समयसीमा 245
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 942
मानव व उसके आविष्कार 740
भूगोल 219
जीव - जन्तु 273
Post Viewership from Post Date to 05- Mar-2022 | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2347 | 136 | 2483 |
अंग्रेजों ने भारत में गाय के गोबर से तैयार टेनिस कोर्ट (Court) की शुरुआत की और जो कि
1996 तक भारत में सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली टेनिस सतह थी। मेरठ में अभी
भी गोबर के कुछ कोर्ट हैं। एक समय में मेरठ के सिकंदर क्लब में शहर के सबसे अच्छेगोबर कोर्ट मोजूद थे।आगे चलकर भारत में सीमेंट से बने हार्डकोर्ट(hard court) के उपयोग
को बढ़ावा दिया गया क्योंकि यह सस्ते थे। "लॉन टेनिस" (lawn tennis) कोर्ट सबसे
अच्छे होते हैं, किंतु इन्हें बनाए रखना बहुत कठिन और महंगा पड़ता है – केवल दिल्ली,
कलकत्ता में कुलीन क्लबों में अभी भी कुछ लॉनटेनिस कोर्ट बाकि हैं। यह ध्यान दिया जाना
चाहिए कि टेनिस कोचिंग के लिए "क्लेकोर्ट" (clay court), सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं, न कि
सीमेंट के हार्ड-कोर्ट। लेकिन भारत इनमें ज्यादा निवेश नहीं कर रहा है। साथ ही गोबर के
आंगन जो कि मिट्टी के समान प्रचलित थे, अब विलुप्त हो रहे हैं। इंडियन ओपन (Indian
Open) में गाय के गोबर का मैदान 1996 तक सक्रिय था। टेनिस जगत में ऐसे कई बड़े
नाम हैं, जिनके पास भारतीय मिट्टी पर खेले गए टुर्नामेंट्स की यादें हैं.
वास्तव में, गाय के गोबर के कोर्ट एक खिलाड़ी की गतिविधियों के लिए उल्लेखनीय रूप से
अच्छे थे। इसमें घुटनों और टखनों पर तनाव का स्तर कम हो गया था, हालांकि यह
स्लाइडिंग (sliding) की गति को प्रतिबंधित कर देता था। चेयर अंपायर (chair umpire)
इससे निराश थे, क्योंकि इन्हें इन "क्ले" कोर्ट में गेंद के निशान को ढूंढना मुश्किल होता
था।
गोबर के कोर्टों का निर्माण:
इन कोर्टों (courts) को भारत के घरेलू कोर्टों के रूप में जाना जाता था, इन कोर्टों को
जमीन पर एक उप-आधार बिछाकर तैयार किया जाता है, इसके ऊपर 40-60 टन पोरबंदर
पत्थर (Porbandar stone) को कुचलकर समतल किया जाता है। इसके बाद तैयार आधार
में पानी डाला जाता है और इसे सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है। इसके बाद पहली परत
के लिए गाय के गोबर के पेस्ट को बड़े ड्रम में बांस से मिलाकर तैयार किया जाता है और
फिर इसे पोछे से मैदान में फैला दिया जाता है। प्रत्येक कोर्ट को लगभग 15-20 श्रमिकों
की आवश्यकता होती है जो 200 लीटर गोबर फैलाते हैं। एक बार जब यह सूख जाता है, तो
1,50,000 रुपये के कोर्ट को पूरा करने के लिए 3-4 लेप (सप्ताह में दो बार) बिछाए जाते
हैं। इसके अलावा, प्रत्येक कार्ट के रखरखाव के लिए 20,000 रुपये की लागत आयेगी।
मानसून सीजन में यह कोर्ट फूल जाते हैं तथा अर्ध ठोस हो जाते हैं। इससे श्रमिकों को
पुरानी परत को हटाने और खोदने में आसानी होती है। बाद में इसमें 3 इंच चूना पत्थर
मिला दिया जाता है। इस परत पर गाय के गोबर की पतली परत लगाई जाती है। इसके
सूखने पर कोर्ट के निर्माण को पूरा करने के लिए एक मोटी परत डालकर इसे समतल किया
जाता है और सुखाया जाता है।
भारत के गृह कोर्टों में अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों का अनुभव:
1973 में गाय के गोबर के मैदान पर भारत के खिलाफ डेविस कप (Davis Cup) मुकाबले
में खेलने वाले जॉन न्यूकॉम्ब (John Newcombe) बताते हैं कि इस कोर्ट में तेज कठोर
क्ले-कोर्ट (clay-courts) की तरह खेला गया था। अन्य खिलाड़ियों का कहना है कि इसने
उन्हें अच्छा आधार दिया, और घुटनों के लिए यह सतह कोमल थी: ये मिट्टी की तुलना में
सख्त थे, लेकिन हार्ड-कोर्ट (hard-courts) की तुलना में नरम थे।
टिम हेनमैन (Tim Henman), पूर्व ब्रिटिश विश्व नंबर 1 (British World No.1 ) का
