जल संचयन से भारी बारिश के प्रकोप को वरदान में बदल सकते हैं

नदियाँ
11-08-2021 07:55 AM
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जल संचयन से भारी बारिश के प्रकोप को वरदान में बदल सकते हैं

बारिश का मौसम देशभर के किसानों के चेहरे पर नई रौनक भर देता है। वहीं देश के कई हिस्से ऐसे भी हैं, जहां यह मौसम बाढ़ और भूस्खलन के प्रकोप से लोगों को कभी न भुला सकने वाले दुःख भी दे जाता है। परंतु हम वर्षा जल संरक्षण के आसान से उपाय अपनाकर अधिक बारिश को अभिशाप से वरदान में परिवर्तित कर सकते हैं।
वर्ष 2018 में हमारे शहर मेरठ में इतनी बारिश रिकॉर्ड की गई कि, इसने पिछले 109 वर्षों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। 27 जुलाई 2018 के दिन मात्र 12 घंटे के भीतर रिकॉर्ड तोड़ 146.8 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जिससे मेरठ और उसके आस-पास के जिलों में लगभग 33 लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी, और कई घायल भी हुए। इस वर्ष देश में सबसे अधिक बारिश वाले स्थानों में मेरठ चौथे स्थान पर रहा। बेहिसाब बारिश से हालात इतने ख़राब हो गए थे की, रेस्क्यू के लिए सेना को बुलाने की आवश्यकता पड़ गई। ऐसा पहली बार नहीं है कि, जब बारिश की वजह से हालत इतने बड़े पैमाने पर बिगड़े हों। हर वर्ष बेहिसाब बारिश होती है, परंतु दूसरी तरफ देखा जाए तो सर्वाधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में ही गर्मियों के दौरान पेयजल संकट जैसी परिस्थितियां देखने को मिल जाती है। यह हास्यास्प्रद रूप से दुर्भाग्यपूर्ण भी है, इस परिस्थिति में यदि वर्षा जल संरक्षण पर अमल किया जाए, तो हमें संकट में ही समाधान नज़र आता है। क्यों की गर्मियों में पीने योग्य पानी के लिए मेरठवासी बड़े पैमाने पर भूमिगत जल पर ही निर्भर रहते हैं।
मेरठ जिले के भूजल की गुणवत्ता, पोषक तत्व की स्थिति और भौतिक-रासायनिक विशेषता के रूप में भूजल का अध्ययन करने के लिए 5 अलग-अलग स्थानों में आवासीय क्षेत्र से एकत्रित भूजल के नमूनों की जांच की गई थी। इस अध्ययन में पीएच (Ph), डीओ (DO), बीओडी (BOD) , सीओडी(COD), टीडीएस(TDS), क्षारीयता, कैल्शियम कठोरता, मैग्नीशियम कठोरता, कुल कठोरता, नाइट्रेट, फ्लोराइड, लोहा और क्लोराइड जैसे भौतिक-रासायनिक आदि मापदंडों का विश्लेषण किया गया। जिसके परिणाम स्वरूप पता चला कि, आवासीय स्थानों में, अनुमानित भौतिक-रासायनिक मापदंडों में से कई कमोबेश डब्ल्यूएचओ (WHO) की अनुमेय (जायज) सीमा के भीतर हैं, अर्थात मेरठ का भूमिगत जल पीने योग्य जल के पैमानों पर खरा उतरता है। हमारा शहर मेरठ देश के सबसे बड़े औद्योगिक शहरों में से एक है। यह भारत-गंगा के मैदानों का हिस्सा है, और 28o 57' से 29o 02' उत्तरी अक्षांश और 77o 40' से 77o45' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। शहर के लिए पानी की आवश्यकता मुख्य रूप से भूजल से पूरी होती है। परंतु शहर की बढ़ती आबादी ने वास्तव में भूजल संसाधनों पर भारी दबाव डाला है, जिस कारण भूजल (जमीन के भीतर जल स्तर) खतरनाक दर से घट रहा है। चूँकि बरसात के दिनों में हमारे शहर मेरठ में पर्याप्त मात्रा में बारिश दर्ज की जाती है, अतः वर्षा जल संचयन (बारिश के जल को एकत्र करना) तकनीकें शहर में पेयजल संकट के आभाव से उभरने में कारगर साबित हो सकती हैं। इस प्रकार यह भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए वर्षा जल संचयन एक सरल और सस्ती तकनीक है, जिससे समाज की दिन- प्रतिदिन की पानी की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। केवल मेरठ ही नहीं बल्कि यदि हर शहर, कस्बा और गांव वर्षा जल संचयन तकनीकों को अपनाएं और लागू करें, तो जल संकट से आसानी से निपटा जा सकता है। वर्षाजल को पानी का प्राथमिक स्रोत माना जाता है, जो लगभग शुद्ध होता है। भूजल का कृत्रिम पुनर्भरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा पुनःपूर्ति की प्राकृतिक परिस्थितियों में भूजल भंडार को उससे अधिक दर से बढ़ाया जाता है। जलग्रहण क्षेत्रों (पानी एकत्र करने के स्थान और तरीकों ) के प्रकार के आधार पर वर्षा जल संचयन 3 प्रकार का होता है।
जलग्रहण छतों, सड़कों या जंगलों जैसे खुले स्थानों के रूप में हो सकता है। मेरठ शहर में जल संकट लगातार बिगड़ रही है, जहाँ कभी इसमें सिंचाई नहरों की प्रचुरता थी। आज लगातार बढ़ती आबादी के कारण पानी की मांग में असामान्य वृद्धि हुई है। इसके बदले में नलकूपों का निर्माण हुआ जिससे भूजल स्तर में बड़ी मात्रा में कटौती अथवा कमी देखी गई। जहां चार दशक पहले केवल दो मीटर गहरे गड्ढे में पानी दिख जाया करता था, उसके विपरीत आज यह जल स्तर सतह से 20 मीटर नीचे गिर गया है। यदि वर्षा जल संरक्षण अर्थात बारिश के पानी के संरक्षण के उपायों को त्वरित रूप से न अपनाया गया, तो सोचिए की जब 109 वर्षों में सर्वाधिक रिकॉर्ड बारिश होने के परिणाम स्वरूप हमें जल संकट का सामना करना पड़ रहा है फिर उन स्थितियों में क्या होगा जब कई वर्षों तक बारिश ही न हों।

संदर्भ
https://bit.ly/3iDLZra
https://bit.ly/3CuMdca
https://bit.ly/3iAkzT6
https://bit.ly/3s5xLTl

चित्र संदर्भ
1. वर्षा जल एकत्र करें, धन और जल संसाधन बचाएं, वर्षा जल के संचयन को संदर्भित करता एक चित्रण (Brazos River Authority)
2. भूमिगत हैंडपंप से जल एकत्र करते बच्चों का एक चित्रण (flickr)
3.अंडरग्राउंड टैमिंग ऑफ फ्लड्स फॉर इरिगेशन (underground Taming of Floods for irrigation (UTFI) के तहत बनाए गए तालाब से एकत्रित पानी को नापते वैज्ञानिको का एक चित्रण (flickr)

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