मेरठ जिला के सभी गावों में लगने वाले यह सीसीटीवी कैमरे क्या बदलाव लाएंगे?

नगरीकरण- शहर व शक्ति
10-12-2022 12:19 PM
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मेरठ जिला के सभी गावों में लगने वाले यह सीसीटीवी कैमरे क्या बदलाव लाएंगे?

हम सभी जानते है कि हमारा शहर मेरठ, प्रत्येक गुजरते दिन के साथ शहरी विकास और जनमानस की सुविधाओं के नए कीर्तिमान रच रहा है। इस परिस्थिति में शहर के विकास के साथ-साथ सामान्य नागरिकों की सुरक्षा एक आवश्यक विचारणीय विषय बन जाता है। साथ ही यह भी आवश्यक हो जाता है कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र की सुरक्षा को समतुल्य स्तर पर आवश्यक माना जाए। इसी तथ्य को ध्यान में, रखते हुए अपराध को रोकने के लिए, हमारे मेरठ के 681 गांवों में भी प्रवेश और निकास बिंदुओं पर सीसीटीवी कैमरे (Closed-circuit television (CCTV Camera)) लगाने का प्रयास हो रहा है। चलिए जानते है सीसीटीवी कैमरे लगाने की एक छोटी से पहल से कितने बड़े बदलाव किये जा सकते हैं।
1942 में, जर्मन वैज्ञानिक वाल्टर बरूच (Walter Baruch) ने दूर से ही रॉकेट लॉन्च (Rocket Launch) की निगरानी के लिए क्लोज्ड सर्किट टेलीविज़न (Closed Circuit Television (CCTV) कैमरा तैयार किया था। लेकिन शायद बरूच ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी कि एक दिन यह तकनीकि पूरी दुनिया में व्यापक रूप से प्रचलित होकर निगरानी उपकरण में बदल जाएगी। आज सीसीटीवी कैमरों को मुख्य रूप से बैंकों, सुपरमार्केट (Supermarket), कैसीनो (Casino), हवाई अड्डों, सैन्य संस्थानों और सुविधा स्थलों में निगरानी के लिए लगाया जाता है। , ये कैमरे ज्यादातर अपराध को घटित होने से रोकने और अपराध के स्तर को कम करने के लिए लगाए जाते है। अमेरिका, यूरोप और एशिया के कई हिस्सों में सीसीटीवी द्वारा निगरानी अपराध की रोकथाम के सर्वोत्तम तरीकों में से एक साबितहुई है , क्योंकि अधिक कैमरों के उपयोग में आने के साथ ही आपराधिक मामलों में आनुपातिक रूप से कमी देखी गई। हालांकि, इसका लाभ लोगों को लंबे समय तक नहीं मिल सका । पुराने अपराध फिर से सामने आने लगे और बड़ी संख्या में लोगों का कैमरों पर से विश्वास उठने लगा।
एक तरफ, सीसीटीवी पूरी अर्थव्यवस्था में होने वाली आपराधिक गतिविधियों को रोकने और कम करने के संदर्भ में बहुत अच्छा काम करता है। वही दूसरी तरफ, इसके विरोधाभासी रूप में ऐसे कारक भी हैं जो इन कैमरों की प्रभावशीलता को कम करते हैं। कैमरे से की जाने वाली निगरानी विभिन्न कारकों की सहायता से अपराध को उच्च स्तर तक रोकती है। वास्तव में, कैमरे अपराध का सबूत प्रदान करते हैं, इसलिए अपराधियों को खोजना और पकड़ना आसान हो जाता है।
कैमरे के प्रचलन से पहले, कई देशों में अपराध को साबित करना, अदालतों के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक था, इस प्रकार कई अपराधियों को सबूत न होने के कारण उनके अपराधों के लिए कोई भी सजा नहीं मिल पाती थी, जिससे अधिक अपराधों को प्रोत्साहन मिलता था । किंतु अब सीसीटीवी सुरक्षा निगरानी ने पूरे खेल को पलट दिया है । यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) में कैमरों ने कैसीनो और पार्किंग स्थलों (Parking Lots) में चोरी और सामान्य अपराधों को 51% से अधिक कम कर दिया, इस प्रकार वे अपराध की रोकथाम में कुशल साबित हुए। आज अपराध का प्रयास करने वाले अधिकतर लोग कैमरों की निगरानी में अपने कृत्यों के स्पष्ट सबूतों के आधार पर सजा पाते हैं। इन निगरानी कैमरों की उपस्थिति का मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी अपराध में कमी और रोकथाम करता है। इनके कारण मनोवैज्ञानिक रूप से, अपराधी गलत गतिविधियों को करने से डरते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि सीसीटीवी की मदद से सुरक्षा अधिकारी उन्हें आसानी से पकड़ सकते हैं। इस प्रकार सीसीटीवी अपराधियों को उनकी गतिविधियों को रोकने के लिए मनोवैज्ञानिक रूप से भी प्रभावित करते हैं।
मई 2021 में, इन्फोग्राफिक कॉम्पेरिटेक (Infographic Comparitech) द्वारा दुनिया भर के 150 प्रमुख शहरों में सीसीटीवी कैमरों के उपयोग पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई। अपने शोध में, उन्हें वैश्विक स्तर पर विभिन्न देशों के विभिन्न शहरों में लगभग 770 मिलियन कैमरे लगे हुए मिले, और उनमें से 54% अकेले चीन में लगे हुए थे। विश्व स्तर पर, किसी भी अन्य देश की तुलना में चीन में सर्वेक्षण या निगरानी में रखे गए शहरों की संख्या सबसे अधिक है। हालांकि, चीन में निगरानी सामान्य बात है, लेकिन भारत में सीसीटीवी कैमरों की बढ़ती संख्या वास्तव में एक गंभीर चिंता का विषय है। भारत के शीर्ष 15 शहरों में लगभग 1.54 मिलियन कैमरे लगे हुए हैं। देश में सबसे अधिक निगरानी कैमरे क्रमशः नई दिल्ली (5,51,500), हैदराबाद (3,75,000), चेन्नई (2,80,000), और इंदौर (2,00,600) में लगाए गए हैं।
