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भारतीय व्यंजन दुनिया में सबसे अनोखे व्यंजनों में से एक है, भारत के प्रत्येक राज्य, और राज्यों के
भीतर स्थान विशेष की अपनी एक विशेष पाक कला है। उत्तर में पंजाब और कश्मीर, दक्षिण में
केरल और कर्नाटक, पूर्व में असम और बंगाल, पश्चिम में गुजरात और महाराष्ट्र में खाना पकाने के
तरीकों और स्वादों में एक महत्वपूर्ण अंतर है। इसलिए हर राज्य में अलग-अलग स्वाद के पकवानपाये जाते हैं जो उस राज्य की विशेषता को दर्शाते हैं।
हालांकि इतिहास उत्तर भारतीय व्यंजनों पर अत्यधिक मुगल प्रभाव की बात करता है, लेकिन यह
कर्नाटक की मध्ययुगीन खाद्य संस्कृति पर दक्षिण भारतीय राजा मंगरासा III के प्रभाव को अनदेखा
कर देता है। राजा मंगरासा को रसोइया बनना अत्यधिक पसंद था। वह चेंगलवा वंश से थे, जो
16वीं शताब्दी के कर्नाटक में होयसल राजाओं के अधीन था। राजा का महल मैसूर जिले के हुनसुर
तालुक (वर्तमान में कल्लाहल्ली) मे स्थित था। इन्होंने सूपशास्त्र ग्रंथ की रचना की, इस ग्रन्थ
को कन्नड़ भाषा में ताड़ के पत्तों पर लिखा गया है। अस्पष्ट रूप से इसका अर्थ खाना पकाने के
विज्ञान से है। संभवत: यहीं से अंग्रेजी शब्द 'सूप' (Soup) की उत्पत्ति हुई होगी।
भारत में पाक कला परंपराएं, जैसा कि हमारी विरासत के कई अमूर्त तत्वों में से हैं, अक्सर इसे पीढ़ी
दर पीढ़ी मौखिक रूप से अग्रसित किया जाता है। इसलिए, इस पर ध्यान देना दिलचस्प है कि एक
मध्ययुगीन राजा, मंगरासा III, कर्नाटक में वर्तमान में कल्लाल्ली के आसपास के क्षेत्र से, अपने क्षेत्र
के व्यंजनों को अपने ग्रन्थ में संकलित करने की कोशिश करता है। यह पुस्तक पद्य में लिखी गई
थी। ताड़ के पत्तों पर लिखे गए इस ग्रंथ में 6 अध्याय हैं और 450 कविताएं हैं। मंगरासा ने
अपने ग्रंथ में व्यंजनों को पकाने में प्रयुक्त होने वाले उत्पादों की भले ही सटीक मात्रा को इंगित
नहीं किया हो लेकिन खाना पकाने की तकनीक का सटीक विवरण दिया है, जिसमें भूनना, तलना,
मसालों के साथ तड़का लगाना, पकाना, भाप लेना, आसवन, ग्रिलिंग और गर्म रेत में गर्म करना
आदि शामिल है। इसके साथ ही भोजन में प्रयुक्त होने वाले मसालों का भी विवरण किया गया है।
इसके पहले अध्याय में स्नैक्स (snacks) या नाश्ते, 10 प्रकार की रोटी, 10 प्रकार के वडा और
गेहूं, चावल या मसूर के आटे से बने भरवा व्यंजन का उल्लेख किया गया है।मीट और सब्जियों के
कई प्रकार के व्यंजनों पर मुख्यत: मसालों (धनिया, हल्दी, लौंग, काली मिर्च, इलायची, लहसून,
अदरक इत्यादि ) के प्रभाव का उल्लेख किया गया है। मसाले आज भी विभिन्न प्रकार के
व्यंजनों का प्रमुख स्त्रोत हैं। भोजन हमेशा कम आंच में बनाया जाना चाहिए। खाना बनाने के लिए
सर्वोत्तम बर्तन मिट्टी के हैं जो स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होते हैं। हालांकि राजा महाराजा
उस दौरान सोने चांदी के बर्तनों का उपयोग करते थे।
सूपशास्त्र में विभिन्न सब्जियों से बने व्यंजनों के लिए दो अध्याय हैं। इनमें बैंगन से बने बीस
व्यंजन, केले और केले के फूलों से बने बीस व्यंजन, लौकी और कद्दू से बने छत्तीस व्यंजन और
कटहल से बने सोलह व्यंजन शामिल हैं। इन व्यंजनों के बारे में जो सबसे दिलचस्प हैं, वह है
असामान्य मसाले के संयोजन का उपयोग, मिर्च की निश्चित अनुपस्थिति (जो लगभग सौ वर्षों के
बाद ही भारत पहुंची) और खाना पकाने के नए तरीके और खोया (गाढ़ा दूध), पनीर (ताजा पनीर) का
