वित्तीय धोखाधड़ी को कम करने में बैंकों की मदद कर रही है, कृत्रिम बुद्धिमत्ता

संचार एवं संचार यन्त्र
25-02-2023 10:26 AM
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वित्तीय धोखाधड़ी को कम करने में बैंकों की मदद कर रही है, कृत्रिम बुद्धिमत्ता

आपको जानकार आश्चर्य होगा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने यह खुलासा किया, कि केवल 312 बड़े बकायदारों या डिफॉल्टर्स (Defaulters) कुल खराब ऋणों का 76% से अधिक हिस्सा बनाते हैं। वित्तीय लेन-देन की निगरानी के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence) का उपयोग वित्तीय धोखाधड़ी को काफी हद तक कम कर सकता है। तो आइए समझते हैं कि जहां वित्तीय लेन-देन की निगरानी में इंसान विफल हो रहे हैं, वहां कृत्रिम बुद्धिमत्ता कैसे वित्तीय धोखाधड़ी को कम करने में बैंकों की मदद कर रहा है।
वित्त वर्ष 2021-22 में वाणिज्यिक बैंकों (अनुसूचित बैंकों) ने कुल 1,74,966 करोड़ रुपये के ऋण राइट ऑफ (Right off) या माफ़ कर दिए , उनमें से केवल 33,534 करोड़ रुपए की वसूली की गई। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले छह वित्तीय वर्षों के दौरान अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने कुल 11,17,883 करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले हैं। पिछले पांच वित्तीय वर्षों में, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने बट्टे खाते में डाले गए ऋण खातों से केवल 1,32,036 करोड़ रुपये की वसूली की है।अकेले भारतीय स्टेट बैंक ने पिछले चार वित्त वर्षों के दौरान 1.65 लाख करोड़ रुपये के कर्ज को बट्टे खाते में डाल दिया था।30 जून, 2017 तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 25 लाख रुपये और उससे अधिक के बकाया ऋण वाले विलफुल डिफॉल्टर्स (Willful defaulters) या बकायदारों की कुल संख्या 8,045 थी और 30 जून, 2022 तक यह संख्या बढ़ कर 12,439 हो गई थी। जबकि निजी क्षेत्र के बैंकों में 30 जून, 2017 को विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या 1,616 और 30 जून, 2022 को 2,447 थी। बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां मुख्य रूप से खराब ऋण और घोटालों का परिणाम हैं। किसी भी देश की बैंकिंग प्रणाली उसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ होती है। क्योंकि बैंकों में जमा राशि, देश के नागरिकों की होती है, इसलिए बैंकों को होने वाला अत्यधिक नुकसान देश के सभी नागरिकों को प्रभावित करता है। आए दिन हो रहे बैंक घोटाले से बैंकिंग प्रणाली में जनता का विश्वास कमजोर हो रहा है।हमारे सामने ऐसे कई बैंक घोटालों के मामले मौजूद हैं, जिनमें डीएचएफएल (DHFL - 35,000 करोड़ रुपये), एबीजी शिपयार्ड (ABG Shipyard -23,000 करोड़ रुपये), पीएनबी (PNB) घोटाले में नीरव मोदी और मेहुल चोकसी घोटाला (11,400 करोड़ रुपये), शराब कारोबारी विजय माल्या (10,000 करोड़ रुपये) ,आंध्र बैंक धोखाधड़ी (8,100 करोड़ रुपये),पीएमसी (PMC) घोटाला (4,355 करोड़ रुपये), रोटोमैक पेन (Rotomac pen scam) घोटाला (3,695 करोड़ रुपये), वीडियोकॉन घोटाला (Videocon) (3,250 करोड़ रुपये), इलाहाबाद बैंक धोखाधड़ी (1,775 करोड़ रुपये), सिंडिकेट बैंक (Syndicate Bank) घोटाला (1,000 करोड़ रुपये), बैंक ऑफ महाराष्ट्र घोटाला (836 करोड़ रुपये), कनिष्क गोल्ड बैंक घोटाला (824 करोड़ रुपये), आईडीबीआई बैंक (IDBI Bank) घोटाला (600 करोड़ रुपये), आरपी इंफो सिस्टम्स (RP Info Systems) बैंक घोटाला (515 करोड़ रुपये) आदि शामिल हैं। इन घोटालों से निपटने के लिए कई समितियाँ स्थापित की गई और इन पर बड़ी-बड़ी रिपोर्टें भी प्रस्तुत की गईं, लेकिन दुख की बात है कि भविष्य में खराब ऋणों को रोकने के लिए वे पर्याप्त नहीं हैं। वित्तीय सेवा उद्योग में होने वाली धोखाधड़ी विविध प्रकार की है। इनमें अनधिकृत लेन-देन, फ़िशिंग (Phishing) घोटाले, पहचान की चोरी आदि शामिल है।