भारत में महामारी के बाद क्या होगा शहरी नियोजन (Urban Planning) में बदलाव ?

नगरीकरण- शहर व शक्ति
04-06-2021 07:23 AM
भारत में महामारी के बाद क्या होगा शहरी नियोजन (Urban Planning) में बदलाव ?

यदि हम इतिहास के पन्नों में देखे तो पायेंगे कि महामारियों ने हमेशा शहरों को आकार दिया है, वास्तुकला और शहरी नियोजन पर कई मुद्दों को प्रतिबिंबित किया गया है। आज, दुनिया कोविड-19 (COVID-19)महामारी के एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का सामना कर रही है, जो शायद एक सदी के समय में सबसे अधिक खराब महामारियों में से एक है, जिसके परिणामस्वरूप सभी शहरों के सामने इस महामारी का सामना करने के लिए कई चुनौतियां सामने आई हैं।लेकिन महामारी के बाद क्या होगा? क्या वैश्विक महामारी शहरों और शहरी क्षेत्रों को फिर से आकार देने को प्रभावित करेगी?
हाल ही में सरकार ने महामारी से सीख लेते हुए भविष्य में शहरों और कस्बों को स्वस्थ एवं रहने योग्य बनाने के लिये शहरी नियोजन तथा विकास पर नए सिरे से विचार करने का आह्वान किया है।
वर्तमान में कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों की संख्या में वृद्धि और मौतों की बढ़ती संख्या ने सामान्य शहर डिज़ाइन (Design) रणनीतियों की समीक्षा करने के लिये मजबूर किया है। हम अपने शहरों की योजना कैसे बनाते हैं, यह हमेशा सांस्कृतिक, तकनीकी प्रवृत्तियों और यहां तक कि बड़े संकटों का प्रतिबिंब है। 19वीं शताब्दी में हैजा की महामारी ने आधुनिक शहरी स्वच्छता प्रणालियों की शुरुआत की। औद्योगीकरण के दौरान यूरोप में भीड़भाड़ वाली झुग्गियों में सांस की बीमारियों के खिलाफ प्रकाश और हवा के आसपास आवास नियमों को पेश किया गया था। रेलमार्गों की शुरूआत का भी राष्ट्रीय शहरी प्रणालियों पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा, और कार के बड़े पैमाने पर उत्पादन ने ऐसे शहरों को जन्म दिया जो विशाल उपनगरों से जुड़े हो।
हाल के वर्षों में, दुनिया अभूतपूर्व प्रतिबंधों का सामना कर रही है। कोविड-19 महामारी ने देश की विकास की इस गति के समक्ष एक बड़ी चुनौती प्रस्तुत की है। साथ ही इससे यह स्पष्ट हो गया है कि देश की अर्थव्यवस्था का इंजन माने जाने वाले शहर ऐसी महामारियों के मामले में कितने सुभेद्य हैं। पिछले एक दशक में हैजा, प्लेग और वैश्विक फ्लू महामारी जैसे संकटों के बाद अपशिष्ट जल, कचरा प्रबंधन, सामाजिक आवास और स्वास्थ्य संबंधी सुधारों के कारण इन बीमारियों में कमी आई है। ऐसे में इस महामारी के बाद सरकार को शहरीकरण की दिशा में महत्त्वपूर्ण सुधारों के लिये बड़े कदम उठाने होंगे। वर्तमान में महामारी के प्रसार को कम करने के लिए आवश्यक रणनीतियों पर कार्य करना जरूरी है। यह आवश्यक है कि शहरों के डिजाइन और शहरी वातावरण को इस तरह से बनाने के महत्व पर जोर दिया जाए जो व्यक्तियों के लिए एक स्वस्थ वातावरण प्रदान करे। तो चलिये जान लेते है कि शहरी नियोजन में देश को कौन-कौन सी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है और इसके समाधान क्या हैं।
शहर की जनसंख्या: जनसंख्या घनत्व के दृष्टिकोण से शहर और शहरी डिजाइन को संशोधित करने की आवश्यकता हो सकती है, जो एक महामारी के प्रसार को प्रभावित करने वाले सबसे बुनियादी कारकों में से एक है। दूसरे शब्दों में, जनसंख्या घनत्व जितना अधिक होगा, संक्रमण का खतरा उतना ही अधिक होगा। अतीत के पन्नों में देखे तो पाऐंगे कि 1850 में पेरिस (Paris) में हैजा के प्रसार में एक मुख्य कारक उच्च जनसंख्या घनत्व था और इसे रोकने के लिए ऐतिहासिक रूप से शहरी योजनाकारों के पहले प्रयासों में से एक शहरों में उच्च जनसंख्या घनत्व को कम करना था। उन्होंने सड़कों और पार्कों को चौड़ा किया, तथा सीवेज सिस्टम (sewage systems) स्थापित किए। इसलिए, शहरों को महामारी का निरंतर सामना करने के लिए उपयुक्त योजना की समीक्षा करने की आवश्यकता है।
सड़कों का डिजाइन: 21वीं सदी प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रही है, जिसमें बीमारी की रोकथाम के तरीकों पर पुनर्विचार करने का आह्वान किया जा रहा है। समाधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सड़क को नया स्वरूप देना है, जो साइकिल चालकों और पैदल चलने वालों के लिये सुविधाजनक हो। टॉड (Todd) 2020 के एक अध्ययन ने संबोधित किया कि महामारी वहां कम फैलती है जहां लोग पैदल पहुंच कर सुविधाओं के साथ समुदाय में रहते हैं। सामाजिक दूरी बनाये रखने के लिये उपयोगकर्ताओं के बीच व्यापक स्थान,व्यापक फुटपाथ और रास्ते उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। कई योजनाकारों को कुछ सड़कों से कारों को रोककर और पैदल चलने वालों तथा साइकिल चालकों के लिए अधिक स्थान प्रदान करके सड़कों के डिजाइन पर पुनर्विचार करने का यह एक अच्छा अवसर लगता है। जब सड़कों को फिर से डिजाइन किया जाता है और पैदल चलने वालों के स्थान तथा सक्रिय गतिशीलता को ध्यान में रखा जाता है, तो कई सार्वजनिक स्वास्थ्य लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।
