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कल्पना कीजिए कि आप एक किसान हैं, और आपने अपने खेत में दुनियां के सबसे महंगे आमों में
से एक आम (उदाहरण के लिए मियाजाकी) का बीज रोपित किया! लेकिन बीज लगाने के बाद आप
पूरी तरह से निश्चिंत हो गए, और आपने उसकी पानी की जरूरतों और बेहतर पोषण का ध्यान ही
नहीं रखा! ऐसे में आप यह उम्मीद कैसे कर सकते हैं की, आनेवाले 10 वर्षों में वह आम का पेड़
आपको स्वादिष्ट और महंगे फल उगाकर देगा! देश के अधिकांश युवा वर्ग के साथ भी ठीक ऐसा ही
कुछ हो रहा है!
माता-पिता अपने बच्चों को महंगे और नामी स्कूलों में भर्ती कराने के बाद निश्चिंत
हो जाते हैं, जबकि आज के समाज में बच्चों को पारंपरिक शिक्षा के साथ ही उनके पसंदीदा क्षेत्र में
कुशलता प्रदान करने की भी सख्त जरूरत होती है, ताकि वह भविष्य में बेहतर उद्यमी या
कर्मचारी बन सकें! लेकिन बेहतर मार्गदर्शन के अभाव में, आज देश में पढ़े-लिखे बेरोजगारों की
संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है!
एडटेक और स्किल डेवलपमेंट कंपनी इमेजिनिक्सपी (Edtech and skill development
company ImaginixP) के एक अध्ययन में पाया गया है कि, भारत में 33% शिक्षित युवा डिग्री
प्राप्त करने के बावजूद भविष्य की नौकरियों हेतु आवश्यक कौशल की कमी के कारण बेरोजगार हैं।रिपोर्ट के लिए 141 कॉरपोरेट्स सहित 1100 से अधिक उत्तरदाताओं के साथ बातचीत के माध्यम
से सर्वेक्षण आयोजित किया गया। यह सर्वेक्षण भारत के कौशल अंतर और कामकाजी पेशेवरों के
लिए चुनौतियों में एक गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। सर्वेक्षण के उत्तरदाताओं में से 31% ने
बताया की कि उनकी मौजूदा डिग्री उन्हें भविष्य में काम आने वाले कौशल प्रदान करने में विफल
रही! 53% से अधिक उत्तरदाताओं ने यह भी स्वीकार किया कि वे अपनी पसंद की नौकरी खोजने में
असमर्थ थे!, 60% ने स्वीकार किया कि वे अपनी डिग्री पूरी करने के बाद भी आदर्श वेतन नहीं कमा
रहे हैं! इन सभी उत्तरदाताओं में से लगभग 75% ने कहा कि भविष्य के कौशल (future skills) में
प्रशिक्षण से उन्हें अपने पेशेवर करियर को मजबूत करने में मदद मिल सकती है।
भारत को 2023 तक 2.7 मिलियन कुशल पेशेवरों की आवश्यकता है। आज भारत में जीईआर
(GER) 26.6% है, जिसका अर्थ है कि 18-23 आयु वर्ग (उच्च शिक्षा आवेदकों के लिए आदर्श आयु)
के भीतर 74% आबादी ,वर्तमान में पहुंच या सामर्थ्य की कमी के कारण, उच्च शिक्षा प्रणाली से
वंचित है।
इसके अलावा, भारत को 2023 तक 2.7 मिलियन डिजिटल रूप से कुशल पेशेवरों की आवश्यकता
होगी। इन सर्वेक्षणों के आधार पर यह कहा जा सकता है की, भारत में युवाओं की एक बड़ी संख्या में
रोजगार योग्य होने के लिए आवश्यक प्रमुख कौशल की कमी है। हालांकि कार्यबल को उचित
कौशल प्रदान करने से भारत की अर्थव्यवस्था को सैकड़ों अरबों डॉलर तक बढाया जा सकता है।
दुनिया के सबसे बड़े कार्यबल में से एक भारत में है! लगभग 500 मिलियन कामकाजी उम्र के
लोगों के साथ, घरेलू श्रम बाजार चीन के बाद दूसरे स्थान पर है! लेकिन युवाओं को रोजगार के
योग्य बनाने के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करने के मामले में दक्षिण एशियाई राष्ट्र भारत अपने
कई साथियों से बहुत पीछे है।
फरवरी में जारी एक अध्ययन के अनुसार, भारत के आधे से भी कम स्नातक युवा रोजगार के योग्य
थे। इंडिया स्किल्स रिपोर्ट (India Skills Report 2021) में पाया गया कि लगभग 45.9% युवाओं
को रोजगार योग्य माना जाएगा। 2020 में यह संख्या लगभग 46.2% और 2019 में 47.4% थी।
भारत की बेरोजगारी दर 2020 में अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। इसके लिए कई
कारक जिम्मेदार थे, जिनमें कोरोनावायरस महामारी से प्रेरित लॉकडाउन (lockdown) भी
शामिल है।
अर्थशास्त्रियों के अनुसार भारतीय स्नातकों के बीच कौशल की इस कमी के कई कारण हैं। जैसे
"महत्वपूर्ण समस्याओं में से एक यह है कि हमारे सर्वोत्तम प्रशिक्षित दिमाग, हमारे देश में ही नहीं
रहते हैं, अर्थात शिक्षित होने के लिए या होने के बाद, वे विदेश चले जाते हैं।
तकनीकी क्षेत्र में समस्या और भी विकट है। उदाहरण के लिए, 2019 की नेशनल एम्प्लॉयबिलिटी
रिपोर्ट फॉर इंजीनियर्स (National Employability Report for Engineers) ने पाया कि
लगभग 80% भारतीय इंजीनियरों के पास अपने नियोक्ताओं की मांगों को पूरा करने के लिए
आवश्यक कौशल नहीं था।
विशेषज्ञों के अनुसार, "हमारे पास बहुत बड़ी संख्या में ऐसे निजी इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, जो कुछ
