भारतीय सेना में अहम भूमिका निभाती हैं, कुत्ते की विभिन्न नस्लें

हथियार व खिलौने
15-03-2021 10:21 AM
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भारतीय सेना में अहम भूमिका निभाती हैं, कुत्ते की विभिन्न नस्लें
जीव-जंतुओं का उपयोग काफी समय पूर्व से ही युद्ध में किया जाता रहा है तथा इन्हीं जंतुओं में से एक कुत्ता भी है। मिस्र (Egyptians), यूनानियों (Greeks), फारसियों (Persians), बागंडा (Baganda), एलन (Alans), स्लाव (Slavs), रोमन (Romans) आदि ने युद्ध में कुत्तों का उपयोग किया। यूनान और रोम में कुत्तों का उपयोग सबसे अधिक पहरेदार या सैन्य दल के रूप में किया जाता था और उन्हें कभी-कभी ही युद्ध में शामिल किया जाता था। माना जाता है कि, युद्ध में कुत्तों का सबसे पहला उपयोग 600 ईसा पूर्व लिडिया (Lydia - लगभग 1200 ईसा पूर्व से 546 ईसा पूर्व का एक साम्राज्य) के एलियाटेस (Alyattes) ने सेमेरिएंस (Cimmerians - लगभग 1000 ईसा पूर्व के खानाबदोश इंडो-यूरोपीय (Indo-European) लोग) के विरूद्ध किया था। प्राचीन काल में अत्तिला द हुन (Attila the Hun) ने अपने अभियानों में मोलोजर (Molosser) कुत्तों का इस्तेमाल किया। फ्रेडरिक द ग्रेट ऑफ पर्शिया (Frederick the Great of Prussia) ने रूस (Russia) के साथ सात साल के युद्ध के दौरान कुत्तों को संदेशवाहक के रूप में इस्तेमाल किया था। नेपोलियन (Napoleon) ने भी अपने विभिन्न अभियानों के दौरान कुत्तों का उपयोग किया। अमेरिका (America) में सैन्य उद्देश्यों के लिए कुत्तों का पहला आधिकारिक उपयोग सेमिनोल (Seminole) युद्धों के दौरान किया गया था।
आधुनिक समय में कुत्तों का उपयोग युद्ध, पहरेदारी, संदेशवाहक, मार्ग खोजने आदि कामों के लिए किया जाता है। भारत की यदि बात करें तो, भारतीय सेना में सेवा के लिए कुत्तों को 1959 में पहली बार उपयोग किया गया था। तब से, मेरठ के रिमाउंट और वेटरनरी कॉर्प्स (Remount and Veterinary Corps - RVC) केंद्र और कॉलेज में हजारों कुत्तों को उनकी नस्ल और योग्यता के आधार पर, विस्फोटक की पहचान, खान का पता लगाने, ट्रैकिंग (Tracking), रखवाली आदि के लिए कठोर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। रिमाउंट और वेटरनरी कॉर्प भारतीय सेना की एक प्रशासनिक और परिचालन शाखा है तथा यहां सेना में इस्तेमाल होने वाले सभी जानवरों का प्रजनन, पालन और प्रशिक्षण किया जाता है। आर्मी (Army) वेटरनरी कॉर्प्स को आधिकारिक तौर पर 14 दिसंबर 1920 को स्थापित किया गया था, किन्तु 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के फलस्वरूप भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं के लिए 2:1 के अनुपात में पशु चिकित्सा और सैन्य फार्म (Farms) निगमों की संपत्ति का विभाजन भी किया गया। 