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किसी चीज की लत का मतलब होता है, 'दिमागी विकार'। जिसके लक्षण होते हैं विपरीत परिणामों के बावजूद अनिवार्य रूप से उत्तेजना पैदा करने में जुट जाना। जानने की आवश्यकता इसकी है कि भारत में इसकी जड़ें कहां तक फैली हुई है। यह मनुष्य और पशु दोनों में हो सकती हैं। लत को वर्जना के बजाय एक बीमारी समझने की जरूरत है। जानवरों पर भी लत से संबंधित परीक्षण किए जाते हैं, जिससे शोधकर्ताओं को लत के मूल कारणों को समझने में सहायता होती है। कोरोनावायरस के दौरान नशे की लत के लिए ड्रग्स (Drugs) के इस्तेमाल में काफी बढ़ोतरी हुई है। अप्रैल 2019 में नशे की लत छुड़ाने वाली हेल्पलाइन पर सहायता के लिए 9400 से ज्यादा फोन किए गए।
नशे की लत: वर्जना नहीं बीमारी
शराबी तथा नशीली दवाओं का सेवन करने वालों को सामाजिक उपेक्षा और वर्जना का सामना करना पड़ता है। उन्हें किसी की सहानुभूति और सहायता नहीं मिलनी चाहिए। सामान्य धारणा के पीछे गैर जानकारी और नशे के शिकार को गैर जिम्मेदार समझने की आदत है। हालांकि यह भी सच है कि कुछ नशे के शिकार लोग असामाजिक कामों में लिप्त होते हैं। इसके पीछे अवसाद भी एक कारण है। अधिकतर की दिमागी हालत नशे के कारण इतनी बिगड़ चुकी होती है कि उनका अपने पर से नियंत्रण समाप्त हो जाता है। लोगों को यह समझना चाहिए कि नशे का शिकार व्यक्ति किसी की संतान, किसी का भाई या बहन और एक इंसान है, जो एक खतरनाक बीमारी से जूझ रहा है।
पशुओं में नशे की लत
जानवर भी मनुष्यों की तरह नशे की लत की समस्याएं झेलते हैं। दिमाग में रासायनिक प्रतिक्रियाओं से उनमें ऐसे उत्तेजक पदार्थ और संवेदन पैदा होती है, जो उन्हें यह संकेत देते हैं कि उनके सभी कारनामे सही हैं। ओपिओइड (Opioid), डोपामाइन (Dopamine), ऑक्सीटॉसिन (Oxytocin) जैसे तमाम न्यूरो हारमोंस (Neuro Hormones) हैं, जो पशुओं के व्यवहार को नियंत्रित कर उन्हें जीने लायक बनाते हैं।
मनुष्य और पशु किस तरह एक समान होते हैं?
मनुष्य का उत्तेजित व्यवहार हमेशा हानिकारक नहीं होता। जब हम कसरत या खेल में जीतते हैं, तो दिमाग में कुछ रसायन पैदा होते हैं, जो हमें खुश करते हैं। इससे हमारी मानसिक शक्ति भी बढ़ती है। इस अर्थ में मनुष्य और पशु की समान दशा होती है। इस प्रकार नशे की लत हमारे चरित्र का दोष नहीं है।
भारत में नशे की सामग्री का प्रसार और उपयोग
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (Ministry of Social Justice and Empowerment) द्वारा कराए गए राष्ट्रीय स्तर के सर्वेक्षण में यह पता चला कि भारत में 6 करोड़ शराब की लत के शिकार हैं, जिनमें से केवल 3% अपना इलाज करवाते हैं। 3.1 करोड लोग दूसरी चीजों का नशा करते हैं। पंजाब और सिक्किम में नशीली दवाओं का सबसे ज्यादा सेवन होता है। राष्ट्रीय स्तर पर हेरोइन (Heroin) का इस्तेमाल होता है। इन नशीली चीजों के सेवन में बच्चों और किशोरों की अच्छी खासी भागीदारी है।
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