मेरठ शहर और 120 साल पुराने शिकारी खेल में है, अनोखा सम्बन्ध

हथियार व खिलौने
04-06-2020 02:30 PM
मेरठ शहर और 120 साल पुराने शिकारी खेल में है, अनोखा सम्बन्ध

पोलो विश्व का एक मशहूर खेल है । ब्रिटिश मिलिट्री (British Military) ने अहम भूमिका निभाई, पोलो को भारत से इंग्लैंड और उसके बाद युनाइटेड स्टेट्स तक पहुंचाने की। उसी तरह से पिग्स स्टिकिंग (Pigs Sticking) पोलो की तरह गरिमामय खेल तो नहीं था लेकिन पोलो की तरह उसकी अपनी मैग्जीन थी, किताबें थीं। यही नहीं, पिग्स स्टिकिंग का अपना एक ‘Super Bowl’ यानि द कादिर कप और इसके अपने प्रचारात्मक गाने भी थे। ब्रिटिश राज में किस तरीके से खूनी खेल खेले गए, यह उन्हीं कहानियों में एक है – एक अनसुनी, भुला दी गई कहानी जिसके इतिहास पर जम चुकी वक्त की धूल को हटाकर आपके सामने 120 साल बाद हम इस कहानी को लेकर आये हैं। इसे पढ़कर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। 120 साल पहले के मेरठ की ये दुर्लभ तस्वीरें जिनमें मेजर ए.ई. वॉरड्रॉप (Major A.E. Wardrop), सचिव मेरठ टेन्ट क्लब जिसका निर्माण पिग्स स्टिकिंग या हॉग हंटिंग (Hog Hunting) यानि जंगली सुअर के शिकार के लिए हुआ था। मेरठ एक कलोनियल वर्ल्ड स्पोर्ट (Colonial World Sport) पिग्स स्टिकिंग का गढ़ था, जो अफ्रीका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण पूर्व के दूसरे देशों में बसे ब्रिटिशर्स का पसंदीदा खेल था।

1863 से 1892 के बीच नागपुर शिकार में ये प्रथा थी कि नर सुअर के साथ-साथ मादा सुअर का भी शिकार होता था। लेकिन 1893 से एक जुर्माना लागू हो गया जिसके अंतर्गत मादा सुअर के शिकार पर सख्त मनाही हो गई। टेन्ट क्लब भी सागौर,दिल्ली और मेरठ में स्थापित हुए। मेरठ खेल का केन्द्र बन गया, जहां जनरल वॉरड्रॉप, उसके अधिकारियों में से एक सेक्रेटरी के तौर पर नियुक्त हुए। शिकार और टेंट क्लब्स ने नियम बनाए और तकरीबन शताब्दी के शुरुआती दौर से चले आ रहे मुफ्त में शिकार करने की प्रथा को बदल डाला, अब इस इलाके में बिना कप्तान और सचिव की अनुमति के बिना शिकार कर पाना संभव नहीं था। जिस तरह इंग्लैंड में लोमड़ी के हत्यारों की तरह, जो आदमी जंगली सुअर का शिकार करता है उसे साफ तौर पर अनुचित माना गया है। जनरल वॉरड्रॉप के बेटे मेजर ए.ई.वॉरड्रॉप ने एक लेख पिग स्टिकिंग पर लिखा जिससे साफ झलकता है कि इन्होने एक खूनी खेल को कोल्ड ब्लडेड (Cold Blooded) तरीके से भयावह रूप दिया गया।

इस दिल दहला देने वाले संगठित अपराध को अंजाम देने के बाद उस पर आत्मग्लानि के बजाए गर्व से उसे एक प्रगतिशील खेल बताकर उसका ढिंढोरा पीटा गया। इस लेख में घोड़ों की ट्रेनिंग, उपकरण, बरछों की शैलियां, टेन्ट क्लब का संगठन, सुअरों का संरक्षण, शिकारियों को रोकना, रिकॉर्ड रखना और सालाना बैठक के आयोजन के विवरण दिए गए हैं। वो खुद भी मेरठ के सचिव थे जिसने कादिर क्षेत्र में 200 से 300 वर्गमील क्षेत्र में शिकार किया या मेरठ के आसपास नदी के तल तलाशे थे। ए.ई.वॉरड्रॉप की किताब में जंगली सुअरों के शिकार से पुनर्उद्धार की चर्चा की गई है जो प्रथम विश्व युद्ध के पहले चलन में था, जबकि टेन्ट कल्ब्स बहुत अधिक संगठित थे। 1857 से पहले हैनरी टॉरेंस, मुर्शीदाबाद के निवासी ने सुअरों के शिकार के लिए आयोजन किया जिसमें 100 हाथियों ने सुअरों को खत्म कर दिया और 99 जंगली सुअर 12 दिनों में मार दिये गए।

