आजकल के ज़माने में, कैसे बनता है एक नया देश

सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान
21-07-2022 11:59 AM
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आजकल के ज़माने में, कैसे बनता है एक नया देश

देश वह क्षेत्र है जहां पर हम पैदा होते हैं और अपने संपूर्ण जीवन यापन के लिए संसाधन को इकट्ठा करते हैं, उस क्षेत्र जिसकी अपनी सीमारेखा होती है, उसकी राष्ट्रीयता से अपनी पहचान जोड़ने वाले लोग होते हैं, जो इतिहास, संस्कृति, भाषा के ज़रिए आपस में जुड़े होते हैं, जिसकी अपनी सरकार हो जो हमें सुविधाएं प्रदान करती हो, उसे देश कहा जा सकता है। पूरी दुनिया मे देशों की कुल संख्या 195 है। जिसमे से 193 देश संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के सदस्य है एवं 2 देश (होली सी (Holy See) और फिलिस्तीन राज्य (State of Palestine)) जो गैर-सदस्य पर्यवेक्षक राज्य के रूप में मान्यता प्राप्त है। जब भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की थी, तब 1940-1949 के दशक में देशों की संख्या 106 थी, साथ ही संयुक्त राष्ट्र में देशों की संख्या, 1945 से 51 मान्यता प्राप्त देशों से बढ़कर आज 193 देशों तक पहुंच गई है। परन्तु एक नया देश कैसे बनता है? हमें बहुत कम सुनने को मिलता है कि कोई नया देश अस्तित्व में आया हो। मगर जब भी आता है, तो ज़हन में कई सवाल ज़रूर उठते हैं जैसे की एक नया देश कैसे बनता है, इसके क्या नियम और कानून है, आख़िर कैसे कोई क्षेत्र नए देश के रूप में मैप (Map) पर अपनी जगह बना लेता है।

Prarang Meerut

बता दे की एक नए देश की स्थापना एक जटिल प्रकिया है। अंतर्राष्ट्रीय कानून विशेषज्ञों के अनुसार, किसी देश को तभी मान्यता मिल सकती है, जब उसके पास एक निश्चित क्षेत्र हो, आबादी हो, सरकार हो और संप्रभुता के आधार पर दूसरे देशों के साथ संबंध बनाने की क्षमता हो। एक नए देश को बनाने के लिए पहले से मौजूद संप्रभु देश को अपना कुछ क्षेत्र खोना होता है, और यह क्षेत्रीय अखंडता के कानूनों और मानदंडों का उल्लंघन माना जाता है। ये कुछ सबसे पुराने और सबसे दृढ़ नियम हैं जो अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को रेखांकित करते हैं। अब अगर किसी भी क्षेत्र को अपने आप को नया देश घोषित करना है, तो ज़ाहिर सी बात है कि जिस देश से अलग वो होना चाहता है, उसे अपने क्षेत्र का एक हिस्सा नए देश के निर्माण के लिए देना होगा। तो उसकी स्वीकृति मिलनी ज़रूरी है। एक नए देश की मान्यता का अर्थ अनिवार्य रूप से एक देश द्वारा अपने एक क्षेत्र को संप्रभुता के हस्तांतरण को कानूनी रूप से मान्यता देना है। संयुक्त राष्ट्र सहित एक अंतरराष्ट्रीय निकाय के अनुसार मूल देश की अनुमति के बिना किसी भी क्षेत्र को एक अलग देश नहीं बनाया जा सकता है। ऐसा करना देशों की व्यवस्था के परिभाषित नियमों में से एक का उल्लंघन होगा। उदाहरण के लिए, कोसोवो (Kosovo) ने 2008 में सर्बिया (Serbia) से स्वतंत्रता की घोषणा की, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के आधे से अधिक सदस्य देशों द्वारा मान्यता देने के बावजूद, आज भी उसके पास संप्रभु राज्य का दर्जा नहीं है। क्योंकि सर्बिया अभी भी इस क्षेत्र पर संप्रभु नियंत्रण का दावा करता है। उसी तरह, कुर्दिस्तान (Kurdistan) को भी एक देश बनाने के लिए इराक (Iraq) को कुर्दिस्तान पर संप्रभु नियंत्रण छोड़ना होगा।

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नया देश घोषित करने के लिए वहां एक स्थिर और प्रभावी सरकार का होना भी ज़रूरी है, जो दुनिया के अन्य देशों की सरकार से बात करने में सक्षम हो। साथ ही, उसका ‘संप्रभु राज्य’ होना भी ज़रूरी है। संप्रभुता से मतलब है कि एक ऐसा राज्य जो किसी के अधीन नहीं है और अपने अंदरूनी और बाहरी निर्णयों के लिए दूसरे देशों या सत्ता पर निर्भर नहीं है। बस इतना ही नहीं, उसे साथ में दुनिया के दूसरे देशों और संयुक्त राष्ट्र से भी मान्यता लेनी पड़ती है। यानि किसी देश की मान्यता दूसरे देशों पर निर्भर करती है। एक क्षेत्र अनिवार्य रूप से एक संप्रभु राज्य बन जाता है जब इसकी स्वतंत्रता को संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता दी जाती है। यूएन (UN) से मान्यता मिलने से उसे काफी हद तक अलग देश मान लिया जाता है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त संप्रभु देश बनना कोई स्पष्ट या सीधी प्रक्रिया नहीं है।

