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विश्व को कोविड महामारी (COVID-19 Pandemic) से जूझते हुए पूरा एक वर्ष हो गया है। अब तक इस महामारी से पूरी दुनिया में 22 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु और 10 करोड़ से अधिक लोगों में संक्रमण (जनवरी 2021 तक) हो चुका है। कोविड-19 को काबू में करने के लिये कई देशों में लागू किये गए महीनों के लॉकडाउन (lockdown) ने उनकी अर्थव्यवस्था को चरमरा कर रख दिया है। कोविड-19 से विश्व जूझ रहा था और काफी चुनौतियों का सामना कर रहा था। मगर अब राहत की बात यह है कि कुछ देशों ने कोरोना विषाणु (Corona Virus) को खत्म करने के लिये वैक्सीन/टीका का निर्माण किया है। अमेरिका (America), ब्रिटेन (Britain) और कैनेडा जैसे बड़े देशों के साथ वैक्सीन बनाने में भारत का भी नाम शुमार है। भारत ने तो दूसरे देशों जैसे बांग्लादेश (Bangladesh) और मैक्सिको (Mexico) को भी इसका निर्यात करना शुरू कर दिया है।
उत्तर प्रदेश में मेरठ जिले के स्वास्थ्य विभाग प्राधिकारी (Health Department Authority) के अनुसार शहर में लगभग 15,350 कोविड वैक्सीन की शीशियाँ आ चुकी हैं। वैक्सीन का यह बैच मेरठ मेडिकल कॉलेज कैंपस (Meerut Medical College Campus) द्वारा प्राप्त किया गया। हर जिले की तरह मेरठ ने भी वैक्सीन प्राप्त करने के लिए अपने वाहन के साथ-साथ सुरक्षा हेतु जवान भेजा। वैक्सीन को गंतव्य तक पहुंचने के लिए सुरक्षा की बहुत आवश्यकता होती है।
टीकाकरण के लिए सबसे पहले कुछ हेल्थ केयर वर्कर्स (health Care workers) को चुना गया है, जिसमें बाद में और भी लोगों को सहमति के साथ शामिल किया जाएगा। मेरठ के स्वास्थ्य विभाग ने सात जगहों को टीकाकरण के लिए सुनिश्चित किया था। इसके पहले चरण में 19,223 निजी एवं सरकारी स्वास्थ्य कर्मचारियों का टीकाकरण हुआ। हर बूथ पर सुरक्षा के पूरे इंतजाम थे और सीसीटीवी कैमरे भी लगवाए गए थे। एक बड़े लॉकडाउन और कोविड महामारी के एक लंबे दौर से जूझने के बाद आखिरकार मेरठ को भी वैक्सीन का सहारा मिल ही गया।v
सरकार द्वारा वैक्सीन भेजने की कवायद भले ही तेज हो गई है पर अभी भी लॉजिस्टिक (logistic) स्तर पर कई समस्याएं सुलझानी बाकी है। जैसा की महामारी विद् (epidemiologist) शाहिद जमील (Shahid Jameel) ने द स्ट्रेट्स टाइम्स (The Straits Times) को बताया कि वैक्सीन के प्रकार के हिसाब से कोल्ड चैन मैनेजमेंट (Cold Chain Management) में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। वैक्सीन के भंडारण में आ रही दिक्कतों के अलावा उन्हें जगह-जगह समय पर पहुंचाना भी एक बड़ा काम है। जमील के अनुसार भारत को ऐसी वैक्सीन की जरूरत होगी जिसका तरल रूप में ही भंडारण एवं अन्य जगहों पर भेजना संभव हो सके। मतलब यह कि इन्हें रखने के लिए 4 डिग्री सेल्सियस से 10 डिग्री सेल्सियस का तापमान चाहिए हो और जमा कर रखना ना पड़े। वैक्सीन को वैश्विक स्तर पर देशों में भेजने के लिए पारंपरिक जलमार्ग पर पोतों (Ships) का प्रयोग नहीं कर सकते क्योंकि इसमें अधिक समय लगता है और वैक्सीन की गुणवत्ता बनाए रखने में मुश्किलें आती हैं। वायु मार्ग काफी महंगा साबित होता है। पूरे विश्व में कोविड वैक्सीन को पहुंचाने के लिए लगभग दो लाख पैलेट शिपमेंट (Pallet shipment) को 2 वर्ष और 1.5 करोड़ उड़ानों की जरूरत होगी।
इतना ही नहीं आगे की आपूर्ति श्रृंखला जैसे परिवहन में अंतर-महाद्वीपों (inter-continental) के माल परिवहन में, भंडारण एवं वितरण में भी काफी मुश्किलें आएंगी। घरेलू स्तर पर वैक्सीन को भेजने में अलग तरह की मुश्किलें आती हैं। वैक्सीन को गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचाने के लिए सुरक्षाकर्मी एवं वाहन वैक्सीन प्राप्त करने वाली संस्थाओं या जगहों को ही उपलब्ध कराना पड़ता है। लॉजिस्टिक परेशानियों को दूर करने के लिए सरकारी एवं निजी कंपनियों की साझेदारी से जरूरी ढांचे का विकास कर आपूर्ति श्रंखला का मजबूती करण करना होगा। वैक्सीन को भंडारण से लेकर वितरण तक सुरक्षित रूप में लोगों तक पहुंचाना होगा।
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