समयसीमा 245
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 942
मानव व उसके आविष्कार 740
भूगोल 219
जीव - जन्तु 273
Post Viewership from Post Date to 27- Oct-2022 (30th Day) | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2921 | 19 | 2940 |
कई मायनों में गणित भी ईश्वर भी भांति सर्वव्याप्त हैं। उदाहरण के तौर पर हमारे स्मार्टफोन,
कारों, इमारतों और यहां तक कि मौसम की सटीक जानकारी प्राप्त करने में भी गणित का ही प्रयोग
किया जाता है। लेकिन सभी जटिल उलझनों का उपाय खोजने वाली, गणित की उत्पत्ति स्वयं ही
दार्शनिकों के बीच एक विवादित विषय रही है। जहां दार्शनिक जगत में एक बड़े प्रश्न का उत्तर अभी
भी नहीं खोजा गया की क्या "गणित का आविष्कार किया गया था या इसे खोजा गया था?"
गणित हमारी आधुनिक दुनिया के केंद्र में है। लेकिन बहुत लंबे समय तक अस्तित्व में रहने के
बावजूद, गणित के कुछ दार्शनिकों का मानना है कि चूंकि गणित हमारे भीतर मौजूद है, और
इसलिए गणित हमारी रचना थीं। अन्य दार्शनिकों का मानना है कि गणित हमारे विचारों से स्वतंत्र
हमारे बाहर मौजूद है। सच्चाई को बेहतर ढंग से समझने के लिए, आइए समझने की कोशिश करें
कि वास्तव में गणित कितनी प्राचीन है?
वास्तव में गणित की कहानी उतनी ही पुरानी है जितनी की इंसानियत। 600 ईसा पूर्व में कई
सभ्यताएं बसी और विभिन्न व्यवसाय शुरू हुए, उस समय गणित ने अपना प्रारंभिक विकास शुरू
किया। इसका उपयोग भूखंडों को मापने, व्यक्तियों के कराधान की गणना आदि के लिए किया
जाता था। बाद में, 500 ईसा पूर्व में, हमने रोमन अंकों का विकास देखा, जो अभी भी संख्याओं का
प्रतिनिधित्व करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि हजारों साल पहले, जोड़ और घटाव जैसे बुनियादी गणितीय
कार्य, एक ही समय में भारत, मिस्र और मेसोपोटामिया जैसे विभिन्न स्थानों में शुरू हुए होंगे।
उन्नत गणित 2500 साल पहले यूनान की बताई जाती है, जब गणितज्ञ पाइथागोरस ने अपने
प्रसिद्ध समीकरण को प्रस्तुत किया था। यह एक समकोण त्रिभुज की भुजाओं के बारे में था, जिसे
अब हम पाइथागोरस प्रमेय (Pythagoras theorem) के रूप में पढ़ते हैं। तब से, कई गणितज्ञों ने
गणित की अपनी समझ का विस्तार करने पर काम करना शुरू कर दिया। लेकिन फिर भी, किसी
को भी इस बड़े प्रश्न का सही उत्तर नहीं मिल सका।
क्या ब्रह्मांड में गणित पहले से मौजूद थी?
कुछ लोगों का तर्क है कि, प्रकाश बल्ब की भांति , गणित एक आविष्कार नहीं था, बल्कि एक खोज
थी। इसके पीछे का विचार यह है कि गणित ईश्वर या विचारों की प्लेटोनिक (Platonic) दुनिया के
दिमाग में मौजूद है, और हम केवल इसे खोजते हैं। प्राचीन यूनानी विचारक और गणितज्ञ प्लेटो का
मानना था कि गणितीय संस्थाएं अमूर्त हैं और अंतरिक्ष तथा समय के बाहर अपनी दुनिया
में स्वतंत्र रूप से मौजूद हैं। गणित विज्ञान की भाषा है और इसकी संरचना प्रकृति में जन्मजात
होती है। भले ही ब्रह्मांड कल गायब हो जाए लेकिन शाश्वत गणितीय सत्य तब भी मौजूद होंगे।
यह हम पर है कि हम इसकी खोज करें और इसकी कार्यप्रणाली को समझें। कई गणितज्ञ इस मत
का समर्थन करते हैं। गणित प्रकृति में ही प्रकट होती है और कई सार्वभौमिक प्रश्नों के उत्तर प्रदान
करती है। स्वर्ण अनुपात भी ऐसा ही एक उदाहरण है, जहां प्रकृति में गणित को खोजा जा सकता है।
सुनहरा अनुपात (Golden ratio) ब्रह्मांड में सबसे अनुमानित पैटर्न का वर्णन करता है। यह
परमाणुओं से लेकर, चेहरे और मानव शरीर, आकाशगंगा के आयामों तक सब कुछ का वर्णन करता
है। इसका मान लगभग 1.618 है और इसे ग्रीक वर्णमाला फाय (Phi Ø), द्वारा दर्शाया गया है। इसे
दैवीय अनुपात के रूप में भी जाना जाता है।
सुनहरा अनुपात फिबोनाची अनुक्रम (Fibonacci sequence) से लिया गया था, जिसका नाम
इतालवी गणितज्ञ लियोनार्डो फिबोनाची (Leonardo Fibonacci) के नाम पर रखा गया था।
हज़ारों वर्षों से, फिबोनाची अनुक्रम ने कई गणितज्ञों, वैज्ञानिकों और कलाकारों को आकर्षित किया
है। फिबोनाची अनुक्रम हमारे चारों ओर विभिन्न वस्तुओं में देखा जा सकता है, जिसमें सीपियां,
जानवर, पिरामिड (Pyramid) और अन्य अप्रत्याशित स्थान शामिल हैं। फूलों की पंखुड़ियां भी
फिबोनाची अनुक्रम का अनुसरण करती हैं।
यदि आप ध्यान दें, तो एक फूल में पंखुड़ियों की संख्या 3, 5, 8, 13, 21, 34 या 55 में से ही कोई एक
होगी। उदाहरण के लिए, एक लिली में 3 पंखुड़ियां होती हैं, गैलेक्सी में 8 पंखुड़ियां होती हैं, मकई
गेंदा में 13 पंखुड़ियाँ, चिकोरी और डेज़ी में 21 पंखुड़ियाँ होती हैं और माइकलमास डेज़ी
(Michaelmas Daisy) में 55 पंखुड़ियाँ होती हैं। यह इस तर्क का समर्थन करता है कि गणितीय
कार्य प्रकृति में मौजूद थे, और हमने इन्हे केवल खोजा है!