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संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनने के लिए राज्य महासचिव को एक आवेदन और औपचारिक रूप से एक पत्र प्रस्तुत करता है जिसमें कहा गया है कि वह चार्टर (Charter) के तहत दायित्वों को स्वीकार करता है। सुरक्षा परिषद आवेदन पर विचार करती है। प्रवेश के लिए परिषद के 15 सदस्यों में से 9 के सकारात्मक वोट प्राप्त होने चाहिए, बशर्ते यूएन परिषद में पांच स्थायी सदस्यों में किसी ने भी आवेदन के खिलाफ मतदान न किया हो। गौरतलब है कि यूएन परिषद में पांच स्थायी सदस्य हैं, जिन्हें P5 कहा जाता है। इसमें चीन (China), फ्रांस (France), रूस (Russia), ब्रिटेन (Britain), और यूएस (US) शामिल हैं। इन पांचों देशों में से अगर कोई एक भी उस नए देश के खिलाफ वोट करता है तो उसे ‘देश’ घोषित नहीं किया जायेगा। किसी भी नए देश को बनने के लिए इन सभी पांचों देशों के स्वीकृति की जरूरत पड़ती है। स्वीकृत होने के बाद इसे जनरल असेंबली में 192 यूएन सदस्य देशों के सामने पेश किया जाता है। नए देश की सदस्यता के लिए विधानसभा में दो-तिहाई बहुमत आवश्यक है। यूएन वहां की जनता के अधिकारों और उनकी इच्छा, सीमा के आधार पर अलग देश का फ़ैसला लेता है। यूएन से मान्यता लेने के लिए आवेदन करना होता है, जिस पर 'संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद' (United Nations Security Council) की मीटिंग में फ़ैसला होता है। अगर ये परिषद उस नए देश को मान्यता दे देती हैं, तभी असली मायनों में उस देश की अंतराष्ट्रीय उपस्थिति दर्ज होती है।

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विश्व बैंक वैश्विक स्तर पर समस्त देशों को चार आय समूहों में वर्गीकृत करता है: निम्न, निम्न-मध्यम, उच्च-मध्यम और उच्च-आय वाले देश। ये वर्गीकरण प्रत्येक वर्ष 1 जुलाई को अपडेट किए जाते हैं। नए वर्गीकरण के मुताबिक पहली श्रेणी में उन देशों को शामिल किया गया है, जिनकी प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय 1,045 डॉलर से कम है, उन्हें निम्न आय देश या अर्थव्यवस्था कहा जाएगा। जिन देशों की यही आय 1,046 डॉलर से लेकर 4,095 डॉलर के बीच है उन्हें निम्न मध्यम आय देश कहा जाएगा, ये दूसरे प्रकार की श्रेणी है। जिन देशों की प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय 4,096 डॉलर से लेकर 12,695 डॉलर के बीच है वे देश उच्च मध्यम आय वाली श्रेणी में शामिल होंगे। चौथी और अंतिम श्रेणी में विश्व की उन अर्थव्यवस्थाओं को शामिल किया गया है, जिन्हें उच्च आय अर्थव्यवस्था कहा गया है और जिनकी प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय 12,695 डॉलर से ऊपर है। इस अवधारणा के अनुसार उच्च आय वाले देश ही विकसित देशों में शामिल माने गए शेष समस्त आय वाले देशों को विकासशील देश स्वीकारा जाता रहा है। अर्थात विकासशील देश वे देश होते हैं जिन्होंने अपनी जनसंख्या के सापेक्ष औद्योगीकरण के स्तर को प्राप्त नही किया होता है और जिनमें, अधिकतर, जीवन स्तर निम्न से मध्यम वर्गीय होता है। विश्व बैंक आज से नहीं वरन विगत कई दशकों से विश्व के समस्त देशो की रैंकिंग करता आ रहा है। इसके लिए वह किसी देश के आर्थिक आधार, वहाँ के नागरिकों का रहन सहन, उनकी आर्थिक स्थिति, जीडीपी (GDP), प्रति व्यक्ति आय, सकल घरेलू आय आदि मानकों के आधार पर निर्धारित करता है कि कौन सा देश किस आय वर्ग में शामिल माना जाये। प्रत्येक देश में, आर्थिक विकास, मुद्रास्फीति, विनिमय दर और जनसंख्या वृद्धि जैसे कारक प्रति व्यक्ति जीएनआई (Gross National Income - GNI) को प्रभावित करते हैं, इसलिए हर साल ये आंकड़े बदलते रहते हैं, जिससे किसी देश की प्रगति का पता चलता है। विश्व बैंक के इस श्रेणीकरण से देश की विकासपरक स्थिति स्पष्ट होती दिखती है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3uMjHRb
https://bit.ly/2DaSmxn
https://bit.ly/3Rw2JAj
https://bit.ly/3RxjSJO

चित्र संदर्भ
1. एक झंडे के साथ भारतीय व्यक्ति, को दर्शाता एक चित्रण (pixahive)
2. यूनाइटेड किंगडम से स्वतंत्रता प्राप्त करने वाले देशों का विश्व मानचित्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. यूनाइटेड नेशन की मीटिंग को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. काले झंडे के साथ आदमी, को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. विश्व मानचित्र, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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