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आधुनिक दुनिया में "समय" इंसानों की सबसे बड़ी पूंजी बन गया है। हर कोई यथासंभव अपना
समय बचाना चाहता है। सरकार भी आम जनता की इस मांग को बखूबी समझती है, और इसी मांग
के अनुरूप हमारे मेरठ सहित देशभर के विभिन्न क्षेत्रों में रैपिड रेल या मेट्रो सुविधा राज्य और केंद्र
सरकारों द्वारा मोहय्या कराई जा रही है। यह सुविधा न केवल देशवासियों का समय बचा रही है,
बल्कि इसके कई अन्य फायदे भी हैं।
2015 को भारत में मेट्रो रेल का वर्ष कहा जाता है। 1984 में कोलकाता, मेट्रो रेल के लिए नियुक्तहोने वाला पहला शहर था, उसके बाद 1995 में दिल्ली में पहली बार मेट्रो ने दस्तक दी। दोनों की
सफलता ने अन्य शहरों, बैंगलोर (2011), गुड़गांव (2013), मुंबई (2014) और जयपुर (2015) में
मेट्रो रेल का मार्ग प्रशस्त किया है।
इस तरह से मेट्रो का विस्तार रियल एस्टेट (real estate) क्षेत्र और स्थानीय आबादी के लिए शुभ
संकेत हो सकता है। बड़े और तात्कालिक संदर्भ में, मेट्रो आगमन शहरी आबादी के एक बड़े हिस्से के
जीवन स्तर में सुधार करता है, साथ ही बड़े शहरी क्षेत्रों में सतत विकास के लिए उत्प्रेरक के रूप में
कार्य करता है।
मेट्रो रेल की अन्य खूबियां:
1. यात्रा के समय की बचत करता है।
2. उच्च सेवा उपलब्धता, विश्वसनीयता और गुणवत्ता।
3. पूरे सिस्टम में उच्च उत्पादकता और बचत।
उदाहरण के लिए, भारत की राजधानी में मेट्रो रेल प्रणाली ने पिछले कुछ वर्षों में शहर को कल्पना
से परे बदल दिया है। दिल्ली में, स्थलों और महत्वपूर्ण इमारतों की पहचान मेट्रो पिलर नंबरों से
उनकी निकटता से की जाने लगी है। जहाँ कभी बंजर भूमि थी, अब वहां विशाल फलते-फूलते
बाज़ारों की रौनक छाई रहती है।
मेट्रो की तैनाती भूमि मूल्य में वृद्धि, भूमि उपयोग परिवर्तन और गलियारे के साथ घनत्व के
माध्यम से अचल संपत्ति को भी सीधे प्रभावित करती है। मेट्रो और मोनोरेल (Metro and
Monorail) जैसी बड़े पैमाने पर पारगमन प्रणाली यातायात की समस्याओं को हल करने में
महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। इस तरह की परियोजनाओं के परिणामस्वरूप शहरी अचल संपत्ति
मूल्यों में वृद्धि होती है, क्योंकि उपभोक्ता सुविधा के लिए अधिक भुगतान करने को तैयार रहते
हैं।
मेट्रो रेल बेहतर पहुंच के कारण खुदरा या वाणिज्यिक क्षेत्रों को प्रभावित करती है, यह रोजगार पैदा
करता है, जिसके परिणामस्वरूप घरों की बढ़ती मांग, कम यात्रा लागत और अन्य सुविधाएं भी बढ़
जाती हैं।
मेट्रो न केवल तेज और बेहतर आर्थिक गतिशीलता प्रदान करती है, बल्कि पूरे सिस्टम में बहुत
अधिक आराम, उच्च उत्पादकता तथा बचत प्रदान करती है। व्यापक संदर्भ में इसने कई लोगों के
जीवन स्तर को प्रभावित किया है साथ ही यह सतत विकास के लिए उत्प्रेरक भी है। शहर के बाहरी
इलाकों के साथ इसकी कनेक्टिविटी का भी इन क्षेत्रों में संपत्ति और जमीन की कीमतों पर असर
पड़ा है। विशेषज्ञों का मानना है कि आमतौर पर मेट्रो स्टेशनों से दूरी के साथ-साथ जमीन की
कीमत घटती जाती है। आमतौर पर एक शहर में, स्थान, भूमि उपयोग और सूक्ष्म बाजार की समग्र
क्षमता के आधार पर, मेट्रो रेल के शुभारंभ के बाद प्रचलित मूल्यों की तुलना में संपत्तियों का बाजार
मूल्य 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ जाता है।
भारत में शहरी रेल पारगमन वाले एवं अत्यधिक आबादी वाले प्रमुख शहरों में इंटरसिटी परिवहन
(intercity transport) में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसमें रैपिड ट्रांजिट, उपनगरीय रेल,
मोनोरेल और ट्राम सिस्टम (Rapid transit, suburban rail, monorail and tram systems)
भी शामिल हैं। 2021 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के तेरह प्रमुख शहरों में मेट्रो
सिस्टम में सालाना कुल 2.63 बिलियन लोगों ने यात्रा की, जिससे यह राष्ट्रीय सवारियों के मामले
में दुनिया के सबसे व्यस्त शहरी रैपिड ट्रांजिट हब (rapid transit hub) में से एक बन गया। भारत
में 752.90 किलोमीटर (467.83 मील) मेट्रो सिस्टम की संयुक्त लंबाई इसे संचालन के साथ
दुनिया में पांचवां सबसे लंबा मार्ग बनाती है।
भारतीय शहरों में विभिन्न प्रकार की शहरी पारगमन प्रणालियाँ चालू, निर्माणाधीन और नियोजित
हैं।
1. रैपिड ट्रांजिट: रैपिड ट्रांजिट जिसे भारत में लोकप्रिय रूप से मेट्रो के रूप में जाना जाता है, एक
