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पश्चिम के किसी भी संगीत प्रेमी के लिए जैज़ संगीत (Jazz Music) किसी परिभाषा का मोहताज नहीं है। वहां के देशों में संगीत की यह विशिष्ट शैली बेहद लोकप्रिय है। बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में न्यू ऑरलियन्स (New Orleans) के अश्वेत संगीतकारों द्वारा जैज शैली को विकसित किया गया। संगीत की इस प्रधान शैली में जटिल सामंजस्य, समन्वित लय और विशेषता पर अधिक जोर दिया गया है। जैली रोल मॉर्टन और लुईस आर्मस्ट्रांग (Jelly Roll Morton and Louis Armstrong) जैज़ शैली के प्रारंभिक संगीतकार थे, जिन्होंने ब्लूज़ और रैगिट(blues and ragtime) (एक अन्य प्रकार की पश्चिमी संगीत शैली) के परस्पर अनुबंध से संगीत की इस नई शैली को प्रसिद्धि के नए शिखर तक पहुँचाया। जिससे यह अमेरिकी संगीत की एक नई शैली बन गई, और अफ़्रीकी ,अमेरिकी तथा यूरोपियन देशों में अति लोकप्रिय हुई।
1920 में यह संगीत शैली धीरे-धीरे भारत में भी आम जनमानस में विस्तृत होने लगी। भारत में पहली बार जैज़ संगीत शैली का प्रदर्शन सन 1920 में मुंबई (तत्कालीन समय का बंबई शहर) और कोलकाता (पहले कलकत्ता के नाम से जाना जाता था) में अफ्रीकी-अमेरिकी जैज संगीतकारों द्वारा किया गया। उन कलाकारों ने भारतीय संगीतकारों को भी जैज़ संगीत की तरफ प्रेरित किया, और काफी मंथन करने के पश्चात धीरे-धीरे भारतीय संगीत उद्द्योग में भी इस संगीत शैली की झलकियां दिखने लगी। जब सर्वप्रथम भारत में इस शैली को प्रदर्शित किया गया, उसके पश्चात यहाँ निरंतर सुनी और प्रसारित होने लगी। 1930 से 1950 के दशक को भारत में जैज़ के स्वर्ण युग के तौर पर देखा जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में हुए जातीय भेदभाव से बचने के लिए लियोन एबे (Leon Abbey), क्रेगटन थॉम्पसन (Creighton Thompson), केन मैक(Ken Mac), रॉय बटलर(Roy Butler), टेडी वेदरफोर्ड(Teddy Weatherford) जैसे संगीतकारों ने भारत का रुख किया, तथा जिनके द्वारा प्रस्तुत किये गए जैज़ संगीत कार्यक्रमों ने अपार लोकप्रियता हासिल की, और भारत में प्रसिद्धि के नए आयाम स्थापित किये।
जैज़ संगीत के फलने-फूलने के परिपेक्ष्य में गोवा (Goa) का भी महत्वपूर्ण स्थान रहा है। यहाँ पर इसे उद्द्योग अथवा पेशे के रूप में भी लिया गया, क्योंकि गोवा के नागरिकों ने पुर्तगाली शासन के तहत पश्चिमी संगीत सीखा था। जिसका प्रस्तुतीकरण वे पांच सितारा होटल में करते थे। धीरे-धीरे संगीत की यह शैली बॉलीवुड(Bollywood) में भी अपने पाँव ज़माने लगी, तथा फिल्म उद्योग में भी लोकप्रियता के शिखर पर पहुंच गया। यद्द्यपि संगीत की इस शैली को आर्थिक रूप से सम्पन्न वर्ग के लिए (धनी लोगों ) ही समर्पित माना जाता था, परन्तु भारत में मजदूर वर्ग ने भी संगीत की इस शैली के प्रति रुचि दिखाई। यह फिल्मों के माध्यम से हर वर्ग के व्यक्ति तक पंहुचा, और प्रसिद्धि के नए कीर्तिमान स्थापित किये। फ्रैंक फर्नांड और एंथोनी गोंसाल्वेस (Frank Fernand and Anthony Gonsalves ) जैसे श्रेष्ठ संगीतकारों ने न केवल पश्चिमी संगीत की चमक को बॉलीवुड में प्रसारित किया, साथ ही भारतीय शास्त्रीय संगीत को दुनिया भर में फैलाया। जैज़ बिरादरी भी विभिन्न समुदायों के साथ सामंजस्य स्थापित करने में सफल रही, क्यों की इसमें एंग्लो-इंडियन(Anglo-Indian) और और गोवा जैसे समुदाय तथा रूडी कॉटन (Rudy Cotton ) जैसे पारसी लोग भी शामिल थे।
धीरे-धीरे गुजरते समय अंतराल के साथ जैज संगीत शैली भारतीय शास्त्रीय संगीत के साथ सम्मिलित होकर समानता स्थापित करने लगी। अर्थात जैज़ और भारतीय शास्त्रीय संगीत में कई प्रकार की समानताएं भी थी। जिनमे एक समानता यह थी कि संगीत की यह दोनों उत्कृष्ट शैलियाँ समाज की आम गतिविधियों से वास्ता रखती थी। भारतीय संगीतकारों को इन समानताओं का एहसास हुआ और 1940 के दशक में भारतीय शास्त्रीय संगीतकारों और पश्चिमी जैज़ संगीतकारों के बीच सहयोग से इंडो जैज़ नामक संगीत की एक नई उत्कृष्ट शैली का विकास हुआ। जिसे बड़े स्तर पर जैज़ संगीत और भारतीय शास्त्रीय के मिश्रण से बनाया गया था। रविशंकर( Ravi Shankar), जॉन कोलट्रैन(John Coltrane), जॉन मेयर(John Mayer) और जॉन मैकलॉघलिन(John McLaughlin) जैज़ और भारतीय संगीत को संयोजित करके नयी संगीत इंडो-जैज़ की व्युत्पत्ति करने वाले कलाकारों में अग्रणी थे।
महात्मा गांधी ने खुद भारत में संगीत के शुरुआती लोकप्रियकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। संगीत की लोगों को एक साथ लाने की क्षमता को पहचानते हुए उन्होंने देखा कि संगीत में सांप्रदायिक मतभेद और शत्रुता का कोई मूल्य नहीं था। उन्होंने पाया की संगीत को राष्ट्रीय एकीकरण के लिए एक मंच के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, क्योंकि इन कार्यक्रमों में हिंदू और मुस्लिम संगीतकार सभी एक साथ एक ही मंच पर उपस्थित होंगे।
संदर्भ:
https://bit.ly/3eCtAIf
https://bit.ly/3gLjM15
https://bit.ly/3vmN0aM
https://bit.ly/3nq7Ao3
चित्र संदर्भ:
1.जैज़ संगीत के मंच का चित्रण (Unsplash)
2.लुईस आर्मस्ट्रांग का चित्रण (Wikimedia)
3.भारतीय संगीतज्ञों का चित्रण (Daily Bruin)
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