ध्यान देने वाली बात यह है कि देश में लगे करीब 91.1 फीसदी सीसीटीवी कैमरे केवल इन्हीं चार शहरों में ही लगे हुए हैं। निगरानी कैमरों वाले अधिकांश शहरों की औसत आबादी 30 लाख से 70 लाख के बीच है और उनका पूरा दैनिक जीवन लगातार कैमरों की निगरानी में बीतता है। यह वास्तव में चिंता का विषय है है क्योंकि कंपेरिटेक के आंकड़ों के अनुसार वैश्विक स्तर पर 20 शहरों की सूची में इंदौर प्रति हजार लोगों में 64.43 कैमरों के साथ चौथे स्थान पर, 36.52 कैमरों के साथ हैदराबाद 12वें स्थान पर और (33.73) कैमरों के साथ नई दिल्ली 16वें स्थान पर है। विडंबना यह है कि भारत में बढ़ती निगरानी का यह गंभीर मुद्दा, कुछ लोगों के लिए खुशी का कारण बन गया है। इन्फोग्राफिक कॉम्पेरिटेक की रिपोर्ट में प्रति वर्ग मील निगरानी कैमरों के मामले में वैश्विक स्तर पर शीर्ष 20 शहरों के बारे में बात की गई थी। आंकड़ों से पता चलता है कि नई दिल्ली प्रति वर्ग मील पर 1,826.58 कैमरों के साथ पहले स्थान पर है, चेन्नई 609.9 कैमरों के साथ तीसरे स्थान पर , मुंबई (157.4 कैमरों के साथ 18वें स्थान पर है।
जनवरी 2020 में, सर्फशार्क (Surfshark) ने अपनी डेटा रिपोर्ट में प्रकाशित किया कि कैमरों की बढ़ी हुई संख्या दुनिया भर में अपराध सूचकांक से संबंधित नहीं है। कैलिफोर्निया रिसर्च ब्यूरो (California Research Bureau (CRB) द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह पाया गया है कि सीसीटीवी निगरानी के बढ़ते उपयोग के बाद भी, अपराधों के सबूत अत्यंत सीमित हैं। एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी (Arizona State University) द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन ने कैम्ब्रिज शहर (Cambridge City) में सीसीटीवी कैमरों के प्रभाव का मूल्यांकन किया और दिखाया है कि शहर में सीसीटीवी के प्रसार के कारण अपराध पर कोई संभावित प्रभाव नहीं पड़ा है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि हालांकि, सीसीटीवी कैमरे अपराध को रोकने के लिए लगाए गए हैं, लेकिन वे समाज में अपराध को रोकने में एक स्तर तक विफल रहे हैं। वे यह तर्क देते हैं कि इसका उपयोग अल्पसंख्यक आबादी को लक्षित करने और विशिष्ट समुदायों और व्यक्तियों को “अन्य" करने के लिए असमान रूप से किया जा रहा है।
हमारे मेरठ शहर के ग्रामीण इलाकों में भी अपराध पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से, जिला पंचायत ने प्रवेश और निकास बिंदुओं पर सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से जिले के प्रत्येक गांव को 24x7 विद्युतीय(Electronic surveillance) निगरानी के द्वारा रखने की सुरक्षा योजना बनाई गई है। यह परियोजना अपनी तरह की पहली पहल है, जहां मेरठ उत्तर प्रदेश का एकमात्र ऐसा जिला बनने जा रहा है, जहां इसके सभी गांवों में सीसीटीवी कैमरों की सुविधा होगी। गांवों में कैमरा लगाने का खर्च जिला पंचायत वहन करेगी। ये सीसीटीवी कैमरे न्यूनतम समय की बर्बादी के साथ पुलिस की भी काफी मदद करेंगे।" मेरठ क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक के अनुसार "हम “स्मार्ट” शहर और “सुरक्षित” शहर के बारे में बात तो करते हैं, लेकिन हमें इसे एक सुरक्षित जिला बनाने के लिए अंतिम गांव तक तकनीकी उपकरणों का विस्तार करना चाहिए। वास्तव में, ग्रामीण स्तर पर बेहतर निगरानी में सहायता के लिए यूपी के सभी गांवों में ऐसी पहलों को दोहराया जाना चाहिए। प्रवेश-निकास बिंदुओं केअतिरिक्त , गांवों को राजमार्गों से जोड़ने वाली सड़कों की विद्युतीयनिगरानी पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

संदर्भ
https://bit.ly/3Y1JD8s
https://bit.ly/3F8uoBZ
https://bit.ly/3iH38mv

चित्र संदर्भ
1. सीसीटीवी कैमरे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. चौतरफा सीसीटीवी कैमरे को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. सीसीटीवी कैमरे की निगरानी को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. सीसीटीवी चेतावनी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. दिल्ली मेट्रों में लगे सीसीटीवी कैमरे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. सीसीटीवी कैमरे की रिकॉर्डिंग को दर्शाता एक चित्रण (youtube)

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