एक तिहाई भूभाग को नियंत्रित करते ब्रिटिश साम्राज्य के प्रारंभिक उपनिवेश व भारत सहित उनकी स्वतंत्रता

मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक
15-08-2022 02:50 AM
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एक तिहाई भूभाग को नियंत्रित करते ब्रिटिश साम्राज्य के प्रारंभिक उपनिवेश व भारत सहित उनकी स्वतंत्रता

आज हमारा देश 76वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, लेकिन एक समय ऐसा था जब भारत ब्रिटिश साम्राज्य का उपनिवेश था। केवल भारत ही नहीं बल्कि ऐसे अनेकों देश हैं, जो लगभगतीन शताब्दियों तक ब्रिटिश साम्राज्य के उपनिवेश रहे। ब्रिटिश उपनिवेशवाद की शुरूआत इंग्लैंड (England), स्कॉटलैंड (Scotland) और 1707 के बाद, ग्रेट ब्रिटेन (Great Britain) द्वारा अमेरिका (Americas) के महाद्वीपों के नियंत्रण, निपटान और उपनिवेश की स्थापना से हुई। इंग्लैंड द्वारा उत्तर में स्थायी उपनिवेश स्थापित करने के असफल प्रयासों के साथ 17वीं सदी में उपनिवेशीकरण की शुरूआत के प्रयास हुए।पहला स्थायी अंग्रेजी उपनिवेश 1607 में वर्जीनिया (Virginia) के जेम्सटाउन (Jamestown) में स्थापित किया गया था। ब्रिटिश साम्राज्य की नींव तब रखी गई थी जब इंग्लैंड और स्कॉटलैंड अलग-अलग राज्य थे। 1496 में, इंग्लैंड के राजा हेनरी सप्तम (Henry VII) ने, विदेशी अन्वेषण में स्पेन (Spain) और पुर्तगाल (Portugal) की सफलताओं के बाद, जॉन कैबोट (John Cabot) को उत्तरी अटलांटिक (Atlantic) से होते हुए एशिया (Asia) हेतु एक उत्तर-पश्चिमी मार्ग की खोज के लिए एक अभियान का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया। 1497 में कैबोट अपनी इस यात्रा के लिए रवाना हुए, और न्यूफ़ाउंडलैंड (Newfoundland) के तट पर उतरे।उनका मानना था कि वह एशिया पहुंच गए हैं, और उनके द्वारा एक उपनिवेश खोजने का कोई प्रयास नहीं किया गया। कैबोट ने अगले वर्ष अमेरिका के लिए एक और यात्रा की शुरूआत की लेकिन वे कभी इस यात्रा से वापस नहीं आए।16वीं शताब्दी के अंतिम दशकों के दौरान, महारानी एलिजाबेथ प्रथम (Elizabeth I) के शासनकाल तक, अमेरिका में अंग्रेजी उपनिवेश स्थापित करने का कोई और प्रयास नहीं किया गया था।
इस बीच, हेनरी अष्टम (Henry VIII) के कलीसियाई अपील अधिनियम (Ecclesiastical Appeals Act) 1532 की घोषणा हुई, जिससे प्रोटेस्टेंट (Protestant) सुधारों के परिणामस्वरूप इंग्लैंड और कैथोलिक स्पेन अटूट शत्रु बन गए। अटलांटिक दास व्यापार स्थापित करने के उद्देश्य से 1562 में, एलिजाबेथ प्रथम ने जॉन हॉकिन्स (John Hawkins) और फ्रांसिस ड्रेक (Francis Drake) को पश्चिम अफ्रीका (Africa) के तट पर स्पेनिश और पुर्तगाली जहाजों के खिलाफ दास-छापे (Slave raiding) हमलों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। इस प्रयास को रोक दिया गया और बाद में, जैसे ही एंग्लो-स्पैनिश (Anglo-Spanish) युद्ध तेज हुए, एलिजाबेथ I ने अमेरिका में स्पेनिश बंदरगाहों के खिलाफ और अधिक निजी छापे मारने का आदेश दिया। उसी समय, रिचर्ड हक्लुयट (Richard Hakluyt) और जॉन डी (John Dee) जो "ब्रिटिश साम्राज्य" शब्द का