अनगिनत स्वास्थ्य लाभों सहित भारत से गरीबी उन्मूलन में अहम भूमिका निभा सकती है जैविक खेती

स्वाद- खाद्य का इतिहास
11-09-2021 09:12 AM
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अनगिनत स्वास्थ्य लाभों सहित भारत से गरीबी उन्मूलन में अहम भूमिका निभा सकती है जैविक खेती

महान स्वतंत्रता सेनानी एवं आजाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री रह चुके लाल बहादुर शास्त्री जी ने "'जय जवान जय किसान" का नारा देकर यह स्पष्ट कर दिया था की, देश के समुचित विकास में सैनिकों और किसानों का अहम् योगदान होने वाला है। साथ ही देश की सीमाओं और खेतों के संबंध में किसी भी हालत में समझौता नहीं किया जाएगा। इस बात में कोई संदेह नहीं है की आज देश की सीमाएं सबसे सुरक्षित हाथों में हैं, और जैविक कृषि के विस्तार के साथ ही जल्द ही यहां के खेत भी स्वास्थ्यवर्धक फसलों से लहरायेंगे।
भारत एक कृषि प्रधान देश है, और धीरे-धीरे यहां के जन - जन में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता निरंतर बढ़ रही है। जिस कारण जैविक खेती तथा जैविक खाद्य पदार्थों की मांग निरंतर बढ़ रही है। दरअसल खेतों में जैविक उत्पादन के तहत,रासायनिक पदार्थ, गैर- परमाणु अकार्बनिक कीटनाशकों, कीटनाशकों और दवाओं का उपयोग किये बिना खाद्य पदार्थों के उत्पादन को जैविक खाद्य पदार्थ कहा जाता है। जैविक खाद्य पदार्थ, जैविक खेती के सभी मानकों का पालन करते हैं।
जैविक खाद्य पदार्थों को आमतौर पर विकिरण, औद्योगिक सॉल्वैंट्स, या सिंथेटिक खाद्य योजकों का उपयोग करके संसाधित नहीं किया जाता है। दरअसल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से, पारंपरिक खेती में उर्वरक, अतिउत्पादन और कीटनाशकों का इस्तेमाल करने से पारिस्थितिक तंत्र, जैव विविधता, भूजल और पेयजल आपूर्ति प्रभावित हो सकती है, साथ ही व्यक्तिगत स्वास्थ्य और पर्यावरण सुरक्षा के संबध में भी जैविक खाद्य पदार्थों को अहम माना गया है। किंतु पारंपरिक खेती की तुलना में जैविक कृषि में उच्च उत्पादन लागत और कम पैदावार, उच्च श्रम लागत किन्तु उपभोक्ता मूल्य भी अधिक होते हैं।
यदि हम स्वाद के संदर्भ में देखें तो इस बात का कोई ठोस प्रमाण नहीं है, कि जैविक भोजन का स्वाद उसके गैर-जैविक समकक्षों की तुलना में बेहतर होता है। हालांकि इस बात के प्रमाण हैं कि कुछ जैविक फल पारंपरिक रूप से उगाए गए फलों की तुलना में अधिक शुष्क होते हैं अतः स्वाद देने वाले पदार्थों की उच्च सांद्रता के कारण थोड़े सूखे फल में अधिक तीव्र स्वाद हो सकता है। कुछ बुद्धिजीवियों का मनाना है की, जैविक खाद्य पदार्थों में पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है, और इस प्रकार पारंपरिक रूप से उत्पादित खाद्य पदार्थों की तुलना में स्वास्थ्यवर्धक होते हैं। किंतु कई वैज्ञानिकों के अनुसार जैविक रूप से उत्पादित खाद्य पदार्थ, पारंपरिक रूप से उत्पादित खाद्य पदार्थों की तुलना में विटामिन और खनिजों से अधिक समृद्ध नहीं होते हैं। कुछ सब्जियों, विशेष रूप से हरी पत्तेदार सब्जियों और कंदों में नाइट्रोजन की मात्रा पारंपरिक रूप से जैविक रूप से उगाए जाने पर कम पाई गई है। एक अन्य शोध फाइटोकेमिकल्स संरचना (phytochemicals composition) के मेटा- विश्लेषण में पाया गया कि, जैविक रूप से उगाई जाने वाली फसलों में कैडमियम और कीटनाशक अवशेष कम होते हैं, और पारंपरिक रूप से उगाई जाने वाली फसलों की तुलना में पॉलीफेनोल्स की सांद्रता 17% अधिक होती है।
कीटनाशकों की मात्रा जो भोजन में रह जाती है, उसे कीटनाशक अवशेष कहा जाता है। 2012 के एक मेटा-विश्लेषण में पाया गया कि जैविक उत्पाद नमूनों में 7% और पारंपरिक उपज नमूनों में 38% कीटनाशक अवशेष पाए गए। 2014 के एक मेटा-विश्लेषण में पाया गया कि, परंपरागत रूप से उगाई गई उपज में जैविक रूप से उगाई गई फसलों की तुलना में कीटनाशक अवशेष होने की संभावना चार गुना अधिक थी। अपने अनगिनत स्वस्थ्य लाभों के संदर्भ में जैविक खाद्य पदार्थों की मांग पहले से ही काफी अधिक थी, किंतु वर्ष 2019 से शुरू हुई कोरोना महामारी में इनकी मांग में उत्प्रेरक का काम किया है, और इसमें अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। दरअसल उपभोक्ताओं ने उन्हें स्वस्थ और प्रतिरक्षा के लिए जैविक खाद्य पदार्थों को लाभदायक माना है, जिस कारण जैविक खाद्य की मांग निरंतर गति से बढ़ रही है।
