हमारे मेरठ के एक उदाहरण से समझते हैं कि कैसे अप्रवासियों की उद्यमी बनने की संभावना अधिक होती है

आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक
04-03-2023 10:16 AM
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हमारे मेरठ के एक उदाहरण से समझते हैं कि कैसे अप्रवासियों की उद्यमी बनने की संभावना अधिक होती  है

2012 में 69 देशों में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि अधिकांश देशों में स्थानीय लोगों की तुलना में, अप्रवासियों के द्वारा व्यवसाय शुरू करने की संभावना बहुत अधिक होती है। संयुक्त राज्य अमेरिका (United Nations of America) में कुल आबादी का 13.7% प्रतिनिधित्व अप्रवासी लोगों द्वारा किया जाता है। इस कुल अप्रवासी आबादी में से 20.2% स्व-नियोजित कार्यबल द्वारा और 25% स्टार्टअप संस्थापकों द्वारा प्रतिनिधित्व किया जाता है । 2018 में ‘नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी’ (National Foundation for American Policy (NFAP) द्वारा किए गए एक अध्ययन के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में अप्रवासियों द्वारा अरबों डॉलर की 55% कंपनियों, जिन्हें यूनिकॉर्न्स कहा जाता है, को या तो पूर्ण रूप से स्थापित किया गया या सह स्थापित किया गया।
वास्तव में अमेरिका की इन स्टार्टअप कंपनियों पर अप्रवासियों का कब्जा है। लेकिन प्रश्न यह उठता है कि अप्रवासियों द्वारा दूसरे देशों में नया व्यवसाय शुरू करने का जोखिम क्यों उठाया जाता है? हाल ही के शोध में देखा गया है कि ज्यादातर अप्रवासी जोखिम लेने के इच्छुक होते हैं वे स्वेच्छा से प्रवास करने और नया व्यवसाय शुरू करने का निर्णय लेते हैं । कुछ मामलों में अप्रवासियों को अपने देश में नौकरी प्राप्त करने के कम अवसर प्राप्त हुए थे । किंतु रोचक तथ्य तो यह है कि ये उद्यमी अप्रवासी चाहे किसी भी देश में हो, वे उस देश की अर्थव्यवस्था को बड़े स्तर पर लाभान्वित करते हैं। कुछ शोधों से पता चलता है कि जो लोग प्रवास करते हैं‚ वे अधिक सहिष्णु सांस्कृतिक व्यक्तित्व विकसित करते हैं और सांस्कृतिक जटिलता का संचालन करने की यह क्षमता उद्यमिता में एक महत्वपूर्ण कौशल है। अप्रवासियों को व्यापक रूप से अत्यधिक उद्यमशील एवं आर्थिक विकास और नवाचार के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। ये उद्यमी अप्रवासी बड़े पैमाने पर समाज में रोजगार सृजन और नवाचार के विकास में योगदान देते हैं जिसके कारण‚ कई देशों ने अप्रवासी उद्यमियों को आकर्षित करने के लिए विशेष वीजा और सुविधाओं का प्रावधान भी किया है। हाल के वर्षों में कुछ उद्यम पूंजीपतियों, जैसे कि अनशेकल्ड वेंचर्स (Unshackled Ventures) और वनवे वेंचर्स (OneWay Ventures), ने ऐसे फंड स्थापित किए हैं जो विशेष रूप से अप्रवासी उद्यमियों द्वारा स्थापित या सह-स्थापित स्टार्टअप के साथ काम करते हैं। वीजा और कानूनी सलाह सहित स्टार्टअप समर्थन के साथ-साथ, ये फंड अप्रवासी संस्थापकों की जरूरतों के अनुरूप सेवाएं प्रदान करते हैं। अमेरिका जैसे देश के लिए भी कुशल अप्रवासी महत्वपूर्ण हैं।
हालांकि, आज अमेरिका की कुल आबादी में 14% से भी कम अप्रवासी हैं, लेकिन ये अप्रवासी सभी नए व्यवसायों के लगभग एक चौथाई भाग का प्रतिनिधित्व करते हैं। सिलिकॉन वैली (Silicon Valley) के हाई-टेक स्टार्टअप्स (high-tech start-ups) का आधा और सभी वीसी-समर्थित (VC-backed) कंपनियों का लगभग एक-तिहाई इन्हीं अप्रवासियों की देन है। एक स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र एक क्षेत्रीय वातावरण में एक समग्र दृष्टिकोण को संदर्भित करता है‚ जो उच्च विकास व्यवसायों का समर्थन करता है। हाल के वर्षों में इस महत्वपूर्ण विषय पर शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं का ध्यान गया