अधिकांश खिलाड़ियों के प्रति पूर्णत: विपरीत दृष्टिकोण है। वह अपने 1993-94 के भारत दौरे
को अपने करियर (career) का एक महत्वपूर्ण मोड़ मानते हैं। उन्होंने भारत में खेले गए
चार में से तीन टूर्नामेंट (tournaments) जीते। वह जो टूर्नामेंट हारे वह चंडीगढ़ के ग्रास
कोर्ट (grass courts) पर खेला गया था और जो जीते वे सभी गोबर के कोर्ट पर खेले गए
थे।
1970 के दशक में इंडियन ओपन (Indian Open) में कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों ने गाय
के गोबर के मैदान पर खेला। चार मौकों पर टूर्नामेंट जीतने वाले विजय अमृतराज ने कहा:
"मैंने नहीं सोचा था कि यह अत्यंत उत्साहपूर्ण होगा, लेकिन विदेशियों ने निश्चित रूप से
इसके बारे में सुना। उन्हें लगा कि नीचे गिरने पर उन्हें टेटनस शॉट की जरूरत है।"
अमेरिकी (American) टेनिस खिलाड़ी हार्डकोर्ट (hardcourt) पर खेलते हुए बड़े हुए हैं।
यूरोपीय (Europeans) लोग मिट्टी पर खेलते हुए बड़े हुए हैं। भारत के प्रसिद्ध टेनिस
खिलाड़ी लिएंडर पेस (Leander Paes) गाय के गोबर पर खेलते हुए बड़े हुए हैं।पेस ने भारत
में किशोरावस्था के बाद से एक लंबा सफर तय किया है। उन्हें खेल के इतिहास में
सर्वकालिक महान युगल खिलाड़ियों में से एक के रूप में पहचाना जाता है। उन्होंने 18 ग्रैंड
स्लैम डबल्स चैंपियनशिप (Grand Slam Doubles Championship), मिक्स्ड डबल्स
(Mixed Doubles) में 10 और पुरुष डबल्स (men's doubles) में आठ चैंपियनशिप जीती
हैं। उन्होंने सात ओलंपिक (olympics) खेलों में भी भाग लिया, 1996 में अटलांटा (atlanta)
में एकल में कांस्य पदक जीता।सानिया मिर्जा की शुरूआत भी गोबर के कोर्ट से ही हुयी.
यह देश के टेनिस सुपरस्टार्स की आखिरी पीढ़ी हो सकती है, जिन्होंने गाय के गोबर के
कोर्ट पर खेला.
गोबर कोर्टों का विलुप्तीकरण:
गाय के गोबर के कोर्ट एकदम फिट थे क्योंकि वे तीव्र मिट्टी के कोर्ट से मिलते जुलते थे।
फिर भी इन कोर्टों को निम्नलिखित कारणों से बंद कर दिया गया:
- खिलाड़ियों ने अक्सर इसका विरोध किया कि ये कोर्ट की गंध की दृष्टि से सहज नहीं हैं।
- यूएस ओपन (US Open) और ऑस्ट्रेलियन ओपन ( Australian Open ) सिंथेटिक कोर्ट
(synthetic courts ) और टीवी स्क्रीन (TV screen) पर उनकी रंगीन सतहों के आगमन
के साथ, ऐसे सिंथेटिक कोर्ट की मांग बढ़ गई।
- गोबर के संग्रह के लिए भारत का मुख्य केंद्र गिरगांव में गौशालाएं थीं। ये बाद में प्रमुख
शहरों के बाहरी इलाके में स्थानांतरित हो गयी। सीमा पार करते समय, बड़ी मात्रा में गाय के
गोबर से लदी बैलगाड़ियों को अंतर्राज्यीय सीमा अधिकारियों ने रोक दिया और आगे उनके
रास्तों पर जाने की अनुमति नहीं दी गई।
नतीजतन, भारत ने अपना "घरेलू" मैदान खो दिया और सभी भारतीय कोर्टों को स्पष्ट रूप
से सिंथेटिक कोर्ट में बदल दिया गया। बहुत बाद में, रमेश कृष्णन, 1987 के डेविस कप
फाइनलिस्ट, से उनकी विदेश यात्राओं में से एक में, में पूछा गया, कि "क्या तुम लोग
वास्तव में भारत में गाय के गोबर से बने कोर्ट पर खेलते हो?" तो उन्होंने उत्तर दिया.
"यह सब बकवास है”
संदर्भ:
https://bit.ly/3KXSVLX
https://bit.ly/3KZp4mo
https://bit.ly/3rd3z9N
https://bit.ly/3reyqCV
चित्र संदर्भ
1. गोबर इकठ्ठा करती महिला और टेनिस किट को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. टेनिस कोचिंग के लिए क्लेकोर्ट (clay court), सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं, जिनको दर्शाता एक चित्रण (Britwatch Sports)
3. गोबर लीपती महिला को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
4. 2008 फैमिली सर्कल कप के दौरान हरी मिट्टी खेलती मारिया शारापोवा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. 2006 फ्रेंच ओपन के दौरान पेरिस में स्टेड रोलैंड गैरोस में कोर्ट फिलिप चैटियर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.