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आज वर्तमान में पूरा विश्व इन्टरनेट (Internet) के जरिये अपने ज्यादातर कार्य कर रहा है, इसमें यदि प्रमुखता से बात की जाए तो खरीददारी एक अत्यंत महत्वपूर्ण बिंदु है। व्यक्ति कपडे से लेकर राशन तक की खरीददारी इन्टरनेट के माध्यम से कर रहा है। ऐसी स्थिति में आज देखा जाए तो एक बड़ी जनसँख्या खुदरा दुकानों पर जाने की जहमत नहीं उठा रहा है जिसके कारण खुदरा व्यापारियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। वर्तमान समय में जब कोरोना नामक महामारी के चपेट में है तो ऐसे में व्यापार का ऑनलाइनकरण एक बेहतर विकल्प के रूप में सामने आ रहा है। भारत में ई कॉमर्स (E-Commerce) का प्रसार सन 1995 के समय से होना शुरू हो गया था तथा एक सीमित स्तर पर उस समय कार्य भी हो रहा था परन्तु यह सन 1999 था आई आर सी टी सी (IRCTC) पहली ऐसी कंपनी (Company) बनी जिसने अपना ई कॉमर्स पोर्टल (Portal) शुरू किया था।
यह वह समय था जब से भारत में ई-कॉमर्स की शुरुआत हुयी और आज वर्तमान समय में भारत एक वृहत ई कॉमर्स का केंद्र बन चुका है। 2013 में भारत में कुल 16 बिलियन डॉलर (Billion Dollar) की बिक्री हुयी थी जिसे की माना जाता है की 2023 तक 56 बिलियन डॉलर तक हो जाएगी। वहीँ यदि खरीददारों की बात करें तो 2013 में कुल 20 मिलियन (Million) खरीददार थे तथा 2016 तक ये 40 मिलियन के करीब तक पहुँच गए। 1999 में जिस पहली कंपनी ने यहाँ पर ई कॉमर्स का पोर्टल लौंच (Portal Launch) किया उसे रेडिफ. कॉम (Rediff.com) के नाम से जानते हैं सन 2000 में इंडिया टाइम्स शौपिंग (Indiatimes Shopping) और बाज़ी डॉट कॉम (Baazee.com) भारतीय बाजार में उतरे यह सन 2002 था जब आई आर सी टी सी था जब भारतीयों ने इन्टरनेट से टिकेट (Ticket) निकालना एक सुगम साधन समझा। 2003 के दौर में हवाई जहाज का टिकेट भी ऑनलाइन (Online) मिलना शुरू हुआ। सन 2005 में मेक माय ट्रिप (Make My Trip) भारतीय बाजार में उतरा और आज वर्तमान समय तक यह एक अत्यंत ही बड़ी आबादी के द्वारा प्रयोग में लाया जाता है। 2006 में मेक माय ट्रिप की ही तरह यात्रा डॉट कॉम (Yatra.com) भी भारतीय बाजार में अपना पैर पसारना शुरू किया। 2007 एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण साल थे ई कॉमर्स के दृष्ट्कोण से और इसका कारण था बुक माय शो (Bookmy Show) और फ्लिपकार्ट (Flipkart) के भारतीय बाजार में अपना कदम रखना। बुक माय शो ने थिएटर (Theatre) के आगे लगने वाली लाइनों को कम करने का कार्य किया तथा फ्लिपकार्ट ने भारतीय बाजार में लोगों के घरों तक सामान पहुचाने का कार्य किया। 2009 के बाद तो इस क्षेत्र में बाढ़ सी आ गयी और मिन्त्रा (Myntra) जो की फैशन (Fashion) से सम्बंधित ई कॉमर्स पोर्टल है लांच हुआ इसी के साथ माय डाला (Mydala) भी भारतीय बाजार में आई। 2010 में स्नैपडील (Snapdeal) का आगमन हुआ। 2012 में जोबोंग (Jabong) ने भारतीय बाजार में कदम रखा तथा 2013 में अमेज़न (Amazon) का सूत्रपात भारतीय बाजार में हुआ। इन तमाम पोर्टलों के आगमन के कारण आज भारत एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण बाजार बन चुका है।
ई कॉमर्स व्यापार शुरू करना एक अत्यंत ही कठिन कार्य है जिसके लिए कई बिन्दुओं पर जोर देने की आवश्यकता है। सर्वप्रथम एक ई कॉमर्स व्यापार शुरू करने के लिए विचार होने की आवश्यकता है तथा उसी विचार के इर्द गिर्द एक समीकरण भी बनाने की आवश्यकता है। इसको शुरू करने के लीये उत्पाद का चयन, उपभोक्ता का चयन (किस प्रकार के उपभोक्ता तक पहुंचना है), डिमांड की स्थिति तथा कार्य किस अनुसार चालित करना है आदि। संभावित बाजार की स्थिति देखना भी अत्यंत आवश्यक बिंदु है, एक अन्य रास्ते की भी व्यवस्था करके रखना आवश्यक है यदि किसी प्रकार की समस्या आगई तो उस से उबरने के लिए। उत्पाद की स्थिति तथा आपूर्ति का भी ज्ञान होना आवश्यक बिंदु है, सम्बंधित प्रतियोगियों का अध्ययन करना भी एक अत्यंत महत्वपूर्ण बिंदु है किसी भी ई कॉमर्स की शुरुआत करने से पहले। इन सभी बिन्दुओं पर अध्ययन करने के उपरान्त ही एक यूजर फ्रेंडली वेबसाइट का निर्माण करके उसके ऊपर तमाम उत्पादों की जानकारी देना और पेमेंट गेटवे आदि का निर्माण करना जरूरी है।
मुख्य चित्र में ई-कॉमर्स (E-commerce) वेबसाइट के स्टार्टअप (Start-up) का सांकेतिक चित्र है। (Prarang)
दूसरे चित्र में ई-कॉमर्स (E-commerce) वेबसाइट के द्वारा खरीददारी, डेलिवरी, भुगतान, वापसी (Return) इत्यादि सुविधाओं को दिखाया गया है। (Prarang)
अंतिम चित्र में ई-कॉमर्स (E-commerce) वेबसाइट पर खरीददारी करती हुई महिला को दिखाता है। (Wallpaperflare)
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