फूलों के व्यवसाय पर कोरोनावायरस का प्रकोप

बागवानी के पौधे (बागान)
13-08-2020 07:32 PM
फूलों के व्यवसाय पर कोरोनावायरस का प्रकोप

कोरोना वायरस महामारी के प्रसारण पर लगाम लगाने के प्रयास में लॉकडाउन के जरिए पहले तो लोगों को उनके घरों में रोका गया, साथ ही जो गैर जरूरी व्यापार थे, उन्हें भी पूरी तरह से बंद कर दिया गया। इस कार्रवाई से प्रभावित हजारों छोटे और सीमांत बदकिस्मत किसान लाचार और बेसहारा रह गए, उनकी 9 महीनों की मेहनत से तैयार विविध फूलों की फसल पर ताला लग गया। जब फूल खिले, तभी लॉकडाउन ने उन्हें असमय मुरझाने पर मजबूर कर दिया।


उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने गरीब और सीमांत किसानों को जीवन निर्वाह के लिए उनके घर पर आर्थिक मदद देने की घोषणा की है लेकिन यह वह किसान है जिन्होंने धान और मक्के की फसल उगाई है, लेकिन फूलों की खेती करने वाले हजारों छोटे और सीमांत किसान, जिन्होंने अपनी पूरी कमाई गवा दी, आज निराश हताश है, उनका क्या होगा?

फूलों के व्यवसाय में पिछले कुछ सालों में बहुत विकास हुआ है, अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय फूलों की मांग बढ़ी, किसानों को अपना जीवन संवारने का नया अवसर मिला, इस यात्रा को जानना इसलिए भी जरूरी है ताकि आने वाले भविष्य के लिए कोई ठोस रणनीति बनाने से पहले अब तक हुई यात्रा का मूल्यांकन करने का शायद यही सही समय है। फूलों की सजावट का व्यवसाय पिछले कई वर्षों में बहुत विस्तृत हो गया। तीज त्योहारों पर मंदिरों, धर्म स्थानों पर फूलों की सजावट, संगीत नृत्य गायन के बड़े समारोह का आयोजन, जिनमें देश-विदेश के प्रतिष्ठित कलाकार और अतिथि शामिल होते हैं, उनकी हमेशा नई थीम होती है और सजावट का ज्यादा दारोमदार फूलों का ही होता है, यहां तक कि स्कूल कॉलेज के फंक्शन (Functions) में भी फूलों की सजावट का माहौल रहता। सूची में सबसे अहम मौका होता है, शादी ब्याह में फूलों की सजावट का। जितने भी शादी से पहले या बाद के कार्यक्रम होते हैं, सब की अलग थीम (Theme), अलग डिजाइन, अलग सजावट। तो आइए जानते हैं, 1 साल में भारत में फूलों की कितनी खपत होती है !


फूलों की सजावट के विविध अवसर

भारत में 1 साल में 10 मिलियन शादियां होती हैं, जिनमें इंटरफ्लोरा कंपनियों (Interflora Companies) की नजर भारी मुनाफा कमाने के लिए बड़ी और भारी बजट की शादियों पर रहती है। मुंबई में मात्र 1 साल में स्थापित हुई यह कंपनी हर हफ्ते एक विदेशी फूलों से भरा कार्गो (Cargo) जहाज भारत लेकर आती है, जिसकी कीमत 2 करोड़ रुपए होती है। इंटरफ्लोरा इंडिया (Interflora India) के सीईओ (CEO) बताते हैं कि भारत में एक साल में कुल फूलों की खपत एक बिलियन डॉलर के लगभग होती है। इससे फूलों की खपत का बड़ा मार्केट बन रहा है। धार्मिक अवसरों और सस्ते फूलों की सजावट को छोड़ दें तब भी 800 मिलियन डॉलर का व्ययसाय निश्चित है।
इंटरफ्लोरा कंपनी विश्व के प्रमुख देशों से फूल खरीदती है- जिनमें हॉलैंड, कीनिया, कोलंबिया और यूरोप शामिल हैं। मुंबई, बेंगलुरु को छोड़कर दिल्ली शादियों का सबसे बड़ा बाजार है। कंपनी 2021 तक 200 करोड़ का टर्नओवर (Turnover) सोच रही है।

