अपेक्षाकृत अधिक समय तक क्यों जीवित रहते हैं, अधिकांश पेड़?

व्यवहारिक
26-02-2021 10:05 AM
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अपेक्षाकृत अधिक समय तक क्यों जीवित रहते हैं, अधिकांश पेड़?
बीज के अंकुरण से लेकर मृत्यु तक, एक पौधे के जीवन का चक्र उसके जीवन काल के रूप में जाना जाता है। कुछ पौधों का जीवन काल कम (एक वर्ष से कम) का होता है, जबकि कुछ का जीवन काल सदियों में मापा जाता है। सबसे लंबा जीवन जीने वाले प्राणी या जीव पौधे हैं। उदाहरण के लिए, जहां पूर्वी कैलिफ़ोर्निया (California) का ब्रिस्टलिकोन पाइन (Bristlecone pine) पेड़ सैंतालीस सौ साल पुराना है, तो वहीं कैलिफ़ोर्निया की कुछ क्रिअसोट (Creosote) झाड़ियों का जीवन काल लगभग बारह हजार साल से भी पुराना है। यूं तो लोग पौधे की दीर्घायु में भिन्नता को लंबे समय से पहचान रहे हैं, लेकिन 1960 के दशक के दौरान हुए अनुसंधान के बाद से पौधों के जीवन काल को समझने में बहुत अधिक सुधार हुआ है। ‘जानवरों की तुलना में पौधे आमतौर पर अधिक समय तक क्यों जीवित रहते हैं, इस बारे में एक हालिया रिपोर्ट (Report) बताती है, कि पौधों की जड़ों में कुछ खास संगठित स्टेम कोशिकाएं (Stem cell), डीएनए (DNA)-क्षति के प्रति कम संवेदनशील होती हैं। ये कोशिकाएं एक मूल और पूर्ण डीएनए प्रति धारण करती हैं, जिनका इस्तेमाल आवश्यकता पड़ने पर क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को बदलने के लिए किया जा सकता है। पशुओं में भी यही क्रियाविधि होती है, लेकिन पौधों ने इसे अधिक अनुकूलित तरीके से उपयोग या नियोजित किया है। इससे यह समझा जा सकता है कि, अनेकों पौधे सैकड़ों वर्षों से भी अधिक समय तक क्यों जीवित रहते हैं, जबकि जानवरों में प्रायः ऐसा नहीं होता? ये कुछ विशिष्ट व्यवहार हैं, जिन्हें पौधों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। यह व्यवहार ही उन्हें अपने अस्तित्व को बचाए रखने और पर्यावरण या वातावरण के साथ अनुकूलित होने में मदद करता है। कुछ विशिष्ट कार्यों को करने के लिए अधिकांश पौधे अपने आकार या रूप में परिवर्तन करते हैं, जो कि स्थायी और अस्थायी दोनों हो सकते हैं। एक पौधे का जीवन काल मुख्य रूप से दो कारकों पर निर्भर करता है। पहला कारक दीर्घायु के लिए जन्मजात, आनुवंशिक रूप से निर्धारित क्षमता है, जबकि दूसरा कारक मिट्टी और मौसम की स्थिति, प्रतिस्पर्धा वाले पौधे, रोग पैदा करने वाले रोगाणु आदि सहित पर्यावरणीय प्रभाव है।
ग्रेट बनयन (Great Banyan) या बरगद का पेड़ भी उन पेड़ों में से एक है, जिनका जीवन काल सबसे अधिक होता है। बरगद का यह पेड़ कोलकाता के निकट आचार्य जगदीश चंद्र बोस भारतीय वनस्पति उद्यान शिबपुर, हावड़ा में स्थित है। यूं तो, उद्यान में अन्य विदेशी पौधों का संग्रह भी है, लेकिन लोग अधिकतर इस पेड़ को देखने ही उद्यान में आते हैं। दो भीषण चक्रवातों से प्रभावित होने के कारण इसका मुख्य तना क्षतिग्रस्त हुआ, इसलिए शेष भाग को स्वस्थ रखने के लिए 1925 में पेड़ के मुख्य तने को काट दिया गया। इसकी परिधि के आसपास 330 मीटर लंबी (1,080 फीट) सड़क बनायी गयी है, लेकिन यह उसे भी आवरित करता है। यह पेड़ देखने में कई पेडों का एक समूह लगता है, किंतु वास्तव में यह एक ही है, जो लगभग 250 साल से भी अधिक पुराना है। पेड़ द्वारा अधिग्रहित किया गया क्षेत्र लगभग 18,918 वर्ग मीटर है। पेड़ के वर्तमान शीर्ष भाग की परिधि 486 मीटर है, और उच्चतम शाखाएं 24.5 मीटर तक बढ़ सकती हैं। इसकी ऊंचाई लगभग गेटवे ऑफ इंडिया (Gateway of India) के बराबर है। 20 मई, 2020 को पश्चिम बंगाल से गुजरे चक्रवात अम्फान (Amphan) के कारण पेड़ की कई अवलंबी (Prop) जड़ों को नुकसान झेलना पड़ा। समृद्ध ऐतिहासिक और आध्यात्मिक संबंधों के साथ बरगद को भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों में अर्थपूर्ण या सार्थक पेड़ माना जाता है। भारत में इसे वट-वृक्ष के नाम से जाना जाता है, जो मृत्यु के देवता, यम से जुड़ा हुआ है, और अक्सर गांवों के बाहर श्मशान के पास लगाया जाता है। हिंदू धर्म में, यह कहा जाता है, कि भगवान कृष्ण ने जब पवित्र संस्कृत ग्रंथ, भगवद गीता का उपदेश दिया, तब वे ज्योतिसर में एक बरगद के पेड़ के नीचे खड़े थे।
2,500 साल पहले लिखे गए हिंदू ग्रंथों में बरगद को एक लौकिक 'विश्व वृक्ष' के रूप में वर्णित किया गया है। इनके अनुसार बरगद की जड़ों का सम्बंध स्वर्ग से है, जो आशीर्वाद देने के लिए नीचे की ओर बढ़ती हैं। सदियों से इस पेड़ ने प्रजनन क्षमता, जीवन और पुनर्जन्म के प्रतीक के रूप में महत्व प्राप्त किया है, इसके अलावा सदियों से इसने दवा और भोजन के स्रोत के रूप में भी कार्य किया है। इसकी छाल और जड़ों का उपयोग आज भी कई प्रकार के विकारों के इलाज के लिए किया जाता है, विशेष रूप से आयुर्वेदिक चिकित्सा में। जब अंग्रेजों ने भारत पर कब्जा किया, तब उनके शासन का विरोध करने वाले विद्रोहियों को फांसी देने के लिए उन्होंने बरगद के पेड़ का इस्तेमाल किया। 1850 के दशक तक, सैकड़ों पुरुषों को बरगद की शाखाओं द्वारा फांसी दी गयी। जब भारत को स्वतंत्रता मिली, तब लोगों ने बरगद को फिर से याद किया और इसे राष्ट्रीय पेड़ बना दिया।

संदर्भ:
https://bit.ly/3spb23r
https://bit.ly/3usBniX
https://bit.ly/3qQkSen
https://bit.ly/2NB5GmX
https://bit.ly/37LFbSy


चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र महान बरगद को दर्शाता है। (flicker)
दूसरी तस्वीर पूर्वी कैलिफोर्निया में ब्रिस्टलकोन देवदार के पेड़ को दिखाती है। (flicker)
तीसरी तस्वीर एक पुराने पेड़ पर जड़ों को दिखाती है। (पिक्साबे)
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