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अगर हम प्रारंग का संधि विच्छेद करते हैं तो हमें प्रा + रंग दो शब्द प्राप्त होते हैं, जहां प्रा का अर्थ प्राथमिक (प्रारंभिक/प्राचीन) से है और रंग का आशय वर्ण से हैं। प्रारंग भारत की एकता में अनेकता के रंग को उसी तरह संदर्भित करता है, जिस तरह प्राथमिक रंग बाकी सभी रंगों को करते हैं।
प्राथमिक रंग, रंगों के वो मान (Rate) होते हैं, जिनके मिश्रण से सभी रंग बनाये जा सकते हैं। मानव दृष्टि हेतु तीन प्राथमिक वर्ण ही प्रयोग किये जाते हैं, क्योंकि ये दृष्टि त्रिक्रोमैटिक (trichromatic) होती है। प्रारंग के लोगो में प्रयुक्त किये गए रंग प्राकृतिक रंग हैं।
यदि सही तरीके से उपयोग किया जाता है, तो रंग किसी भी छवि के भाव को बदल सकता है, या किसी भी कहानी को प्रभावित कर सकता है। यह दर्शकों की आँखों को एक फोकल तत्व की ओर भी खींच सकता है और यह चित्र का संकेन्द्रण भी बिगाड़ सकता है।
आइये इस रविवार जानते हैं, चित्रकारी के दौरान रंगों को लेकर ध्यान रखने योग्य बातें -
सेचुरेशन और वैल्यू (Saturation and Value)
बहुत सारे लोग सोचते हैं कि रंग सिर्फ सामंजस्यपूर्ण संबंधों के बारे में हैं किन्तु हकीकत में ऐसा नहीं है। किसी भी चित्र के लिए रंगों का सटीक सेचुरेशन और उसकी वैल्यू भी समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।
यदि आपको सेचुरेशन और वैल्यू क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है ? इसकी स्पष्ट समझ नहीं हैं तो कोई भी रंग योजना कभी भी आपकी मदद नहीं करेगी। सेचुरेशन किसी भी रंग की तीव्रता के बारे में है वहीँ वैल्यू रंग की चमक/गुणता (Brightness/Darkness) की द्योतक है।
रंग योजना अथवा रंग संगती
एकवर्णी रंग योजना (Monochromatic)
एकवर्णी रंग योजना के अंतर्गत मात्रा एक ही रंग के शेड्स, टिंट्स और तान का प्रयोग करके चित्रांकन किया जाता है। सिर्फ एक रंग से रगने और अन्य रंगों की अनुपस्थिति के कारण, दर्शक को अलग-अलग सेचुरेशन और वैल्यूज पर ध्यान केंद्रित करने के लिए छोड़ दिया जाता है। एक वर्णीय रंग योजना एकल विषय केंद्रित दृश्यों या नाटकीय (वायुमंडलीय) दृश्यों के लिए एक प्रभावी रंग योजना है।
अनुरूप रंग योजना
अनुरूप रंग योजना सामंजस्यपूर्ण रंगों का उपयोग करती है जो वर्णचक्र पर एक दूसरे से सटे होते हैं। इस रंग योजना को अक्सर प्राकृतिक दृश्यों में देखा जाता है, यह एक शांत, आरामदायक और शांतिपूर्ण भाव बनाने के लिए आदर्श रंग योजना है।
त्रिक रंग योजना (Triadic Color Scheme) -
यह रंग योजना किसी को भी अच्छी तरह से आकर्षित करने के लिए सबसे कठिन रंग योजनाओं में से एक है। यह रंग योजना कोई भी तीन ऐसे रंगों से मिलकर बनती हैं जो वर्णचक्र में एक दूसरे से समान रूप से दूर हैं। त्रिक रंग योजना का उपयोग करना काफी मुश्किल है, क्योंकि यह रंग यदि समान मात्रा में उपयोग किये जाते हैं तो यह बदसूरत अराजकता (विरोध) पैदा कर सकते हैं।
पूरक रंग योजना (Complementary color scheme)
यह रंग योजना निश्चित रूप से सबसे लोकप्रिय रंग योजना है। इसमें वर्णचक्र के विपरीत पक्षों पर स्थापित रंगों का प्रयोग किया जाता है। ये रंग स्वाभाविक रूप से एक साथ अच्छी तरह से चलते हैं।
भाजित पूरक रंग योजना (Split Complementary Color Scheme)
इस रंग योजना में पूरक रंग योजना की ही भांति एक विपरीत रंग लेना और इसे इसके दाहिने और बाहिने और स्थित रंगों में विभाजित कर लेते है। यह रंग योजना हर्ष चित्रण और उससे मिलेजुले भाव उत्पन्न करने के लिए प्रयोग में लायी जाती है।
दोहरी पूरक या द्विपुरक रंग योजना (Double complimentary Color Scheme)
इस रंग योजना में पूरक रंगों के दो जोड़े लिए जाते हैं। यह एक जटिल रंग योजना है क्यूंकि इसमें आरजकता पैदा होने की अत्यधिक सम्भावना होती है।
सन्दर्भ :
https://www.youtube.com/watch?v=DwmXSmpOjas
https://www.youtube.com/watch?v=Qj1FK8n7WgY
https://www.blenderguru.com/tutorials/understanding-colors
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