परिवहन क्षेत्र में प्रयुक्त होने वाली नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग व महामारी का इस पर प्रभाव

संचार एवं संचार यन्त्र
07-09-2021 10:46 AM
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परिवहन क्षेत्र में प्रयुक्त होने वाली नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग व महामारी का इस पर प्रभाव

भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में नई गति प्राप्त की है। यह दुनिया के चौथे सबसे बड़े नवीकरणीय बाजार के रूप में उभरा है। भारत‚ दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक तथा पांचवा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल (Automobile) उत्पादक भी है। भारत सरकार द्वारा‚ सार्वजनिक परिवहन और रसद को 100 प्रतिशत स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों में स्थानांतरित करने की योजनाएं बनाई गई हैं। भारत में‚ इलेक्ट्रिक वाहनों (electric vehicles) में परिवर्तन द्वारा अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित किया जा सकता है‚ ऊर्जा आयात पर अरबों की बचत की जा सकती है‚ तथा जलवायु संकट का मुकाबला कर शहरों में हवा की गुणवत्ता को भी सुधारा जा सकता है। सरकार द्वारा लागू की गई प्रमुख नीतियां‚ देश में स्वच्छ परिवहन युग की शुरुआत करने में दूरगामी प्रभाव डाल सकती हैं।
इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) (Electric vehicles (EVs)) भारतीय शहरों में‚ लगातार आकर्षण प्राप्त कर रहे हैं जिससे कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं‚ जैसे कि वायु प्रदूषण में सुधार‚ तेल आयात लागत को कम करना तथा भारत के संकटग्रस्त बिजली क्षेत्र के लिए मांग रुपरेखा में सुधार करना। इसके अलावा‚ अक्षय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहन भी भविष्य के बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करने वाले कारक हैं।
सरकार के सार्वजनिक परिवहन तथा रसद को स्वच्छ ऊर्जा स्रोत में स्थानांतरित करने की योजना पर प्रकाश डालते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि भारत ने पिछले एक दशक में अक्षय ऊर्जा के एकीकरण में वृद्धि करते हुए‚ हरित ऊर्जा की पहुंच में‚ सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। उन्होंने‚ उद्योग मंडल सीआईआई (CII) द्वारा आयोजित एक आभासी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत 2022 तक स्थापित अक्षय क्षमता के 175 गीगावाट के अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए पहले से ही अपने पथ पर अग्रेषित है। गडकरी जी ने यह भी बताया कि भारत तेजी से वैकल्पिक गतिशीलता समाधान‚ जैसे रोपवे (Ropeway)‚ केबल कार (Cable Car)‚ फनिक्युलर रेल (Funicular Rail) विकसित कर रहा है। हिमाचल (Himachal) और उत्तराखंड (Uttarakhand) जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में‚ रोपवे और केबल कार प्रणाली को पनबिजली का उपयोग करके कुशलतापूर्वक संचालित किया जा सकता है। उनके अनुसार‚ नवीकरणीय प्रौद्योगिकियां अधिक श्रम गहन करती हैं तथा इसके भीतर‚ सौर व बायो–मास क्षेत्रों में 2050 तक‚ 30 लाख से अधिक का सबसे बड़ा रोजगार सृजन होगा। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के विकास और अर्थव्यवस्था में‚ बुनियादी ढांचा विकास एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
भारत सरकार द्वारा‚ नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (National Institution for Transforming India) जिसे नीति आयोग (NITI Aayog) भी कहा जाता है‚ के नेतृत्व में ईवी (EV) पारिस्थितिकी तंत्र के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए 2018 से लगातार मजबूत नीतिगत पहल की है। जिसमें तीन नीतिगत उत्तोलक हैं‚ जो अक्षय ऊर्जा के माध्यम से ईवीएस (EVs) को बिजली देने के अरबों डॉलर के अवसर को प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं:
(1) विद्युत् वाहन (ईवी) (Electric Vehicle (EV)) चार्जिंग प्रदाताओं के लिए अक्षय ऊर्जा की खरीद को आसान बनाना: भारत के अधिकांश राज्यों में मौजूदा बिजली नियमों के लिए विवृत अभीगम के माध्यम से‚ बिजली अनुबंधित करने के समर्थन पर एक मेगावाट बिजली की न्यूनतम सीमा की आवश्यकता होती है। बिजली की मांग की यह न्यूनतम सीमा‚ चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने वाले ईवी ऊर्जा ऑपरेटरों के लिए एक बड़ी समस्या है।