उपयोग ) और मीठे तथा नमकीन दोनों तरह के व्यंजनों में दूध। हालांकि दक्षिण भारत में दही के
साथ खाना बनाना काफी प्रचलित है। मंगसारा के कुछ पकवान की रेसिपी इस प्रकार है:
बैंगन की रेसिपी:
मीठे बैंगन का व्यंजन - एक बर्तन में इमली का पानी और गुड़ मिलाएं। अदरक, काली मिर्च, जीरा
और तिल डालकर उसे उबाल लें। फिर उसे एक साफ कपड़े से छान लें और कटे हुए अदरक और
नारियल के टुकड़े डाल ले। बैंगन को टुकड़ों में काट लें और तीन चौथाई तक पका लें। पके हुए तरल
में आंशिक रूप से पके हुए बैंगन के टुकड़े डालें। तेल में राई, जीरा, इलायची, हींग और करी पत्ता
डालकर भूनें। कटे हुए ताजे हरे धनिये से गार्निश करें। यह एक सुगंधित, सुखद रूप से तीखा, मीठा
और खट्टा बैंगन व्यंजन होगा।
दूधिया भुना हुआ बैंगन - एक साबूत बैंगन के ऊपर घी लगाएं और जलते अंगारों पर भूनें। सभी
तरफ से भुनने के बाद बैंगन पर नमक और काली मिर्च छिड़कें। एक बर्तन में दूध उबाल लें। ग्रिल्ड
बैंगन के टुकड़ों को काटकर दूध में डालें और तब तक उबालें जब तक कि सारा तरल वाष्पित न हो
जाए। अब इसमें घी और काली मिर्च डालें। यह एक स्वादिष्ट और सेहतमंद व्यंजन है।
मसालेदार बैंगन - बैंगन को छोटे टुकड़ों में काट लें। इसी तरह एक प्याज भी काट लें। एक पैन में
घी गरम करें और प्याज तथा बैंगन को भूनें। इसमें नमक और काली मिर्च डालें और चलाते रहें। एक
पैन में तिल, कद्दूकस किया नारियल, चना दाल, उड़द की दाल, कद्दूकस किया हुआ अदरक, नींबू
या इमली का रस डालकर भून लें और इसे बैंगन में घी के साथ मिला दें। कुछ देर पकाएं। पके हुए
बैंगन को सूखी हल्दी के पत्तों में पैक करें ताकि इसे परोसने का समय होने तक गर्म रखा जा सके।
भरवा बैंगन - बैंगन को भून कर बीच से काटें। फिर इसे बीच से खाली करके उसमें नमक, काली
मिर्च, प्याज, तिल, सूखे कद्दू के टुकड़े और घी में पका हुआ पनीर डालें। इन्हें बंद करके घी में फ्राई
करें। दो टुकड़ों में काट लें और फिर इसमें प्याज और चीनी डालें और बंद करके घी में फिर से भूनें।
लौकी और कद्दू की रेसिपी
छाछ में लाल कद्दू - लाल कद्दू का छिलका उतारकर मोटे बड़े टुकड़ों में काट लें। एक बर्तन में
खट्टी छाछ लें और उसमें पिसी हुई काली मिर्च, हल्दी और करी पत्ता डालकर अच्छी तरह उबाल लें।
इस तरल में कद्दू के टुकड़े डालें और कुछ और समय तक कद्दू के टुकड़े पकने तक पकाएं। सरसों
के दानों को घी में भूने।
कटहल की रेसिपी
दूध और कटहल कीकरी - एक ताजे मुलायम कटहल को छोटे - छोटे टुकड़ों में काट लें। और अच्छी
तरह से नरम होने तक उबाल लें। पके हुए टुकड़ों को बहुत छोटे टुकड़ों में काट लें। इसके बाद इमली
के रस में नमक और हींग डाल कर कटहल को घी में फ्राई कर लें। साथ ही गाढ़े दूध (खोया) को
छोटे टुकड़ों में कर लें, नारियल को कद्दूकस कर लें। प्याज़ और अदरक को छोटे छोटे टुकड़ों में
काट लें। अब इसमें गाढ़ा दही मिलाकर उस पर काली मिर्च पाउडर छिड़कें। घी में तली हुई हींग और
हल्दी डालकर भून लीजिए।
संदर्भ:
https://bit.ly/3PAt7Xr
https://bit.ly/3PEygxF
https://bit.ly/3c8eTiZ
चित्र संदर्भ
1. राजा मंगरासा तृतीय का पाक विज्ञान पर आधारित ग्रन्थ सूपशास्त्र पुस्तक को दर्शाता एक चित्रण (amazon)
2. सुश्रुत संहिता से लिए गए पाक दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (Pinterest)
3. सूपशास्त्र के एक पृष्ठ को दर्शाता एक चित्रण (amazon)
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