समयसीमा 245
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 942
मानव व उसके आविष्कार 740
भूगोल 219
जीव - जन्तु 273
Post Viewership from Post Date to 06- Oct-2022 (5th Day) | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
1444 | 10 | 1454 |
भारतीय सेना का इतिहास साहसिक एवं शौर्य गाथाओं से भरा पड़ा है। हालांकि आज भारतीय सेना
में अनेक सैनिक टुकड़ियां हैं, जो देश के विभिन्न क्षेत्रों में विविध प्रकार से देश की सेवा कर रही हैं।
किंतु जब भी स्वतंत्रता से पूर्व की भारतीय सेना के इतिहास की बात आती है तो, “7 वीं (मेरठ)
डिवीजन” का नाम प्राथमिकता से लिया जाता है।
7 वीं मेरठ डिवीजन (7th Meerut Division) ब्रिटिश भारतीय सेना में कार्यरत, एक पैदल सेना
डिवीजन थी, जिसने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान सक्रिय भूमिका निभाई थी। मेरठ डिवीजन पहली
बार 1829 में सर जैस्पर निकोलस और केसीबी (Sir Jasper Nichols and KCB) की कमान के
तहत भारतीय सेना की सूची में दिखाई दी। इस अवधि के दौरान डिवीजन में मुख्य रूप से
प्रशासनिक संगठन थे, जो फील्ड फॉर्मेशन (field formation) के बजाय अपने क्षेत्र में ब्रिगेड और
स्टेशनों को नियंत्रित करते थे, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर उन्होंने फील्ड फोर्स भी प्रदान की थी।
इस डिवीज़न में ब्रिटिश सैनिकों के अलावा, आम तौर पर एक भारतीय घुड़सवार सेना और दो
भारतीय पैदल सेना रेजिमेंट तैनात थे।
7वीं (मेरठ) डिवीजन का शीर्षक पहली बार 30 सितंबर और 31 दिसंबर 1904 के बीच पश्चिमी
(बाद में उत्तरी ) कमान के हिस्से के रूप में सेना की सूची में दिखाई दिया। प्रथम विश्व युद्ध की पूर्व
संध्या पर, डिवीजन का मुख्यालय मसूरी में था। 1914 में 7वीं (मेरठ) डिवीजन भारतीय अभियान
बल ए (Indian Expeditionary Force A) का हिस्सा थी, जिसे फ्रांस में लड़ रहे ब्रिटिश अभियान
बल (British Expeditionary Force (BEF) को मजबूत करने के लिए भेजा गया था। भारतीय
सैनिकों के दो डिवीजनों को उनके तोपखाने और अन्य हथियारों के साथ फ्रांस भेजा गया था। 26
सितंबर 1914 तक मेरठ डिवीजन और लाहौर डिवीजन ऑफ इंडियन ट्रूप्स, मारसे (Marseille)
पहुंचे।
13 अगस्त 1915 को, मेसोपोटामिया (Mesopotamia) में भारतीय अभियान बल “डी” के कमांडर
जनरल सर जॉन निक्सन (Commander General Sir John Nixon) ने बगदाद पर अपने कब्जे
के लिए फ्रांस में भारतीय पैदल सेना डिवीजनों में से एक का सुदृढीकरण करने का अनुरोध किया।
अंततः 7वीं (मेरठ) डिवीजन 1917 के वसंत में मेसोपोटामिया पहुंची और कुट-अल-अमारा (Kut-al-
Amara) में 6वें (पूना) डिवीजन (6th (Poona) Division) को सहायता प्रदान की। मार्च 1917 में
बगदाद पर कब्जा करने में भाग लेने वाले नवगठित मेसोपोटामिया अभियान बल का हिस्सा रहे,
मेरठ और लाहौर डिवीजन अंततः भारतीय सेना कोर का हिस्सा बन गए।
प्रथम विश्व युद्ध में इस विभाजन ने साहस और विशिष्टता के साथ लड़ाई लड़ी। इसका नेतृत्व
हिमाचल में जन्मे जॉर्ज यंगहसबैंड (George Younghusband) ने किया था। यंगहसबैंड को
1878 में 17वें फुट में नियुक्त किया गया था। बाद में वह ब्रिटिश भारतीय सेना की गाइड कैवेलरी
(guide cavalry) में स्थानांतरित हो गए और कई संघर्षों जिसमें दूसरा अफगान युद्ध , महदीस्त
युद्ध , तीसरा बर्मी युद्ध , दूसरा बोअर युद्ध और अंत में पहला विश्व युद्ध भी शामिल था, में
अहम भूमिका निभाई।
जॉर्ज जॉन यंगहसबैंड का जन्म 9 जुलाई 1859 को भारत के धर्मशाला में, मेजर-जनरल जॉन
विलियम यंगहसबैंड और क्लारा जेन शॉ (Major-General John William Younghusband
and Clara Jane Shaw) के सबसे बड़े बेटे और फ्रांसिस यंगहसबैंड (Francis Younghusband)
के बड़े भाई के रूप में हुआ था। उन्होंने क्लिफ्टन कॉलेज और रॉयल मिलिट्री कॉलेज सैंडहर्स्ट
(Clifton College and Royal Military College Sandhurst) में शिक्षा प्राप्त की थी। मई
1878 में, क्वीन्स (इंडिया) कैडेट के रूप में स्नातक होने के बाद, उन्हें इंडिया स्टाफ कोर (India
Staff Core) के लिए परिवीक्षा पर, 17वें फुट में सेकंड-लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन दिया गया।
उनकी अगली पदोन्नति 1 मई 1889 को हुई, जब उन्हें कप्तान के रूप में पदोन्नत किया गया।
1898 में उन्हें फिलीपींस में स्पेनिश-अमेरिकी युद्ध (Spanish-American War) के दौरान एक
सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था। वह दूसरे अफगान युद्ध में लड़े और अक्टूबर
1883 में इंडिया स्टाफ कोर में स्थानांतरित होने से पहले 15 मार्च 1880 को लेफ्टिनेंट के रूप में
पदोन्नत हुए। भारतीय सेना में शामिल होने के बाद वह थोड़े समय में ही कई संघर्षों में शामिल
हुए। प्रथम विश्व युद्ध में , यंगहसबैंड को 28वीं भारतीय ब्रिगेड की कमान सौंपी गई, जो 10वीं
भारतीय डिवीजन का हिस्सा थी। उन्हें शुरू में स्वेज नहर (Suez Canal) की रक्षा के लिए तैनात
किया गया था। उनकी अंतिम कमान की स्थिति 1916 में, 7वें (मेरठ) डिवीजन के कमांडर के रूप में
थी। लेकिन शरीर पर लगे गंभीर घावों के कारण उन्हें उस पद को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।
जॉर्ज जॉन यंगहसबैंड की मृत्यु 30 सितंबर 1944 को पैंसठ वर्ष की आयु में वेल्स के क्रिकहोवेल
(Crickhowell of Wales) में हुई थी।
सन्दर्भ
https://bit.ly/3dMetQ7
https://bit.ly/3CcMrXv
https://bit.ly/3dHmR3c
चित्र संदर्भ
1. फेंग्स, फ्रांस के पास मार्च करती मेरठ कैवलरी ब्रिगेड, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. मेसोपोटामिया में 7 वीं (मेरठ) डिवीजन मैन खाइयों के भारतीय सैनिकों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. अक्टूबर 1918 में लेबनान में नाहर अल-कल्ब (डॉग नदी) में मेरठ मंडल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. जॉर्ज जॉन यंगहसबैंड को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.