भारत में हमें इलेक्ट्रिक ट्रक कब दिखाई देंगे?

य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला
27-05-2022 09:23 AM
भारत में हमें इलेक्ट्रिक ट्रक कब दिखाई देंगे?

जब भी कभी भारत के पहाड़ी क्षेत्रों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने वाले कारकों का जिक्र आता है, तो इस संदर्भ में इंसानो की शानदार खोज, अर्थात ट्रकों का बेहद ही अहम् योगदान सामने आता है, क्यों की यह न केवल उन ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचे हैं, जहां तक रेलगाड़ियां नहीं पहुंच पाई! साथ ही इन विशालकाय ट्रकों ने भारत के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों से फल-सब्जियों को भी शहरों तक पहुंचाया है, और शहरों से राशन-पानी सहित आम दैनिक उपयोगी वस्तुओ को भी विषम पहाड़ी स्थानों तक पहुंचाया है।
हलांकि इन ट्रकों की भारी वजन उठाने की क्षमता ही, इन्हे एक भारी कार्बन उत्सर्जक (heavy carbon emitter) की छवि भी देती हैं! किंतु शीघ्र ही यह समस्या भी दूर होती प्रतीत हो रही हैं, क्यों की अब भारत धीरे-धीरे ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन (zero carbon emissions) करने वाले अर्थात इलेक्ट्रॉनिक ट्रकों को अपनाने की प्रकिया में आगे बढ़ रहा है। जब आप एक इलेक्ट्रिक वाहन (electric vehicle) के बारे में सोचते हैं, तो संभावना है कि आप एक कार या स्कूटर के बारे में ही सोचेंगे। लेकिन वास्तव में इन दिनों परिवहन क्षेत्र में क्रांति चल रही है। विशेषज्ञ बता रहे हैं कि, विद्युतीकरण हमारे लगभग सभी परिवहन विकल्पों, इलेक्ट्रिक बाइक से लेकर मोटरबाइक तक बसों से लेकर मालगाड़ियों तक और यहां तक ​​​​कि ट्रैक्टर और भारी ट्रकों तक सभी के लिए अद्भुत काम कर सकता है। आने वाले समय में आंतरिक दहन इंजन (internal combustion engine) में पेट्रोल और डीजल जलाने की आवश्यकता नहीं होगी। यह मायने भी रखता है, क्योंकि जलवायु परिवर्तन को रोकने के हमारे प्रयासों में विद्युत परिवहन महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
यदि सड़क पर सभी कारें नवीकरणीय बिजली (renewable electricity) से संचालित होंगी, तो हम अपने उत्सर्जन का लगभग पांचवां हिस्सा कम कर सकते हैं। मानव इतिहास में सौर, ऊर्जा का सबसे सस्ता रूप बन गया है, और हल्की लिथियम-आयन बैटरी (lithium ion batteries) भी बहुत सस्ती हो गई हैं। इन उल्लेखनीय आविष्कारों ने इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं को प्रतिस्पर्धी बनने का अवसर दे दिया है। इलेक्ट्रिक वाहन के बहुत सरल इंजन के साथ रखरखाव की लागत भी काफी कम होती है। हम इलेक्ट्रिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट में आए प्रमुख नवाचारों को भी देख रहे हैं। पिछले दो दशकों में, ट्रेनों और ट्रामों (Tram) में स्मार्ट तकनीक, जैसे कि पुनर्योजी ब्रेकिंग और सक्रिय निलंबन (Regenerative braking and active suspension) को सक्षम करने वाले सेंसर (Censor) में भी महत्वपूर्ण प्रगति देखी गई है। इन सफलताओं को इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं द्वारा उत्साहपूर्वक लिया जा रहा है।
