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पेंडोरा पेपर्स (Pandora Papers)‚ रविवार को सार्वजनिक किए गए वित्तीय
दस्तावेजों के सबसे बड़े खुलासे में से एक है‚ जिसमें भारतीयों सहित दुनिया भर
के सैकड़ों राजनेताओं‚ व्यापारियों और अरबपतियों की गुप्त संपत्ति और अवैध
निवेश का पर्दाफाश हुआ है। 3 अक्टूबर‚ 2021 को‚ इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ
इंटरनेशनल जर्नलिस्ट्स (International Consortium of International
Journalists (ICIJ)) ने 2.94 टेराबाइट डेटा कोष होने का दावा किया है‚ जो 200
से अधिक देशों और क्षेत्रों के धनी अभिजात वर्ग के अपतटीय रहस्यों को उजागर
करता है। यह जांच 14 अपतटीय सेवा प्रदाताओं के गोपनीय रिकॉर्ड के लीक
(Leak) होने पर आधारित है‚ जो कम या बिना कर वाले क्षेत्राधिकार में शेल
कंपनियों (Shell Companies)‚ ट्रस्टों (Trusts)‚ फाउंडेशनों (Foundations) और
अन्य संस्थाओं को शामिल करने की मांग करने वाले धनी व्यक्तियों और निगमों
को पेशेवर सेवाएं देते हैं। लीक हुए दस्तावेजों का नवीनतम सेट दुनिया के सबसे
अमीर लोगों की वित्तीय गोपनीयता पर प्रकाश डालता है‚ और यह अब तक का
सबसे बड़ा लीक है।
पनामा (Panama) के बाद पेंडोरा है‚ जहां नियामक गर्मी का सामना करते हुए‚
कुलीन भारतीयों ने गुप्त पनाहगाहों में धन की रक्षा के नए तरीके खोजे हैं। सात
लीक के बाद‚ दुनिया भर के नियामकों ने वैश्विक धन प्रवाह पर नकेल कसना शुरू
कर दिया है‚ अभिजात वर्ग अंतरराष्ट्रीय वित्त में‚ गोपनीय उद्योग को फिर से
आकार देने के लिए‚ तथा घर पर अपनी संपत्ति की जांच से बचने के लिए‚ सरल
और नए तरीके खोज रहे हैं। यह पेंडोरा पेपर्स में सामने आया है‚ जो अपतटीय
वित्तीय रिकॉर्ड का नवीनतम रिसाव है‚ जिसमें 29‚000 अपतटीय कंपनियों और
ट्रस्टों के स्वामित्व के विवरण के साथ‚ अपतटीय टैक्स हेवन में 14 कंपनियों के
12 मिलियन दस्तावेज़ शामिल हैं।
केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि वह वित्तीय दस्तावेजों के‚ पेंडोरा पेपर लीक से
जुड़े मामलों की जांच करेगी। वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ऐसे मामलों
में कानून के मुताबिक उचित कार्रवाई की जाएगी। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड
सीबीडीटी (CBDT) के अध्यक्ष जेबी महापात्र की अध्यक्षता में और सीबीडीटी
(CBDT)‚ ईडी (ED)‚ आरबीआई (RBI) और एफआईयू (FIU) के प्रतिनिधियों के
साथ एक बहु एजेंसी समूह द्वारा इस मामले की जांच की जाएगी। सीबीडीटी ने
सोमवार को कहा कि‚ इन मामलों में प्रभावी जांच सुनिश्चित करने की दृष्टि से‚
सरकार प्रासंगिक करदाताओं या संस्थाओं के संबंध में जानकारी प्राप्त करने के
लिए‚ विदेशी क्षेत्राधिकारों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ेगी।
भारत सरकार भी एक अंतर-सरकारी समूह का हिस्सा है‚ जो इस तरह के लीक से
जुड़े कर जोखिमों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए सहयोग और अनुभव
साझा करना सुनिश्चित करता है। बोर्ड ने कहा कि मीडिया में अब तक केवल कुछ
भारतीयों‚ कानूनी संस्थाओं के साथ-साथ व्यक्तियों के नाम सामने आए हैं‚ और
आईसीआईजे (ICIJ) की वेबसाइट बताती है कि सूचना चरणों में जारी की जाएगी
और पेंडोरा पेपर्स जांच से जुड़े संरचित डेटा‚ आने वाले दिनों में ही इसके अपतटीय
लीक डेटाबेस पर जारी किए जाएंगे।
पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर‚ उद्योगपति अनिल अंबानी और लॉबिस्ट नीरा राडिया
उन कुछ भारतीयों में शामिल हैं‚ जिनका नाम पेंडोरा पेपर्स में पहले से ही है।
आईसीआईजे (ICIJ)‚ एचएसबीसी (HSBC)‚ पनामा पेपर्स (Panama Papers)
और पैराडाइज पेपर्स (Paradise Papers) के रूप में पहले इसी तरह के लीक के
बाद‚ सरकार पहले ही काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) और कर
