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देवी महात्म्य (सात सौ छंदों की एक महान कविता जिसे दुर्गा सप्तशती या चंडी पाठ भी कहा जाता
है)में चंडी या चंडिका माता का उल्लेख एक सर्वोच्च परमात्मा के रूप में किया गया है।देवी महात्म्य में
चंडी, चंडिका, अंबिका और दुर्गा का समानार्थी रूप से प्रयोग किया गया है।देवी चंडी ब्राह्मण की शक्ति
का प्रतिनिधित्व करती हैं तथा चंडा शब्द अद्भुत विशिष्टता की ओर संकेत करता है और इस प्रकार
ब्राह्मण को संदर्भित करता है, जो समय और स्थान के संबंध में अपनी पूर्ण स्वतंत्रता के कारण
अद्भुत हैं।वहीं चंडी शब्द का तात्पर्य ब्राह्मण के क्रोध की उग्र शक्ति से भी है।चंडिका माता माँ दुर्गा
के समान महादेवी का दूसरा रूप है।देवी चंडिका महादेवी का एक शक्तिशाली रूप है जो बुराई को
नष्ट करने के लिए प्रकट हुई थीं। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल से ही चंडी देवी की पूजा
उपमहाद्वीप में की जाती थी।चंडी पूजा का आधार देवी भागवत के साथ-साथ प्रसिद्ध सप्तशती वाले
मार्कंडेय पुराण में भी मिलता है।मार्कंडेय पुराण में, चंडी माता ने मधु और कैटभ, धूमरा लोचन, चंडा
और मुंडा, रक्तबीज, शुंभ और निशुंभ और महिषासुर जैसे कई राक्षसों से युद्ध कर उनके वध की
कथा मौजूद है।इन कथाओं को तेरह अध्यायों में सात सौ छंदों के रूप में वर्णित किया गया है। इनमें
से प्रत्येक को एक स्वतंत्र मंत्र माना जाता है, जिसके जप से व्यक्ति को गहन लाभ की प्राप्ति होती
है।वहीं हमारे द्वारा बाधाओं को दूर करने के लिए चंडी देवी (विरोध का नाश करने वाली) का आह्वान
किया जाता है, ताकि हम मानव जीवन के चार लक्ष्यों पुरुषार्थ को प्राप्त कर सकें।
चंडी माता की पूजा हिंदुओं द्वारा कई नामों से की जाती है, जिनमें देवी चंदी, मबगलचंडी, जयचंडी,
ओलाईचंडी, कुलुईचंदी, चेलईचंडी शामिल हैं। वहीं चंडीमंगल, एक मध्ययुगीन बंगाली गीत, देवी के
निर्भय और पीड़ितों के प्रति दयालु रूप की प्रशंसा करता है। पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में,
देवीचंडीको महिलाओं द्वारा घरेलू सद्भाव और खुशी की देवी के रूप में पूजा जाता है। साथ ही चंडी
की पूजा करने वाली पत्नियां ज्येष्ठ मास के प्रत्येक मंगलवार को केवल फल का सेवन करती हैं और
उनकी स्तुति में श्लोक या श्लोक का पाठ करती हैं।
वहीं ऐसा माना जाता है कि देवी का जन्म पुरुष देवताओं की ऊर्जा से हुआ था जब देवता असुरों के
साथ लंबे समय से चल रहे युद्ध में शक्तिहीन हो गए थे। तब देवताओं की सारी शक्तियाँ एक हो
गईं और अधिनव बन गईं और इससे सभी दिशाओं में आग की लपटें फैल गईं। तब तीनों लोकों में
व्याप्त उस अद्वितीय प्रकाश से एक महिला रूप का निर्माण हुआ।चंडी देवी को अर्धचंद्र से सुशोभित
तीन आँखों वाली और उनकी अनेकों भुजाओं में देवताओं द्वारा अर्पित हथियार और ध्वजा, गहने
और आभूषण, वस्त्र और बर्तन, फूलों की माला और मोतियों की माला पकड़े हुए दर्शाया जाता है।
अपने शेर के वाहन पर विराजमान एक हजार सूर्यों के तेज से प्रज्वलित अपने सुनहरे शरीर के साथ,
चंडी ब्रह्मांडीय ऊर्जा के सभी अवतारों में सबसे भव्य हैं। चंडी होम हिंदू धर्म में सबसे लोकप्रिय होम
में से एक है। यह पूरे भारत में विभिन्न त्योहारों के दौरान विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान किया
जाता है। चंडी होम दुर्गा सप्तशती के छंदों को पढ़कर और यज्ञ की अग्नि आहुति चढ़ाकर किया जाता
है। इसके साथ नवक्षरी मंत्र भी पड़ा जा सकता है। साथ ही कुमारी पूजा, सुवासिनी पूजा भी अनुष्ठान
का एक हिस्सा है।
नौचंदी मैदान के पास मेरठ में चंडी देवी को समर्पित एक बहुत लोकप्रिय मंदिर भी है।मान्यता है कि
नवरात्र के दौरान मंदोदरी ने चंडी देवी की मूर्ति स्थापित कर यहां सबसे पहले पूजा की थी। उन्होंने
मंदिर तक आने के लिए एक गुप्त मार्ग भी बनवाया था, इसी मार्ग से वह मंदिर में पूजा-अर्चना के
लिए पहुंचती थीं। आज यह मंदिर नवचंडी देवी, नौचंदी देवी व चंडी देवी नाम से प्रसिद्ध है।ऐसा
माना जाता है कि जब चंडी देवी के मंदिर की स्थापना हुई थी, तब से माँ के नौ रूप होने के कारण
माँ को नवचंडी देवी के नाम से भी पुकारा जाता था। समय गुजरने के साथ मंदिर में श्रद्धालुओं की
संख्या बढ़ी। यहां नौचंदी मेला भी लगने लगा। 18वीं शताब्दी में यहां एक दिन का मेला लगता था।
इसके बाद चैत्र शुक्ल के नवरात्र में पहले तीन दिन, फिर नौ दिन और अब 40 दिन मेला लगता
है।मां का अलौकिक स्वरूप श्रद्धालुओं को भक्ति रस से सराबोर कर देता है। दर्शन मात्र से ही
मनोकामना पूर्ण हो जाती है।
संदर्भ :-
https://bit.ly/3A4Y6Vt
https://bit.ly/33jJG83
https://bit.ly/3qtyCha
चित्र संदर्भ
1. माँ मेलाई चंडी मूर्ति - अमता - हावड़ा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. पारंपरिक नेपाली शैली में देवी चंडी की पेंटिंग, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. माँ चंडी प्रतिमा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4 .हिमाचल प्रदेश के कोठी में चंडिका देवी मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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