कोविड-19 का है कृषि क्षेत्र पर जटिल प्रभाव

नगरीकरण- शहर व शक्ति
22-05-2020 10:05 AM
कोविड-19 का है कृषि क्षेत्र पर जटिल प्रभाव

वर्तमान समय में कोविड (COVID-19) देश की अत्यंत गंभीर समस्या बन गया है। कई क्षेत्रों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने के साथ अर्थव्यवस्था पर इसका विनाशकारी प्रभाव है। कोई भी क्षेत्र अभी तक इसके प्रभाव से बच नहीं पाया है तथा कृषि और इससे जुड़े लोगों पर भी इसका प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखायी देता है। कृषि पर इसका प्रभाव जटिल है तथा कृषि मूल्य श्रृंखला बनाने वाले विभिन्न क्षेत्रों में विविध है। विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादकों और कृषि मजदूरों के बीच इसका प्रभाव व्यापक रूप से भिन्न है। इस समय कृषि में समस्याएं बाजारों के संचालन और परिवहनीय मुद्दों के कारण मुख्य रूप से श्रम उपलब्धता तथा उपज के लिए बाजारों तक पहुँचने में असमर्थता से संबंधित हैं। इसके तात्कालिक परिणाम के लिए सरकार को फसल के पैटर्न (Pattern) में बड़े पैमाने पर बदलाव के कारण सब्जियों और अन्य वाणिज्यिक फसलों की कीमत में संभावित तेज वृद्धि के लिए और सतर्क हो जाना चाहिए। किसानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा जिससे उन्हें बाहर निकलना है, वह उनके फसल ऋण और स्वर्ण ऋण चुकाने की समस्या है, कम से कम उन लोगों के लिए जिन्होंने औपचारिक बैंकिंग (Banking) क्षेत्र से उधार लिया है। अप्रैल और मई के बीच फसल ऋण चुकाया जाता है और एक नये ऋण की स्वीकृति दी जाती है।

कृषि और सम्बंधित गतिविधियों से जुड़े ज्यादातर लोगों ने इस तालाबंदी की अवधि में अनौपचारिक रोजगार से अपनी आय खो दी है। जब तक कि अर्थव्यवस्था सामान्य नहीं हो जाती तब तक ऐसे लोगों को एक वैकल्पिक उपाय के तहत नकद हस्तांतरण प्रदान किया जा रहा है। ग्रामीण भारत में जैसे-जैसे कृषि से जुड़े कार्यों में गिरावट आ रही है वैसे-वैसे लाखों लोग सरकारी राहत के लिए बेताब हो गए हैं। भारत की 51% ग्रामीण आबादी भूमिहीन है तथा इन पर तालाबंदी का प्रभाव सबसे अधिक दिखाई देता है। धान की फसल का समय खत्म हो गया है तथा कार्य मुख्य रूप से केले और अन्य फलों, सब्जियों जैसे टमाटर, पालक आदि फसलों की कटाई पर निर्भर करता है। हालांकि सरकार ने कृषि गतिविधियों को तालाबंदी से छूट दी है, लेकिन किसानों को इन फसलों की कटाई के लिए नहीं बुलाया गया है। धान की कटाई के बाद का समय वास्तव में मजदूरों के लिए अच्छा समय होता है। मशीनों का उपयोग बड़े पैमाने पर धान की कटाई के लिए किया जाता है, लेकिन सब्जियों और फलों जैसी छोटी फसलों के लिए व्यक्तिगत श्रम की आवश्यकता होती है। कृषि मजदूर आमतौर पर, अप्रैल-मई की अवधि के दौरान अधिक पैसा कमाते हैं। ये मजदूर विभिन्न क्षेत्रों से आते हैं, किन्तु अचानक तालाबंदी की घोषणा से कई मजदूर रास्तों में ही फंस गए। हालांकि सरकार ने राहत के रूप में महिलाओं के जन धन योजना खातों में 500 रुपये जमा किये, किन्तु कई परिवार ऐसे हैं जो अभी तक इसकी पहुँच से बाहर हैं क्योंकि वे घर से बाहर निकलने पर कानूनी कार्यवाही से डरते हैं। फसल कटाई के बाद किसान अपनी फसल को बेचने के लिए चिंतित हैं। छोटे किसान इस स्थिति को देखते हुए, मजदूरी देने की बजाय खुद ही फसलों को काटने का कार्य कर रहे हैं। तालाबंदी के दौरान मजदूरों को काम पर रखने के बाद से बड़े किसानों के लिए फसल कटाई (Harvester) में मशीनों का इस्तेमाल अधिक असुविधाजनक था।