धोखाधड़ी का पता लगाने के लिए अब बैंक कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग कर रहे हैं।कृत्रिम बुद्धिमत्ता एक तेज, प्रभावी और कुशल विकल्प है, इसलिए हमारे बैंक धोखाधड़ी को रोकने के लिए इसमें अपना रूझान दिखा रहे हैं।2021 में, फिनटेक न्यूज (Fintech News) ने बताया कि धोखाधड़ी को रोकने और जोखिम का आकलन करने में मदद करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता अनुप्रयोगों पर 217 बिलियन डॉलर से अधिक खर्च किए गए थे। 64% वित्तीय संस्थानों का मानना है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता धोखाधड़ी होने की सूचना पहले ही उपलब्ध करा सकती है।
वित्तीय सेवा उद्योग में धोखाधड़ी का पता लगाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता के कई अलग-अलग अनुप्रयोग हैं। पहचान योग्य समूहों या "प्रोफाइल" (Profile) में उपभोक्ताओं को समूहबद्ध करने से लेकर जोखिम स्कोरिंग (Scoring) तक, प्रत्येक एप्लिकेशन धोखाधड़ी का पता लगाने की रणनीति बनाने के लिए आवश्यक है। धोखाधड़ी का पता लगाने के लिए बैंकों द्वारा एआई का उपयोग करने के कुछ प्रमुख तरीकों में खरीद प्रोफ़ाइल बनाना, धोखाधड़ी स्कोर विकसित करना, धोखाधड़ी की जांच, केवाईसी (Know Your Customer - KYC) आदि शामिल हैं। धोखाधड़ी का सटीक पता लगाने के लिए, वित्तीय संस्थानों को पहले यह समझना चाहिए कि किसी ग्राहक का व्यवहार कैसा है।पिछले वित्तीय और गैर-वित्तीय लेन-देन से बड़ी मात्रा में डेटा को अलग करने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग किया जा रहा है, जिससे बैंक ग्राहकों के कई अलग-अलग प्रोफाइल बना पा रहे हैं। मशीन लर्निंग एल्गोरिदम (Machine learning algorithms) प्रति सेकंड सैकड़ों-हजारों लेनदेन का विश्लेषण कर सकती है।यह उन लोगों की एक संक्षिप्त सूची प्रदान करती है, जिनकी मानव द्वारा आगे जांच की आवश्यकता होती है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा संचालित केवाईसी, आईडी और प्रलेखन को सत्यापित कर सकता है। यह उंगलियों के निशान का मिलान कर सकता है और यहां तक कि चेहरे की पहचान भी कर सकता है। यह शक्तिशाली उपकरण ग्राहक सुरक्षा और सुविधा के बीच सही संतुलन बनाता है। इस प्रकार वित्तीय लेन-देन की निगरानी के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग वित्तीय धोखाधड़ी को काफी हद तक कम कर सकता है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3EuwrR6
https://bit.ly/3It9ZsS
https://bit.ly/3EwG0ze
https://bit.ly/3INtTjJ

चित्र संदर्भ
1. कृत्रिम बुद्धिमत्ता और धन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के लोगो को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. 2000 के नोट को दर्शाता एक चित्रण (Max Pixel)
4. इंसान और रोबोट को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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