किसी भी व्यक्ति के लिए अपने बालों को खुद काटना बहुत मुश्किल होता है, किंतु कोरोना महामारी के कारण हुई तालाबंदी की वजह से यह कौशल भी लोगों ने सीखा तथा विभिन्न प्रकार के हेयर स्टाइलों (Hair styles) या केश विन्यासों के साथ प्रयोग किया। लेकिन, आखिर हम बाल क्यों काटते हैं? या बाल अपने आप वृद्धि करना बंद क्यों नहीं कर देते? कुछ विकासवादी मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, लंबे बाल मनुष्य के अच्छे स्वास्थ्य का संकेतक हैं। अर्थात, यदि मनुष्य के बालों की लंबाई में वृद्धि हो रही है, तो इसका मतलब है कि, वह किसी भयानक बीमारी से ग्रसित नहीं है। इस तर्क के आधार पर किसी व्यक्ति के अच्छे या खराब स्वास्थ्य का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। सामान्य रूप से मानव में बालों की वृद्धि दो चरणों में होती है। पहला चरण उन बालों की वृद्धि को संदर्भित करता है, जिनकी देखभाल आसानी से की जा सकती है, तथा जो कुछ इंच बढ़ने के बाद वृद्धि करना बंद कर देते हैं। दूसरा चरण यौवन आरम्भ के बाद बढ़ने वाले बालों को संदर्भित करता है, जिनकी लंबाई अपेक्षाकृत अधिक होती है, तथा वे आगे भी वृद्धि करते रहते हैं। बालों को हमेशा एक अत्यधिक संवादशील विषय के रूप में देखा जाता है, क्यों कि, बालों के रंग, उनकी बनावट आदि से यह अनुमान लगाया जा सकता है, कि व्यक्ति कौन से क्षेत्र या समूह से आता है। इसके अलावा बाल व्यक्ति की संस्कृति, धार्मिकता, शक्ति आदि की जानकारी देने में भी सहायक माने जाते हैं। लंबे बालों का महिलाओं से बहुत घनिष्ठ सम्बंध है, जो कि, आज से नहीं, बल्कि प्राचीन काल से मौजूद है। इस सम्बंध के साक्ष्य प्राचीन यूनान (Greece) और रोम (Rome) से प्राप्त किये जा सकते हैं। रोमन महिलाओं ने अपने जीवन में लंबे बालों को अत्यधिक महत्व दिया। अगर किसी महिला के लंबे बाल होते तो, यह उसके लिए बहुत गर्व की बात मानी जाती। महिलाओं के अलावा पुरूषों ने भी अपने बालों पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित किया। अंतिम सहस्राब्दी की शुरुआत में इटली (Italy) में गोथिक (Gothic) योद्धाओं को उनके लंबे बालों के लिए जाना जाता था। हालांकि, उनके समाज में पुरूषों के बालों की लंबाई महिलाओं की तुलना में कम ही होती थी।
विभिन्न देशों, धर्मों, संस्कृतियों आदि में जन्म के बाद पहली बार सारे बाल कटवाने का अपना विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में बालों को पूरी तरह से कटवाने की परंपरा मुंडन के नाम से जानी जाती है। जन्म के बाद सिर पर मौजूद बालों को पिछले जन्मों के अवांछनीय लक्षणों से जुड़ा माना जाता है। इसलिए, बच्चे को पिछले जन्म से आजादी दिलाने और भविष्य का जीवन प्रदान करने के लिए उसका मुंडन करवाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि, मुंडन करने से बच्चे का मस्तिष्क और तंत्रिकाएं उचित विकास के लिए उत्तेजित हो जाती हैं। हिन्दू धर्म में माता-पिता की मृत्यु के बाद भी कुछ बालों को छोड़कर पूरे सिर के बाल काट दिये जाते हैं। मलिकू (Maliku) में भी जन्म के बीसवें दिन, बच्चों के सिर मुंडवाए जाते हैं। काटे गये बालों को सोने या चांदी से तौला जाता है, जिसके बाद उसे गरीबों को दान कर दिया जाता है। मंगोलियाई (Mongolian) बच्चों के बाल 2-5 वर्ष के बीच कटवाए जाते हैं। चंद्र कैलेंडर (Calendar) के आधार पर, लड़कों का पहली बार मुंडन विषम (Odd) वर्ष में, जबकि, लड़कियों का सम (Even) वर्ष में कराया जाता है। यहाँ मुंडन करने की परंपरा को दाहा' उर्गेह (Daah' Urgeeh) कहा जाता है, तथा मेहमानों को घर बुलाकर सुन्दर आयोजन किया जाता है। रूढ़िवादी यहूदी लोगों में बच्चे का पहली बार मुंडन तीन साल की उम्र में किया जाता है।
मुंडन के समारोह को यहूदी में अपशेरेनिश (Upsherenish) या अपशेरिन (Upsherin) कहा जाता है। मुस्लिम समुदायों में मुंडन के समारोह को अकीकाह (Aqiqah) के नाम से जाना जाता है। जब बच्चा सात दिन का हो जाता है, तब उसके सारे बाल काट दिए जाते हैं तथा सिर का केसर के साथ अभिषेक करवाया जाता है। इस परंपरा के अंतर्गत कटे बालों के भार के बराबर सोना-चांदी दान कर दिया जाता है। मुंडन की परंपरा व्यापक रूप से अत्यधिक पुरानी नहीं है। ऐसा माना जाता है कि, इसकी शुरुआत ईसा मसीह के शिष्यों से हुई थी, जिन्होंने टोरा (Torah) के उस आदेश का पालन किया, जिसमें बताया गया था कि, व्यक्ति को सिर के चारों ओर के बाल नहीं काटने चाहिए। 7 वीं और 8 वीं शताब्दियों में मुंडन के प्रायः तीन रूप थे, जिनमें ओरिएंटल (Oriental), केल्टिक (Celtic), रोमन शामिल हैं।
संदर्भ:
http://bitly.ws/bCMV
http://bitly.ws/bCMW
http://bitly.ws/bCMX
http://bitly.ws/bCMZ
चित्र संदर्भ:
मुख्य तस्वीर में एक आदमी को अपने ही बाल काटते हुए दिखाया गया है। (पिक्साबे)
दूसरी तस्वीर में डोरियन स्ट्रिपलिंग को पहली बार अपना बाल कटवाते हुए दिखाया गया है। (पिकरील)
तीसरी तस्वीर में दिखाया गया है कि एक रब्बी तीन साल के लड़के पर पारंपरिक पहला हेयरकट करते दिखाया गया है। (विकिमीडिया)
अंतिम तस्वीर में रोमन टॉन्सिल (कैथोलिक धर्म) को दिखाया गया है। (विकिमीडिया)