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थियोसोफिकल सोसाइटी (Theosophical Society)‚ एक विश्वव्यापी निकाय है‚
जिसका उद्देश्य पिछले ब्रह्मविद्यावादियों (Theosophists)‚ विशेष रूप से ग्रीक
(Greek) और अलेक्जेंड्रियन नियो-प्लेटोनिक (Alexandrian Neo-Platonic)
दार्शनिकों जो तीसरी शताब्दी ईस्वी पूर्व के हैं‚ की निरंतरता में ब्रह्मविद्या
(Theosophy) के विचारों को आगे बढ़ाना है। इसकी स्थापना 1875 में मुख्य रूप
से रूसी (Russian) आप्रवासी हेलेना पेत्रोव्ना ब्लावात्स्की (Helena Petrovna
Blavatsky) और अन्य लोगों द्वारा की गई थी। थियोसोफी (Theosophy) 19 वीं
सदी के अंत में संयुक्त राज्य अमेरिका (United States) में स्थापित एक धर्म है‚
जिसकी शिक्षा मुख्य रूप से ब्लावात्स्की के लेखन से मिलती है। इसकी स्थापना
न्यूयॉर्क (New York) शहर में 1875 में हेलेना पेत्रोव्ना ब्लावात्स्की और
अमेरिकियों हेनरी ओल्कोट (Henry Olcott) और विलियम क्वान जज (William
Quan Judge) द्वारा थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना के साथ की गई थी।
1880 के दशक की शुरुआत में‚ ब्लावात्स्की और ओल्कोट भारत में स्थानांतरित
हो गए‚ जहां उन्होंने तमिलनाडु के अड्यार (Adyar‚ Tamil Nadu) में संस्था का
मुख्यालय स्थापित किया।
थियोसोफिकल सोसायटी का मिशन एक गहरी समझ‚ शाश्वत ज्ञान‚ आध्यात्मिक
आत्म-परिवर्तन तथा जीवन की एकता की अनुभूति विकसित करके मानवता की
सेवा करना है। इसमें वेदांत (Vedanta)‚ महायान बौद्ध धर्म (Mahayana
Buddhism)‚ कबला (Qabbalah) और सूफीवाद (Sufism) जैसे व्यापक धार्मिक
दर्शन भी शामिल हैं। थियोसोफिकल सोसायटी मानव संस्कृति की समानता पर बल
देते हुए‚ पूर्व और पश्चिम के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करती है।
शब्द “थियोसोफी” (theosophy) ग्रीक के थियोसोफिया (theosophia) शब्द से
आया है‚ जो दो शब्दों से मिलकर बना है: थियोस (theos) जिसका अर्थ है
“ईश्वर‚” “देवता‚” या “दिव्य” तथा सोफिया (sophia) जिसका अर्थ है “ज्ञान”।
इसलिए‚ थियोसोफिया का अनुवाद “ईश्वर की बुद्धिमत्ता”‚ “दिव्य बातों में ज्ञान”
या “दिव्य बुद्धि” के रूप में किया जा सकता है।
थियोसोफी ने दक्षिण एशियाई धर्मों के ज्ञान को पश्चिमी देशों में लाने के साथ-
साथ विभिन्न दक्षिण एशियाई देशों में सांस्कृतिक गौरव को प्रोत्साहित करने में
महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विभिन्न विविधता वाले प्रसिद्ध कलाकार और लेखक
भी थियोसोफिकल शिक्षाओं से प्रभावित हुए हैं। थियोसोफी का एक अंतरराष्ट्रीय
अनुसरण है‚ और 20 वीं शताब्दी के दौरान इसके हजारों अनुयायी थे।
थियोसोफिकल विचारों ने अन्य गुप्त आंदोलनों और दर्शनशास्र की एक विस्तृत
श्रृंखला पर भी प्रभाव डाला है। इसे “सत्य के बाद साधकों का एक असंप्रदायवादी
निकाय‚ जो भाईचारे को बढ़ावा देने और मानवता की सेवा करने का प्रयास करता
है” के रूप में वर्णित किया गया था। हेनरी ओल्कोट इसके सबसे पहले अध्यक्ष थे‚
और 1907 में अपनी मृत्यु तक राष्ट्रपति बने रहे। वे पूर्वी धर्मों के अध्ययन में भी
रुचि रखते थे‚ जिन्हें उन्होंने संस्था की कार्यावली में भी शामिल किया था। 1895
में विलियम क्वान जज के तहत अमेरिकी खंड और इसके कुछ अन्य ख़ेमे इससे
अलग हो गए और 1882 में इसका मुख्यालय ब्लावात्स्की और अध्यक्ष हेनरी
स्टील ओल्कोट के साथ न्यूयॉर्क से अड्यार‚ चेन्नई‚ भारत में स्थानांतरित हो
गया। संगठन‚ थियोसोफिकल सोसाइटी अड्यार (Theosophical Society Adyar)
और थियोसोफिकल सोसाइटी पासाडेना (Theosophical Society Pasadena) में
विभाजित हो गया। मूल संगठन विभाजन और पुनर्निर्धारण के बाद‚ वर्तमान में
इसके कई उत्तराधिकारी हैं।हेलेना ब्लावात्स्की की मृत्यु के पश्चात‚ समाज के