शहरी उच्च क्षमता वाली रेल प्रणाली है, जो आमतौर पर महानगरीय शहरों में संचालित होती है।
इन प्रणालियों को भारतीय रेलवे से अलग किया गया है।
उदाहरण: दिल्ली मेट्रो, चेन्नई MRTS
2. उपनगरीय रेलवे: उपनगरीय रेल या भारत में स्थानीय रेल प्रणाली के रूप में लोकप्रिय, यह एक
शहरी रेल पारगमन प्रणाली है जहां उपनगर शहर के केंद्र से जुड़े हुए हैं। ये सिस्टम भारतीय रेलवे से
जुड़े और संचालित होते हैं।
उदाहरण: मुंबई उपनगरीय रेलवे
3. मध्यम क्षमता वाली रेल: यह एक रैपिड ट्रांजिट (मेट्रो) प्रणाली है जिसकी क्षमता हल्की रेल से
अधिक है लेकिन मध्यम मांग को पूरा करने के लिए होती है। इसे भविष्य में मांग में वृद्धि को
देखते हुए बनाया गया है, ताकि इसे नियमित मेट्रो में बदला जा सके।
उदाहरण: रैपिड मेट्रो गुड़गांव
4. लाइट रेल: कम मांग वाले शहरों में लाइट रेल का इस्तेमाल किया जाता है। यह रैपिड ट्रांजिट
और ट्राम सिस्टम का एक संयोजन है। ट्राम सेवाओं की तुलना में इसकी क्षमता और गति उच्च
होती है और इसमें समर्पित ट्रैक होते हैं।
उदाहरण: श्रीनगर मेट्रो
5. मोनोरेल: इस प्रणाली में एक रेल/बीम पर चलने वाली ट्रेनें होती हैं। हालांकि कम दक्षता और
उच्च लागत के कारण, इसे भारत में दरकिनार कर दिया गया है।
उदाहरण: मुंबई मोनोरेल
6. क्षेत्रीय पारगमन प्रणाली: यह प्रणाली या तो दो समान आकार के शहरों के बीच संचालित होती है,
जो एक दूसरे के करीब हैं या छोटे शहरों के बीच में स्थित होती हैं।
उदाहरण: दिल्ली-मेरठ RRTS
भारत का पहला रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम के तौर पर दिल्ली के सराय काले खां से मेरठ तक की
दूरी तय करने वाली दो अलग-अलग प्रकार की स्वचालित ट्रेनों के साथ ट्रायल रन के लिए तैयार हो
गया है। रैपिड रेल 160 किमी/घंटा की रफ्तार से दौड़ेंगी तथा दिल्ली और मेरठ के बीच की दूरी
सिर्फ 55 मिनट में तय करेगी। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम द्वारा गाजियाबाद में
विकसित किया जा रहा यह देश का पहला रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम ट्रायल रन (trial run) के लिए
तैयार है। रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) के तहत दो तरह की ट्रेनें चलेंगी। पहली ट्रेन को
रैपिड रेल कहा जा रहा है और यह मोदीपुरम से बेगमपुर परतापुर होते हुए दिल्ली के सराय काले खां
तक चलेगी। दूसरे को मेरठ मेट्रो कहा जा रहा है और यह मोदीपुरम से बेगमपुर होते हुए
परतापुर तक चलेगी। रैपिड रेल ट्रेनों की संख्या हर 10 मिनट की आवृत्ति पर 30 तक होगी।
पहले चरण में दिल्ली से गाजियाबाद के दुहाई के बीच रेलवे कॉरिडोर (railway corridor) का
निर्माण तेजी से पूरा हो रहा है और अंतिम चरण में है। स्टेशनों का करीब 75 फीसदी निर्माण कार्य
पूरा हो गया है। रैपिड रेल का मुख्य ट्रायल प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की मौजूदगी में किया
जाएगा। रैपिड रेल का ट्रायल अक्तूबर 2022 में संभावित है। मेरठ में ब्रह्मपुरी स्टेशन से आगे
भूमिगत ट्रैक बनाया जाएगा जो कि गांधीबाग पर जाकर पूरा होगा। मेरठ में तीन स्टेशन मेरठ
सेंट्रल, बेगमपुल, और भैंसाली बस अड्डा भूमिगत बनाए जाएंगे। वहीं रैपिड रेल के ट्रैक पर ही
मेरठ में मेट्रो का संचालन भी किया जाएगा। साहिबाबाद से लेकर दुहाई तक पहला चरण मार्च
2023 में शुरू होने की संभावना है। तथा 2024 के अंत तक मेरठ रैपिड रेल दौड़ने लगेगी।
संदर्भ
https://bit.ly/3Qhh82b
https://bit.ly/3vRWHk7
https://bit.ly/2PE9kM4
https://bit.ly/3PbNyK3
चित्र संदर्भ
1. रैपिड ट्रांजिट ट्रेन को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. दिल्ली मेट्रो को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. सीआरआरसी ऑटोनॉमस-रेल रैपिड ट्रांजिट ट्रेन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. मुंबई उपनगरीय रेलवे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. मेट्रो को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
6. कश्मीर में ट्रैन को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
7. मुंबई मोनोरेल को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
8. दिल्ली मेरठ आरआरटीज़ ट्रेन को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
9. मेट्रो मार्ग के निर्माण को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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