मेरठ में आग की चपेट में आया एक चीनी मिल श्रमिक, क्या श्रमिक सुरक्षा है श्रमिकों का  अधिकार?

नगरीकरण- शहर व शक्ति
30-12-2022 10:52 AM
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मेरठ में आग की चपेट में आया एक चीनी मिल श्रमिक, क्या श्रमिक सुरक्षा है श्रमिकों का  अधिकार?

मानवीय शक्ति, जिसमें दिमागी कार्य एवं शारीरिक बल दोनों ही सम्मिलित हैं, और प्रयासों के द्वारा जो कार्य करने वाला व्यक्ति होता है वह मजदूर या श्रमिक कहलाता है। श्रमिक जिन कारखानों एवं उद्योगों में कार्यरत होते हैं वहाँ उनको अपने मालिक को देने ले लिए श्रम ही मुख्य वस्तु होती है। लेकिन वह जिन कारखानों में कार्य कर रहे हैं उस कारखाने में उनकी सुरक्षा का दायित्व किसके ऊपर है ? यह एक सोचनीय विषय है। ऐसी ही एक खबर, जो सोचने के लिए मजबूर कर रही है ,वह है नवंबर के महीने की,जब उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में मोहिउद्दीनपुर चीनी मिल (Mohiuddinpur Sugar Mill) में भीषण आग लग गई थी। यह घटना मेरठ के परतापुर थाना क्षेत्र की थी ।जिसमें चीनी मिल से धुआं उठता देख कर्मचारी जान बचाकर वहां से बाहर आ गए थे, लेकिन एक इंजीनियर उस आग की चपेट में आ गया। अस्पताल ले जाने पर भी इलाज के दौरान ही उसकी मौत हो गई थी । उसकी मौत हमारा ध्यान इस ओर इंगित करती है कि किस वजह से उस चीनी मिल में आग लगी ? क्या उस मिल में सावधानियां नहीं बरती गई थी? या फिर ,क्या उस मिल में कार्य कर रहे श्रमिकों की सुरक्षा का ध्यान नहीं रखा गया था ? क्या उनकी सुरक्षा का दायित्व किसी का नहीं था? यह प्रश्न केवल उस आग की चपेट में आए चीनी मिल श्रमिक के लिए ही नहीं उठता, बल्कि उन सभी कारखानों एवं उद्योगों में कार्य करने वाले तमाम श्रमिकों के लिए उठता है जहाँ ऐसी दुर्घटनाएं हो सकती है या हम यह कह सकते हैं कि ऐसी दुर्घटनाएं अक्सर होती रहती है।
यह एक सच्चाई है कि ऐसी कई खतरनाक दुर्घटनाएं निर्माण कार्यों वाली जगह एवं उद्योगों आदि में होती रहती है। दुर्भाग्यवश जब औद्योगिक दुर्घटनाएं होती हैं तो केवल बड़ी दुर्घटनाएं ही दर्ज की जाती है। हाल ही में, सेफ इन इंडिया (Safe in India (SII) द्वारा जारी की गई CRUSHED रिपोर्ट में ऑटो सेक्टर में व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य से संबंधित एक निराशाजनक तस्वीर पेश की गई। हालांकि, भारत में कानून -निर्माताओं और यहाँ तक कि ट्रेड यूनियनों ने व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य पर उचित ध्यान नहीं दिया है। व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य एक अस्तित्वगत मानव और श्रमिक अधिकार है । सुरक्षित कार्यस्थलों को सुनिश्चित करने के लिए दो प्राथमिक आवश्यकताएं हैं, निरीक्षण और सुधारात्मक कार्रवाइयों और नीतियों को तैयार करने के लिए व्यापक डेटाबेस। निरीक्षण की दृष्टि से सभी राज्य अपना श्रम रिकॉर्ड श्रम विभाग में भेजते हैं । रिकॉर्ड के अनुसार पीड़ित श्रमिकों की संख्या कम दिखाई जाती है परंतु असल में, पीड़ित श्रमिक अधिक होने की संभावना होती है। बड़ी दुर्घटनाओं को तो रिकॉर्ड में जगह मिल जाती है जबकि छोटी अथवा कम खतरनाक दुर्घटनाओं को श्रम विभाग के लिए बनाए जा रहे रिकॉर्ड से दूर ही रखा जाता है। इन मामलों में कम रिर्पोटिंग की संभावना अधिक होती है। श्रम ब्यूरो द्वारा औद्योगिक दुर्घटनाओं से संबंधित आंकड़े तैयार किए जाते हैं यह केवल कुछ क्षेत्रों से संबंधित औद्योगिक चोटों पर डाटा संकलित और प्रकाशित करता है, जैसे कारखानों, खानों, रेलवे, डॉक्स और बंदरगाहों। लेकिन ये रिकॉर्ड कई कमियों से ग्रस्त होते है। यह स्पष्ट ही नहीं होता है कि श्रम ब्यूरो ने वृक्षारोपण, निर्माण, सेवा क्षेत्र आदि जैसे क्षेत्रों को जोड़कर चोटों के आंकड़ों के दायरे का विस्तार करने पर विचार क्यों नहीं किया है। आँकड़ें सही न मिलने पर इकट्ठा किया गया रिकॉर्ड गलत हो जाता है। नियोक्ताओं द्वारा अपने कारखानों की कमियों को छुपाने के लिए गलत आंकड़े दिए जाते है।
वास्तव में, भारत में श्रम सुरक्षा के मुद्दों पर प्रकाश डालने की आवश्यकता है ,जिससे लोग जागरूक हो सकें और अपने अधिकारों को भलीभांति समझें। जब तक श्रमिकों को यह पता नहीं होगा कि श्रमिकों की सुरक्षा के लिए कौन -कौन से प्रावधान या कानून बनाए गए हैं तब तक वह अपना अधिकार प्राप्त नहीं कर सकेंगे। ऐसे ही कुछ कानून एवं प्रावधान निम्नलिखित है-
