मेरठ छावनियों में आज भी मौजूद हैं कुछ शुरुआती अंग्रेजी बंगले

वास्तुकला 1 वाह्य भवन
18-09-2021 10:18 AM
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मेरठ छावनियों में आज भी मौजूद हैं कुछ शुरुआती अंग्रेजी बंगले

1857 के बाद अंग्रेजों ने भारत में कई छावनियां विकसित कीं, इनमें से 78 से अधिक का दस्तावेजीकरण किया गया है । हमारा मेरठ दुनिया का सबसे बड़ा छावनी शहर है। भारत के अंग्रेजी शहरों में नागरिक आबादी के रहने के लिए "सिविल लाइन्स" क्षेत्र और सेना के रहने के लिए छावनी क्षेत्र चिह्नित किये गए थे । चूंकि यूरोपीय (european) लोग भारत के गर्म वातावरण में आकर बसे थे, उन्होंने अपने घरों को ठंडा रखने के लिए बंगाल के कच्चे पक्के या अस्थायी निर्माण के घरों से प्रेरित हो के "बंगला" शैली (bungalow) के घरों को विकसित किया। मेरठ की छावनी में अभी भी कुछ शुरुआती अंग्रेजी बंगले विरासत के तौर पर मौजूद हैं। तो चलिए आज “बंगला” शैली में निर्मित घरों के इतिहास और कैसे बंगले विश्व भर में एक नए रूप में विकसित हुए, इसकी जानकारी प्राप्त करते हैं।
1900 की शुरुआत तक, निर्माण की इस शैली को इंग्लैंड (England) और दूर अमेरिका (America) में भी दोहराया गया। कैलिफोर्निया (California), जहां अच्छी खासी गर्मी पड़ती हैं, बंगले अभी तक अत्यंत लोक प्रिय हैं। आज, संयुक्त राज्य अमेरिका,यूरोप, भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों में अमीर लोगों द्वारा यह एक विकसित शैली बन चुकी है और बहुत पसंद की जाती है।
बंगला या बंगलो (Bungalow) के इतिहास की बात करें तो, यह शब्द या इसके रूपांतर वर्षों से मौजूद हैं। बंगलूज (Bunguloues) अस्थायी और जल्दी से बनाए गए आश्रय थे, जिन्हें 1659 में भारत में एक अंग्रेज द्वारा संदर्भित किया गया था। 1820 तक बंगले के लिए बांग्ला, बंगेल्स, बंगगोलोस आदि का उपयोग किया जाता था। अमेरिका में 1880 के दशक में बंगले दिखाई दिए तथा यहां से ये अन्य स्थानों में भी फैल गये विशेष रूप से अमेरिका के न्यू इंग्लैंड क्षेत्र में। लेकिन दक्षिणी कैलिफोर्निया एक ऐसी जगह थी, जहां इसे एक ऐसे ढांचे और स्वरूप के रूप में विकसित किया गया, जिनका उपयोग साल भर किया जा सकता था। ये घर यहां उस सबसे लोकप्रिय हाउस स्टाइल में बदल गये, जिसे किसी भी अमेरिकी ने पहले नहीं देखा था। बंगला शब्द का प्रयोग 20 वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध के दौरान बनाए गए कई छोटे से मध्यम आकार के घरों के लिए किया जाता था।इस शब्द की उत्पत्ति भारत के बंगाली क्षेत्र में हुई थी,जिसका अर्थ है 'बंगाल शैली में बने घर', जो प्राकृतिक सामग्री से बनाए जाते थे तथा प्रायः कच्चे हुआ करते थे। कच्चे घरों से तात्पर्य ऐसे घरों से था,जिन्हें मिट्टी, बांस, ईख या लकड़ी जैसी आसानी से मिलने वाली सामग्री से बनाया जाता था। इनकी छतें खपरैल या फूस से बनाई जाती थीं।ये घर अस्थायी थे जिन्हें सस्ते में बनाया गया था। इसलिए वे निम्न गुणवत्ता के, अपर्याप्त तथा कमजोर थे। वहीं पक्के घरों की बात करें तो वे ऐसे घर थे जिन्हें बेहतर गुणवत्ता के साथ बनाया गया था। ये घर टिकाऊ, अच्छी तरह से बनाए गए, ठोस और पर्याप्त थे। बंगला शैली में निर्मित घर परंपरागत रूप से छोटे थे, जिनकी केवल एक ही मंजिल थी तथा एक विस्तृत बरामदा था। ये "बंगले" भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) के अंग्रेजी सैनिकों के लिए बनाए गए थे।