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अपने निजी या सार्वजनिक वाहन से कहीं भी जाते समय, आपने मेरठ की सड़कों पर आवारा घूम रहे और कई बार चोटिल जानवरों को अवश्य देखा होगा। हाल ही में मेरठ में दो अलग-अलग घटनाओं में आवारा सांडों के हमले में दो लोगों की मृत्यु भी हो गई थी। ऐसे कई आवारा जानवर न केवल सड़कों पर दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों द्वारा मेहनत से उगाई गई फसलों को भी चौपट कर देते हैं।
पशुधन गणना के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 5 मिलियन से अधिक आवारा मवेशी घूम रहे हैं। मनुष्यों और फसलों पर आवारा गायों का हमला, शहरी तथा ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के निवासियों के लिए एक गंभीर मुद्दा है।
आवारा मवेशी शहरी क्षेत्रों में यातायात के लिए बाधा उत्पन्न कर देते हैं और अक्सर बड़ी सड़क दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। आवारा गाय और सांड सड़क के बीच में या किनारे या डिवाइडर (Divider) पर बैठना पसंद करते है, इन जानवरों को मक्खियों और कीड़ों को उड़ाने के लिए हर बार अपनी पूंछ हिलाने तक की जरूरत नहीं होती है, क्योंकि तेज गति वाहन मक्खियों और कीड़ों को इनसे दूर कर देते हैं।। इस प्रकार उन्हें सड़कों पर बैठना आसान और आरामदायक लगता है।
सड़कों पर बैठी इन आवारा गायों में से कई आसपास के गांवों में रहने वाले लोगों की होती हैं। एक बार जब गाय दूध देना बंद कर देती है, तो गाय को खिलाना और पालना उस किसान, जो उसका पालन-पोषण नहीं कर सकता है, पर आर्थिक बोझ बन जाता है ।
आमतौर पर आवारा मवेशियों में गाय, बैल या बछड़े शामिल होते हैं, जिन्हें अनुत्पादक होने के कारण घरों से भगा दिया जाता है क्योंकि वह अपने मालिकों को सीधे कोई लाभ नहीं पहुंचाते हैं। अतः किसान जिन मवेशियों को बेचने में असमर्थ होते हैं, उन्हें भी अंततः भटकने के लिए छोड़ दिया जाता है।
भारत में गायों का वध पूरी तरह से अवैध है, क्योंकि हिंदू धर्म में गायों को पवित्र माना जाता है। हालांकि पहले (पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान) किसान नियमित रूप से अपनी बूढ़ी गायों को बूचड़खाने ले जाते थे। 2014 से, उत्तर प्रदेश सहित भारत के 18 राज्यों में गौ हत्या को अवैध बना दिया गया है। गो रक्षकों द्वारा गिरफ्तारी, उत्पीड़न और लिंचिंग (Lynching) के डर ने भी पशु व्यापार को कम कर दिया है। इसके अलावा कृषि उद्योग में बढ़ते मशीनीकरण ने मवेशियों को काम के जानवरों के रूप में उपयोग से बाहर कर दिया है। इन्ही सब कारणों से मवेशियों के परित्याग के मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है। यह ध्यान देने योग्य है कि मालिक उन मवेशियों को छोड़ देते हैं जो अपनी उपयोगिता खो चुके हैं। मवेशियों को केवल तभी तक आश्रयों में रखा जाता है जब तक कि वे अपने मालिकों को लाभ प्रदान करते हैं।
जनवरी 2020 में, केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने 20वीं पशुधन गणना जारी की, जिसमें कहा गया कि भारत में 5 मिलियन से अधिक आवारा मवेशी हैं। देश के कई राज्यों में कुल मवेशियों की आबादी का लगभग 50%, जो गैर-प्रजनन योग्य श्रेणी में आता है, अनुत्पादक कहा जा सकता है। इन आवारा मवेशियों को उनके मालिकों द्वारा छोड़ दिया जाता है, और उन्हें अपना भरण-पोषण खुद ही करना पड़ता है। पिछले कुछ दशकों में, पार प्रजनन (Cross Breeding) पर भी अत्यधिक ध्यान दिया गया है, और स्वदेशी जानवरों की उपेक्षा की गई है। यह भी आवारा मवेशियों की आबादी में योगदान करने वाले कारकों में से एक है।
आवारा पशुओं की समस्या ज्यादातर शहरों में होती है, जहां कभी-कभी वे परिवहन व्यवस्था और आम जनता के लिए भी खतरा बन जाते हैं। हमारे शहर मेरठ में भी अलग-अलग घटनाओं में आवारा सांडों के हमले में दो लोगों की मौत हो गई। पहली घटना में मीरापुर गांव में आवारा सांड के हमले में एक महिला की मौत हो गयी, जहां बैल ने उसे सींगो से उठाकर जमीन पर पटक दिया, जिससे उसकी रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट लग गई। दूसरी घटना में बाइक और सांड की टक्कर में एक 25 वर्षीय युवक की मौत हो गई और वह पूरी रात सड़क पर पड़ा रहा। स्थानीय लोगों ने इलाके में आवारा पशुओं की बढ़ती समस्या का हवाला देते हुए मृतक के परिजनों के लिए सरकार से 20 लाख रुपये मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन किया तथा प्रशासन से आवारा मवेशियों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए उपाय करने का आह्वान किया। सरकार राज्य में आवारा पशुओं की समस्या से निपटने और मवेशियों को आश्रय देने के लिए "अति वृहद" (विशाल) पशु आश्रयों के निर्माण पर भी विचार कर रही है।
हालांकि आवारा पशुओं की समस्या के समाधान के लिए उन्हें गौशालाओं में रखना पर्याप्त और प्रभावी नहीं है। सरकार को इससे परे देखने और आवारा पशुओं को पीड़ित होने से बचाने के साथ-साथ इन आवारा मवेशियों से उत्पन्न खतरे से जनता को बचाने के लिए अन्य विकल्पों पर विचार करने की भी आवश्यकता है। लावारिस पशुओं की देखभाल के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आवारा पशु बोर्ड का गठन किया जाना जरूरी है।
संदर्भ
https://bit.ly/3vAnFfB
https://bit.ly/3vAg68D
https://bit.ly/3GD90Xf
चित्र संदर्भ
1. सड़क पर बैल को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. सड़क पर आँखे मूंदे बैल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. दिल्ली की सड़कों पर आवारा पशुओं को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. दुखी प्रतीत होती गाय को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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