तुरही, एक ऐसा वाद्य यंत्र जिसे दुनिया के सारे रंगों से भी नहीं भरा जा सकता

विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा
01-09-2020 08:18 AM
तुरही, एक ऐसा वाद्य यंत्र जिसे दुनिया के सारे रंगों से भी नहीं भरा जा सकता

भारत के वायु एवं पीतल वाद्य यंत्र निर्माता उद्योगों में मेरठ शहर का अग्रणी स्थान है, इसके साथ ही भारत में यह 'तुरही' का सबसे बड़ा निर्माता है। तुरही अपने आप में एक विशिष्ट वाद्य यंत्र है, जिसका निर्माण पीतल से किया जाता है। इसका उपयोग प्राचीन काल से किया जा रहा है। पहले इसे युद्ध और शिकार के दौरान प्रयोग किया जाता था, तो अब विवाह समारोह और सैन्य परेड (Parade) के दौरान प्रयोग में लाया जाता है। इसकी ध्वनि जहां श्रोताओं को उत्साहित और आनंदित करती है, वहीं इसकी ज्यामितीय आकृति एक विरोधाभास उत्पन्न करती है, जिसके विषय में कहा जाता है कि इसकी सतह को दुनिया के सभी रंगों का प्रयोग करके भी नहीं भरा जा सकता है। इस विरोधाभास को गेब्रियल हॉर्न और पेंटर के विरोधाभास (Gabriel’s Horn and the Painter’s Paradox) के नाम से जाना जाता है।

इस विरोधाभास को थोड़ा गहराई से जानने के लिए पहले गेब्रियल हॉर्न को समझते हैं। गेब्रियल हॉर्न एक ज्यामितिय आकृति है, जिसका आयतन तो परिमित है किंतु सतही क्षेत्र अपरिमित है। इसका उद्घाटन गणितज्ञ इवेंजेलिस्टा टोर्रिकेली (Evangelista Torricelli) द्वारा किया गया था।

गेब्रियल हॉर्न को डोमेन x (Domain x) के साथ ग्राफ को लेकर x-अक्ष के चरों ओर तीन आयामों में घुमाकर बनाया जाता है। कलन (Calculus) के आविष्कार से पूर्व कैवलियरी (Cavalieri) के सिद्धांत का उपयोग करके इसकी खोज की गई थी, लेकिन आज, x = 1 और x = a के बीच हॉर्न के आयतन और सतही क्षेत्र की गणना करने के लिए कलन का उपयोग किया जाता है, जहां a > 1 होता है। समाकलन (Integration) का उपयोग करके, आयतन V और सतह क्षेत्र A को खोजना संभव है-

a के मान को आवश्यकता अनुसार बढ़ाया जा सकता है, लेकिन इस समीकरण में दिखाया गया है कि x = 1 और x = a के बीच के हॉर्न के हिस्से का आयतन कभी भी π से अधिक नहीं होगा; हालाँकि, यह उत्तरोत्तर वृद्धि के रूप में π के करीब आता है। गणितानुसार, a अपरिमित विधि के समान π आयतन विधि है। कलन की सीमा संकेतन का उपयोग करके:

ऊपर दिया गया सतही क्षेत्र का सूत्र a के प्राकृतिक लघुगणक के 2π गुना क्षेत्र के लिए न्यूमन स्था न प्रदान करता है। a परिमित विधि के रूप में a के प्राकृतिक लघुगणक के लिए कोई ऊपरी सीमा नहीं है। इसका अर्थ है, कि हॉर्न में a अपरिमित सतही क्षेत्र है। यानी,

चूँकि हॉर्न का परिमित आयतन है, लेकिन अपरिमित सतही क्षेत्र है, इसलिए एक स्पष्ट विरोधाभास है कि रंग को हॉर्न के परिमित आयतन तक भरा जा सकता है। वास्‍तव में एक सीमा के बाद हार्न पर जो सतह बनती है, उसका कोई घनत्‍व नहीं होता है, बिना घनत्वन के किसी भी वस्तुn को पेंट नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार पेंट की परिमित मात्रा हार्न की अपरिमित सतह पर भरने के लिए पर्याप्‍त नहीं है। वरन् स्वीयं पेंट में भी परमाणविक त्रिज्यान से घिरा हुआ परिमित घनत्वा होता है।

संदर्भ:
https://www.mathemania.com/gabriels-horn/
https://en.wikipedia.org/wiki/Gabriel%27s_Horn
https://bit.ly/34IgUw0

चित्र सन्दर्भ :
मुख्य चित्र में तुरही का चित्र दिखाया गया है। (Prarang)

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