सभी इलेक्ट्रिक कारों में अब पुनर्योजी ब्रेकिंग होती है, जो ऊर्जा दक्षता में अत्यधिक वृद्धि करती है, साथ ही स्टीयरिंग (steering) में सुलभता के लिए स्मार्ट सेंसर, और सक्रिय निलंबन कारों को सुरक्षित और सवारी को आसान बनाती है। संक्षेप में समझें तो सौर और बैटरी प्रौद्योगिकी को केवल कारों तक ही सीमित रखने का कोई ठोस कारण नहीं है। दुनिया के सभी भूमि-आधारित आंतरिक दहन इंजन वाहनों (land-based internal combustion engine vehicles) को, आज उनके विद्युत समकक्षों द्वारा प्रतिस्थापित किया जा सकता है। आज प्रमुख शहरों में, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी (electric mobility) आ रही है, ई-स्कूटर का चलन बढ़ रहा है, जिससे लोगों को, छोटी यात्राएं जल्दी और सस्ते में करने का एक तरीका मिल गया है। कार, ​​स्कूटर, मोटरबाइक, ट्रैकलेस ट्राम, बसें, ट्रक, मालगाड़ी और कृषि वाहन, दुनिया में अब तक देखी गई सबसे सस्ती और उच्चतम गुणवत्ता वाली गतिशीलता का हिस्सा हो सकते हैं।
पिछले साल, COP26 में, भारत ने 2070 तक शुद्ध-शून्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (net-zero greenhouse gas emissions) प्राप्त करने का संकल्प लिया था। भारत के कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लगभग 14% के लिए परिवहन क्षेत्र ही जिम्मेदार है। विशेष रूप से, देश में 90% से अधिक परिवहन उत्सर्जन के लिए सड़क परिवहन जिम्मेदार है। इसलिए, शुद्ध-शून्य लक्ष्य प्राप्त करने के लिए, भारत को सड़क परिवहन को डीकार्बोनाइज (decarbonize) करना होगा। भारत के वर्तमान बिजली मिश्रण के साथ, आज भी विद्युतीकरण, डीकार्बोनाइजेशन के लिए सर्वोत्तम रणनीति है, लेकिन इसका लाभ केवल तभी मिल सकता है, जब वाहनों को बिजली देने हेतु, पर्याप्त नवीकरणीय ऊर्जा (sufficient renewable energy) उपलब्ध हो जाएगी। हमें यह भी ध्यान में रखना होगा की, केवल दो और तिपहिया वाहनों, कारों और बसों पर केंद्रित, मौजूदा विद्युतीकरण प्रयास ही पर्याप्त नहीं हैं! ऐसा इसलिए है क्योंकि उनमें ट्रक शामिल नहीं हैं। भारत में 2.8 मिलियन से अधिक ट्रक हैं, जो प्रति वर्ष 100 बिलियन किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करते हैं। ये ट्रक सड़क परिवहन का लगभग 40% उत्सर्जन और भारी ईंधन की खपत के लिए जिम्मेदार हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि, जब कुल फ्रेट ट्रकों (total freight trucks) की बात आती है तो इलेक्ट्रिक ट्रकों की हिस्सेदारी 2070 तक 79% होनी चाहिए, ताकि शुद्ध-शून्य उत्सर्जन तक पहुंचा जा सके।
सबसे जरूरी बात जो हमें समझनी है की, ट्रकों का विद्युतीकरण करना बिल्कुल संभव है। दरअसल, कुछ प्रमुख देशों ने पहले ही, आंतरिक दहन इंजन युक्त मध्यम और भारी ट्रकों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित कर लिया है। अमेरिका ने कैलिफ़ोर्निया (California, USA) को 2045 तक 100% शून्य-उत्सर्जन ट्रकों के लिए प्रतिबद्ध किया है। इसके अतिरिक्त, नॉर्वे (Norway) ने 2030 तक नए भारी-शुल्क वाले ट्रकों के लिए 50% शून्य-उत्सर्जन बिक्री लक्ष्य निर्धारित किया है। यह केवल विकसित देशों के बारे में ही नहीं है। हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान का 2030 तक 30% और 2040 तक 90% का इलेक्ट्रिक ट्रक बिक्री लक्ष्य है। यदि हम भारत की बात करें तो 2021 में, भारत में 300,000 से अधिक इलेक्ट्रिक वाहन बेचे गए, जो बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक