हमारे मेरठ में पड़ता है ब्रह्मा के वंशज, वेदों व् शास्त्रों के ज्ञानि रावण का ससुराल

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
14-10-2021 06:02 PM
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हमारे मेरठ में पड़ता है ब्रह्मा के वंशज, वेदों व् शास्त्रों के ज्ञानि रावण का ससुराल

"बुराई देखने वालों की नज़र में होती है", कहने का तात्पर्य यह है की, जैसे कुछ लोगों के लिए चांद रात का अंधेरा दूर करने का एक बेहद खूबसूरत माध्यंम है। वही कुछ चुनिंदा लोग चाँद की सतह पर गड्ढों से बने दाग पर ही नज़र रखते, और टिप्पणी करते हैं। ठीक उसी तर्ज पर रामायण के सबसे प्रमुख किरदारों में से एक रावण को भी देखा जा सकता है। जहां विश्व के अधिकांश लोग रावण में निहित बुराइयों को देखते हुए केवल उसके नकारात्मक पहलू को देखते हैं, किन्तु कई स्थानों में मामला ठीक इसके विपरीत है, जहाँ रावण को आराध्य देव मानते हुए उसकी पूजा की जाती है।
हम जैसे लोगों के लिए यह आश्चर्य का विषय हो सकता है, किंतु न केवल भारत बल्कि भारत के बाहरी देशों में भी दशानन रावण की पूजा की जाती है। रावण को लंकेश के नाम से भी जाना जाता है। रावण के दादा ब्रह्माण्ड के रचीयता ब्रह्मा के प्रपौत्र पुलस्त्य थे, जो की ब्रह्मा द्वारा गर्भित दस प्रजापतियों में से एक थे। हमारे देश भारत में स्थित कई मंदिर लंकेश रावण को समर्पित हैं, इन मंदिरों में माता सीता का हरण करने वाले दशानन की पूजा की जाती है। लेकिन आखिर ऐसा क्यों है? आखिर एक राक्षस-राज की पूजा करने का क्या औचित्य है ?
लंकेश की पूजा करने का प्रमुख कारण यह है की, उनके दादा पुलस्त्य ब्रह्मांड के निर्माता ब्रह्मा के प्रपौत्र थे। इसके अलावा, रावण भगवान शिव का परम भक्त और चार वेदों - ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद तथा छह शास्त्रों - वेदांत दर्शन, योग दर्शन, सांख्य दर्शन, वैशेषिक दर्शन, न्याय दर्शन और मीमांसा दर्शन का महान ज्ञाता भी था। रावण अपने काल का महाविद्वान और परमज्ञानी था, रावण की पूजा करके हर वर्ग के लोग खास कर पढ़ने-लिखने वाले बच्चे रावण से बुद्धि और ज्ञान की दीक्षा मांगते हैं। हमारे देश के विभिन्न हिस्सों में महाबली रावण की पूजा की जाती है, जिनमे से कुछ प्रमुख स्थान निम्नवत हैं:
1. बिसरख गाँव, उत्तर प्रदेश: बिसरख गावं, उत्तरप्रदेश में ग्रेटर नोयडा के निकट में स्थित है। माना जाता है की, इस गांव का नाम रावण के पिता विश्रवा के नाम पर पड़ा है, जो गांव में रहते थे। इस गांव को लंकेश की जन्मस्थली भी माना जाता है। यहां दशहरे के अवसर पर रावण का पुतला जलाने के बजाय नवरात्रि के बाद उसे श्रद्धांजलि देने के लिए यज्ञ का आयोजन किया जाता हैं।
2. कानपुर, उत्तर प्रदेश में दशानन मंदिर: उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में स्थित दशानन मंदिर साल में केवल एक बार दशहरे के अवसर पर खुलता है। क्षेत्र के लोगों के अनुसार दशहरा तिथि को रावण का जन्म हुआ था, और उसी तिथि को उसकी मृत्यु हुई थी। लंकेश के इस मंदिर में पहले उसकी पूजा की जाती है, तत्पश्चात उसका पुतला जलाया जाता है। जिसके बाद मंदिर के केवाड़ फिर से अगले एक वर्ष के लिए बंद कर दिए जाते हैं।
3. रावनग्राम गांव, मध्य प्रदेश : मान्यता है की, रावनग्राम में लंकेश रावण की पत्नी मंदोदरी अपने विवाह से पूर्व ठहरी थी। जिस कारण मंदोदरी को क्षेत्र की पुत्री के रूप में प्रतिष्ठित किया जाता है, और इसलिए रावण की पूजा की जाती है। इस क्षेत्र में रावण को समर्पित रावण बाबा नमः एक मंदिर भी है, जहाँ रावण की दस फीट की लेटी हुई मूर्ति स्थापित है।
4. मध्य प्रदेश में मंदसौर: मध्य प्रदेश में स्थित यह स्थान रावण की पत्नी मंदोदरी का मूल घर माना जाता है। जिस कारण इस स्थान का नाम मंदसौर पड़ा। यहाँ रावण को दामाद के रूप में सम्मान दिया जाता है, और उसकी पूजा की जाती है। मान्यता है की इसी स्थान पर रावण ने मंदोदरी से विवाह किया था। यहां के मंदिर को रावण रुंडी के नाम से भी जाना जाता है, जहाँ दस सिर वाले दशानन की एक विशाल मूर्ति भी स्थापित है।
5. काकीनाडा मंदिर, आंध्र प्रदेश: आंध्र प्रदेश स्थित इस मंदिर में दस सिर वाले दानव राज दशानन की विशाल प्रतिमा है। यहाँ रावण की पूजा भी की जाती हैं।
6. रावण मंदिर,जोधपुर, राजस्थान : यह उन चुनिंदा मंदिरो में से एक है जहां रावण को देवता के रूप में पूजा जाता है। इस क्षेत्र के मौदगिल ब्राह्मण रावण की पूजा करते हैं, जो स्वयं को उनका अवतार मानते है।
7. बैजनाथ, हिमाचल प्रदेश: भगवान शिव का परम भक्त होने के कारण बैजनाथ में रावण को संम्मान की दृष्टि से देखा जाता है, यहाँ दशहरे के दिन रावण का पुतला नहीं जलाया जाता है।
6. गढ़चिरौली, महाराष्ट्र: महाराष्ट्र के गढ़चिरौली के गोंड आदिवासी दशानन - रावण और उनके पुत्र मेघनाद को देवताओं के रूप में पूजते हैं। इन आदिवासियों के अनुसार, वाल्मीकि रामायण में रावण ने कुछ भी गलत नहीं किया या सीता को बदनाम नहीं किया बल्कि तुलसीदास रामायण में रावण को एक क्रूर राजा माना जाता था।
7. कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश: बैजनाथ सहित हिमाचल प्रदेश के खूबसूरत जिले कांगड़ा में भी रावण दहन नहीं मनाया जाता है। यहाँ भी महाबली, रावण भगवान शिव के एक महान भक्त के रूप में पूजनीय है।
8. मांड्या और कोलार, कर्नाटक: फसल उत्सव के दौरान, कर्नाटक में कोलार जिले के लोगों द्वारा भगवान शिव के साथ-साथ लंकादिपति (लंका के राजा) की पूजा की जाती है। एक जुलूस में, भगवान शिव की मूर्ति के साथ, दस सिर वाली (दशनन) और रावण की बीस भुजाओं वाली मूर्ति की भी पूजा की जाती है।
इन सभी स्थानों के अलावा हमारे शहर मेरठ में भी दशानन रावण की पूजा की जाती है। यहां रावण के ज्ञान के सम्मान तथा रावण का ससुराल होने के कारण रावण पूजनीय है। माना जाता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी का जन्म मेरठ में ही हुआ था, इसी जगह को रावण का ससुराल माना जाता है। दशहरे के अवसर पर जहां देश भर में रावण वध का मंचन होता है, और रावण के पुतले जलाए जाते हैं, लेकिन रावण के ससुराल में रावण की पूजा भी होती है, और रावण का पुतला भी फूंका जाता है। मंदोदरी ने मेरठ के इस मंदिर में विद्वान पति का मांगा था वरदान
मेरठ का प्राचीन नाम मयराष्ट्र है और इसे लंकेश की महारानी मंदोदरी का पीहर कहा जाता है। यहां दशहरे के दिन घर-घर में रावण की पूजा होती है, यह पूजा केवल दामाद के रूप में नहीं बल्कि रावण का अपने काल के महाविद्वान और परमज्ञानी होने के कारण की जाती है। इस दिन अनेक मेरठवासी गोबर से रावण के दस सर बनाने के पश्चात् मंत्रोच्चारण के साथ इन सिरों की पूजा करते है। पूजा के बाद गाय के गोबर से बनाए हुए सिरों को बहते जल में प्रवाहित कर दिया जाता है।