इस्तेमाल करने वाले पहले व्यक्ति थे, जैसे प्रभावशाली लेखक इंग्लैंड के अपने साम्राज्य की स्थापना के लिए दबाव बनाने लगे। इस समय तक, स्पेन, अमेरिका में प्रमुख शक्ति बन गया था और प्रशांत महासागर की खोज कर रहा था, पुर्तगाल ने अफ्रीका के तटों से लेकर ब्राजील (Brazil) और चीन तक व्यापारिक स्थितियों और किलों की स्थापना की, और फ्रांस (France) ने सेंट लॉरेंस (Saint Lawrence) नदी क्षेत्र को बसाना शुरू कर दिया था, जो बाद में न्यू फ्रांस बना। हालाँकि इंग्लैंड द्वारा विदेशी उपनिवेशों की स्थापना की शुरूआत पुर्तगाल, स्पेन और फ्रांस के बाद की गई, लेकिन इसने 16 वीं शताब्दी के आयरलैंड (Ireland) में अल्स्टर (Ulster) में अंग्रेजी प्रोटेस्टेंट को बसाया तथा अपना पहला आधुनिक उपनिवेशीकरण किया, जिसे अल्स्टर प्लांटेशन (Ulster Plantation) के रूप में जाना जाता है।1169 में आयरलैंड के नॉर्मन (Norman) आक्रमण के बाद इंग्लैंड ने पहले ही देश के एक हिस्से को उपनिवेश बना लिया था।अल्स्टर प्लांटेशन स्थापित करने में मदद करने वाले कई लोगों ने बाद में उत्तरी अमेरिका के शुरुआती उपनिवेशीकरण में एक भूमिका निभाई, विशेष रूप से एक समूह ने जिसे वेस्ट कंट्री मेन (West Country Men) के नाम से जाना जाता है। ब्रिटिश शासन के अधीन क्षेत्रों को मुख्य रूप से मेंडेट्स (mandates), प्रोटेक्टोरेट्स (Protectorates),डोमिनियन (Dominions) और कालोनियों (Colonies) में वर्गीकृत किया गया: मेंडेट्स मूल रूप से ऐसे क्षेत्र थे जो तुर्क शासन से मुक्त हो गए थे, लेकिन उन्हें खुद को नियंत्रित करने या खुद की रक्षा करने में असमर्थ माना जाता था, इसलिए मित्र देशों की शक्तियों को संरक्षक के रूप में बुलाया गया था।संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों का वर्णन करने के लिए 'मैंडेट' शब्द आज भी प्रयोग में है,हालांकि प्रथम विश्वयुद्ध से पहले इसका मतलब स्पष्ट रूप से कुछ और था।
प्रोटेक्टोरेट्स, भी मेंडेट्स के समान ही थे। इसका तात्पर्य स्पष्ट रूप से ऐसे कमजोर या कम उन्नत राष्ट्रों से है,जिन्हें आर्थिक, या सैन्य उद्देश्यों के लिए एक महान शक्ति की सहायता की आवश्यकता थी। इनके पास कुछ हद तक स्थानीय स्वायत्तता होती थी लेकिन उनके विदेशी मामलों को रक्षा शक्ति द्वारा नियंत्रित किया जाता था।
डोमिनियन शब्द का इस्तेमाल ब्रिटिशों के पूर्व उपनिवेशों का उल्लेख करने के लिए किया जाता है, ये ऐसे राष्ट्र थे जिन्होंने स्वतंत्रता तो प्राप्त की थी, लेकिन फिर भी ब्रिटिश वर्चस्व को स्वीकार किया था। दूसरे विश्व युद्ध में ये राष्ट्र कनाडा (Canada), ऑस्ट्रेलिया (Australia), न्यूजीलैंड (New Zealand) और दक्षिण अफ्रीका थे, हालांकि आयरलैंड, न्यूफ़ाउंडलैंड और कभी-कभी भारत की तत्कालीन ब्रिटिश सरकार को भी डोमिनियन के रूप में चित्रित किया गया है।