भीतर गुटों के बीच प्रतिस्पर्धा उभरने लगी‚ विशेषकर संस्थापक सदस्यों के बीच
में। वर्तमान में थियोसोफिकल सोसायटी अड्यार पहला सबसे व्यापक तथा
थियोसोफिकल सोसाइटी पासाडेना दूसरा सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय थियोसोफिकल
समूह है।
भारत में स्थित थियोसोफिकल सोसाइटी का गार्डन‚ अड्यार नदी के दक्षिणी तट
पर स्थित है‚ जिसे “हडलस्टन गार्डन” (“Huddleston Gardens”) के रूप में जाना
जाता है। यह गार्डन 260 एकड़ में फैला हुआ है जिसमें कई प्रवासी पक्षी‚
चमगादड़‚ सांप‚ सियार‚ जंगली बिल्लियाँ‚ नेवले‚ खरगोश और कई प्रकार की
मकड़ियाँ हैं। इसमें दुनिया भर के पेड़ों के साथ दुर्लभ महोगनी भी शामिल है।
गार्डन में 450 साल पुराना बरगद का पेड़ भी है‚ जिसे स्थानीय रूप से अड्यार
आला मरम (Adyar aala maram) के नाम से जाना जाता है‚ जिसकी आकाशीय
जड़ें लगभग 60‚000 वर्ग मीटर में फैली हुई हैं। ब्लावात्स्की ने ‘सच्चे
अध्यात्मवाद’ का बचाव करने और कपटपूर्ण माध्यमों को उजागर करने वाले
समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में कुछ मजबूत और शानदार लेख भी लिखे। थियोसोफिकल सोसाइटी का प्रारंभिक इतिहास बताता है कि ब्लावास्टस्की की
विद्वता ने मीडिया की रुचि को आकर्षित किया और वह जल्द ही बहुत लोकप्रिय
हो गई। 17 नवंबर‚ 1875 को कर्नल ओल्कॉट ने अपना उद्घाटन भाषण दिया
और इस तिथि को थियोसोफिकल सोसायटी का स्थापना दिवस के रूप में माना
जाने लगा। ये दोनों संस्थापक आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़ थे। 1878 में
वे न्यूयॉर्क से बम्बई के लिए रवाना हुए और भारत में अगले कुछ वर्षों में महान
गतिविधि की। उन्होंने बॉम्बे में सोसाइटी का मुख्यालय स्थापित किया और अपने
सभी पड़ावों पर गर्मजोशी से अभिनंदन करने के लिए बड़े पैमाने पर देश का
व्यापक दौरा किया। जब तक सोसाइटी ने अपनी सातवीं वर्षगांठ मनाई‚ तब तक
उनकी 39 शाखाएँ भाग ले चुकी थीं। अड्यार‚ चेन्नई में स्थापित उनका
अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय‚ समाज का पहला आध्यात्मिक केंद्र था। उस समय मैसूर
राज्य के तत्कालीन दीवान सर के. शेषाद्री अय्यर (Sir K. Seshadri Iyer) ने‚
सोसाइटी के संस्थापक अध्यक्ष कर्नल ओल्कोट को बैंगलोर आमंत्रित किया। वेदांत
में उनकी विद्वता और थियोसॉफी के सार पर उनके व्याख्यान ने इतनी बड़ी
संख्या में दर्शकों को आकर्षित किया कि बैंगलोर सिटी लॉज (Bangalore City
Lodge) और कैंटोनमेंट लॉज (Cantonment Lodge) की स्थापना हुई। 1909 में
मैसूर महाराजा ने थियोसोफिकल सोसायटी को 1.27 एकड़ जमीन दी थी। बैंगलोर
सिटी लॉज भारतीय खंड के सबसे पुराने लॉज में से एक है‚ जिसकी इमारत की
आधारशिला एनी बेसेंट (Annie Besant) ने 1909 में रखी थी।
संदर्भ:
https://bit.ly/3F5FZ3j
https://bit.ly/3F8qGH4
https://bit.ly/33t2TUm
https://bit.ly/3skr02d
चित्र संदर्भ
1. थियोसोफिकल सोसाइटी (Theosophical Society)‚ की बंगलुरु शाखा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. बथियोसोफिकल सोसायटी की मुहर, बुडापेस्ट, हंगरी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. थियोसोफिकल सोसायटी, अड्यार, भारत की स्मारक पट्टिका को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. थियोसोफिकल सोसायटी | अलेक्सांद्र ज़िकोव (Aleksandr Zhikov) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. भारत में स्थित थियोसोफिकल सोसाइटी का गार्डन‚ अड्यार नदी के दक्षिणी तट
पर स्थित है‚ हडलस्टन गार्डन” (“Huddleston Gardens”) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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