संदर्भ
https://bit.ly/3DDtVp7
https://bit.ly/3iSBXT8
https://bit.ly/2YDC9yF
https://bit.ly/3iPdVIs

चित्र संदर्भ
1. अपने बगीचे में मंदोदरी के साथ रावण का एक चित्रण (flickr)
2. बिसरख गावं, उत्तरप्रदेश में ग्रेटर नोयडा के निकट में स्थित है। माना जाता है की, इस गांव का नाम रावण के पिता विश्रवा के नाम पर पड़ा है, जिसका एक चित्रण (youtube)
3. उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में स्थित दशानन मंदिर साल में केवल एक बार दशहरे के अवसर पर खुलता है, जहाँ स्थित रावण की मूर्ति का एक चित्रण (youtube)
4. रावनग्राम गांव, मध्य प्रदेश में रावण की प्रतिमा का एक चित्रण (youtube)
5. मध्य प्रदेश में मंदसौर: मध्य प्रदेश में स्थित यह स्थान रावण की पत्नी मंदोदरी का मूल घर माना जाता है।जहाँ पर स्थापित रावण की मूर्ति का एक चित्रण (youtube)
6. काकीनाडा मंदिर, आंध्र प्रदेश: आंध्र प्रदेश स्थित इस मंदिर में दस सिर वाले दानव राज दशानन की विशाल प्रतिमा है। जिसका एक चित्रण (twitter)
7. रावण मंदिर,जोधपुर, राजस्थान का एक चित्रण (youtube)
8. बैजनाथ, हिमाचल प्रदेश: भगवान शिव का परम भक्त होने के कारण बैजनाथ में रावण को संम्मान की दृष्टि से देखा जाता है, यहाँ स्थित शिव मंदिर का एक चित्रण (wikimedia)
9. मंदोदरी ने मेरठ के इस मंदिर में विद्वान पति का मांगा था वरदान, जिसको दर्शाता चित्रण (youtube)

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