भारत में ब्रिटिश राज और पिग स्टिकिंग: कुछ तथ्य
शायद ही कोई जानता हो कि पिग स्टिकिंग के इस खेल का 19 सवीं सदी की शुरुआत में बंगाल में प्रचलित भालुओं के शिकार से गहरा संबंध है। जब भालुओं की संख्या बेहद कम हो गई तो जंगली सुअर के शिकार का प्रचलन शुरू हुआ। जंगली सुअर के शिकार यानि पिग स्टिकिंग खेल की क्रूरता का अंदाज आप इस बात से लगा सकते हैं कि अन्य खेलों की तरह इसका भी एक सीजन होता था जो कि हर साल फरवरी से जुलाई तक चलता था।

पिग स्टिकिंग के खेल में एक प्रकार की सांकेतिक भाषा (Sign Language) का होता था इस्तेमाल
- फ्रैंक (FRANK) यानि सुअर का बाड़ा
- जाहो (JAHOW) या तमरिस्क (TAMARISK) यानि सुअरों को रखने का सार्वजनिक स्थान
- नुल्लाह (NULLAH) यानि सूखा नाला
- टू पिग (TO PIG) यानि सुअर का शिकार करने जाने का कोड वर्ड
- पग (PUG) यानि जंगली सुअर के पंजो के निशान
- पगिंग (PUGGING) यानि जंगली सुअर के पंजो के निशान के सहारे उसे शिकार के लिए ढूंढना
- रुटिंग्स (ROOTINGS) यानि जमीन पर जंगली सुअर के थूथन निशान
- संगलिएर (SANGLIER) ऐसा जंगली सुअर जो अपने झुंड से बिछड़ गया है
- साउंडर (SOUNDER) यानि जंगली सुअर का झुंड
- स्क्वीकर (SQUEAKER) यानि तीन साल से कम उम्र का सुअर
- टस्कर (TUSKER) यानि वयस्क जंगली सुअर
- बोर (BOAR) यानि जंगली सुअर
- गिल्ट (GILT) यानि वो जंगली मादा सुअर जो एक बार भी गर्भवती ना हुई हो
- सो (SOW) यानि वो मादा सुअर जो कम से कम एक बार मां बन चुकी हो

कलकत्ता टेन्ट क्लब के किसी सदस्य ने यदि भूले से भी बच्चे दे चुकी मादा सुअर यानि सो को मार डाला तो उस शिकारी पर 12 बोतल शैंपेन का जुर्माना ठोक दिया जाता था। ये जंगली सुअर 5 फीट लंबे, तीन फीट चौड़े होते थे। जिनकी रफ्तार किसी घोड़े से भी तेज होती थी, अपनी सबसे तेज रफ्तार में भी वो 90 डिग्री का टर्न मार सकते थे। इनके दांत (TUSK) 9 इंच लंबे और इस कदर नुकीले होते थे कि वो शिकारी के घोड़े को ना सिर्फ घायल कर सकते थे बल्कि उसे मार भी सकते थे।

चित्र सन्दर्भ:
1. मुख्य चित्र में शिकार किये गए जंगली सूअरों के साथ बैठे ब्रिटिश अधिकारी दिखाए गए हैं।
2. दूसरे चित्र में जंगली सूअर का शिकार करते हुए ब्रितानी का विषयांकन करके बनाया गया चित्र दिखाया गया है।
3. तीसरे चित्र में एचिंग विधि से बनाया गया जंगली सूअर के शिकार का चित्र है।
4. चौथे चित्र में सीकर के दौरान लिया गया एक फोटो दिखाया गया है।
5. पांचवे चित्र में जंगली सूअर के सीकर का विषयांकन तेल रंगों के साथ दिखाया गया है।
6. छठे चित्र में हाथियों के साथ शिकार के दौरान लिया गया फोटोग्राफ है।
7. सातवें चित्र में इस निर्मम खेल की लोकप्रियता को पेश किया गया है। (दाहिनी तरफ) नेवीकट सिगरेट पर (मध्य में) कादिर कप और (बाये तरफ) इस प्रतियोगता का विज्ञापन है।
8. आठवें चित्र में निर्मम हत्या से भरा खूनी खेल खेलने के बाद प्रतियोगियों का ग्रुप चित्रण है।

सन्दर्भ:
1. https://bit.ly/3eM3fFX
2. https://www.africahunting.com/threads/pig-sticking-in-india-during-the-british-rule.3142/
3. https://faithfulreaders.com/2013/01/22/pig-sticking/

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