अधिरोपण अधिनियम‚ 2015 लागू कर चुकी है‚ जिसका उद्देश्य ऐसी आय पर
उपयुक्त कर और जुर्माना लगाकर काले धन‚ या अघोषित विदेशी संपत्ति और आय
पर अंकुश लगाना है।
पनामा पेपर्स लीक‚ जिसमें पनामा (Panama) शहर में स्थित ग्लोबल लॉ फर्म
मोसैक फोंसेका (Mossack Fonseca) के 11.5 मिलियन से अधिक वित्तीय और
कानूनी रिकॉर्ड लीक शामिल थे‚ ने राजनेताओं‚ मशहूर हस्तियों और अभिजात वर्ग
द्वारा भ्रष्टाचार और कर चोरी का पर्दाफाश किया‚ जिन्होंने गुप्त रूप से‚ कर
मुक्त क्षेत्रों में धन जमा किया था।
इस लीक ने न केवल दुनिया को हिलाकर रखा‚ बल्कि एक व्यापक अमीर-गरीब
विभाजन के युग में‚ अधिक समान समाज के लिए एक प्रकरण भी बनाया। इस
प्रकरण के पाठकों और सरकार की प्रतिक्रिया से पर्दाफाश हुआ‚ और एजेंसियां तुरंत
कार्रवाई में जुट गईं। पनामा पेपर्स की जांच का कोड-नाम ‘प्रोजेक्ट प्रोमेथियस’
(Project Prometheus) रखा गया था‚ जो ग्रीक (Greek) पौराणिक कथाओं का
एक पात्र था‚ जिसने देवताओं से आग चुराकर मनुष्यों को दी थी। शायद इसका
नाम इस उम्मीद के साथ रखा गया था कि एक बड़ी आग भड़क जाएगी।
प्रोमेथियस‚ 2.6 टेराबाइट डेटा के साथ पत्रकारिता के इतिहास में अब तक का
सबसे बड़ा लीक है‚ यह डेटा एक अज्ञात स्रोत से दूसरे सबसे बड़े जर्मन
(German) दैनिक‚ सुदेउत्शे ज़ितुंग (Süddeutsche Zeitung) के पत्रकारों के पास
आया; जो मोसैक फोंसेका (Mossack Fonseca)‚ कानूनी फर्म का लीक हुआ डेटा
था।
पनामा पेपर्स लीक के बाद की हलचल‚ प्रतिष्ठित कंपनी के मालिकों में भी थी‚ जो
लगभग 500 भारतीयों की सूची में शामिल थे‚ और इसलिए भारत कवरेज में भी
थे। ऐसे लोग भी थे‚ जो तुरंत मोसैक फर्मों (Mossack firms) से अलग होना
चाहते थे। अन्य लोग‚ यहां तक कि कंपनी के मालिक भी‚ जिन्होंने अपने गोपनीय
रहस्यों के बाहर आने के बावजूद‚ अपने स्वामित्व में फेरबदल किया‚ और
आश्चर्यजनक रूप से अपनी संपत्ति बढ़ाई। पनामा पेपर्स के प्रभाव का एक
परिणाम‚ सम्मेलन और संगोष्ठी सर्किट में उत्पन्न जांच का उत्साह था।
आईसीआईजे (ICIJ) के कर्मचारी और साथ ही परियोजना के सदस्य दुनिया भर में
आयोजित कार्यक्रमों में लोकप्रिय वक्ता बन गए‚ जो भारतीय दलों के लिए भी सच
था। “पनामा पेपर्स टीम द्वारा प्रदर्शित सहयोगी पत्रकारिता का मॅाडल” और
“सीमाओं के बिना पत्रकारिता के भविष्य के लिए कहानी का क्या मतलब है”‚ यह
कई पत्रकारिता टॉक शॉप्स में पूर्ण सत्र का पसंदीदा विषय था। जिस शीघ्रता के
साथ भारत सरकार ने प्रतिक्रिया दी‚ उसके परिणामस्वरूप‚ देश पनामा पेपर्स के
लिए वैश्विक कराधान प्रतिक्रिया तैयार करने में दूसरों के साथ जुड़ गया। यह एक
अच्छा संकेत और आशय का बयान था कि 13 अप्रैल को‚ एक्सपोज़ के ठीक एक
सप्ताह बाद‚ जब लगभग तीस देशों के कर प्रशासकों ने‚ पनामा पेपर्स के प्रभाव
पर‚ पेरिस (Paris) में एक विचार-मंथन बैठक की‚ तो भारत के सीबीडीटी
(CBDT) के निदेशक स्तर के अधिकारी भी उसमें उपस्थिति थे।
संदर्भ:
https://bit.ly/3agLHBV
https://bit.ly/3mCa3vl
https://bit.ly/3Amli06
https://bit.ly/3lm85Qv
चित्र संदर्भ
1. पेंडोरा पेपर्स (Pandora Papers)‚ को संदर्भित करता एक चित्रण (Jacobin)
2. पेंडोरा पेपर्स (Pandora Papers)‚ वित्तीय दस्तावेजों के सबसे बड़े खुलासे में बड़े नाम शामिल हैं जिनको संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
3. 15 अप्रैल, 2016 (19 मई, 2016 तक) को लीक में शामिल नेताओं, सरकारी अधिकारियों या करीबी सहयोगियों वाले देशों का एक चित्रण (wikimedia)
4. प्रोमेथियस‚ 2.6 टेराबाइट डेटा के साथ पत्रकारिता के इतिहास में अब तक का
सबसे बड़ा लीक है‚ यह डेटा एक अज्ञात स्रोत से दूसरे सबसे बड़े जर्मन
(German) दैनिक‚ सुदेउत्शे ज़ितुंग (Süddeutsche Zeitung) के पत्रकारों के पास
आया; इस अख़बार का संदर्भ चित्र (flickr)
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