समयसीमा 245
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 942
मानव व उसके आविष्कार 740
भूगोल 219
जीव - जन्तु 273
भारत एक कृषि प्रधान देश है, किंतु इसके बावजूद वित्तीय वर्ष 2022 में भारत ने दालों के आयात में तकरीबन 166 बिलियन रुपये खर्च कर दिए।
कई वर्षों से, भारत दालों के शीर्ष आयातक देशों में से एक रहा है। भारत वार्षिक दालों का लगभग 50 प्रतिशत कनाडा (Canada) और म्यांमार (Myanmar) से आयात करता है। सबसे अधिक आयातित दालों में अरहर(तुअर) , चना, उड़द , मसूर और मूंग दाल शामिल हैं। हालांकि, भारत दालों का सबसे बड़ा आयातक होने के साथ-साथ इसका सबसे बड़ा उत्पादक भी है। वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में तुअर, चने, उड़द, मसूर, और मूंग जैसी दालें लगभग 24% का योगदान करती हैं।
2020-21 में भारत ने 24.66 लाख टन दाल का आयात किया, जो वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 9.44 प्रतिशत बढ़कर लगभग 26.99 लाख टन हो गया, जिससे भारत दुनिया में दालों का सबसे बड़ा आयातक बन गया। भारत कनाडा, म्यांमार और अफ्रीकी देशों से दालों का आयात करता है । भारत के अलावा चीन (China) , तुर्की (Turkey), बांग्लादेश, पाकिस्तान, इंग्लैंड (England), सऊदी अरब, संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) और अन्य देश भी कनाडा से दालों का आयात कर रहे हैं।
हालांकि एक समय ऐसा भी था जब भारत दालों का निर्यात करता था, लेकिन देश के भीतर उत्पन्न हुई उच्च मांग के कारण, सरकार ने निर्यात बंद कर दिया है और इसके बजाय कम शुल्कों के साथ अप्रतिबंधित आयात की अनुमति दी है । ‘इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन’ (India Pulses and Grains Association (IPGA) देश में दलहन उद्योग के लिए शासी निकाय है और उद्योग का समर्थन करने वाली नीतियों को बनाने के लिए सरकार के साथ काम करता है।
भारत सरकार का दावा है कि उसने 2018-19 में दालों का सीधे तौर पर आयात न करके निजी समूहों के माध्यम से आयात किया था। सरकारी दस्तावेजों के अनुसार, 50% दालों का आयात म्यांमार (700,000 टन ) और कनाडा (520,000 टन) से किया गया था। भारत ने मोज़ाम्बिक (Mozambique) से 228,000 टन, रूस (Russia) से 155,000 टन और तंजानिया (Tanzania) से 118,000 टन दालों का आयात किया था ।
अप्रैल 2018 में, भारत सरकार ने आयातित वस्तुओं की मात्रा को 2 लाख टन तक सीमित करने के लिए कुछ दालों, जैसे अरहर दाल, के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। अन्य प्रकार की दालों के लिए प्रतिबंध 4 लाख टन निर्धारित किया गया था। केवल दाल मिलों को ही इन दालों के आयात की अनुमति थी।
हालांकि, व्यापारियों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने इन प्रतिबंधों की अवहेलना की और उन्हें चुनौती देने के लिए विभिन्न उच्च न्यायालयों में भी गए। मद्रास उच्च न्यायालय सरकार के प्रतिबंध को अस्थायी रूप से निलंबित करने वाला पहला न्यायालय बना, जिससे व्यापारियों को म्यांमार से दालों का आयात करने की अनुमति मिली। बाद में, मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात के उच्च न्यायालयों ने भी प्रतिबंधों पर रोक लगा दी, जिससे व्यापारियों को दालों का आयात करने की अनुमति मिल गई। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अंततः गुजरात में व्यापारियों की एक याचिका को खारिज कर दिया और सरकार के प्रतिबंधों को बरकरार रखा।
अप्रैल 2019 में, सरकार ने एक बार फिर आयात को केवल दाल मिलों तक सीमित कर दिया, और अरहर, मूंग, उड़द और पीली मटर की आयातित मात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया। ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि व्यापारी और बहुराष्ट्रीय कंपनियां बड़ी मात्रा में दालों की जमाखोरी कर रही थीं। भारत में दालों का उत्पादन बढ़ रहा है, लेकिन किसान अभी भी अन्य देशों से सरकार के निरंतर आयात के कारण उचित मूल्य प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जिससे बाजार में अधिशेष पैदा होता है। वाणिज्यिक खुफिया और सांख्यिकी महानिदेशालय ( Directorate General of Commercial Intelligence & Statistics (DGCIS) के आंकड़ों के मुताबिक, 2021-22 के दौरान आयातित दालों का मूल्य 2020-21 के 11,937 करोड़ रुपये के मुकाबले करीब 39 फीसदी बढ़कर 16,627 करोड़ रुपये हो गया।
ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि घरेलू उत्पादन कम था और पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने आयात की अनुमति दी थी। कारोबारियों के अनुसार इस वित्त वर्ष में दालों का कुल आयात करीब 25-26 लाख टन रहने का अनुमान है । अरहर, उड़द और मूंग सबसे अधिक आयात की जाने वाली दालें थी , जबकि मसूर का आयात कम हुआ। दालों की कीमतें नियंत्रण में हैं और अधिकांश दालें सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर या उससे नीचे हैं। इस साल भी अधिक दालों के आयात का चलन जारी रहने की उम्मीद है क्योंकि सरकार आयात की अनुमति दे रही है।
अधिक आयात के प्रमुख कारणों में से मांग के अनुरूप उत्पादन ना होना भी है। कई दाल उत्पादक मकई, कपास, गन्ना और सोयाबीन जैसी वैकल्पिक फसलों की ओर रुख कर रहे हैं, जो उनके लिए आर्थिक रूप से अधिक आकर्षक है ।फोर इंटरनेशनल के प्रबंध निदेशक कृष्णमूर्ति ने कहा “हमें स्थिति पर नजर रखने की जरूरत है। सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि के साथ, समग्र दालों का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है ।” सरकार ने किसानों को इन फसलों को और अधिक उगाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अरहर, उड़द और मूंग के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की है। सरकार ने मौजूदा खरीफ मौसम के लिए अरहर और उड़द के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को 300 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 6,600 रुपये कर दिया है, जबकि मूंग का समर्थन मूल्य पिछले खरीफ मौसम के 7,275 रुपये से बढ़ाकर 7,755 रुपये कर दिया गया है।
इसके साथ ही सरकार ने पिछले वर्ष के मुकाबले खरीफ दालों के उत्पादन लक्ष्य को भी बढ़ा दिया है। कुछ राज्यों में मूंग और अरहर जैसी फसलों की बुआई भी शुरू हो गई है।
दालों (जिसे "फलियां" भी कहा जाता है) के महत्व और पोषण संबंधी लाभों के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के उद्देश्य से, संयुक्त राष्ट्र (United Nations) द्वारा 2018 से प्रत्येक वर्ष 10 फरवरी को ‘विश्व दलहन दिवस’ (World Pulses Day ) के रूप में मनाया जाता है। पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य फसलों के महत्व का सम्मान करने के लिए, संयुक्त राष्ट्र की महासभा (General Assembly) ने 20 दिसंबर, 2013 में एक विशेष संकल्प को अपनाया और 2016 को ‘दलहन के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष’ (International Year of Pulses (I.Y.P.) के रूप में घोषित किया। संयुक्त राष्ट्र के ‘खाद्य और कृषि संगठन’ (Food and Agriculture Organization (F.A.O.) ने 2016 में इस आयोजन का नेतृत्व किया। इस आयोजन ने दालों के पोषण और पर्यावरणीय लाभों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता को सफलतापूर्वक बढ़ाया। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, गरीबी, खाद्य सुरक्षा और पोषण, और मिट्टी के स्वास्थ्य जैसी वैश्विक चुनौतियों को कम करने में दालें प्रभावशाली भूमिका निभाती हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/40syfng
https://bit.ly/3jvpzMa
https://bit.ly/2Y1yFn6
https://bit.ly/3wXVV5o
चित्र संदर्भ
1. भारतीय किसान और दालों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. बाजार में बिक्री के लिए दालों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. ताजा खोदी गई मूंगफली को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. विविध प्रकार की दालों को दर्शाता करता एक चित्रण (flickr)
5. बाजार में दाल को दर्शाता करता एक चित्रण (Needpix)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.