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प्रत्येक वर्ष भारत में 2 अक्टूबर का दिन गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। गांधी जी उन
महान लोगों में से एक हैं, जिन्होंने भारत की आजादी के लिए अनेकों प्रयास किए। उनके प्रयासों
के अनेकों साक्ष्य मेरठ में आज भी दिखाई देते हैं, जिसका एक उदाहरण मेरठ कॉलेज के अंदर
मौजूद बरगद का पेड़ भी है, जिसे गांधीजी के 1943 में अपने 21 दिन के उपवास के बाद
लगाया था। लेकिन वास्तव में मेरठ में गांधी जी की यह पहली यात्रा नहीं थी। इससे पहले भी
गांधी जी के कदम मेरठ में पड़ चुके थे। तो आइएगांधी जयंती के अवसर पर आज हम गांधीजी
के हमारे शहर के साथ मौजूद ऐतिहासिक संबंधों को याद करते हैं।
आजादी की लड़ाई में मेरठ का विशेष योगदान है। दिल्ली के निकट होने के कारण स्वतंत्रता
संग्राम के दौरान कई नेताओं का मेरठ में आगमन हुआ।देशवासियों में आजादी का जुनून भरने
महात्मा गांधी भी मेरठ पहुंचे।गांधी जी का स्वभाव बहुत सरल था, और वह लोगों से बहुत
आत्मीयता से मिलते थे। यही कारण था कि वे जहां भी जाते वहां लोग उन्हें पसंद करने लगते।
देश के अनेकों युवाओं ने उनसे प्रेरित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया।
बापू की मौजूदगी को मेरठ हमेशा महसूस करता है। मेरठ में गांधी जी का आगमन तीन बार
हुआ तथा उनके पदचिह्न् आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं।उन्होंने यहां रहने वाले हिन्दू-
मुस्लिम लोगों के बीच की एकता को भी प्रबल किया।मेरठ के शहीद स्मारक में कुछ ऐसे
दस्तावेज मौजूद हैं, जो गांधी जी के 1920 के मेरठ दौरे से जुड़े हुए हैं। इन दस्तावेजों के
अनुसार गांधी जी 22 जनवरी 1920 की सुबह साढ़े नौ बजे कार से मेरठ पहुंचे थे।हिन्दू और
मुस्लिम दोनों समुदायों ने मिलकर देवनागरी स्कूल जो अब डी एन कॉलेज कहा जाता है,में
उनका भव्य स्वागत किया।उन्हें देखने के लिए शहर के अलावा गांवों से भी बड़ी संख्या में युवा
पहुंचे थे।यहां पर सभा करने के बाद वे मेरठ कॉलेज गए और छात्रों से मुलाकात की। उन्होंने
टाउन हॉल, जिमखाना जिसे तब तब बर्फखाना कहा जाता था, आदि समेत कई स्थानों का दौरा
किया।इस समय गांधी जी यहां 30 जनवरी तक रुके रहे।
उनके आठ दिन के इस कार्यक्रम से ब्रिटिश हुकूमत इतनी भयभीत हो गयी थी कि मेरठ में
मौजूद अंग्रेज अधिकारियों को तुरंत बदल दिया गया तथा उनके बदले तेजतर्रार अधिकारियों को
मेरठ यूनिट की कमान सौंपी गई।इस समय गांधी जी ने मेरठ में कई जनसभाएं और रैलियां
आयोजित कीं।अपनी एकता को प्रदर्शित करने के लिए हिंदुओं ने जहां चांद सितारों से सजा
परिधान पहना वहीं मुस्लिम लोग भी पीला तिलक लगाकर जनसभाओं और रैलियों में शामिल
हुए।जुलूस में कई लोग अन्य देशों जैसे मिश्र (Egypt), अरब (Arab) और तुर्की (Turkey) के
परिधानों को पहनकर भी चल रहे थे तथा भारत की स्वाधीनता का समर्थन कर रहे थे।कई लोग
घोड़ों-साइकिल पर सवार थे तो कई नंगे पांव ही 'हिन्दुस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाते हुए जुलूस
में आगे बढ़ रहे थे।यह जुलूस जब कंबोह गेट पहुंचा तो वहां पर गांधी जी ने सभा को संबोधित
किया।
इसके बाद गांधी जी का मेरठ आगमन पूरे 9 साल बाद अर्थात 1929 में हुआ।ग़ांधी जी इस बार
सविनय अवज्ञा आंदोलन के चलते मेरठ पहुंचे थे।इस समय जब गांधी जी मेरठ कालेज पहुंचे तो
छात्रों ने उन्हें एक चांदी की प्लेट और सौ स्वर्ण मुद्राएं भेंट की। यह सहयोग छात्रों ने असहयोग
आंदोलन के लिए दिया था।इस दौरान गांधी जी मेरठ के जेल में बंद कैदियों से भी मिले। मेरठ
कालेज में मौजूद ऐतिहासिक बरगद का पेड़ गांधी जी के त्याग को बताता है।
महात्मा गांधी ने
1943 में जब 21 दिन का उपवास किया था,उसकी सफलता पर मेरठ कालेज में यह बरगद
लगाया गया। इस बरगद को लगाते समय 194 घंटे का अखंड हवन भी किया गया था।
गांधीजी का मेरठ दौरा 1931 में भी हुआ था। इस दौरान वे गांधी आश्रम में रुके थे। यहां से
लौटने के बाद उन्होंने अपने समाचार पत्र 'नवजीवन' में गांधी आश्रम की गतिविधियों और भावी
योजनाओं के बारे में विस्तार से लिखा था।यहां मौजूद जो दस्तावेज हैं, वे बताते हैं कि गांधी जी
मेरठ तीन बार आए थे। वह जब भी मेरठ आए गांधी आश्रम में जरूर रुके।वैश्य
अनाथालय,कैसल व्यू, डीएन कालेज, टाउनहाल, मेरठ कालेज, असौड़ा हाउस आदि ऐसे कई स्थल
थे, जिनका गांधी जी ने दौरा किया था। ये स्थान आज भी स्वतंत्रता आंदोलन के लिए गांधी जी
प्रयासों का साक्ष्य प्रदान करते हैं।
संदर्भ:
https://bit.ly/3zZWLxw
https://bit.ly/3m9S8fC
https://bit.ly/3Fg3I1s
https://bit.ly/39TPiW5
चित्र संदर्भ
1. मेरठ में स्थित गांधी बाग का एक चित्रण (youtube)
2. गढ़ रोड, मेरठ पर गांधी आश्रम का एक चित्रण(youtube)
3. मेरठ कालेज के बाहरी परिदृश्य का एक चित्रण (facebook)
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