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गीर केसर (Gir Kesar) आम को सामान्यतः केसर (Kesar) आम के रूप में भी जाना जाता है।
आम की यह प्रजाति पश्चिमी भारत के गुजरात में गीरनार (Girnar) की तलहटी में उगाई जाती है।
केसर आम अपने चमकीले नारंगी रंग के गूदे के लिए मशहूर माना जाता है और इसे 2011 में
भौगोलिक संकेत (Geographical Indication, GI) का दर्जा दिया गया था। गीर केसर का सबसे
बड़ा बाजार गीर राष्ट्रीय उद्यान (Gir National Park) से 45 कि.मी. दूर तलाला गीर (Talala
Gir), बोरवाव, गुजरात में लगता है, जिसे मैंगो मार्केट यार्ड (Mango Market Yard) के रूप में
जाना जाता है।
केसर आम भारत से सबसे अधिक निर्यात की जाने वाली आम की किस्म है। यह अपने अद्वितीयस्वाद और अत्यधिक मिठास के लिए संपूर्ण विश्व भर में पसंद किया जाता है। ये रसीले गूदे वाले
फल आकार में मध्यम से छोटे होते हैं, सिरे पर स्पष्ट रूप से घुमावदार होते हैं। इनकी त्वचा थोड़ी
सुस्त, थोड़े धब्बेदार पीले रंग की होती है और हर तरफ से इनकी त्वचा का रंग हरा होता है।
आम में 20 से अधिक विभिन्न विटामिन, खनिज और अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं, इसीलिए इसे
सही मायने में सुपर फ्रूट (Super Fruit) कहा जाता है। लगभग 3/4 कप आम का जूस आपको
अपने दैनिक जीवन में प्रतिदिन के विटामिन सी का 50%, दैनिक विटामिन ए का 8% और दैनिक
विटामिन बी6 आवश्यकता का 8% प्रदान कराता है। आम में ये पोषक तत्व आपके शरीर की
प्रतिरक्षा प्रणाली की क्षमता का विकास करने में सहायक होते हैं। केसर आम में भरपूर मात्रा में
एंटीऑक्सिडेंट पाए जाते हैं, जो कुछ बीमारियों का निवारण करने में अहम भूमिका निभाते हैं। भारत
में उगाए गए आम कुछ प्रकार की कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में भी सक्षम होते हैं। अफसोस की बात
है कि उष्णकटिबंधीय फल होने के कारण भारत में आम केवल गर्मी के मौसम में पाए जाते हैं।
केसर आम को सर्वप्रथम 1931 में जूनागढ़ (Junagadh) में वज़ीर सेल भाई (Wazir Sale
Bhai) द्वारा वनथाली (Vanthali) में उगाया गया था। इसके बाद गीर नार की तलहटी में जूनागढ़
लाल डोरी फार्म में लगभग 75 कलमें और लगाई गई। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इस किस्म के
आम को 1934 से "केसर" के रूप में जाना जाता है, जब जूनागढ़ के नवाब मुहम्मद महाबत खान
(Muhammad Mahabat Khan) ने फल के नारंगी रंग के गूदे को देखते हुए कहा कि "यह केसर
है"। गुजराती भाषा में नारंगी रंग को केसरी कहा जाता है। केसर आम गुजरात के जूनागढ़ और
अमरेली जिलों में लगभग 20,000 हेक्टेयर क्षेत्र में उगाया जाता है, जिसका अनुमानित वार्षिक
उत्पादन दो लाख टन है। गीर अभयारण्य क्षेत्र के आसपास उगाए जाने वाले आम को आधिकारिक
तौर पर "गीर केसर आम" के रूप में जाना जाता है।
केसर किस्म फलों की सबसे महंगी किस्मों में से एक है। आम की इस किस्म को सामान्य तौर पर
अप्रैल-मई में बाजार में उत्पादित किया जाता है और इसे अधपकी अवस्था में काटा जाना चाहिए,
जब इसका रंग हरा होता है। इसकी खेती मानसून के मौसम के बाद अक्टूबर के महीने के आसपास
शुरू होती है।