सार्वजनिक परिवाहन: परिवहन हर शहर और शहरी वातावरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इस प्रकार महामारी के समय, यह अक्सर बीमारियों का प्रवेश द्वार बन जाता है। महामारी के प्रसार को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन पर प्रतिबंध लगाए जाने की आवश्यकता है। इन स्टेशनों को हमेशा बार-बार शुद्धिकरण की आवश्यकता होती है।भीड़ को सीमित करके, कर्मचारियों और यात्रियों की उचित सफाई और स्वच्छतासे जोखिम को कम किया जा सकता है।
सार्वजनिक स्थल: सार्वजनिक स्थल जैसे कि थिएटर (Theater), संग्रहालय, पुस्तकालय, सार्वजनिक खेल क्षेत्र आदि को ऐसे बनाये जाये कि इन्हें भविष्य में आने वाले संकटों के समय मानवीय जरूरतों के अनुसार ढाला जा सके। पार्क और हरित क्षेत्र: पार्क और हरित क्षेत्रों तक पहुंच एक मानवीय आवश्यकता है जो तनाव को कम करती है और शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करती है। परंतु कोविड-19 के संचरण को नियंत्रित करने की दृष्टि से हरित क्षेत्रों का सुरक्षित उपयोग बनाए रखना एक चुनौती है। ऐसे में शहरों के भीतर हरित क्षेत्रों और पार्कों के पुनर्वितरण पर विचार किया जा सकता है। डिजाइनरों को इन क्षेत्रों की योजना बनाने में व्यक्तिगत उपयोग के लिए अधिक स्थान देने की आवश्यकता हो सकती है जो व्यक्तियों को सार्वजनिक पार्कों का आनंद लेने की अनुमति दे और जिसेसे सामाजिक दूरी भी बनी रहे। इसके अलावा, शहरी ढांचे के भीतर ये बड़े खुले स्थान शहरों को आपातकालीन सेवाओं और निकासी प्रोटोकॉल (evacuation protocol) को लागू करने में मदद कर सकते हैं, इस बात को भी डिजाइनरों को ध्यान रखना चहिये।
भवन डिजाइन: कोविड के दौरान देखा गया कि शहरी निवासी अपने समय का एक बड़ा हिस्सा घर के अंदर बिताते हैं जहां वे घर से काम करने के लिए मजबूर है। इससे घर बस सोने, बच्चों के खेलने और काम करने की जगह बन गये हैं।
इसलिये आवश्यकता है कि भविष्य में भवन ऐसे डिजाइन किये जाये कि मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण में वृद्धि की जा सकें और जो अनुशंसित "सामाजिक दूरी" के अनुरूप हो। इसके अलावा शहरों में किफायती आवास और सार्वजनिक स्थान तक पहुंच में सुधार पर ध्यान केंद्रित होना चाहिए। मुख्य सेवाओं तक पहुंच पर ध्यान: आज शहरों में बहुत से लोगों के पास बुनियादी सेवाओं तक पहुंच नहीं है। कई जगह पानी, आवास और स्वास्थ्य देखभाल जैसी आवश्यक सेवाओं तक पहुंच की कमी है। इसलिये हमारी प्राथमिकता यह होनी चाहिये कि भविष्य में इन शहरों की बुनियादी सेवाओं तक पहुंच हो सकें। कोविड-19 संकट के शुरुआती दिनों से ही वैज्ञानिक समुदाय विभिन्न मुद्दों पर प्रकाश डालने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है, जैसे कि वायरस के प्रसार को बढ़ावा देने वाले तंत्र, इसके पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थिक प्रभाव, और आवश्यक पुनर्प्राप्ति और अनुकूलन योजनाएं तथा नीतियां। दुनिया भर के कई शहरों ने भविष्य के लिये योजना बनाना शुरू भी कर दिया है। इस महामारी को भविष्य के संकटों का बेहतर रूप से सामना करने के लिए शहरों के डिजाइन पर पुनर्विचार करने के एक अवसर के रूप में देखा जा सकता है।इसलिए, डिजाइनरों, योजनाकारों और सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों को इस संकट के दौरान और बाद में स्वस्थ शहरों के निर्माण में सहयोग करना चाहिए। आज देश में समकालीन शहरों के अच्छे डिजाइन के माध्यम से रोग निवारण सिद्धांत में सुधार के लिए और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है।

संदर्भ:
https://bit.ly/34CE0my
https://bit.ly/2TDmUTp
https://bit.ly/3idhubY

चित्र संदर्भ
1. शहरी घरों का एक चित्रण (Unsplash)
2. मई 2020 में यूक्रेन में कृत्रिम वेंटिलेशन के अभाव में स्कूबा मास्क पहने हुए मरीज का एक चित्रण (wikimedia)
3. शहरी भवन संरंचना का एक चित्रण (Unsplash)
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