भारतीय फूलों की खेती का बाजार

2019 में भारतीय फूलों की खेती से 188.7 बिलियन मुनाफा कमाया गया। फ्लोरीकल्चर (Floriculture) को फ्लावर फार्मिंग (Flower Farming) के नाम से भी जाना जाता है, जिसका मतलब होता है फूलों और सजावटी पौधों की खेती। फूलों की खेती हमेशा से होती आई है और इसके सौंदर्य से लेकर सामाजिक, धार्मिक आदि विभिन्न उद्देश्य भी रहे हैं। व्यवसायिक फूलों की खेती का उद्योग अभी हाल में ही शुरू हुआ है। देखते-देखते भारतीय खेती में एक महत्वपूर्ण व्यापार का अध्याय जुड़ गया। ईमार्क ग्रुप (IMARC Group) का अनुमान है कि 2020 से 2025 के बीच भारतीय फूलों की खेती का बाज़ार मजबूत विकास दिखाएगा। देश में मेट्रो और बड़े शहर फूलों के बड़े उपभोक्ता प्रतिनिधि बनकर उभरे हैं, मांग के अनुसार ही मार्केट के आधारभूत ढांचे में भी जरूरी बदलाव किए गए।


फूलों की खेती: संपूर्ण तस्वीर

भारत में फूल हमारे धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक रीति-रिवाजों का अभिन्न अंग रहे हैं। सदियों से इनकी खेती होती आई है। लेकिन हाल ही में फूलों की खेती एक व्यवसाय गतिविधि बन गई। पुराने समय में, किसान जमीन का एक छोटा हिस्सा फूलों की खेती के लिए अलग रखते थे, मुख्यतः अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए। पारंपरिक फूलों जैसे गेंदा, चमेली, देसी गुलाब, आदि की खेती होती थी, जो फुटकर रूप से भी बिक जाते थे। आज की व्यवसाय खेती में जुटे किसान छोटे किसान है, जो आज भी फूलों की खेती पारंपरिक खेती के अंश के रूप में करते हैं ।
भारत सरकार ने बीजों, कंद, पौधों और कटे हुए फूलों पर आयात शुल्क वापस ले लिया है ताकि फूलों की गुणवत्ता और कुल उपज में बढ़ोतरी हो सके। सरकार ने 10 मॉडल फ्लोरीकल्चर केंद्रों की देश के विभिन्न क्षेत्रों में स्थापित करने की योजना बनाई है, जिससे फूलों की खेती में सुधार हो सके।
आवश्यकता है एक संगठित मार्केटिंग सिस्टम (Marketing System) विकसित करने की, जिससे फूलों के इस व्यापार को देश के भीतर और बाहर विदेशों में भी व्यवस्थित किया जा सके। साथी फूलों की नई प्रजातियां भी विकसित करने की जरूरत है।

सन्दर्भ:
https://bit.ly/2ULDpeK
https://www.imarcgroup.com/flower-floriculture-industry-india
http://www.preservearticles.com/articles/complete-information-on-floriculture/20320
https://www.floraldaily.com/article/9208195/indian-floriculture-industry-crumbles-due-to-covid-19/
https://www.thehindu.com/news/cities/Hyderabad/covid-19-impact-hits-floriculture-market/article31283670.ece
चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र में कोरोना वायरस के चलते बिक्री में आयी कमी से निराश एक फूल विक्रेता। (Freepik)
दूसरे चित्र में एक समय पर भीड़भाड़ से खचाखच भरा रहने वाला फूल बाजार ग्राहकों की ताक में। (Flickr)
तीसरे चित्र में सूरजमुखी के फूल। (Picseql)
अंतिम चित्र में कोरोना महामारी से पहले गुलज़ार फूल बाजार का एक दृश्य। (Youtube)

पिछला / Previous

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.