(2) विशेष रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों को बिजली देने के लिए अंतर–राज्‍यीय व्यापार तथा अक्षय ऊर्जा के प्रसारण को प्रोत्साहित करना: भारत के विद्युत मंत्रालय द्वारा अक्षय ऊर्जा के अंतर–राज्‍यीय प्रसारण पर शुल्क की छूट को 30 जून‚ 2025 तक बढ़ाया गया है। यह छूट केवल उन संस्थाओं को बेची गई बिजली के लिए उपलब्ध है‚ जिनके पास नवीकरणीय खरीद का दायित्व हैं। यह शर्त अक्सर उन ऊर्जा ऑपरेटरों को बाहर कर देती है जो ईवीएस (EVs) के लिए चार्जिंग सुविधाएं प्रदान करते हैं।
(3) ऊर्जा ऑपरेटरों के लिए पावर बैंकिंग सुविधा प्रदान करना: बिजली बाजारों में‚ “बैंकिंग” (“banking”) एक लेखा प्रावधान है जो अक्षय ऊर्जा उत्पादन सुविधा को “बाद में उपयोग के लिए जमा” करने की अनुमति देता है। ऊर्जा ऑपरेटरों को बिजली वितरण के लिए‚ अक्षय ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहित करने व न्यूनतम शुल्क पर एक वर्ष की अवधि के लिए पावर बैंकिंग सुविधाएं दी जा सकती हैं।
कोविड–19 (COVID–19) महामारी ने भविष्य में अक्षय ऊर्जा के उपयोग को गति दी है। एक सर्वेक्षण द्वारा पता चला है कि कोविड–19 ने भविष्य में नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग का मार्ग प्रशस्त करके कार्बन में कमी के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य किया है। कोविड–19 महामारी में लागू किए गए लॉकडाउन (lockdown) प्रतिबंधों के कारण ऊर्जा से संबंधित उत्सर्जन में 8% तथा ऊर्जा की मांग में 6% की गिरावट आई। जिसके कारण बिजली उत्पादन के नवीकरणीय हिस्सेदारी में वृद्धि हुई। लॉकडाउन (lockdown) के पहले दस हफ्तों के दौरान अमेरिका (America) में‚ अक्षय ऊर्जा की खपत में 40% तथा भारत में 45% की वृद्धि हुई। कड़े पर्यावरणीय नियमों‚ ऊर्जा की मांग में मंदी तथा महामारी के दौरान तेल की कीमतों में आई गिरावट के कारण अक्षय ऊर्जा के लिए निवेशकों की बढ़ती मांग‚ अक्षय ऊर्जा के विकास को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण रही है। वैश्विक अक्षय ऊर्जा उत्पादन में 3% की वृद्धि हुई‚ जो मुख्य रूप से पिछले वर्ष गठित हुई ऑनलाइन (online)‚ नई सौर और पवन परियोजनाओं द्वारा संचालित है।
दिल्ली एनसीआरटीसी (NCRTC) ने आरआरटीएस (RRTS) परियोजना के लिए मिश्रित अक्षय ऊर्जा का उपयोग करने की योजना बनाई है। जिसके लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) (National Capital Region Transport Corporation (NCRTC)) ने क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) (Regional Rapid Transit System (RRTS)) परियोजना के लिए मिश्रित अक्षय ऊर्जा का उपयोग करने हेतु‚ भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई) (Solar Energy Corporation of India (SECI)) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। एनसीआरटीसी (NCRTC) के अनुसार समझौता ज्ञापन में‚ विघुत/परिवर्तनकारी गतिशीलता‚ हाइड्रोजन आधारित अर्थव्यवस्था तथा ईंधन और ऊर्जा के अन्य वैकल्पिक स्रोतों में संभावित अवसरों का पता लगाने के प्रावधान शामिल हैं। एनसीआरटीसी (NCRTC)‚ अपनी ऊर्जा प्रबंधन नीति (Energy Management Policy) के रूप में‚ अपनी पूर्ण ऊर्जा आवश्यकता की व्यापकता के लिए‚ मिश्रित अक्षय ऊर्जा जैसे सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने का इरादा रखता है। एक उद्योग लीडर होने के नाते एसईसीआई (SECI) द्वारा‚ दिल्‍ली–गाजियाबाद–मेरठ (Delhi–Ghaziabad–Meerut) गलियारे के लिए‚ एनसीआरटीसी (NCRTC) को चौबीसों घंटे मिश्रित अक्षय ऊर्जा की व्यवस्था करने में मदद की जाएगी तथा भविष्य में अन्य गलियारों के लिए भी इसका विस्तार करने के लिए एसईसीआई द्वारा सहयोग किया जाएगा। एनसीआरटीसी (NCRTC) के अनुसार‚ दिल्ली मेरठ आरआरटीएस (RRTS) गलियारों की कुल ऊर्जा आवश्यकता का 40% नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त करने या उत्पन्न करने का लक्ष्य है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3h2MoCt
https://bit.ly/3tf6Ncr
https://on.nrdc.org/2VelYpD
https://bit.ly/3BCIcBi
https://bit.ly/3mZVljK
https://bit.ly/38GNkrv

चित्र संदर्भ
1. विद्युत् से चार्ज होती इलेक्ट्रॉनिक कार का एक चित्रण (assets.bwbx)
2. बिजली संचालित ई-रिक्शा का एक चित्रण (thethirdpole)
3. पहाड़ी जिले नैनीताल में बिजली से संचालित रोप वे का एक चित्रण (youtube)
4. दिल्ली मेट्रों का एक चित्रण (abplive)

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