विशेषज्ञों की एक रिपोर्ट के अनुसार 2020 में भारतीय जैविक खाद्य बाजार 849.5 मिलियन अमरीकी डालर के मूल्य पहुँच गया। इस आधार पर यह अनुमान लगाया जा रहा है की वर्ष 2026 तक यह बाजार लगभग 2601 मिलियन अमरीकी डालर तक पहुंच सकता है। भारत में महामारी के बाद स्वास्थ्य संबंधी कुछ पूर्व निर्धारित अवधारणाएं सकारात्मक रूप से बदली हैं, क्योंकि उपभोक्ताओं ने एक निवारक स्वास्थ्य उपाय के रूप में अधिक जैविक खाद्य पदार्थ खरीदना शुरू कर दिया है।
भारत सहित पूरे विश्व में, जैविक खाद्य और पेय बाजार में विशेष रूप से फल और सब्जियों की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। यदि हम भारत में जैविक खेती की स्थिति पर नज़र डालें तो “संयुक्त राष्ट्र द्वारा हाल ही में सिक्किम को दुनिया के पहले 'ऑर्गेनिक स्टेट' के रूप में घोषित किया है”।धारणा में यह बदलाव भविष्य में भी जैविक खाद्य बाजार के विकास को गति देगा। जैविक रूप से उगाए गए ताजे फल अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी अग्रणी स्थान में रहते हैं। जैविक खाद्य बाजार में सबसे बड़ा हिस्सा फल और सब्जियां हैं। इसके बाद रोटी, अनाज, दूध और मांस का स्थान आता है। हमारा देश भारत जैविक चाय, बासमती चावल और कपास के निर्यात में अग्रणी है। जैविक फलों और सब्जियों की मांग पूर्वानुमान वर्ष 2026 तक निरंतर बढ़ने की संभावना है। जैविक फलों और सब्जियों में भरपूर मात्रा में विटामिन, खनिज, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट और कैल्शियम होता है। साथ ही, अध्ययनों से पता चला है कि, जब परीक्षण किया गया, तो जैविक रूप से उगाए गए कई फल और सब्जियों का स्वाद भी बेहतर था। जैविक खाद्य पदार्थों में बढ़ी मांग का प्रमुख कारण यही है की, इनमें हानिकारक रसायन और प्रदूषक नहीं होते हैं, जिनकी उपस्थिति कैंसर सहित अन्य गंभीर चिकित्सा समस्याओं का कारण बन सकती हैं। दैनिक जीवन में जैविक खाद्य आहार का सेवन करने वालों ने यह भी अनुभव किया है की, जब वे जैविक भोजन का सेवन करते हैं तो उनकी ऊर्जा और फिटनेस का स्तर भी बढ़ जाता है। साथ ही गैर जैविक खाद्य पदार्थों के उद्पादन में अधिक फसल प्राप्त करने के लिए मानव निर्मित कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है, जिससे जल स्तर कम हो रहा है, और मिट्टी दूषित हो रही है।
चूँकि जैविक खेती में कीटनाशकों के उपयोग के बिना की जाने वाली कृषि खेतों के करीब रहने वाले छोटे जानवरों और मनुष्यों के लिए भी स्वास्थ्य वर्धक साबित होती है, इसलिए जैविक उत्पादों को उच्च गुणवत्ता के रूप में देखा जाता है और उन्हें स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए सुरक्षित माना जाता है। इसके अलावा, जैविक खाद्य को प्रमाणीकरण प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। यदि किसान सख्त खेती मानकों का सख्ती से पालन करते हैं तो मिट्टी, पानी और हवा पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जैविक कृषि ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ लड़ाई में कारगर साबित हो सकती है। बाजार में मौजूद सभी जैविक खाद्य पदार्थ 100% जैविक नहीं होते हैं। इस अंतर को पहचानने में लेबलिंग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जैविक खाद्य की पहचान के लिए "आपको उत्पाद पर 100% जैविक लेबल की तलाश करनी चाहिए। भारत में जैविक खेती अभी प्रारंभिक अवस्था में है। केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार, मार्च 2020 तक लगभग 2.78 मिलियन हेक्टेयर कृषि भूमि में जैविक खेती की जा रही है। जैविक खेती के तहत शीर्ष तीन राज्यों - मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र शामिल हैं, जिसमे 0.76 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र के साथ मध्य प्रदेश सूची में सबसे ऊपर है जो कि भारत के कुल जैविक खेती क्षेत्र का 27 प्रतिशत से अधिक उत्पादन करता है। गोवा के अलावा सभी पहाड़ी राज्य जैसे मेघालय, मिजोरम, उत्तराखंड और सिक्किम जैसे कुछ राज्यों में जैविक खेती के तहत उनके शुद्ध बोए गए क्षेत्र का 10 प्रतिशत या अधिक है।

संदर्भ
https://bit.ly/3tG29od
https://bit.ly/3tqE30m
https://bit.ly/3nhEdGd
https://en.wikipedia.org/wiki/Organic_food

चित्र संदर्भ
1. जैविक खेती करते सिक्किम के किसान का एक चित्रण (Freerange Stock)
2. अपने जैविक पोंधों की देखभाल करते किसान कप का एक चित्रण (zeezest)
3. जैविक खेती से सब्जियों का एक चित्रण (wikimedia)
4. जैविक खेती के अंतर्गत गोबर का छिड़काव करते किसानों का एक चित्रण (Kisaan Parivar)

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