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मेरठ को इसके इतिहास के लिए विशेष रूप से जाना जाता है लेकिन इसकी एक और विशेषता यह है कि यह जिला पूर्ण रूप से समृद्ध है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि यह उत्तर भारत के गन्ना उत्पादन अर्थात गन्ना बागानों और चीनी उत्पादन कारखानों को नियंत्रित करता है। चीनी भारत का ही आविष्कार है जिसे लगभग 800 ईसा पूर्व, शक्कर के रूप में जाना जाता था। प्राचीन समय में भारत में गुड़ आधारित चीनी उत्पादन का आविष्कार हुआ जिसके लिए संस्कृत शब्द ‘सक्खर (Sakkhar)’ प्रयोग में लाया जाता था जिसका शाब्दिक अर्थ रेत – छोटी भूरी रेत के समान होता है। यह माना जाता है कि गन्ना चीनी का उपयोग सबसे पहले पोलिनेशिया में किया गया था जहां से यह भारत में फैला। 510 ईसा पूर्व में फारस के सम्राट डेरियस ने भारत पर आक्रमण किया जहां उन्होंने गन्ना ‘जो मधुमक्खियों के बिना शहद देता है' पाया। अरब के लोगों ने जब 642 ईस्वी में फारस पर आक्रमण किया तब उन्होंने पाया कि गन्ना उगाया जा रहा है और सीखा कि चीनी कैसे बनाई जाती है। उनके विस्तार ने उत्तरी अफ्रीका और स्पेन सहित अन्य भूमि में चीनी उत्पादन स्थापित किया। चीनी को केवल 11 वीं शताब्दी ईस्वी में धर्मयुद्ध के परिणामस्वरूप पश्चिमी यूरोपीय लोगों द्वारा खोजा गया था। पहली चीनी सन 1099 में इंग्लैंड में दर्ज की गई जबकि बाद की शताब्दियों में चीनी के आयात सहित पूर्व के साथ पश्चिमी यूरोपीय व्यापार का एक बड़ा विस्तार देखा गया। 15 वीं शताब्दी ईस्वी में, यूरोपीय चीनी को वेनिस में परिष्कृत किया गया, उसी शताब्दी में, कोलंबस अमेरिका, (नई दुनिया) के लिए रवाना हुए। सन 1493 में उन्होंने कैरिबियन (Caribbean) में बढ़ते हुए उन्होंने गन्ने के पौधों को भी साथ में ले लिया। वहाँ की जलवायु गन्ने की वृद्धि के लिए इतनी लाभप्रद थी कि एक उद्योग जल्दी से स्थापित हो गया। 1750 तक ब्रिटेन में लगभग 120 चीनी परिशोधनशालाएं चल रही थीं जिनका संयुक्त उत्पादन केवल 30,000 टन (Tonnes) प्रति वर्ष था। इस स्तर पर चीनी अभी भी एक बहुमूल्य वस्तु थी और इस कारण उसे ‘सफ़ेद सोना’ कहा जाता था। चीनी का मूल 8,000 साल पहले का है तथा प्रारंभ में, लोग मिठास का आनंद लेने के लिए गन्ने को चबाते थे। 2,000 साल बाद, गन्ने ने अपना रास्ता (जहाज द्वारा) फिलिपीन्स और भारत में बनाया। भारत में गन्ने के पौधों से चीनी का पहली बार उत्पादन पहली शताब्दी ईस्वी के कुछ समय बाद उत्तरी भारत में किया गया। प्राचीन भारत का संस्कृत साहित्य, जो 1500 से 500 ईसा पूर्व के बीच लिखा गया है, भारतीय उपमहाद्वीप के बंगाल क्षेत्र में गन्ने की खेती और चीनी के निर्माण का पहला दस्तावेज उपलब्ध कराता है। गन्ने के पौधे से गन्ने के रस की निकासी, और उष्णकटिबंधीय दक्षिण पूर्व एशिया में पौधे का वर्चस्व लगभग 4,000 ईसा पूर्व में हुआ। दो हज़ार साल पहले भारत में गन्ने के रस से गन्ना चीनी के दानों के निर्माण का आविष्कार हुआ जिसके बाद भारत में क्रिस्टल (Crystal) कणिकाओं को परिष्कृत करने में सुधार होने लगा। उत्पादन विधियों के कुछ सुधारों के साथ मध्ययुगीन इस्लामी दुनिया में गन्ने की खेती और गन्ना चीनी का निर्माण हुआ। 16 वीं शताब्दी की शुरुआत में वेस्ट इंडीज और अमेरिका के उष्णकटिबंधीय भागों में गन्ने की खेती और गन्ना चीनी के निर्माण का प्रसार हुआ जिसके बाद 17 वीं और 19 वीं सदी में उत्पादन में अधिक गहन सुधार हुआ। चुकंदर, उच्च फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप (Fructose corn syrup) की शुरूआत 19 वीं और 20 वीं शताब्दी में हुआ। भारत में, गन्ना देश के हिस्से के आधार पर अक्टूबर, मार्च और जुलाई में एक वर्ष में तीन बार लगाया जाता है। भारत में चीनी का अधिकांश उत्पादन स्थानीय सहकारी चीनी मिलों (Mills) में होता है। स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद, भारत