कॉलोनी शब्द का इस्तेमाल ऐसे गैर-यूरोपीय क्षेत्र के लिए किया गया था,जो एक शाही शक्ति के पास था। ब्रिटिश डोमिनियन को 'कॉलोनी' माना जा सकता है।इस शब्द का मतलब यह नहीं है कि मातृभूमि से कॉलोनी में बड़ी मात्रा में प्रवासन हुआ, हालांकि निश्चित रूप से एक छोटी आबादी का प्रवासन हुआ था। वर्तमान समय में कुल 65 देश ऐसे हैं, जो ब्रिटिश साम्राज्य से अपनी स्वतंत्रता का दावा करते हैं। इन देशों में अफगानिस्तान (Afghanistan-1919), मिस्र (Egypt - 1922), इराक (Iraq-1932), जॉर्डन (Jordan-1946), भारत (India-1947),पाकिस्तान (Pakistan-1947), इज़राइल (Israel-1948), म्यांमार (Myanmar-1948), लीबिया (Libya-1951), घाना (Ghana-1957), मलेशिया (Malaysia-1957), साइप्रस (Cyprus-1960), नाइजीरिया (Nigeria-1960), कुवैत (Kuwait-1961), जमैका (Jamaica-1962), केन्या (Kenya-1963), मलावी (Malawi-1964), माल्टा(Malta- 1964), गाम्बिया (The Gambia-1965), मालदीव (Maldives-1965), बारबाडोस (Barbados-1966), बोत्सवाना (Botswana-1966), गुयाना (Guyana-1966), लेसोथो (Lesotho-1966), इस्वातिनी (Eswatini-1968), मॉरीशस (Mauritius-1968), नाउरू (Nauru-1968), फिजी (Fiji-1970), बाहरेन (Bahrain-1971), बहामास (The Bahamas-1973), ग्रेनेडा (Grenada-1974), डोमिनिका (Dominica-1978), किरिबाती (Kiribati-1979), एंटीगुआ और बारबुडा (Antigua and Barbuda-1981), बेलीज (Belize-1981), ब्रुनेई (Brunei-1984) आदि शामिल हैं।
भले ही कई देश ब्रिटिश शासन से मुक्त हो चुके हैं, लेकिन वे आज भी कॉमनवेल्थ ऑफ नेशन (Commonwealth of nations) के जरिए एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।कॉमनवेल्थ ऑफ नेशंस (जो पहले (1931-49) ब्रिटिश कॉमनवेल्थ ऑफ नेशंस) हुआ करता था, संप्रभु राज्यों का एक स्वतंत्र संघ है, जिन पर कभी ब्रिटिश प्रभाव या शासन था। इन देशों ने मित्रता और व्यावहारिक सहयोग के संबंधों को बनाए रखने का विकल्प चुना है तथा ये देश यह स्वीकार करते हैं कि ब्रिटिश शाही उनके संघ का प्रतीकात्मक प्रमुख है।
कॉमनवेल्थ के सदस्यों के अब यूरोपीय संघ के साथ व्यापारिक समझौते हैं। कॉमनवेल्थ देशों के कई निर्यात अन्य सदस्य देशों में जाते हैं। 1996 में अफ्रीका में निवेश बढ़ाने के लिए कॉमनवेल्थ अफ्रीका निवेश कोष की स्थापना की गई थी। सदस्यों के बीच महत्वपूर्ण शैक्षिक संबंध भी हैं, क्योंकि कई ब्रिटिश शिक्षक विदेश यात्रा करते हैं और कॉमनवेल्थ सदस्यों के कई छात्र ब्रिटेन में अध्ययन करते हैं। अन्य सांस्कृतिक संबंधों में कॉमनवेल्थ खेल शामिल हैं, जो हर चार साल में आयोजित एक खेल प्रतियोगिता है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3AfP1uE
https://bit.ly/3JS2Kv6
https://bit.ly/2OfzAaB
https://bit.ly/3AfiJjl

चित्र संदर्भ
1. इंपीरियल फेडरेशन, 1886 में ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार को दर्शाने वाले दुनिया के नक़्शे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. ब्रिटिश उपनिवेशों के ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, भारत, फिजी, आदि शिखरों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. पूर्व में ब्रिटिश साम्राज्य को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. 914 साम्राज्यों कालोनियों के क्षेत्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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