(i ) कारखाना अधिनियम ,1948 के तहत सुरक्षा संबंधी प्रावधान- कारखाना अधिनियम, 1948 के प्रावधानों के माध्यम से, विधानमंडल ने मॉडल दिशानिर्देशों को पेश करके श्रमिकों और न्याय प्रणाली के बीच की खाई को पाटने का प्रयास किया है, जिसका नियोक्ताओं द्वारा ध्यान रखा जाना चाहिए। इसके अलावा, एक निरीक्षक का प्रावधान सुनिश्चित करता है कि श्रमिकों के पास प्रशासन से संपर्क करने का एक तरीका है, जो कारखाने में संशोधन करने के लिए उनकी चिंताओं को आगे ले जाएगा, साथ ही श्रमिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के प्रति उनकी उपेक्षा के लिए नियोक्ता को दंडित करेगा।
(ii) श्रमिकों के लिए स्वास्थ्य संबंधी प्रावधान- नियोक्ताओं के लिये यह अनिवार्य है कि वे प्रत्येक कारखाने में साफ-सफाई सुनिश्चित करें।  सभी कारखानों में अपशिष्ट प्रबंधन की उचित व्यवस्था होनी चाहिये । कारखानों में वायु संचालन के लिये पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिये। प्रत्येक कारखाने के लिये यह अनिवार्य है कि वह अपने कार्य से उत्पन्न हुए धूल और धुएँ के निष्कासन की व्यवस्था करे। प्रत्येक श्रमिक के लिये एक विशिष्ट स्थान की व्यवस्था होनी चाहिये, ताकि भीड़-भाड़ बचा जा सके। नियोक्ताओं के लिये आवश्यक है कि वे श्रमिकों के लिये पर्याप्त और उपयुक्त प्रकाश की व्यवस्था करें। सभी श्रमिकों के लिये स्वच्छ पेय जल की व्यवस्था होनी चाहिये।
व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति संहिता 20192525 को 2019 में केंद्र सरकार द्वारा विविध केंद्रीय श्रम नियमों को युक्तिसंगत बनाने के प्रयास के रूप में पेश किया गया था। संहिता विभिन्न आर्थिक गतिविधियों में काम की उचित और मानवीय स्थितियों को सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक विधायी ढांचा प्रदान करना चाहती है। संहिता कारखानों, खानों, निर्माण श्रमिकों, प्रवासी श्रमिकों आदि सहित 13 क्षेत्रों से संबंधित सुरक्षा कानूनों को समाहित करती है और 10 या अधिक श्रमिकों वाले सभी प्रतिष्ठानों पर लागू होती है। इसके अतिरिक्त, यह सभी प्रतिष्ठानों के लिए "एक पंजीकरण" का प्रस्ताव करती है । संहिता के तहत सुरक्षा और स्वास्थ्य संबंधी प्रावधान फैक्ट्री अधिनियम के समान हैं। सरकार ने अनेक ऐसी नीतियां बनाई है जो श्रमिकों की सुरक्षा में सहायक होती है। नीतिगत योजना के स्तर के निर्णय श्रमिकों को सुरक्षित बनाते हैं। जिनके तहत उन्हें सरकार द्वारा मदद प्राप्त होती है। श्रमिक को निरंतर रोजगार देने और उनकी दशाओं को सुधारने हेतु उपाय करने के सुझाव दिए जाते हैं ।श्रमिक एवं महिला श्रमिकों की समस्याओं के समाधान पर ध्यान दिया जाता है ।
मजदूरी का समानीकरण करने एवं न्यूनतम मजदूरी अधिनियम को प्रभावशाली बनाने पर जोर दिया जाता है। प्रत्येक कर्मचारी सुरक्षा की अपेक्षा करता है, चाहे वह शारीरिक सुरक्षा हो, सामाजिक सुरक्षा हो, वित्तीय सुरक्षा हो या इस प्रकार के अन्य सुरक्षा उपाय हों। कर्मचारियों की शारीरिक सुरक्षा सरकार द्वारा विनियमित किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है क्योंकि यह नियोक्ताओं की प्राथमिक जिम्मेदारी है। कारखानों के मुनाफे को बचाने के लिए नियोक्ता पर्याप्त सुरक्षा उपायों के प्रावधान से बचते हैं। इसके अलावा, जैसा कि अक्सर नियोक्ताओं और कर्मचारियों के बीच शक्ति की असमानता होती है, सरकार को एक सूत्रधार के रूप में कार्य करने की आवश्यकता होती है।

संदर्भ-
https://bit.ly/3WCHkae
https://bit.ly/3hOpD95
https://bit.ly/3jpJbku

चित्र संदर्भ

1. श्रमिकों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. मोहिउद्दीनपुर चीनी मिल (Mohiuddinpur Sugar Mill) में भीषण आग को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
3. ईमारत का काम करते श्रमिक को दर्शाता एक चित्रण ( GetArchive)
4. महिला श्रमिक को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)

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