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भारत व्यापार के लिए एक खुला देश है। फिर चाहे वह देशीय व्यापार हो या अंतरराष्ट्रीय। देश ने व्यापार के मामले में पिछले दो दशकों में अभूतपूर्व विकास देखा है। हमारे पास दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और भारत दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है। यहां एक बढ़ता हुआ और शिक्षित मध्यम वर्ग, कानून के मजबूत शासन के साथ मिलकर, वैश्विक व्यवसायों के लिए कई अवसर प्रदान करता है।
फिर भी, भारत में व्यावसायिक जीवन लंबे समय से प्रणालीगत रिश्वत और भ्रष्टाचार की समस्याओं से ग्रस्त रहा है, जो आज हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का एक मानक हिस्सा बना हुआ है। 2019 के लिए ‘भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक’ (Corruption Perceptions Index (CPI) में भारत 41 अंकों के साथ 80वें स्थान पर था, जो इसे वैश्विक देशों के औसत अंक 43 से भी नीचे रखता है। भ्रष्टाचार देश भर के अधिकांश क्षेत्रों में पाया जाता है, और रिश्वत रूपी भुगतान अक्सर व्यावसायिक इंजन को चालू रखने के लिए तेल के रूप में कार्य करता है। एक हालिया सर्वेक्षण में पाया गया है कि लगभग आधे भारतीयों ने पिछले एक साल में कम से कम एक बार रिश्वत दी है।
क्या यह हमारे लिए शर्म की बात नहीं हैं? बिलकुल है। भ्रष्टाचार हमारे देश एवं समाज को निगल रहा है और इसका प्रभाव भारत में आने वाली विदेशी कंपनियों पर भी पड़ता है। आइए जानते हैं कि उन कंपनियों को भारत में अपना विस्तार करने एवं अनुकूलन के लिए भ्रष्टाचार के अलावा और क्या दिक्कतें आती है।
जब भ्रष्टाचार निवारक कानून की बात आती है, तो भारत में सार्वजनिक कार्यालयों में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए ‘भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम’ ( Prevention of Corruption Act (PCA) 1988 में लागू किया गया था। लेकिन 2018 में ‘भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन द्वारा प्रायोजित रूपरेखा (UN’s Convention Against Corruption framework) के अनुरूप संशोधित होने के बावजूद , पीसीए को सीमित सफलता मिली है। कुछ लोगों का कहना है कि भारत “भ्रष्टाचार-विरोधी बुनियादी ढांचे” के साथ-साथ कानून बनाने के लिए उपयुक्त प्रवर्तन संस्थानों के मामले में भी पीछे है। और यह सच ही तो है।
भ्रष्टाचार के साथ धोखाधड़ी की घटनाएं वित्तीय क्षेत्र के लिए बड़ी अनुपालन चुनौतियां खड़ी करती हैं। संभावना है कि अगले दो से पांच वर्षों में वित्तीय संस्थान बड़े निवेश, लेन-देन और साझेदारी के लिए भारत की ओर देखेंगे। ऐसे समय में, धोखाधड़ी के मामलों में खतरनाक दर से वृद्धि के साथ, विस्तार को सावधानी के साथ करना पड़ेगा । इस मामले में एक हालिया उदाहरण पंजाब नेशनल बैंक का है, जिसमें उसके एक ग्राहक द्वारा 491 मिलियन डॉलर की धोखाधड़ी की गई थी एवं जो इस क्षेत्र की अस्थिरता को दर्शाता है।
भारतीय कंपनियां श्रम कानूनों के मामले में खराब वातावरण, सामाजिक और प्रशासन मानकों के लिए भी जानी जाती हैं । ‘भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड’ (Securities Exchange Board of India (SEBI) द्वारा कंपनियों को व्यावसायिक उत्तरदायित्व रिपोर्ट प्रस्तुत करने की आवश्यकता होने के बावजूद भी, इन्हें अक्सर गैर जरूरी समझकर प्रस्तुत ही नहीं किया जाता है । ये कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो व्यापार के लिए मुश्किलें उत्पन्न करते हैं। इस विषय की गंभीरता को देखते हुए, सरकार कुछ कदम भी उठा रही है। हाल ही में, भारत में सभी श्रम कानूनों को चार संहिताओं में समेकित किया गया है, जिन्हें संसद ने पारित कर दिया है और सरकार उनके अंतिम कार्यान्वयन की प्रक्रिया में है। शायद इस पहल के जैसे ही अन्य उपाय तथा परिवर्तन ही हमारे लिए भविष्य में इस विषय में आशा की किरण होंगे।
अब बात करते हैं हम भारतीयों द्वारा काम करने के तरीके अर्थात निगम संस्कृति की। हम भारतीयों में अक्सर मानसिक नाटकीयता की प्रवृत्ति होती है। हमारे दिमाग में, हम अपनी खुद की ही फिल्मों के नायक होते हैं, जो हमें सिखाते हैं कि या तो क्रूर शक्ति या ईमानदार बुद्धि ही हमें सफलता के करीब ले जा सकती है। उदाहरण के तौर पर, महाभारत में एक जीत के लिए नियमों को तोड़ने और टालने की सूक्ष्म कहानियों भरी हैं । हमारी काम करने की पद्धति में, एक दिमाग जो खतरे की भावना से तार-तार हो गया है, एक काम का माहौल, जो दबाव से प्रेरित है, और एक सांस्कृतिक अनुकूलन, जो प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है, जैसे कारणों से अक्सर नैतिकता के लिए बहुत कम जगह रह जाती है। नौकरशाही और भारतीय कारोबारी माहौल की अप्रत्याशितता, व्यापार करने के वैश्विक मानदंडों के अनुपालन को, काफी कठिन बना देती है।
आज, व्यावसायिक दिग्गजों को स्पष्ट दिशा-निर्देश निर्धारित करने की आवश्यकता है जो स्थानीय व्यावसायिक परिस्थितियों के प्रति संवेदनशील हों और कर्मचारियों को उनका पालन करने के लिए सशक्त करें। हम मानते हैं कि उचित दबाव और तनाव के बिना चीजें नहीं हो सकतीं। लेकिन, कई तनावग्रस्त कर्मचारी, वास्तव में, कार्य को प्राथमिकता देने के लिए वेतन बढ़ौती की प्रतीक्षा करते हैं। जब बहुत अधिक काम का दबाव और राजनीति हो, तो हमारे कर्मचारी कूटनीतिक भी हो जाते है।
यहां हमने विदेशी कंपनियों के लिए भारत में अनुपालन या विस्तार की समस्याओं पर विचार किया। हमें पता चला कि यह भारत में व्यापार करने की सुगमता को कैसे प्रभावित करता है। और, हमने भारत में निगम संस्कृति और उपरोक्त मुद्दों में इसकी भूमिका के बारे में भी जाना।
संदर्भ
https://bit.ly/3wDL0hd
https://bit.ly/3wH7UnM
https://bit.ly/3WMJN1x
चित्र संदर्भ
1. एक योजना पर चर्चा करते सहकर्मियों को संदर्भित करता एक चित्रण (prarang)
2. भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक द्वारा देशों का मानचित्र (2021) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. एक कार्यालय के माहौल को दर्शाता एक चित्रण (pxhere)
4. ऑफिस कर्मियों को संदर्भित करता एक चित्रण (PixaHive)
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