वाहनों के फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (Faster Adoption and Manufacturing of Electric Vehicles (FAME) योजना के माध्यम से हो पाया था। योजना के दूसरे चरण, FAME-II, 2019 में 7,000 इलेक्ट्रिक बसों, 500,000 इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर्स, 55,000 इलेक्ट्रिक पैसेंजर कारों (electric passenger cars) और 1 मिलियन इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स को सपोर्ट करने के लिए 1,000 करोड़ रुपये का समर्थन दिया गया था। लेकिन इस कार्यक्रम में ट्रकों के लिए बिल्कुल भी समर्थन शामिल नहीं था।
अभी, हमारे पास बाजार में शून्य इलेक्ट्रिक ट्रक मॉडल उपलब्ध हैं, और ऐसा इसलिए है क्योंकि इन ट्रकों की मांग भी शून्य ही है। हालाँकि, यदि ट्रकों को FAME जैसी योजना में शामिल किया जाता है, तो हम कम से कम, मूल उपकरण निर्माताओं को अनुसंधान और विकास पर अधिक खर्च करते हुए और संभावित खरीदारों के लिए मॉडल लाते हुए देखेंगे।
यह अनुमान है कि भारत में कुल रसद खर्च का 80% से अधिक असंगठित क्षेत्र (unorganized sector) में जाता है। ट्रकिंग बाजार अत्यधिक असंगठित है, और बेड़े का तीन-चौथाई हिस्सा उन लोगों द्वारा संचालित किया जाता है जिनके पास पांच या उससे कम ट्रक हैं। इसके अलावा, 30% -50% ट्रक अपना माल पहुंचाने के बाद खाली लौट जाते हैं। इससे, हम उन चुनौतियों को देखना शुरू कर सकते हैं जो संसाधनों की बर्बादी, उच्च लागत, भारी मध्यवर्ती रिटर्न और क्षेत्र में अतिरेक के रूप में सामने आती हैं। स्वच्छ परिवहन अध्ययन पर अंतरराष्ट्रीय परिषद का अनुमान है कि, 2050 तक भारी-भरकम ट्रक गतिविधि चौगुनी होकर सालाना 400 बिलियन किलोमीटर से अधिक हो सकती है। स्पष्ट रूप से, शुद्ध- शून्य लक्ष्य तक पहुँचने के लिए इस क्षेत्र को डीकार्बोनाइज़ करना बेहद महत्वपूर्ण है। भारत में इलेक्ट्रिक ट्रकों के उपयोग में तेजी लाना संभव है। भले ही इसे कभी असंभव माना जाता था, लेकिन आज भारत ने स्टेज (BS) IV उत्सर्जन मानकों से BS-VI तक छलांग लगा दी और BS V को भी दरकिनार कर दिया। यह इस बात का प्रमाण है कि पर्याप्त नियामक प्रेरणा से पारिस्थितिकी तंत्र को बदला जा सकता है। इलेक्ट्रिक ट्रकों के लिए समान स्तर की महत्वाकांक्षा की आवश्यकता है। ऐसा करना प्रयास से अधिक होगा क्योंकि शून्य-उत्सर्जन ट्रक भारत के महत्वाकांक्षी जलवायु, वायु गुणवत्ता और ऊर्जा सुरक्षा लक्ष्यों के अनुरूप हैं।

संदर्भ
https://bit.ly/39NK69z
https://bit.ly/3lJAwY4

चित्र संदर्भ
1  इलेक्ट्रिक ट्रक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. प्लग-इन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन (पीएचईवी) के आरेख को दर्शाता एक चित्रण ( Max Pixel)
3. बीएमडब्ल्यू i3 के लिए लिथियम-आयन बैटरीको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. बर्लिन, जर्मनी में सौर ऊर्जा से चलने वाली मिनीबस को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. भारत में नवीकरणीय ऊर्जा शेयर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. मैन टीजीएक्स 2018 इलेक्ट्रिक ट्रक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. TATA etr io को दर्शाता एक चित्रण (youtube)

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.