बाद में यह शब्द ब्रिटिश भारत में विशाल घरों या अधिकारियों के आधिकारिक आवास के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा। 1911 में प्रकाशित हैरी सायलर की पुस्तक “बंगलो” के अनुसार, यह खुली मंजिल के ढांचे थे, जिनकी छते नींची तथा बरामदे बड़े थे। 1906 में, स्टिकली (Stickley's) की "द क्राफ्ट्समैन" (Craftsman) पत्रिका में छपे एक लेख के अनुसार,बंगले को स्थायी आवास के रूप में तब स्वीकार किया गया होगा, जब इनका पूर्णकालिक रूप से उपयोग किया जाने लगा तथा गर्मी के इन घरों की विशेषता कला और शिल्प आंदोलन के आदर्शवादी दर्शन से जुड़ गयी।
इस कला और शिल्प आंदोलन ने अमेरिकी वास्तुकारों और शिल्पकारों को प्राकृतिक सामग्री का उपयोग करके बंगले को एक अलग रूप देने के लिए प्रेरित किया, जिससे बंगले में रहने वालों के लिए अधिक समग्र जीवन शैली का निर्माण हुआ। एक बंगले की सामान्य विशेषताओं को देखें तो उनमें नीची पिच वाली, त्रिभुजाकार या ढलवां छतें मौजूद होती हैं। खुले राफ्टर्स (Rafters) के साथ गहरे छज्जे होते हैं।सजावटी नी ब्रेसिज़ (Knee braces), ओपन फ्लोर प्लान (Open floor plan), बीम वाली छत, साधारण वेनस्कॉट (Wainscot) जो आमतौर पर डाइनिंग और लिविंग रूम में देखी जाती है,बिल्ट-इन कैबिनेटरी (Built-in cabinetry) के साथ बड़ी चिमनी,अलमारियां, बेंच आदि इसकी विशेषताएं हैं। उन्नीसवीं सदी के अंत और ब्रिटिश साम्राज्य के पतन तक इन घरों का उपयोग विश्राम गृह के रूप में भी किया जाता था। मेरठ की छावनी में अभी भी कुछ शुरुआती अंग्रेजी बंगले विरासत के तौर पर मौजूद हैं। इन्हीं में से एक बंगला नंबर 259 रामबाग भी है।पांच एकड़ जमीन में फैले इस विशाल बंगले पर लंबे समय से अवैध रूप से लोगों द्वारा कब्जा किया गया था, किंतु सेना और रक्षा संपदा विभाग की तरफ से चल रहे ज्वाइंट ऑपरेशन के बाद कैंट क्षेत्र के विशाल बंगले को कब्जा मुक्त करा लिया गया।
इसके तुरंत बाद बंगले को सेना के हवाले करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई। पांच एकड़ में फैले इस बंगले में पुरानी कई ऐतिहासिक चीजें बनी हुई हैं। अंग्रेजों के जमाने में बने इस बंगले में अफसर अपने परिवारों के साथ रहते थे। बंगला कितना भव्य था इसका अंदाजा यहां अभी भी मौजूद स्नानागार से लगाया जा सकता है,जहां अफसरों की बीवियां स्नान के लिए जाती थीं।मेरठ में ऐसे कई बंगले हैं, जो अभी भी बचे हुए हैं तथा लोग उन्हें देखने जा सकते हैं। मेरठ छावनी के कुछ पुराने चित्र पोस्टकार्ड भी हैं,जिन्हें सौ साल पहले छापा गया था।

संदर्भ:
https://bit.ly/394Xy5d
https://bit.ly/3tGLhh6
https://bit.ly/3C9FxiD
https://bit.ly/3Eg2YZr
https://bit.ly/3AeACfR
https://bit.ly/3hvxjcG
https://bit.ly/2XdOPuU
https://bit.ly/3nxOmPk
https://bit.ly/2XrMmNP
https://bit.ly/3htYd4O

चित्र संदर्भ
1. मेरठ में औपनिवेशिक काल के दौरान ब्रिटिश रॉयल हैम्पशायर रेजिमेंट (Royal Hampshire Regiment) के सैनिक के घर का एक चित्रण (Tribune India)
2. सन 1910 के पोस्टकार्ड में मेरठ के नंबर 1 अनुभाग अस्पताल का एक चित्रण (stamps-auction)
3. मेरठ राज के दौरान उत्तरी भारत में एक औपनिवेशिक बंगले का एक चित्रण (paperjewels)
4. भारत में ब्रिटिश रॉयल हैम्पशायर रेजिमेंट की 7 वीं बटालियन की छावनियों का भीतरी परिदृश्य (wayfarersbooksho)

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