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अगर कोई आपसे यह कहे कि, गणित एक व्यवहार्य कैरियर (Career) नहीं है, तो उन्हें ग्रिगोरी पेरेलमैन (Grigori Perelman) के बारे में बताएं। वह (2019 के अनुसार), एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें सहस्त्राब्दी पुरस्कार समस्या (Millennium Prize Problem) को हल करने का श्रेय दिया गया। इसके लिए पुरस्कार के रूप में उन्हें लगभग 7 करोड़ की धनराशि प्रदान की गयी। लेकिन ग्रिगोरी पेरेलमैन ने यह पुरस्कार लेने से मना कर दिया। उन्होंने जिस सहस्त्राब्दी समस्या को हल किया उसे प्वायिन्करे अनुमान (Poincaré conjecture) के नाम से जाना जाता है। उनके द्वारा हल की गयी समस्या के बारे में अधिक जानने से पहले, यह जानते हैं कि, आखिर सहस्त्राब्दी पुरस्कार समस्या है क्या?
सहस्त्राब्दी पुरस्कार समस्या, में वे सात गणितीय समस्याएं शामिल हैं, जिन्हें, विभिन्न गणितज्ञ काफी वर्षों से हल करने का प्रयास कर रहे थे, किंतु कर नहीं पाये। कैम्ब्रिज (Cambridge), मैसाचुसेट्स (Massachusetts) के क्ले गणित संस्थान (Clay Mathematics Institute) ने नई सहस्राब्दी में गणित को प्रोत्साहित करने के लिए, सात उत्कृष्ट समस्याएं पेश कीं। इन समस्याओं को हल करने के पुरस्कार की घोषणा पेरिस के कॉलेज डे फ्रांस (Collège de France) में हुई एक बैठक में 24 मई, सन् 2000 में की गयी। सात सहस्त्राब्दी पुरस्कार समस्याओं को क्ले गणित संस्थान के संस्थापक वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड (Founding Scientific Advisory Board) द्वारा चुना गया था, जिसका विचार विमर्श दुनिया भर के प्रमुख विशेषज्ञों के साथ किया गया। बोर्ड का ध्यान उन महत्वपूर्ण उत्कृष्ट प्रश्नों पर था, जिनका समाधान कई वर्षों तक नहीं हो पाया। वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के निर्णय के बाद, क्ले गणित संस्थान के निदेशक मंडल ने इन समस्याओं के समाधान के लिए 7 मिलियन डॉलर (Million dollars) की पुरस्कार राशि नामित की, तथा प्रत्येक समस्या के समाधान के लिए 1 मिलियन डॉलर आवंटित किया। सात सहस्राब्दी पुरस्कार समस्याओं में से एक, रीमैन परिकल्पना (Riemann hypothesis), 1859 में तैयार की गई थी, जो 9 अगस्त, 1900 को डेविड हिल्बर्ट (David Hilbert) द्वारा पेरिस (Paris) में दिए गए संबोधन में उन 23 समस्याओं की सूची में भी दिखाई देती है। सहस्त्राब्दी पुरस्कार समस्याओं में शामिल समस्याएं, पी बनाम एनपी समस्या (P versus NP problem), हाड्ज अनुमान (Hodge conjecture), प्वायिन्करे अनुमान, रीमैन परिकल्पना, यैङ्-मिल्स् एक्सिस्टेंस और मास गैप (Yang–Mills existence and mass gap), नेवियर-स्टोक्स एक्सिस्टेंस और स्मूथनैस (Navier–Stokes existence and smoothness), बर्च और स्विन्नरटन-डैयर अनुमान (Birch and Swinnerton-Dyer conjecture) शामिल हैं।
अभी तक इनमें से केवल एक ही समस्या – प्वायिन्करे अनुमान - हल हो पायी है, जिसे रूस (Russia) के एक गणितज्ञ ग्रिगोरी पेरेलमैन ने हल किया है। प्वायिन्करे अनुमान, 3-विमीय गोले के निरूपण से सम्बंधित एक प्रमेय है। यहां पर, 3 विमीय गोला, एक ऐसा हाइपरस्फीयर (Hypersphere - हाइपरस्फियर किसी दिए गए बिंदु से एक स्थिर दूरी पर बिंदुओं का समूह है, जिसे इसका केंद्र कहा जाता है) है, जो इकाई गेंद (Unit ball) को चार विमीय स्थान या स्पेस (Space) में बांधता है। साधारण शब्दों में, हम एक ऐसे स्थान या स्पेस के बारे में सोचें, जो स्थानीय रूप से साधारण त्रि-आयामी स्पेस की तरह दिखता है, लेकिन यह स्पेस जुड़ा हुआ है, आकार में परिमित है, और इसकी कोई सीमा भी नहीं है। तो प्रमेय कहती है कि, अगर इस तरह का कोई स्पेस मौजूद है और उसका अतिरिक्त गुण यह है कि, उसमें हर एक लूप (Loop) को लगातार स्पेस में एक बिंदु पर कसा जा सकता है, तो प्राप्त आकृति 3 विमीय गोला होगी।
गणितज्ञों के लगभग एक सदी के प्रयास के बाद, पेरेलमैन ने 2002 और 2003 के बीच इस अनुमान या प्रमेय को सिद्ध किया, जो कि, रिचर्ड एस हैमिल्टन (Richard S Hamilton) के कार्य पर आधारित था। इस प्रकार ग्रिगोरी पेरेलमैन ने यह उदाहरण प्रस्तुत किया कि, गणित के क्षेत्र में रूचि कई रूपों में फायदेमंद हो सकती है।
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