उन्होंने लागत को बचाने का फैसला किया और परिणामस्वरूप खेत मजदूर आय रहित हो गए। अब कृषि मजदूरों के लिए न तो खेतों में ही कोई काम है और न ही बाहर। सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से मुफ्त भोजन राशन की घोषणा की थी लेकिन कई लोग अभी भी वितरण शुरू होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। केंद्र ने अप्रैल के पहले सप्ताह में प्रधानमंत्री किसान (PM-KISAN) योजना के तहत 2000 रुपये का भुगतान करने की घोषणा की थी लेकिन इसका फ़ायदा केवल भूमिहीन किसानों को हुआ। दिसंबर 2018 में शुरू की गई, यह योजना छोटे और मध्यम किसानों को मौद्रिक पूरक प्रदान करती है जो 2 एकड़ तक की खेती करते हैं। लेकिन कई किसान बटाईदार हैं, उन्होंने कुछ भी हासिल नहीं किया। प्रधानमंत्री किसान जैसी छोटे और मध्यम किसानों को लाभ पहुंचाने वाली योजना को तो प्राथमिकता दी गई है, लेकिन महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना, जो प्राथमिक रूप से भूमिहीन ग्रामीण परिवारों का समर्थन करती है, को प्राथमिकता में पीछे कर दिया गया है। भारत में इस समय रबी की फसल चरम पर है और गेहूं, चना, मसूर, सरसों आदि की फसलें या तो काटने योग्य हो गयी हैं या फिर लगभग परिपक्व अवस्था में पहुँच गयी हैं। यह वो समय भी है जब कटी हुई फसल नामित सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीद परिचालन सुनिश्चित करने के लिए मंडी में पहुँचती हैं। इसके अलावा, शहरी और ग्रामीण उपभोक्ताओं की खराब होने वाले फल और सब्जियों, दुग्ध उत्पादों, मछली आदि की बढ़ती मांग की आपूर्ति में कोई गंभीर व्यवधान, आपूर्ति श्रृंखला में इन क्षेत्रों से जुडे श्रमिकों के लिए अपूरणीय क्षति पैदा कर सकता है। श्रमिकों के अपने मूल स्थानों पर प्रवासन के कारण समस्या और भी बढ़ गयी है क्योंकि ये श्रमिक फसलों के भंडारण और विपणन केंद्रों में कटाई के समय तथा उसके बाद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

कोरोना विषाणु की स्थिति से निपटने लिए सरकार ने कुछ अभूतपूर्व प्रयासों की और कदम बढाए हैं। राष्ट्रव्यापी तालाबंदी की घोषणा के तुरंत बाद, कोरोना महामारी के किसी भी प्रतिकूल प्रभाव से ज्यादातर कमजोर वर्गों (किसानों सहित) को बचाने के लिए भारतीय वित्त मंत्री ने 1.7 लाख करोड़ के पैकेज (Package) की घोषणा की। प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत आय सहायता के रूप में किसानों के बैंक खातों में 2000 रुपये की अग्रिम सहायता दी गयी। सरकार ने दुनिया की सबसे बड़ी मजदूर गारंटी योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी के तहत लगे श्रमिकों के लिए मजदूरी दर भी बढ़ा दी। कमजोर आबादी की देखभाल के लिए विशेष योजना के तहत, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना की घोषणा की गई। तालाबंदी से अगले तीन महीनों के लिए पंजीकृत लाभार्थियों को अतिरिक्त अनाज आवंटन भी घोषित किया गया। अनौपचारिक क्षेत्र से जुड़े लोगों (ज्यादातर प्रवासी मजदूर) के लिए नकद और भोजन सहायता की घोषणा की गयी तथा एक अलग पीएम केयर्स फंड (PM-CARES) बनाया गया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने तालाबंदी अवधि के दौरान किसानों के लिए राज्यवार दिशानिर्देश जारी किए। दिशानिर्देश में विभिन्न रबी (सर्दियों में बोई गई) फसलों की कटाई और छंटाई के दौरान तथा बाद में, खेत की उपज का भंडारण और विपणन के लिए विशिष्ट अभ्यास उल्लेखित किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक ने कोविड -19 महामारी के कारण 'ऋण सेवा के बोझ' को संबोधित करते हुए विशिष्ट उपायों की घोषणा की है। कृषि अवधि और फसल ऋण को बैंकिंग संस्थानों द्वारा अच्छे पुनर्भुगतान व्यवहार वाले उधारकर्ताओं के लिए फसल ऋण की ब्याज दर पर 3 प्रतिशत रियायत के साथ 300,000 रुपये तक तीन महीने (31 मई तक) की मोहलत दी गई है।

चित्र (सन्दर्भ):
1. मुख्य चित्र में खेत में रखा फावड़ा कोरोना के कारण खेती पर प्रतिकूल प्रभाव दिखा रहा है। (Pxhere)
2. दूसरे चित्र में आशान्वित वृद्ध किसान दिख रहा है। (Peakpx)
3. तीसरे चित्र में खेती से अन्न को एकत्र करती एक अकेली महिला दिख रही है। (Pexels)
संदर्भ
https://scroll.in/article/959079/covid-19-as-farm-work-collapses-in-rural-india-millions-are-desperate-for-government-relief
https://www.icrisat.org/containing-covid19-impacts-on-indian-agriculture/
https://www.deccanherald.com/opinion/covid-19-impact-on-agriculture-varied-and-devastating-828390.html

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.