गुजरात एग्रो इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन लिमिटेड (Gujarat Agro Industries Corporation Ltd,
GAIC) ने गीर केसर आम के भौगोलिक संकेत (GI) पंजीकरण का दाखिला किया। जूनागढ़ कृषि
विश्वविद्यालय द्वारा 2010 में आवेदन दर्ज करने के बाद, 2011 में चेन्नई में भौगोलिक संकेत
रजिस्ट्री द्वारा इस फल को जीआई (Geographical Indication, GI) टैग प्रदान किया गया,
जिससे इस क्षेत्र में उगाए जाने वाले आमों के लिए "गीर केसर" नाम मुख्य हो गया। इस प्रकार यह
जीआई (GI) टैग प्राप्त करने वाला गुजरात का पहला कृषि उत्पाद और भारत में उत्तर प्रदेश के
दशहरी आम के बाद दूसरा आम की किस्म बन गया।
गुजरात में पाए जाने वाले केसर आम संपूर्ण दुनिया में मशहूर हैं। इस फल का गर्मियों के दौरान
बहुत ज्यादा इंतजार किया जाता है। दुर्भाग्य से 2021 में चक्रवात तौके (Touktae Cyclone) से
यह आम बुरी तरह प्रभावित हुआ था ज्यादातर फसल नष्ट हो गई थी और बाकी आम फसल तलाला
मार्केट यार्ड में सिर्फ 4 रुपये प्रति किलो मिल रही थी। लेकिन यह आम की रानी के रूप में प्रसिद्ध
केसर आम की किस्म असफलता नहीं जानती। चक्रवात तौके ने आम की फसल को भले ही तबाह
कर दिया था, लेकिन इस आम की लोकप्रियता को तबाह नहीं कर पाई। शायद इसी वजह से इस
किस्म को आमों की रानी कहा जाता है।
वास्तव में केसर आमों को आमों की रानी कहा जाने का ठीक-ठीक कारण ज्ञात नहीं है। इसी तरह
गुजरात की एक और शीर्ष किस्म अल्फांसो (Alphonso) आम को आमों का राजा कहा जाता है।
यह दोनों आम किस्में समान रूप से लोकप्रिय हैं और गुजरातियों के साथ साथ संपूर्ण भारतीयों और
विदेशियों द्वारा भी पसंद की जाती हैं। इन दो सबसे पसंदीदा किस्मों के अलावा, गुजरात में दशहरी,
लंगरा, नीलम, तोतापुरी, देशी, राजापुरी और अन्य आम की अन्य किस्मों का उत्पादन भी किया
जाता है।
एक तरफ, गुजरात के संपूर्ण क्षेत्र के किसान शोक मना रहे थे क्योंकि उनकी 90 फीसदी से ज्यादा
खड़ी फसलें इस चक्रवात के कारण नष्ट हो गई थी, जिनमें प्रसिद्ध गीर केसर आम भी शामिल थे।
इसके परिणामस्वरूप, 2021 में इन आमों का बाजार मूल्य नीचे चला गया। दूसरी ओर, कच्छ के
किसानों की उम्मीदें बहुत अधिक थी क्योंकि इस बार गीर केसर के विनाश के कारण उनके कच्छ
केसर आमों की मांग अधिक हो गई थी। गीर केसर आम के बाजार बंद होने के एक महीने बाद
कच्छ के आम बाजार में आते हैं। किसानों के मुताबिक इस बार थोक व्यापारियों द्वारा उन्हें पिछले
साल की तुलना में आम की 30 फीसदी अधिक कीमत दी गई। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे इस बार
पर्याप्त गीर केसर आम नहीं बेच पा रहे थे।
संदर्भ:
https://bit.ly/3temRw7
https://bit.ly/3McVBF1
https://bit.ly/3m7iUpg
चित्र संदर्भ
1. नारंगी रंग के केसरी आम, को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)
2. गीर केसर (Gir Kesar) आम को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)
3. टेबल पर रखे केसरी आम को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. पेड़ पर लगे आमों को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)
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