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सुनामी एक समुद्र की विशाल विनाशकारी लहर है, जो बड़े पैमाने पर समुद्री पानी में हलचल उत्पन्न कर देती है। ‘सुनामी’ एक जापानी शब्द है जिसका अर्थ समुद्र या बंदरगाह की लहरें होता है। सुनामी, समुद्र की विशाल लहरों की एक विस्तृत श्रृंखला है जो समुद्र के भीतर पानी में होने वाली हलचलों के फलस्वरूप उत्पन्न होती है। कभी-कभी ये लहरें ज़मीन से लगभग 100 फीट (Feet) की ऊंचाई तक भी पहुंच जाती हैं, जिससे ये बड़े पैमाने पर विनाश का कारण बनती हैं। इस प्रकार यह एक प्रकार की प्राकृतिक आपदा है, जिसके द्वारा होने वाला नुकसान बहुत विशाल तथा प्रलयकारी होता है तथा बहुत बड़े पैमाने पर जान-माल को नुकसान पहुंचता है। भूकंप या ज्वालामुखी विस्फोट और अन्य पानी के नीचे के विस्फोट (जिनमें विस्फोट, भूस्खलन, उल्कापिंड के प्रभाव और अन्य उपद्रव शामिल हैं) सभी एक सुनामी उत्पन्न करने की क्षमता रखते हैं। सामान्य समुद्र की लहरें जो हवा या ज्वार से उत्पन्न होती हैं या जो चंद्रमा और सूर्य के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव से उत्पन्न होती हैं के विपरीत पानी के विस्थापन से एक सुनामी उत्पन्न होती है।
सुनामी लहरें समुद्र की लहरों की सामान्य पानी की धाराओं की तरह नहीं होती है जबकि उनकी तरंगदैर्ध्य बहुत लंबी होती है। एक टूटती लहर के रूप में दिखने के बजाय, एक सुनामी शुरू में तेजी से बढ़ती ज्वार की तरह होती है। इस कारण से, इसे अक्सर ज्वार की लहर के रूप में जाना जाता है, हालांकि यह उपयोग वैज्ञानिक समुदाय द्वारा अनुगृहीत नहीं है, क्योंकि यह ज्वार और सूनामी के बीच के संबंध के बारे में एक गलत छवि बना सकता है। ज्वार की लहर एक उथली पानी की लहर होती है, जो सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी के बीच के गुरुत्वाकर्षण अंतर के कारण उत्पन्न होती है (पहले के समय में "ज्वारीय लहर" का उपयोग सुनामी का विवरण देने के लिए किया जाता था।)। वहीं सुनामी में आमतौर पर लहरों की एक श्रृंखला होती है, जिसमें मिनटों से लेकर घंटों तक की अवधि होती है, जो एक तथाकथित "वेव ट्रेन (Wave train)" में आती हैं।
कई बार सुनामी की लहरें 10 मीटर की ऊंचाई तक पहुँच सकती हैं। यद्यपि सुनामी का प्रभाव तटीय क्षेत्रों तक सीमित है, उनकी विनाशकारी शक्ति भारी हो सकती है, और वे पूरे समुद्री घाटी को प्रभावित कर सकते हैं। 2004 का हिंद महासागर सुनामी मानव इतिहास की सबसे घातक प्राकृतिक आपदाओं में से एक था, जिसमें कम से कम 230,000 लोग मारे गए थे या हिंद महासागर की सीमा में मौजूद 14 देशों से लोग लापता हुए थे। यह एक अस्थिर मेगाथ्रस्ट (Megathrust) भूकंप था, जिसने 9.1–9.3 मेगावॉट (Megawatt) की तीव्रता दर्ज की, जो कुछ क्षेत्रों में 10 तक भी पहुंची थी। भूकंप बर्मा प्लेट (Burma Plate) और भारतीय प्लेट के बीच खराबी के कारण उत्पन्न हुआ था। यह भूकंप अब तक दर्ज किया गया तीसरा सबसे बड़ा और आठ से दस मिनट के बीच में अब तक की सबसे लंबी अवधि का था। इसने ग्रह में 10 मिलीमीटर तक कंपन को उत्पन्न किया था और यहाँ तक की अलास्का (Alaska) तक की दूरी में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।
इसके अतिरिक्त 2011 में जापान (Japan) में आई सुनामी का मुख्य कारण भी भूकंप ही था, जिसके कारण तट के कुछ हिस्सों में 133 फीट तक लहरें उठीं जिसने 15,000 से भी अधिक लोगों की जान ले ली। अमेरिका में सबसे शक्तिशाली सुनामी 1964 में अलास्का में 9.2 तीव्रता के भूकंप के कारण आई थी। सुनामी के विशाल और बहुत ही अधिक विनाशकारी रूप को मेगा-सुनामी (Mega Tsunami) कहा जाता है, जो प्रायः हज़ार वर्षों के अंतराल में अत्यंत दुर्लभ रूप से होता है। यह सुनामी बहुत ही विनाशकारी है जिस कारण इसे मेगा-सुनामी का नाम दिया गया है। इसकी लहरें सैकड़ों या संभवतः हज़ारों मीटर तक होती है तथा इसमें दुनिया के दूसरे छोर के महासागरों और देशों को पार करने की क्षमता होती है। मेगा-सुनामी का मुख्य कारण भी आमतौर पर समुद्र तट या पानी के नीचे भूकंप का उत्पन्न होना है।
यह एक अत्यंत विशाल और विनाशकारी घटना है और इसलिए इससे अपना बचाव करना बहुत ही आवश्यक है ताकि जान-माल के नुकसान को कम किया जा सके। निम्नलिखित कुछ सुझावों या सावधानियों को ध्यान में रखकर इसके दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है:
