भारत का बिजली खपत का विवरण कोविड-19 के आर्थिक प्रभावों को दर्शाता है

सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)
28-08-2020 10:32 AM
भारत का बिजली खपत का विवरण कोविड-19 के आर्थिक प्रभावों को दर्शाता है

प्रत्येक महीने बिजली की खपत पर हुआ खर्च एक ऐसा खर्च होता है, जिसे हर किसी को एक नियमित आधार पर सहन करना ही पड़ता है और हम इससे किसी भी हालत में नहीं बच सकते हैं। परन्तु जब भी किसी महीने अगर बिजली का बिल (Bill) पिछले महीनो की तुलना में अधिक आ जाता है तो, हम वास्तव में ऐसा सोचने लगते हैं, कि यह कैसे हुआ और यह हमारे लिए एक आश्चर्य का विषय बन जाता है। वहीं कुछ लोगों का ये भी कहना होता है, कि इलेक्ट्रॉनिक मीटर (Electronic Meter), इलेक्ट्रोमेकानिकल मीटर (Electromechanical Meter) की तुलना में अधिक तेज़ी से चलता है। तो क्या यह सच है? जी नहीं, बिजली का मीटर एक ऐसा यंत्र होता है, जो घर में या किसी कार्यालय में विभिन्न उपकरणों द्वारा खर्च विद्युत ऊर्जा को मापता है।

वहीं हमारे घर में लगने वाले बिजली के मीटर विभिन्न प्रकार में आते हैं, जो निम्नलिखित हैं :

इलेक्ट्रोमेकानिकल विद्युत मीटर :
भारत में इलेक्ट्रोमेकानिकल विद्युत मीटर पिछले कुछ वर्षों तक बहुत आम था और आज भी यह ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक रूप से पाए जा सकते हैं। इलेक्ट्रोमेकानिकल विद्युत मीटर की कार्यप्रणाली काफी सरल होती है। इनमें एक गैर चुंबकीय धातु डिस्क (Disc) आंतरिक रूप से जुड़ी होती है, जो इससे होकर गुज़र रही ऊर्जा शक्ति के आधार पर घूमती है। यदि इससे गुज़र रही ऊर्जा शक्ति अधिक होती है, तो डिस्क तेज़ी से घूमती है और यदि ऊर्जा शक्ति कम होती है, तो डिस्क धीमी गति से घूमती है। वहीं जितनी ज़्यादा या कम बार डिस्क घूमती है, बिजली मीटर पर रीडिंग (Reading) भी उसी अनुपात में बढ़ती या घटती है।

इलेक्ट्रॉनिक मीटर :
इलेक्ट्रॉनिक मीटर आजकल कई शहरी क्षेत्रों में तेज़ी से लोकप्रिय होते जा रहे हैं। एक इलेक्ट्रॉनिक मीटर में एक एलईडी/एलसीडी डिस्प्ले (LED/LCD Display) होता है, जो जुड़े उपकरणों द्वारा प्रयोग की गई बिजली की खपत की रीडिंग करता है। इलेक्ट्रॉनिक मीटर में, इलेक्ट्रोमेकानिकल विद्युत मीटर के विपरीत डिजिटल (Digital) रीडिंग होती है। इलेक्ट्रॉनिक मीटर बहुत अधिक सक्षम होते हैं और ये बिजली की हर सूक्ष्म खपत की गणना करते हैं।

स्मार्ट मीटर (Smart Meter) :
स्मार्ट मीटर विद्युत मीटर के प्रकार में एक नवीनतम व परिवर्तनात्मक मीटर हैं। वैसे तो ये इलेक्ट्रॉनिक मीटर की तरह ही लगते हैं, परन्तु वास्तव में यह दोनों प्रकार के विद्युत मीटर की तुलना में बेहतर ही होते हैं क्योंकि वे बाकी मीटर की तरह नियमित एवं सामान्य सेवाएं प्रदान करने के साथ, बिजली कंपनी से इंटरनेट (Internet) के द्वारा जुड़े भी रहते हैं।

