समयसीमा 245
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 942
मानव व उसके आविष्कार 740
भूगोल 219
जीव - जन्तु 273
हर साल भारत में औसतन 20 से 30% अनाज की फसलें कीट और बीमारियों के कारण नष्ट हो जाती हैं। किसानों द्वारा तैयार की गई इन फसलों की कीमत करीब 45,000 करोड़ होती है। भारतीय अपने खाने-पीने में प्रोटीन की पूर्ति के लिए चने, मूंग दाल, अरहर और मसूर की दाल का नियमित रूप से सेवन करते हैं। लेकिन ऐसा अनुमान लगाया गया है कि बिना फसल सुरक्षा सामग्री का इस्तेमाल किए दाल की फसल 30% तक कम होती है। सुरक्षित और पूरी फसल पाने के लिए उपलब्ध पौध सुरक्षा उपकरण, उनके प्रयोग, सरकार द्वारा दी जा रही सहायता संबंधी जानकारी के साथ-साथ यह भी ध्यान देने योग्य है कि कैसे वे खेती के पुराने और आजकल भारत में चल रहे तरीकों को बदल डालते हैं। कीटों द्वारा हो रहे नुकसान के विषय में कृषि संबंधी शोध की जरूरत है क्योंकि उससे खेत की सीधे सुरक्षा हो सकेगी।
कीट आक्रमण और भारतीय किसान
भारतीय किसान हाड़ तोड़ मेहनत करके 1.3 Billion जनता की भूख मिटाते हैं, यह विश्व की कुल आबादी का ⅕ हिस्सा है। इसके अलावा हमारे किसान विश्व के कुल उत्पादन का 20% भारत में पैदा करते हैं, लेकिन उनकी उत्पादकता पर कीटों ने हमला करके फसलों और किसानों की रोजी रोटी को संकट में डाल दिया है। पौध विज्ञान इस मामले में किसानों की मदद के लिए आगे आया है।
एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स और भारतीय उद्योग (Associated Chambers of Commerce and Industry of India (ASSOCHAM)) के एक अध्ययन के अनुसार कीट और बीमारियों के चलते सालाना फसल नुकसान के कारण कम से कम 200 Million भारतीय हर रात भूखे सोते हैं। फसल सुरक्षा के फायदे इतने ज्यादा महत्वपूर्ण है कि इसके लिए पूरे भारत के छोटे किसानों को फसल सुरक्षा उत्पादों को इस्तेमाल करने का प्रशिक्षण दिया गया है। भारत का उत्पादन के क्षेत्र में विश्व में नंबर दो पर है । पादप विज्ञान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर कपास की फसल को कीटों से तो बचाया ही है, उत्पादन और गुणवत्ता भी बढ़ाई है। 2002 में, भारतीय किसानों ने एक कीट रोधक कपास की किस्म अपनी पहली बायोटेक फसल के रूप में लगाई। बीटी कॉटन (Bt Cotton) ने लघु स्तर के किसानों की सहायता करके 24% फसल उत्पादन बढ़ाया और उनकी आमदनी 50% बढ़ाई।
भारतीय कृषि में फसल सुरक्षा उत्पादों का महत्व
1960 और 1970 के दशकों में हरित क्रांति में फसल उत्पादन बढ़ा और अनाज उत्पादन ने भारत को आत्मनिर्भर बनाया। अधिक उपज देने वाले बीजों के अतिरिक्त रासायनिक उर्वरकों, सिंचाई और कीटनाशकों ने हरित क्रांति को संभव बनाने में अहम भूमिका निभाई।
पौध संरक्षण उपकरण
यह चार प्रकार के होते हैं-
1. नैपसैक स्प्रेयर(Knapsack Sprayer)
इसमें एक पंप और एक एयर चेंबर 9 से 22.5 लीटर टैंक में स्थाई रूप से लगे होते हैं। पंप को लगातार चलाते रहने से एक सा दबाव बनाया जा सकता है। इसका इस्तेमाल छोटे पेड़ों-झाड़ियों पर इंसेक्टिसाइड(Insecticide) और पेस्टिसाइड के छिड़काव में होता है। इसकी कीमत ₹2500 से ₹3500 के बीच है।
2. मोटराइज्ड नैपसैक मिस्ट ब्लोअर एंड डस्टर(Motorised Knapsack Mist Blower and Duster)