ने चीनी उद्योग के समग्र औद्योगिक विकास के लिए गंभीर योजनाएँ बनाईं। भारत में चीनी उद्योग एक बड़ा व्यवसाय है। कुछ 500 लाख किसान और लाखों से भी अधिक श्रमिक, गन्ने की खेती से जुड़े हैं तथा भारत चीनी का विश्व का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (Indian Sugar Mills Association) के आंकड़ों के मुताबिक, 2018-19 में देश की चीनी मिलों द्वारा उत्पादित चीनी का अनुमान 355 लाख टन लगाया गया था। अधिकांश उत्तर भारत आज सफेद क्रिस्टल चीनी का उपयोग करता है और इसे ‘चीनी’ (शाब्दिक रूप से चीन से) कहता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि चीनी लोगों ने इसमें जानवरों की हड्डियों/कैल्शियम (Calcium) को मिलाते हुए इसे परिष्कृत करना शुरू किया और सफेद/पारदर्शी क्रिस्टल क्यूब्स (Cubes) का निर्माण किया और इसे वापस भारत में बेचा। चीनियों ने चीनी को बहुत बाद में बनाना शुरू किया और इसके सूत्र को उन्होंने भारत से चोरी किया। भारतीय चीनी का भूरा रंग उन्हें स्वीकार्य नहीं था और इसलिए उन्होंने बारीक, परिष्कृत सफेद चीनी बनाने के सूत्र की खोज की। चीनी लोगों द्वारा सफेद चीनी का सूत्र दिया गया था, इसलिए भारतीयों ने इसे चीनी कहना शुरू कर दिया। सफेद चीनी, जिसे टेबल शुगर (Table sugar), दानेदार चीनी या नियमित चीनी भी कहा जाता है, आमतौर पर उत्तरी अमेरिका और यूरोप में उपयोग की जाने वाली चीनी है, जो या तो चुकंदर या गन्ना चीनी से बनी होती है, तथा एक परिष्कृत प्रक्रिया से गुजरी है। गन्ने से उत्पादित सफेद चीनी (और कुछ भूरी चीनी) को अभी भी कुछ गन्ना परिशोध कर्ताओं द्वारा बोन चार (Bone char) का उपयोग करके परिष्कृत किया जाता है। परिशोधन पूरी तरह से शीरे (Molasses) को अलग कर देता है और सफेद चीनी को वास्तव में सुक्रोज (Sucrose) बनाता है, जिसका आणविक सूत्र C12H22O11 है। वास्तव में सफेद चीनी को एक रसायन माना जाता है। सफेद चीनी, या परिष्कृत सुक्रोज, एक अत्यधिक परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) है जिसे तकनीकी रूप से एक दवा के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यदि इसे परिभाषा के रूप में देखा जाए तो यह किसी रोग के उपचार में औषधि के रूप में प्रयुक्त होने वाला पदार्थ है, एक ऐसा मादक द्रव्य, जो इंद्रियों को सुस्त कर देता है।
चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र में मेरठ में गन्ने की कटाई करते हुए किसानों का सन 1960 का चित्र किया गया है। (Wikimedia)
दूसरे चित्र में एंटीगुआ (Antigua) में गन्ना काटने वाले दासों को दिखाया गया है। यह चित्र सन 1823 में प्रकाशित किया गया था। इस चित्र को वर्जीनिया फाउंडेशन फॉर ह्यूमैनिटीज़ और यूनिवर्सिटी ऑफ़ वर्जीनिया लाइब्रेरी (Virginia Foundation for Humanities and the University of Virginia Library) द्वारा और जेरोम एस हैंडलर (Jerome S. Handler) और माइकल एल टाइट जूनियर (Michael L. Tait Jr.) लेखकों के सौजन्य से प्रायोजित किया गया है। (Publicdomainpictures)
तीसरे चित्र में 1854 में स्थापित यूरेनी (urany, Šurany)(स्लोवाकिया, Slovakia) में चीनी रिफाइनरी का चित्रण है। यह तस्वीर सन 1900 से है। (Wikipedia)
चौथे चित्र में हैसिंडा ला फ़ोर्टुना (Hacienda La Fortuna)। 1885 में फ्रांसिस्को ओलेर (Francisco Oller) द्वारा चित्रित प्यूर्टो रिको (Puerto Rico) में एक चीनी मिल परिसर का चित्र। (Wikipedia)
पाँचवा चित्र 19 वीं सदी में थियोडोर ब्रे द्वारा गन्ने के रोपण के चित्र को दर्शाता गया है : दाईं ओर "श्वेत अधिकारी" है, जो यूरोपीय ओवरसियर (European overseer) है। फसल काटने के दौरान गुलाम मजदूर। बाईं ओर गन्ने के परिवहन के लिए एक सपाट तल का बर्तन है। (Publicdomainpictures)
छठे चित्र में गन्ना और सफ़ेद चीनी को दिखाया गया है। (Wikimedia)
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