भी नया नहीं पढ़ाते हैं, और मुख्य रूप से राजनेताओं द्वारा चलाए जाते हैं।" एक या दो को छोड़कर
अधिकांश निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों की स्थिति काफी दयनीय हैं।
2015 में, भारतीय सरकार ने स्किल इंडिया (Skill India) कार्यक्रम लॉन्च किया। यह एक सरकारी
कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य 2022 तक 400 मिलियन से अधिक लोगों को प्रशिक्षित करना था।
हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में कार्यक्रम की प्रभावकारिता पर भी विशेषज्ञों द्वारा सवाल उठाया गया
है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (world economic forum) की एक रिपोर्ट से पता चला है कि,
अपस्किलिंग में निवेश संभावित रूप से 2030 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था को 6.5 ट्रिलियन डॉलर
(€ 5.45 ट्रिलियन) और भारत की अर्थव्यवस्था को 570 बिलियन डॉलर तक बढ़ा सकता है। रिपोर्ट
के अनुसार, भारत में अपस्किलिंग के माध्यम से दूसरी सबसे बड़ी अतिरिक्त रोजगार क्षमता थी।
यह 2030 तक 2.3 मिलियन नौकरियों को जोड़ सकता है, जो अमेरिका की 2.7 मिलियन नौकरियों
के बाद दूसरे स्थान पर है।
"कौशल की कमी की चुनौतियों से निपटने के लिए, भारत को अपने कार्यबल के लिए आजीवन
सीखने वाले पारिस्थितिकी तंत्र पर विचार करना चाहिए।" इस संबंध में नेशनल काउंसिल ऑफ
एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (National Council of Applied Economic Research) की 2018
की रिपोर्ट बताती है कि कौशल तीन प्रकार के होते हैं।
सबसे पहले, संज्ञानात्मक कौशल, जो साक्षरता और संख्यात्मकता के बुनियादी कौशल हैं, जिसमें
व्यावहारिक ज्ञान और समस्या-समाधान की योग्यता और उच्च संज्ञानात्मक कौशल जैसे प्रयोग,
तर्क और रचनात्मकता शामिल है। फिर तकनीकी और व्यावसायिक कौशल हैं, जो किसी भी
व्यवसाय में उपकरणों और विधियों का उपयोग करके विशिष्ट कार्यों को करने की शारीरिक और
मानसिक क्षमता को संदर्भित करते हैं। अंत में, सामाजिक और व्यवहारिक कौशल हैं, जिनमें काम
करना, संवाद करना और दूसरों को सुनना शामिल होता है।
इन तीन प्रकार के कौशल के विभिन्न स्तरों को आपस में जोड़ा जा सकता है ताकि कौशल को
आधारभूत, रोजगार और उद्यमशीलता कौशल में वर्गीकृत किया जा सके!
NCAER की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के कार्यबल में लगभग 468 मिलियन लोग थे।
उनमें से लगभग 92% अनौपचारिक क्षेत्र में थे। लगभग 31% निरक्षर थे, केवल 13% ने प्राथमिक
शिक्षा प्राप्त की थी, और केवल 6% कॉलेज के स्नातक थे। इसके अलावा, केवल 2% कार्यबल के
पास औपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण था, और केवल 9% के पास गैर-औपचारिक, व्यावसायिक
प्रशिक्षण था। युवाओं को रोजगार, अच्छे काम और उद्यमिता के लिए कौशल से लैस करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2014 में, 15 जुलाई को विश्व युवा कौशल दिवस के रूप में घोषित किया। तब से, विश्व युवा कौशल दिवस ने युवा लोगों, तकनीकी, व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण (टीवीईटी) संस्थानों, फर्मों, नियोक्ताओं और श्रमिक संगठनों, नीति-निर्माताओं और विकास भागीदारों के बीच संवाद का एक अनूठा अवसर प्रदान किया है।
उस रिपोर्ट में, लगभग 1.25 मिलियन नए श्रमिकों (15-29 आयु वर्ग के) को 2022 तक "हर महीने"
भारत के कार्यबल में शामिल होने का अनुमान लगाया गया था।
उस रिपोर्ट में एक और उल्लेखनीय अवलोकन यह भी था कि, इसमें 18-29 आयु वर्ग के 5 लाख से
अधिक स्नातक छात्रों का सर्वेक्षण किया गया था, जिनमें से लगभग 54% "बेरोजगार" पाए गए
थे। यदि अधिक संख्या में श्रमिकों को उत्पादक रूप से नियोजित किया जाता है, तो भारत के लिए
अपने सामाजिक और आर्थिक दोनों परिणामों में सुधार करने का बहुत अच्छा अवसर है। "सीधे
शब्दों में कहें तो, अपने सही स्थान को प्राप्त करने और अपनी आकांक्षाओं को साकार करने के
लिए, भारत को बूढ़ा होने से पहले ही अमीर बनना होगा।"
संदर्भ
https://bit.ly/3RuOCLq
https://bit.ly/3nWxvET
https://bit.ly/3RqeDLX
चित्र संदर्भ
1. रोजगार मेले में आए युवाओं को दर्शाता एक चित्रण (ABP LIVE)
2. फैक्ट्री वर्कर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. विश्व में बेरोज़गारी दर को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
4. विचाराधीन भारतीय युवा को दर्शाता एक चित्रण (PixaHive)
5. भारत के प्रमुख राज्यों में बेरोज़गारी दर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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