रेशम का विज्ञानं तथा रेशम मार्ग का विश्व की सभ्यताओं पर पड़ने वाला प्रभाव

तितलियाँ व कीड़े
13-05-2021 06:38 PM
रेशम का विज्ञानं तथा रेशम मार्ग का विश्व की सभ्यताओं पर पड़ने वाला प्रभाव

कपड़ा उद्योग में रेशम (Silk) का अपना प्रभुत्व है। केवल वस्त्र उद्योग में ही नहीं, बल्कि रेशम की विशिष्ट खासियतों की वजह से इसे "रेशम का रुमाल" जैसे अनेकों बॉलीवुड के गानों में भी प्रचुरता से इस्तेमाल किया गया। चलिए जानते हैं रेशम से जुड़ी सभी जरूरी बातें।
रेशम क्या है?
रेशम एक प्रकार के प्राकर्तिक प्रोटीन (फिब्रोइन "fibroin") से निर्मित रेशा (Fiber) होता है। इन रेशों का इस्तेमाल वस्त्र बनाने के लिए किया जाता है, जिन्हे हम प्रसिद्ध "रेशम के कपड़ों" के नाम से जानते हैं। सबसे अच्छी गुणवत्ता वाला रेशम शहतूत के पत्तों पर पलने वाले कीड़ों के लार्वा (Larvae) द्वारा निर्मित किया जाता है। यह रेशा सामान्यतः रेशम के कीटों ( बाम्बिक्स वंश के लार्वा) से प्राप्त होता है।
रेशम एक तरह का महीन, चमकदार तथा मजबूत रेशा होता है, जो की “पिल्लू” नामक कीड़ों द्वारा तैयार किया जाता है। यह कीड़े तितली की प्रजाति के होते हैं। इनमें समय के साथ कई परिवर्तन होते हैं, सबसे पहले अण्डों से निकलने के पश्चात ये किसी रेंगने वाले कीड़े की भांति ही रेंगते हैं, और पेड़ों की पत्तियां खाते हैं। शहतूत की पत्तियां प्रायः इनका पसंदीदा भोजन होती हैं। जब यह थोड़े बड़े होते हैं तो पुनः ये एक विशेष प्रकार का कोष बनाकर जिसे 'कोया” कहा जाता है उसके भीतर चले जाते हैं। इसी अण्डाकार कोष के भीतर ही वे खास प्रकार का तन्तु निकालते हैं, जिसे हम सभी रेशम के नाम से जानते हैं। जब यह कीड़े अधिक परिपक्वा हो जाते हैं, तब अपने कोष को छोड़कर उड़ जाते हैं, और कोष के भीतर हमें चमकीला रेशम प्राप्त होता है। रेशम का व्यापार करने वाले लोग इन्हे उड़ने से पहले ही गरम पानी से मारकर रेशम निकाल लेते हैं। अलग-अलग स्थानों के आधार पर इन्हें विभिन्न नामों जैसे विलायती, मदरासी या कनारी, चीनी, अराकानी, आसामी, इत्यादि से जाना जाता है।

प्राचीन काल से ही रेशम को विभिन्न क़ुदरती तथा अन्य प्रक्रियाओं से प्राप्त किया जाता है। सबसे पहले प्राप्त रेशम की कताई की जाती है, जिसे एक लम्बे धागे के रूप में तैयार किया जाता है। जिसके पश्चात प्राप्त धागे को मनचाहे वस्त्र का आकार दे दिया जाता है। भारत में रेशम के कपड़ों का इस्तेमाल प्रायः समाज में अपनी सामाजिक स्तर तथा विलासिता भरे जीवन को दर्शाने के लिए किया जाता है। यहाँ पर रेशम से निर्मित कपड़ों की अत्यधिक मांग है, तथा अपनी अच्छी गुणवत्ता के आधार पर रेशम से जुड़े उद्पाद महंगे भी हैं। यहाँ सर्वाधिक रेशम का उद्पादन मैसूर तथा उत्तरी बैंगलोर में होता है। भारत में, कच्चे शहतूत से निर्मित रेशम का लगभग 97% हिस्सा कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादित होता है। भारत में विशेष तौर पर "वन्य रेशम" अर्थात जंगली रेशम का उत्पादन प्रचुरता से किया जाता है। यहाँ मुख्य रूप से चार प्रकार के रेशम शहतूत, तसर, मुगा और एरी उत्पादन किया जाता है। अकेले तसर रेशम का अनुमानित वार्षिक उत्पादन 130 टन है। अन्य समस्त प्रकार के रेशम का उत्पादन अनुमानित वार्षिक 10,000 टन तक पहुँच जाता है।
मध्य कालीन समय में पूर्व और पश्चिम को जोड़ने के लिए बड़े व्यापार मार्गों का एक नेटवर्क था, जिसे रेशम मार्ग (Silk Road) के नाम से जाना जाता था। इसके माध्यम से एशिया, यूरोप और अफ्रीका सभी आपस में जुड़े हुए थे। इन मुख्य मार्गों के माध्यम से 18 वीं शताब्दी तक बड़े पैमाने पर आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और धार्मिक विचारों का आदान-प्रदान होता था। इस मार्ग का सफर बड़े पैमाने पर जमीन पर तय करना पड़ता था जमीनी हिस्सा लगभग 6,500 किलोमीटर लंबा था। यह मार्ग चीन से शुरू होकर पश्चिम की तरफ सबसे पहले मध्य एशिया और फिर यूरोप की ओर जाता था, जहाँ से एक शाखा भारत की ओर भी निकलती थी। इसे मुख्य तौर पर व्यापारिक मार्ग के रूप में प्रयोग किया जाता था। ज्यादातर व्यापारी दूसरे हिस्सों में माल पहुंचाते थे, और उन्हें दूसरे व्यापारियों को बेचते थे। प्रारंभ में रेशम मार्ग पर अधिकांश व्यापारी भारतीय और बैक्ट्रियन (Bactrian) थे, और मध्यकाल में ईरानी और अरब भी आने लगे थे। रेशम मार्ग का चीन, भारत, मिस्र, ईरान, अरब और प्राचीन रोम की महान सभ्यताओं के विकास पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ा है। इस मार्ग से न केवल व्यापार बल्कि बड़ी मात्रा में ज्ञान, धर्म, संस्कृति, भाषाएँ, विचारधाराएँ, सैनिकों, घुमंतुओं ,और बीमारियों का भी आदान प्रदान हुआ है। यहाँ से चीन रेशम, चाय और चीनी मिट्टी के बर्तन निर्यात करता था, और भारत मसाले, हाथीदांत, कपड़े, काली मिर्च और कीमती पत्थर दूसरे हिस्सों में भेजता था। और रोम से सोना, चांदी, शीशे की वस्तुएं, शराब, कालीन और गहने भेजे जाते थे।

संदर्भ
● https://bit.ly/3vGUeGU
● https://bit.ly/3vGk7GE
● https://bit.ly/3xKSu1e
● https://bit.ly/2PSheU8
● https://bit.ly/3eMVAsK

चित्र संदर्भ

1.नक़्शे तथा रेशम के कीड़े का एक चित्रण (Unsplash,Wikimedia)
2 रेशम के कीड़े का एक चित्रण (Wikimedia)
3. रेशम मार्ग का एक चित्रण (Wikimedia)

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