लेकिन कुछ तरीकों को अपना कर आप अपने बिजली के बिल को कम कर सकते हैं, ये तरीके निम्न दिए गए हैं :-
1) घर को और अधिक इंसुलेट (Insulate) करें : इन्सुलेशन (Insulation) वह सुरक्षा है जो आपके घर को ठंड के महीनों के दौरान गर्मी और गर्मी के महीनों के दौरान ठंड, दोनों में सही तापमान को बनाए रखने में सक्षम बनाता है, और साथ ही यह बिजली की बचत भी करता है।
2) आरामदायक कपड़े पहनें : यह न केवल आपको आराम देगा बल्कि मौसम के अनुसार उपयोग किए जाने वाले उपकरणों का भी कम इस्तेमाल करवाएगा जैसे एसी (AC), हीटर (Heater) आदि।
3) एयर फिल्टर (Air Filter) को आवश्य बदलें : एयर फिल्टर का उद्देश्य धूल और पराग की तरह गंदगी को पकड़ना और वातावरण में स्वच्छ हवा को प्रसारित करना होता है। यह एचवीएसी (HVAC) को उचित कार्य करने में मदद करता है।
4) साथ ही बिजली बचाने के लिए उपकरणों का बारी-बारी से उपयोग करें, कपड़ों को ठंडे पानी में धोएं, अपने उपकरणों की अच्छे से जांच करें।

वहीं हम में से अधिकांश लोगों ने बीईई स्टार रेटिंग (BEE Star Rating) 2019 के बारे में देखा और सुना होगा, तो चलिए जानते हैं कि ये क्या है और यह हमारे लिए कितनी महत्वपूर्ण है। बीईई स्टार रेटिंग योजना मई, 2006 में माननीय ऊर्जा मंत्री द्वारा शुरू की गई थी और वर्तमान में एयर कंडीशनर (Air Conditioner), पंखे, कलर टेलीविज़न (Colour Television), कंप्यूटर (Computer), फ्रिज (Fridge), डिस्ट्रिब्यूशन ट्रांसफार्मर (Distribution Transformer), डीज़ल इंजन (Diesel Engine), इंडस्ट्रियल मोटर (Industrial Motor), मोनोसैट पंप (Monoset Pump), स्टेशनरी टाइप वॉटर हीटर (Stationary Type Water Heater), वॉशिंग मशीन (Washing Machine), सॉलिड स्टेट इन्वर्टर (Solid State Inverter), प्रिंटर (Printer), डीज़ल जेनरेटर सेट (Diesel Generator Set), एलईडी लैंप (LED Lamp), घरेलू गैस स्टोव (Gas Stove), कृषि पंपसेट (Pumpset) आदि जैसे उपकरणों के लिए लागू की गई है।

स्टार रेटिंग एक उपकरण की ऊर्जा दक्षता का एक माप होता है, जितनी ज़्यादा रेटिंग एक उपकरण में पाई जाती है उतनी कम बिजली की खपत उस उपकरण द्वारा की जाती है और उतनी बेहतर बिजली की बचत होती है। वहीं सर्वोत्तम ऊर्जा दक्षता ब्यूरो ने 1 जनवरी 2018 से भारत में निर्मित और बेचे जाने वाले एयर कंडीशनर के लिए एक नई स्टार रेटिंग पद्धति को शुरू किया था, जिसे भारतीय मौसमी ऊर्जा कुशल अनुपात कहा जाता है। इसे ठंडा करने की ऊर्जा दक्षता के रूप में परिभाषित किया गया है। भारतीय घरों में बिजली की खपत 2000 के बाद तीन गुना हो गई है। वहीं बिजली का उपयोग करने वाले घरों का प्रतिशत 2001 में 55% से बढ़कर 2017 में 80% हो गया है। 2014 में, एक विद्युतीकृत भारतीय घर ने औसतन प्रति माह लगभग 90 यूनिट (Unit) (kWh) बिजली की खपत की; जो चार ट्यूब-लाइट (Tube-light), चार सीलिंग फैन (Ceiling fan), एक टेलीविजन (Television), एक छोटा फ्रिज, और भारत में विशिष्ट उपयोग के घंटे और दक्षता के स्तर के साथ छोटे रसोई उपकरण चलाने के लिए पर्याप्त है। साथ ही 2004 और 2015 के बीच, असम, बिहार, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों में कम प्रारंभिक घरेलू विद्युतीकरण के साथ उनके आवासीय बिजली के उपयोग की उच्च वृद्धि दर (लगभग 11% -16%) दिखाई दी। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, और तमिलनाडु जैसे उच्च घरेलू विद्युतीकरण वाले राज्य निचले स्तर पर बढ़े, लेकिन उच्च निरपेक्ष संख्या के साथ अभी भी पर्याप्त दर (6% -8%) है।