1960 में संयुक्त रिमाउंट, वेटरनरी और फार्म कॉर्पोरेशन (Corporation) स्वतंत्र सैन्य दल के रूप में अलग हो गया। वर्तमान समय में, सेना के कई कुत्तों को ऐसे क्षेत्रों में तैनात किया गया है, जहां आतंकवाद या विद्रोह अत्यधिक मौजूद है। अन्य कुत्ते वीआईपी (VIPs) लोगों तथा रणनीतिक रक्षा प्रतिष्ठानों को सुरक्षा प्रदान करते हैं। कुत्तों की ऐसी कई इकाइयां हैं, जिन्होंने बड़ी संख्या में परिचालन मिशनों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और कई पुरस्कार जैसे, शौर्य चक्र, सेना पदक आदि भी प्राप्त किये हैं। पशु वेटरनरी कॉर्प्स के प्रशिक्षण और उनके रिटायरमेंट होम (Retirement home) के रूप में मेरठ मुख्य केंद्र माना जाता है।
हर बड़े संघर्ष के दौरान कुत्तों का उपयोग सेनाओं में किया जाता रहा है, लेकिन आधिकारिक तौर पर उन्हें उनके काम के लिए द्वितीय विश्व युद्ध तक मान्यता प्राप्त नहीं हुई थी। आज लगभग 2500 कुत्ते सक्रिय सेवा में हैं, जबकि लगभग 700 विदेशों में तैनात हैं। सेनाओं में काम करने वाले लगभग 85% कुत्ते जर्मनी (Germany) और नीदरलैंड (Netherlands) से खरीदे जाते हैं। अधिकांशतः यह माना जाता है कि, सैन्य उपयोग के लिए जर्मन शेफर्ड (German Shepherds) नस्ल का उपयोग किया जाता है, किन्तु वास्तव में कई अलग-अलग नस्लों ने सालों से अपनी वीरता का प्रदर्शन किया है। युद्ध के कुत्तों को प्रशिक्षित करने के दौरान उन्हें गंभीर भावनात्मक आघात का भी अनुभव होता है। वे अपने साथी या जो उसे नियंत्रित करता है, की मौत पर शोक भी जताते हैं। कुत्तों की बहादुरी का उदाहरण कोनन (Conan) नामक कुत्ते से भी लिया जा सकता है, जिसने दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी और इस्लामिक स्टेट (State) के मुखिया अबु बक्र अल बगदादी (Abu Bakr al-Baghdadi) को मार गिराने में अहम भूमिका निभाई थी। सैन्य दलों के अलावा घर की सुरक्षा के लिए भी कुत्तों को एक अच्छा पशु माना जाता है। इसका प्रमुख कारण यह है कि, खतरा महसूस होने पर कुत्ते तेज आवाज में भौंकते हैं। यदि इन्हें रात में थोड़ी सी भी गड़बड़ी महसूस होती है, तो वे अपने मालिकों को आसानी से जगा देते हैं। इसके अलावा वे अपने मालिकों की रक्षा के लिए भी विशेष रूप से जाने जाते हैं। किंतु अफ़सोस की बात है कि, इनकी बहादुरी के सराहनीय कृत्यों के बारे में कभी भी किसी प्रकार का प्रचार या लेखन नहीं किया जाता है। रेक्स (Rex), रॉक (Rock), रॉकेट (Rocket), रुदाली (Rudali), मानसी (Manasi), एलेक्स (Alex), आदि उन कुत्तों में शामिल हैं, जिन्हें अपनी बहादुरी के लिए जाना जाता है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3ruYLuh
https://bit.ly/3qtQXaQ
https://bit.ly/3cgbLh6
https://bit.ly/3rBRLM3
https://bit.ly/2OJQXpR

चित्र संदर्भ:
मुख्य तस्वीर मेरठ में प्रशिक्षित सेना के कुत्तों को दिखाती है। (प्रारंग)
दूसरी तस्वीर RVC को UNMISS में भारतीय दल के हिस्से के रूप में काम करती है। (विकिपीडिया)
तीसरी तस्वीर में आरवीसी लोगो दिखाया गया है। (विकिपीडिया)
अंतिम तस्वीर में इराक में सेना के कुत्ते और सेना के व्यक्ति को दिखाया गया है। (पिक्साबे)
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