• किसी भी सुनामी के बचाव के लिए व्यक्ति को प्रारंभिक चेतावनी पर आवश्यक ध्यान देना चाहिए, यह लोगों को उच्च भूमि या सुरक्षित स्थान की तलाश करने की अनुमति देता है।
• तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सुनामी के कारण होने वाले जोखिम के बारे में पता होना चाहिए - और सुनामी के बारे में दी जाने वाली चेतावनियों को ध्यान में रखना चाहिए। राष्ट्रीय मौसम सेवा तटीय क्षेत्रों के लोगों के लिए सुनामी की चेतावनी जारी करती है जो मोबाईल (Mobile), रेडियो (Radio) और टेलीविज़न स्टेशनों (Television Stations) या ईमेल (Email), फेसबुक (Facebook) इत्यादि के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है।
• यदि आप एक तटीय क्षेत्र में रहते हैं या यात्रा कर रहे हैं, तो पहले से ही निकासी मार्गों और सुरक्षा क्षेत्रों को जानें। सुनामी सुरक्षा क्षेत्र आमतौर पर उच्च भूमि पर पाए जाते हैं। यदि आपके पास इन तक पहुंचने का समय नहीं है, तो इमारतों की ऊपरी मंज़िलें जमीनी स्तर से अधिक सुरक्षित हो सकती हैं। अंतिम उपाय के रूप में, आप पानी से बचने के लिए पेड़ या ऊंची संरचना पर चढ़ सकते हैं।
• यदि आप तटीय क्षेत्र में रहते हैं और भूकंप महसूस करते हैं, तो जल्द ही किसी उच्च भूमि की ओर जाएं।
• सावधानी बनाए रखने के लिए आपको समुद्र तल से आपकी सड़क की ऊंचाई और दूरी का पता होना चाहिए।
• अपने बच्चों के स्कूल से बाहर निकलने के रास्ते के बारे में जाने और उनको किसी सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने की योजना बनाए।
• पर्यटकों को बाहर निकलने की जानकारी से परिचित होना चाहिए।
• सुनामी के दौरान यदि आप समुद्र तट के निकट हैं और घर के भीतर भूकंप महसूस कर रहें हैं तो गिरती हुई वस्तुओं से दूर रहें। और जब झटके रुक जाएं, तो जल्दी से, ऊंची ज़मीन पर चले जाएं।
• सुनामी के बाद अपने परिवार और दोस्तों को अपने ठीक होने की खबर पहुंचाएं और यदि किसी को बचाया जाना है तो अधिकारियों से संपर्क करें।
• बुज़ुर्गों, शिशुओं और विकलांग लोगों की मदद अवश्य करें। आपदा क्षेत्रों और उन इमारतों से बाहर रहें जिनके चारों ओर पानी है। इमारतों में फिर से प्रवेश करने और सफाई करने के दौरान सतर्क रहें।
सुनामी को संबोधित करती ग्रेट वेव ऑफ कानागावा (The Great Wave off Kanagawa) को जापान (Japan) के सबसे प्रसिद्ध वुडब्लॉक प्रिंट (Woodblock Print) कार्यों में से एक माना जाता है। 1829 और 1833 के बीच में बनाया गया यह जापान के एक कलाकार कातुषिका होकुसाई (Katsukawa Hokusai – जापानी उकियो-ए (Ukiyo-e) कलाकार) द्वारा एक रंग की लकड़ी की कटाई है और "36 व्यू ऑफ माउंट फूजी (Thirty-six Views of Mount Fuji)" श्रृंखला से संबंधित है। छवि में सगामी खाड़ी (कानागावा प्रान्त) में तट पर मौजूद तीन नावों को लहरों द्वारा डूबो दिया गया है, जबकि माउंट फ़ूजी पृष्ठभूमि में दर्शाया गया है। यह होकुसाई का सबसे प्रसिद्ध कार्य है और इसे अक्सर दुनिया में जापानी कला का सबसे पहचाना जाने वाला कार्य माना जाता है।
1868 में मीजी बहाली (Meiji Restoration) के बाद, जापान द्वारा राष्ट्रीय अलगाव की लंबी अवधि को समाप्त कर दिया गया और पश्चिम से आयात करना शुरू कर दिया। जिसके चलते बहुत सारी जापानी कला यूरोप और अमेरिका में आई और काफी लोकप्रियता हासिल कर ली। पश्चिमी संस्कृति पर जापानी कला का प्रभाव जापवाद (Japonism) के रूप में जाना गया। जापानी वुडब्लॉक प्रिंट कई शैलियों में कलाकारों, विशेष रूप से प्रभाववादी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई। होकुसाई को प्रतीकात्मक जापानी कलाकारों के रूप में देखा गया था और उनके प्रिंट (Print) और पुस्तकों के चित्रों ने कई अलग-अलग कार्यों को प्रभावित किया था। होकसई के एक महान प्रशंसक विन्सेन्ट वैन गॉग (Vincent van gogh) ने ग्रेट वेव में चित्र की गुणवत्ता और उसमें बनाई गई रेखाओं की प्रशंसा की, और कहा कि इसका भयानक भावनात्मक प्रभाव पड़ा था। फ्रांसीसी (French) मूर्तिकार केमिली क्लॉडल ला वेग (Camille Claudel La Veg) (1897) ने होकसई के ग्रेट वेव में नावों को समुद्र-अप्सराओं से बदल दिया। ऐसे ही कई अन्य कलाकारों ने होकसई के इस अद्भुत चित्र की प्रशंसा करी और प्रेरित हुए।
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