वर्तमान समय में भारत और विश्व भर में कोविड-19 (COVID-19) ने आर्थिक गतिविधियों को काफी गंभीर रूप से प्रभावित किया है, वहीं इस व्यवधान को कम करना काफी चुनौतीपूर्ण है। क्योंकि पारंपरिक राष्ट्रीय खाते के अनुमान के अनुसार, आर्थिक गतिविधि के लिए सरकारी उपाय ज्यादा लाभदायक नहीं है। इस तरह के समय में आर्थिक गतिविधि की निगरानी के लिए, एक ऐसे उपाय की जरूरत है, जो उच्च आवृत्ति और उच्च स्थानिक कणिकता पर उपलब्ध हों। वहीं भारत में बिजली की खपत को राज्य स्तर पर प्रतिदिन मापा जाता है और इसमें होने वाले परिवर्तनों से अर्थव्यवस्था के बारे में जानकारी सामने आती है। इसी तरह, बाहरी अंतरिक्ष से उपग्रहों द्वारा देखे जाने वाले मासिक रात्रि प्रकाश की तीव्रता, उच्च स्थानिक कणिकता पर आर्थिक गतिविधि के बारे में जानकारी प्रदान करता है और इसलिए इसका उपयोग व्यापक रूप से आर्थिक अध्ययनों में किया जाता है। भारत में, उपयोग की जाने वाली बिजली की मात्रा (कुल खपत के रूप में मापा जाता है) और शाम में रोशनी की तीव्रता (प्रति क्षेत्र रोशनी के रूप में मापा जाता है) विशेष प्रतिनिधि संकेतक हैं। ये दोनों प्रतिनिधि संकेतक स्पष्ट रूप में भारत की आर्थिक गतिविधियों से संबंधित हैं और विभिन्न उद्देश्यों को पूरा करते हैं और एक दूसरे के पूरक हैं। साथ ही बिजली की खपत के आंकड़े उच्च आवृत्ति पर उपलब्ध किए जाते हैं और आर्थिक गतिविधियों के साथ गहन संबंध रखते हैं। दूसरी ओर, रात्रि प्रकाश का विवरण उच्च स्थानिक कणिकता पर उपलब्ध कराया जाता है। कोविड-19 के चलते पूरे देश में राष्ट्रीय लॉकडाउन (Lockdown) लागू होने के बाद आर्थिक गतिविधि काफी कम हो गई थी, जिसके चलते बिजली की खपत में काफी गिरावट भी देखी गई। आर्थिक गतिविधि और बिजली की खपत आपस में बहुत निकटता से जुड़े हुए हैं। बाह्य अंतरिक्ष से भी यह पता चलता है कि आर्थिक गतिविधियों के कम होने से भारत पिछले चार महीनों में अधिक अंधकारमय हो गया है।

संदर्भ :-
https://blogs.worldbank.org/endpovertyinsouthasia/indias-electricity-consumption-data-shows-economic-impact-covid-19
https://www.bijlibachao.com/electricity-bill/electricity-power-electromechanical-electronic-meters-smart-reading.html
https://paylesspower.com/blog/how-to-lower-your-electric-bill/
https://www.beeindia.in/bee-star-rating/
https://www.cprindia.org/news/6519

चित्र सन्दर्भ :
मुख्य चित्र में एक बिजली घर (Power Station) को दिखाया गया है। (Pikero)
दूसरे चित्र में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक विद्युत मीटर दिखाया गया है। (Prarang)
तीसरे चित्र में इलेक्ट्रॉनिक मीटर दिखाया गया है। (Prarang)
चौथे चित्र में स्मार्ट विद्युत् मीटर को दिखाया गया है। (Flickr)
अंतिम चित्र में एल एंड टी के द्वारा बनाये गए विद्युत और स्मार्ट विद्युत् मीटर दिखाए गए हैं। (Larsen & Toubro)

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