हमारे मेरठ की विश्‍व प्रसिद्ध गजक, जिसके लिए दुकानों पर लोगों की कतार लगी रहती है।

स्वाद- खाद्य का इतिहास
21-12-2022 01:05 PM
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हमारे मेरठ की विश्‍व प्रसिद्ध गजक, जिसके लिए दुकानों पर लोगों की कतार लगी रहती है।

हमारे मेरठ शहर की कई चीजें ऐसी हैं जो विश्‍व प्रसिद्ध हैं। हर साल सर्दियों के दौरान मेरठ में गजक और रेवड़ी लेने के लिए दुकानों पर लोगों की कतार लगी रहती है, जिसमें से कई दुकानें 100 साल से अधिक की विरासत लिए हुए हैं । सर्दी के मौसम में तिल, मूंगफली और गुड़ से बनी चाशनी में तैयार मेरठ की मशहूर रेवड़ी गजक शहर में गरमागरम बिकती है। . मेरठ की इस प्रसिद्ध गजक, जिसका इतिहास 116 साल पहले का है, का स्‍वाद भारत ही नहीं बल्कि विश्‍व के लोगों की जुबान पर चढ़ा हुआ है। भारत के विभिन्‍न राज्‍यों में इसकी पहुंच है। मेरठ की गजक और रेवड़ी का स्वाद देश में इतना फैला है कि हर कोई इसका दीवाना है। राजनीति गलियां हो या फिर फिल्मी हस्तियां, जब भी कोई गजक और रेवड़ी की बात करता है, तब मेरठ का नाम ना आए ऐसा हो ही नहीं सकता। ठंड के मौसम की शुरुआत से ही मेरठ में गजक और रेवड़ी की मांग बढ़ने लगती है। यहाँ के लोग दिवाली पर मिठाई से ज्यादा गजक रेवड़ी को ही उपहार में देना उचित समझते हैं।
ऐसा माना जाता है कि अगर आपने सर्दियों के मौसम में मेरठ की रेवड़ी और गजक नहीं चखी है तोयकीन मानिए कुछ तो अधूरा छोड़ा है। यह इस वजह से कहा जाता है क्योंकि मेरठ में मिलने वाली रेवड़ी-गजक का स्वाद आपको और कहीं नहीं मिलेगा। इसी वजह से भारत भर में इसकी सप्‍लाई की जाती है। इस गजक में लोगों की विशेष मांग गुड़ और तिल की रहती है। मेरठ में 1860 में गजक बनाने की शुरुआत की गयी थी । कहा जाता है कि मेरठ के गुजरी बाजार में रहने वाले एक व्यक्ति रामचंद्र ने ठंड को दूर करने के लिए गुड़ और तिल को कूटकर गोल लड्डू बनाया। इसका स्वाद अंग्रेजों ने भी चखा तो उनको भी काफी पसंद आया। लोगों ने जब रामचंद्र के हाथों से बना ये लडडू को चखा, उन्होंने उसे तो इसका व्यवसाय करने की राय दी।साल 1860 में जनवरी माह में मकर संक्राति के दिन रामचंद्र ने अपने तिल के लड्डू की दुकान खोली।तब से लेकर अब तक रेवड़ी, गजक अपनी अलग छाप बनाए हुए हैं। इसके बाद से आज तक गजक की मांग ब्रिटेन (Britain), अमेरिका (America) और जर्मनी (Germany) जैसे देशों में भी बनी हुयी है।गजक एक प्रसिद्ध मिठाई या मिष्ठान्न है। यह तिल और गुड़ से बनी एक सूखी मिठाई है।
तिल को कच्ची चीनी/गुड़ की चाशनी में पकाया जाता है और पतली परतों में सेट किया जाता है। गजक को महीनों तक संग्रहीत किया जा सकता है। लोहड़ी उत्सव के दौरान इसका विशेष महत्‍व होता है। मेरठ के फराश खाना, चांदनी चौक में गली बताशा शहर के अस्तित्व में आने के बाद से गजक के इतिहास की शुरूआत हुयी है।गजक बनाने का काम दीवाली से शुरू हो जाता है और जैसे ही लोहड़ी आती है, विक्रेता अपने यहां सबसे अच्छी गजक लाने में व्यस्त हो जाते हैं। यह मिठाई विशेष रूप से सर्दी- खांसी और जुकाम के विरूद्ध प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करने के लिए जानी जाती है। जहां मेरठ और आगरा की गजक अपने स्वाद के लिए मशहूर हैं, वहीं दिल्ली की गजक दोनों को कड़ी टक्कर देती है। रेवड़ी गजक की भट्ठियां शहर में तमाम स्थानों पर हैं । शहर में अधिकतर बड़ी दुकानों पर बिक्री के साथ इसे बनाने की व्यवस्था भी होती है। कारीगर कड़ाही में सफेद तिल भूनने के बाद चाशनी से खांड तैयार करते हैं। जिससे गजक की पट्टियां तैयार की जाती है। फिर उन पट्टियों को लकड़ी के हथौड़े से पीटा जाता है। इससे गजक कुरकुरी व स्वादिष्ट बनती है। माना जाता है कि गर्म तासीर के चलते गजक व रेवड़ी सर्दियों के लिए बेहतर होती है। यह गर्म तासीर तिल व गुड़ के संयोग से बनी होती है। इसके सेवन से शरीर में सर्दी से बचाव की क्षमता भी पैदा होती है। गजक बनाने के लिए जिस गुड़ की आवश्यकता होती है, वह आगरा और मुरादाबाद से आता है। गुड़ से आधे घंटे में लगभग 15 किलोग्राम गुड़ पट्टी को संसाधित किया जा सकता है। गजक की पट्टियां बनाने के लिए आवश्यक हस्तकार्य प्रक्रिया में अधिकतम समय लगता है।
भोंडूमलजी द्वारा 1960 में स्थापित दुकान संकरी गली में ताजी मुंगफली पट्टी और गजक बनाती और बेचती है। संस्थापक के पोते मनीष गुप्ता कहते हैं, “गुड़ या चीनी, शर्करा और तिल को उबाला जाता है और फिर ठंडा होने दिया जाता है। घोल को ठंडा होने के बाद पहले फैटा जाता है फिर मोड़ कर फिर से फेंटा जाता है, तब जाके गजक तैयार होता है।” गजक के बाद रेवड़ी सर्दियों में अपने स्वाद के लिए अत्यधिक पसंद की जाती है। यह भी सर्दियों में लोगों के मुँह के स्वाद को बढ़ाती हैं। केसर के स्वाद वाली रेवड़ी बाजार में मिलने वाली गुड़ और चीनी की रेवड़ियों में सबसे अच्छी होती है। कूचा शिव मंदिर में लाल चंद रेवड़ी वाले, देसी घी की चिक्की के लिए प्रसिद्ध हैं। दुकान के मालिक नरेंद्र कुमार कहते हैं, “देसी घी की गजक और रेवड़ी के साथ ड्राई फ्रूट (dry fruit) गजक इस मौसम में काफी लोकप्रिय है।”

संदर्भ:
https://bit.ly/3PyZRSs
https://bit.ly/3ja4DK7
https://bit.ly/3uWwEYe
https://bit.ly/3PxC9Gt

चित्र संदर्भ
1. गजक उत्पादों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. कुतेमा गजक को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. बिक्री हेतु रखे गए गजक उत्पादों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. गुड़ और तिल से बनी गजक मिठाई को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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