है‚ क्योंकि प्रसिद्ध स्टार्ट-अप पारिस्थितिक तंत्र के उद्भव ने क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं पर एक महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव डाला है। संभावित क्षेत्रीय आर्थिक कल्याण के कारण‚ गतिशील पारिस्थितिक तंत्र के विकास को समझना नीति निर्माताओं के लिए प्रमुख रुचि का विषय बन गया है। हमारा देश भारत भी कई अप्रवासी उद्यमियों के आने से लाभान्वित हुआ है, जिनमे से अधिकांश ब्रिटिश काल के अप्रवासी भी हैं। उदाहरण के तौर पर, हमारे मेरठ शहर में ही 1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद सियालकोट से आए एक शरणार्थी द्वारा क्रिकेट का बल्ला बनाने वाली एक ऐसी कंपनी की स्थापना की गई जिसका नाम आज खेल बाजार की दुनिया में सबकी जुबां पर छाया हुआ है। 1947 में जब भारत का विभाजन हुआ, तो खेल-सामान उद्योग का भी विभाजन हुआ। उस समय सियालकोट पाकिस्तान का हिस्सा था, और यहाँ से कई व्यवसायी और शिल्पकार विभाजन के दौरान विस्थापित हुए लाखों लोगों के साथ भारत आये जिनका बुनियादी लक्ष्य था: अपने अस्तित्व को बनाये रखना। धीरे-धीरे उन्होंने भार्गव कैंप जैसे शरणार्थी केंद्रों में आवंटित घरों में वर्कशॉप स्थापित कर अपने जीवन को फिर से शुरू करना आरंभ कर दिया। भारत के क्रिकेट-सामान उद्योग की कहानी कई मायनों में सियालकोट के शरणार्थियों की कहानी से जुड़ी हुई है। ऐसे ही एक शरणार्थी परिवार, जिसने मेरठ में जड़ें जमा लीं , ने एक ऐसी कंपनी स्थापित की जो आगे चलकर दुनिया में क्रिकेट उपकरणों का सबसे बड़ा उत्पादक बन गई।
आज सेंस्पैरिल ग्रीनलैंड्स (एसजी) (Sanspareils Greenlands (SG) )कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी खेल उत्पाद बनाने वाली कंपनियों में शुमार है। जब कंपनी के संस्थापक केदारनाथ और द्वारकानाथ आनंद भाइयों ने विभाजन के दौरान सियालकोट छोड़ दिया, तो हथेलियों में सिर्फ हुनर की पूंजी साथ लिए, परिवार खाली हाथ भारत पहुंचा, । विभाजन के बाद आनंद भाई पहले पंजाब गए, फिर वे आगरा गए, और बाद में वे मेरठ आ गए। उस समय लोगों को जमीन आवंटित की गई थी और कुछ मुआवजा दिया गया था, जिससे उन्हें वास्तव में व्यवसाय को फिर से शुरू करने में मदद मिली। हालांकि उन्हें शून्य से आगाज करना पड़ा,किन्तु कुछ दशक के बाद ही उनकी कंपनी ने बाजार में पकड़ बना ली । आनंद बताते हैं कि 1980 के दशक में उनके उत्पादों की इतनी अधिक मांग थी कि वे आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ थे। धीरे धीरे कारोबार बढ़ता गया और 1983 के बाद से प्रत्येक भारतीय क्रिकेटर द्वारा किसी न किसी बिंदु पर उनके उत्पाद का उपयोग या समर्थन किया गया । सुनील गावस्कर ने अपने पूरे कैरियर के दौरान उनके ब्रांड के उत्पादों का ही उपयोग किया । 1987 में, गावस्कर एसजी बैट का उपयोग करके 10,000 रनों के आंकड़े तक पहुंचने वाले पहले व्यक्ति बने, जिससे कंपनी को एक नयी पहचान मिली। 1992 में, SG सभी घरेलू मैचों के लिए ‘भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड’ (BCCI) का आधिकारिक गेंद आपूर्तिकर्ता कंपनी बन गई और 1994 के बाद से भारत में सभी टेस्ट मैच SG गेंदों के साथ ही खेले जाते हैं ।

संदर्भ:
https://bit.ly/3Y8vpRO
https://bit.ly/3ZwhRkp
https://bit.ly/3kzBk4S
https://bit.ly/3Zrr4ud

चित्र संदर्भ
1. अप्रवासी उद्यमी को संदर्भित करता एक चित्रण (Max Pixel)
2. बैंकाक में भारत के शीर्ष उद्यमियों श्रमिकों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. विश्व में भारतीय डायस्पोरा के मानचित्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. सेंस्पैरिल ग्रीनलैंड्स के क्रिकेट बेट को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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