दिन आता है। रमजान और ईद इस्लाम धर्म में उन पवित्र त्यौहारों में से एक है जब लोग मस्जिदों में अल्लाह का शुक्रिया अदा करने के लिए जाते हैं और जीवन में अपार खुशियों के लिए दुआ भी मांगते हैं।
कहा जाता हैं कि खुदा के इबादत के लिए सामूहिक स्थान हर मुस्लिम के दिल के करीब होता है । हमारे शहर मेरठ की जामा मस्जिद भी एक ऐसी ही धार्मिक महत्त्व की मस्जिद है, जिसका क्षेत्रफल कई सौ वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है। इसे उत्तर भारत की सबसे पुरानी मस्जिद माना जाता है। मुस्लिम समुदाय के लोग नियमित रूप से इस मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए आते हैं।
इस मस्जिद का निर्माण 11वीं शताब्दी में वर्ष 1019 ई. में सुल्तान महमूद गज़नवी के वज़ीर ने करवाया था तथा उनके पश्चात् इल्तुतमिश के पौत्र नसीरूद्दीन महमूद ने वर्ष 1239 ई. में इसका पुनर्निर्माण करवाया था। मुगल बादशाह हुमायूं द्वारा इस मस्जिद की आंशिक रूप से मरम्मत की गई थी; क्योंकि समय के साथ-साथ मस्जिद का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। आज मुस्लिम समुदाय इस मस्जिद की देखरेख करता है।
मेरठ की जामा मस्जिद शहर के कोतवाली क्षेत्र में स्थित है। इस मस्जिद के ऐतिहासिक महत्व को जानने के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं। मेरठ की यह जामा मस्जिद सल्तनत काल की वास्तुकला का एक अनूठा नमूना है। इस जामा मस्जिद की दीवारें और इसके अंदर की बनावट इतनी शानदार है कि शायद हम इसे देखते ही रह जाएं।
इस मस्जिद को एक पवित्र धार्मिक स्थल के रूप में माना जाता है। इसके निर्माण काल के बाद से आज तक इस मस्जिद में लगातार नमाज अदा की जा रही है। इस मस्जिद की खासियत है कि इसके अंदर मौसम बहुत आरामदायक रहता है; क्योंकि इसकी दीवारें करीब 10 फीट मोटी हैं। वहीं इन दीवारों की ऊंचाई करीब 50 फीट है। गर्मियों के मौसम में भी यहां पंखे की जरूरत नहीं पड़ती है।
यहां तक कि भारी बारिश भी मस्जिद के अंदर किसी कामकाज को बाधित नहीं कर सकती, ऐसी इसकी मजबूत वास्तुकला है। इस मस्जिद के भीतर दीवारों पर कुरान की आयतें लिखी हुई हैं। मस्जिद के निर्माण में ज्यादातर मिटटी और चूने का ही प्रयोग किया गया है। मिटटी और चूने से ही इसकी दीवारें बनाई गई है। इस मस्जिद में तीन गुंबद हैं, जबकि आमतौर पर मस्जिदों में एक ही गुंबद होती है। मेरठ की जामा मस्जिद के चारों तरफ दरवाजे हैं। इन दरवाजों की खासियत हैं कि ये सभी दरवाजे नुकीले हैं। बताया जाता है कि मुगल सल्तनत के दौरान बादशाह हुमायूं ने सभी धार्मिक स्थलों की रक्षा करने के लिए उनके मुख्य द्वारों पर लगे दरवाजों पर लोहे की नुकीली मोटी कीलें लगवाई थी।
भारत सरकार ने इस मस्जिद को एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित करने के लिए मस्जिद प्रबंधन को प्रोत्साहित किया था लेकिन प्रबंधन ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया। हालांकि, लोग मस्जिद के रखरखाव और खर्च के लिए व्यक्तिगत रूप से दान देते हैं। इस मस्जिद का निर्माण लाल पत्थरों से किया गया है। मस्जिद के दरवाजे पर भी पत्थरों पर कुरान की आयतें उकेरी गई हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार इस मस्जिद में सभी चीजें सही जगह पर निर्मित और रखी गई हैं। इस ऐतिहासिक मस्जिद की यात्रा के दौरान हमें हर समय अपार शांति मिल सकती है।
अभी कुछ वर्षों पहले 2019 में मस्जिद के नवीकरण के अंतर्गत इस मस्जिद की कुछ दीवारों पर कुरान की आयतें और उर्दू में मस्जिद का इतिहास लिखने का काम किया गया है। और क्या आप जानते हैं इन पत्थरों पर ये आयतें राजस्थान के गैर-मुस्लिम कारीगरों द्वारा उकेरी गई हैं। बलुआ पत्थर उद्योग के लिए प्रसिद्ध राजस्थान के हिण्डौन शहर से कुछ पत्थर तराशने वाले कारीगरों को यह काम सौंपा गया था।
शहर और उत्तर भारत की इस सबसे पुरानी मस्जिद के मुख्य द्वारों में से एक पर पवित्र कुरान की आयतों को उकेरने का काम इन कुशल कारीगरों द्वारा बखूबी किया गया है। हिण्डौन के कारीगरों ने नैनीताल और दिल्ली में भी कुछ मस्जिदों में पत्थर तराशने का काम किया हैं। हालांकि, ये पत्थर तराशने वाले कलाकार, अपने हाथों से काम करने वाले शायद आखिरी कलाकर हैं; क्योंकि आज मशीनों द्वारा यह काम किया जा रहा है।मस्जिद प्रबंधन मस्जिद के इतिहास को संरक्षित करना चाहता था जिसके लिए उन्होंने कुशल कारीगरों को यह काम सौंपा था।
संदर्भ
https://bit.ly/3MPmUsZ
https://bit.ly/43Ic0eO
https://bit.ly/40gMCKb
https://bit.ly/3UHcMUZ
चित्र संदर्भ
1. मेरठ की जामा मस्जिद को दर्शाता एक चित्रण (twitter)
2. मेरठ की जामा मस्जिद उत्तर भारत की सबसे पहली जामा मस्जिद के भीतरी प्रांगण को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
3. भीतर से मेरठ की जामा मस्जिद को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
4. मेरठ की जामा मस्जिद के गुंबद को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
5. मेरठ की जामा मस्जिद के प्रांगण को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
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