इसमें ईंधन और पानी/ धूल के लिए दो प्लास्टिक टैंक, इंजन, पंप, स्प्रे नली, रोप स्टार्टर, डिलीवरी पाइप, कट ऑफ कॉक, शोल्डर स्ट्रैप और एक फ्रेम होता है। इसमें एक छोटा टू स्ट्रोक 35 सीसी का पेट्रोल/ केरोसिन इंजन होता है, उसमें एक अपकेंद्र पंखा जुड़ा होता है। पंखा हाई वेलोसिटी एयरस्ट्रीम पैदा करता है, जोकि 90 डिग्री की एल्बो के जरिए एक प्लास्टिक की निकास नली से जुड़ी होती है, उसमें एक आउटलेट होता है। स्प्रे के लिए धीरे-धीरे कंट्रोल वाल्व को खोलते हैं और इच्छा अनुसार फ्लोरेट(Flowrate) सेट कर लेते हैं। ऑपरेटर डिस्चार्ज नली को छिड़काव के लक्ष्य की ओर कर देते हैं। इससे डस्टिंग भी की जा सकती है। यह उपकरण पेस्टिसाइड और फंगीसाइड(Fungicide) के छिड़काव के लिए उपयुक्त होता है। इसे चावल, फल और सब्जियों की फसल पर छिड़काव के लिए प्रयोग करते हैं। इसकी कीमत ₹7000 है।
3. ट्रैक्टर माउंटेड बूम स्प्रेयर (Tractor Mounted Boom Sprayer)
इस स्प्रेयर में फाइबर ग्लास या प्लास्टिक का बना एक टैंक, पंप, प्रेशर गौज़ेस, प्रेशर रेगुलेटर, एयर चेंबर, डिलीवरी पाइप और स्प्रे बूम होता है, जिसमें नोजल(Nozzle) लगे होते हैं। इसका इस्तेमाल सब्जियों की फसलों, फूलों के बगीचे और टॉल फील्ड जैसे गन्ना, मक्का, कपास, मिलेट आदि में छिड़काव के लिए होता है। इसकी कीमत ₹40000 है।
4. एरो ब्लास्ट स्प्रेयर(Aero Blast Sprayer)
इसमें 400 लीटर क्षमता का टैंक, पंप, पंखा, कंट्रोल वाल्व, फिलिंग यूनिट, एडजेस्टेबल हैंडल और नोजल होता है। इसका इस्तेमाल हॉर्टिकल्चर(Horticulture) फसलों और कपास, सूरजमुखी, गन्ने आदि में होता है। इसकी कीमत ₹50000 है।
कृषि संबंधी शोध का महत्व
नए आविष्कार सुचिंतित शोध का परिणाम होते हैं, जिसमें कई बार वर्षों का समय लग जाता है। शोध ने बड़े अर्थों में हमारी दुनिया को बदला है। यह बदलाव एक निरंतर प्रक्रिया है। कृषि क्षेत्र में वैज्ञानिक सक्रिय रूप से बराबर नई प्रक्रियाओं की खोज में रहते हैं, जिनसे पशुधन और फसल उत्पादन बढ़ाया जा सके, खेती की जमीन की उर्वरता बढ़ाई जा सके, रोगों और कीट के प्रकोप से फसलों की रक्षा हो, अधिक सक्षम उपकरण इजाद हो और फसल की गुणवत्ता बढ़े। शोधकर्ता का प्रयास होता है कि किसानों के लाभ के रास्ते निकाले जाएं और पर्यावरण की रक्षा भी हो।
चित्र सन्दर्भ :
मुख्य चित्र में स्वर्ण खेती (उत्तम गेहूं की खेती) का एक दृश्य है। (Freepik)
दूसरे चित्र में नैपसैक (Knapsack) के द्वारा खेत में कीटनाशक दवा का छिड़काव दिखाया गया है। (pinterest)
तीसरे चित्र में मोटर द्वारा संचालित नैपसैक मिस्ट ब्लोअर और डस्टर (knapsack mist blower and duster) को दिखाया गया है। (Youtube)
चौथे चित्र में ट्रेक्टर माउंटेड बूम स्प्रेयर (Tractor Mounted Boom Sprayer) को दिखाया गया है। (wikiwand)
अंतिम चित्र में ऐरो ब्लास्ट स्प्रेयर (Aero Blast Sprayer) का चित्रण है। (youtube)
सन्दर्भ :
https://croplife.org/news/keeping-indias-pests-in-line/
http://croplifeindia.org/importance-of-crop-protection-products-in-indian-agriculture/
https://farmech.dac.gov.in/FarmerGuide/UP/7u.htm
https://www.carlisle.k12.ky.us/userfiles/1044/Classes/6685/070008.pdf
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.