क्या गणित हमारी बनाई हुई रचना थी?
कुछ लोग इस विचार का विरोध करते हैं कि गणित की खोज की गई थी। वे प्लेटोनिक विरोधी
विचारधारा से संबंधित हैं, जो मानते हैं कि गणित का आविष्कार किया गया था। वे गणित को एक
मानव आविष्कार मानते हैं जो इस तरह से तैयार किया गया है और भौतिक दुनिया का उपयुक्त
वर्णन करता है। हमारी आवश्यकताओं के अनुरूप, मानव मन लगातार नई गणितीय अवधारणाएँ
बनाता है। अगर कल ब्रह्मांड गायब हो जाता, तो फुटबॉल और शतरंज से लेकर लोकतंत्र और घरेलू
अर्थशास्त्र तक, हर बना हुआ विचार की तरह गणित भी गायब हो जाएगी। प्रकृति में दिखाई देने
वाले पैटर्न को देखकर ही मनुष्य ब्रह्मांड के कामकाज को समझ पाए हैं। हमने अपने आस-पास की
दुनिया से आकृतियों, रेखाओं, समूहों आदि जैसे तत्वों को अमूर्त करके गणितीय अवधारणाओं का
आविष्कार किया है। ज्यामिति और अंकगणित का विकास वृत्तों और त्रिभुजों जैसी आकृतियों के
बीच अवलोकन और अंतर करने की हमारी क्षमता के साथ-साथ सीधी और घुमावदार रेखाओं के
बीच अंतर करने की क्षमता के कारण हुआ था।
शुरुआत में, हमने अपने आस-पास की वस्तुओं को गिनने के लिए प्राकृत संख्याओं- 1,2,3…..- का
उपयोग किया। बाद में, हमने और अधिक अवधारणाओं जैसे कि ऋणात्मक पूर्णांक, परिमेय और
अपरिमेय संख्याएँ, सम्मिश्र संख्याएँ और बहुत कुछ का आविष्कार किया। गणित के ये विस्तार
हमारे उद्देश्यों की पूर्ति के लिए विकसित किए गए थे, लेकिन जरूरी नहीं कि हमने उन्हें प्रकृति में
भी देखा हो। मान लीजिए कि थर्मामीटर पर तापमान 0 से नीचे चला गया है। शून्य से नीचे की
किसी संख्या को स्पष्ट करने के लिए हम ऋणात्मक पूर्णांकों का प्रयोग करते हैं और -10 C या -25
C लिखते हैं। अपने आस-पास जो हम देखते हैं उसके आधार पर नए विचारों का आविष्कार करने
की इस प्रक्रिया के कारण, यह कहना गलत नहीं है कि गणित का जन्म हमारे बाद ही हुआ है।
सदियों से, गणितज्ञों ने प्रमेय को सिद्ध करने में सक्षम सैकड़ों विभिन्न तकनीकों का आविष्कार
किया है। संक्षेप में, गणित का आविष्कार और खोज दोनों ही की गई है। गणित की प्रकृति के बारे में
यह बहस आज भी छिड़ी हुई है और ऐसा लगता है कि इसका कोई जवाब नहीं है।
सन्दर्भ
https://bit.ly/3LloobP
https://bit.ly/2YXq8Tm
https://bit.ly/3QTxwFx
चित्र संदर्भ
1. गणित के परिदृश्य को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. कंप्यूटर में गणित को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. पाइथागोरस प्रमेय को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. सुनहरा अनुपात के उदाहरण को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. केंद्रीय वर्ग सिद्धांत को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. प्रकृति में गणित को दर्शाता एक चित्रण (Max Pixel)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.